परिचय
स्पोंडिलोसिस क्या है?
स्पोंडिलोसिस या स्पाइनल ऑस्टियोअर्थराइटिस, गठिया (संधिशोथ) का ही एक प्रकार होता है। यह एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति है, जो बढ़ती उम्र के चरण में रीढ़ की हड्डी में होने वाले घिसाव या रीढ़ की हड्डी के कमजोर होने के कारण हो सकती है। स्पोंडिलोसिस की समस्या बहुत सामान्य मानी जाती है। 60 की उम्र या इससे अधिक उम्र के लगभग 85 प्रतिशत वयस्कों में इसकी समस्या मुख्य तौर पर पाई जा सकती है। इसके अलावा, इसका जोखिम तब सबसे अधिक हो सकता है जब रीढ़ की हड्डी के नीचे के डिस्क और जोड़ों को किसी तरह का नुकसान होने लगता है या जब रीढ़ की हड्डी स्पाइन (कशेरुक) पर दबाव बढ़ता है या ये दोनों ही स्थिति एक साथ हो सकते हैं। ये परिवर्तन रीढ़ की गति को रोक सकते हैं और तंत्रिकाओं और अन्य कार्यों को प्रभावित कर सकते हैं।
यह स्थिति सबसे ज्यादा गर्दन की हड्डियों को प्रभावित कर सकता है जिसे सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस कहते हैं। स्पोंडिलोसिस या स्पाइनल ऑस्टियोअर्थराइटिस रीढ़ की हड्डी के अलग-अलग क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती है। मुख्य रूप से स्पोंडिलोसिस चार प्रकार का हो सकता है, जिनमें शामिल हैंः
स्पोंडिलोसिस के प्रकार
सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस (Cervical spondylosis)
सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस की स्थिति में गर्दन में दर्द होता है। इसमें सामन्यतया गर्दन के निचले हिस्से, कंधों और कंधों के जोड़ों में दर्द हो सकता है। साथ ही, गर्दन घुमाने या हाथों को ऊपर-नीचे करने में भी परेशानी होने लगती है।
लम्बर स्पोंडिलोसिस (Lumbar spondylosis)
लम्बर स्पोंडिलोसिस की स्थिति में कमर के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। इसका दर्द खासकर सुबह सोकर उठने के बाद सबसे गंभीर हो सकता है।
एंकायलूजिंग स्पोंडिलोसिस (Ankylosing spondylosis)
एंकायलूजिंग स्पोंडिलोसिस को स्पोंडिलोसिस डिफोरमन्स भी कहते हैं। यह सामान्यतया रीढ़ के सभी जोड़ों को प्रभावित करता है जिसके कारण पूरे पीठ में तेज दर्द हो सकता है। यह रीढ़ की हड्डी, कंधों और कूल्हों के जोड़ों में दर्द का कारण बन सकता है। एंकायलूजिंग स्पोंडिलोसिस रीढ़ की हड्डी के जोड़ों के साथ-साथ शरीर के सभी हड्डी के जोड़ों को प्रभावित कर सकता है।
थोरैसिक स्पोंडिलोसिस (Thoracic spondylosis)
थोरैसिक स्पोंडिलोसिस रीढ़ के मध्य हिस्से को प्रभावित करता है। जिसके कारण सीने में तेज दर्द का अनुभव हो सकता है।
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लक्षण
स्पोंडिलोसिस के लक्षण क्या हैं?
स्पोंडिलोसिस के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं, जिनमें शामिल हो सकते हैंः
- गर्दन में दर्द और अकड़न, जो आती-जाती रह सकती है
- सिरदर्द करना, जो अक्सर गर्दन के पीछे से शुरू होता हो
- कंधे के आसपास दर्द होना
- कंधे में अकड़न होना
- खड़े होने, बैठते या चलते समय शरीर के अलग-अलग अंगो में दर्द होना
- छींकते या खांसते समय भी दर्द होमा
- कंधों और बाहों में झुनझुनी होना या इनका सुन्न हो जाना
- हाथ की अंगुलियों में दर्द होना या सुन्न होना
- कमर के निचले हिस्से और पैरों के ऊपरी हिस्से में कमजोरी आना या इनमें अकड़न महसूस करना
- सीने में दर्द होना
- शारीरिक गतिविधियों को करने में परेशानी महसूस करना
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ऊपर बताए गए निम्न लक्षण सामान्य हो सकते हैं, लेकिन अगर ये हफ्ते भर से अधिक बने सकते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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स्पोंडिलोसिस के निम्न लक्षण इसके गंभीर अवस्था के लक्षण बता सकते हैं, जिसमें शामिल हो सकते हैंः
ये निम्न गंभीर लक्षण ऊपर बताए गए सामान्य लक्षणों के साथ अगर दिखाई दें, तो आपको तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता हो सकती है।
इसकी गंभीर स्थिति सरवाइकल मायलोपैथी (Cervical myelopathy) के संकेत हो सकते हैं।
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कारण
स्पोंडिलोसिस के क्या कारण हो सकते हैं?
स्पोंडिलोसिस का सबसे मुख्य कारण बढ़ती उम्र, रीढ़ की हड्डी में किसी तरह का चोट लगना हो सकता है। इसके अलावा, भी इसके कुछ निम्न कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हो सकते हैंः
- रीढ़ की हड्डी में सूजन होना
- रीढ़ की हड्डी में अचानक बढ़ोत्तरी होना
- रीढ़ की हड्डी के कार्ड्स में गैप बनना
- शरीर में कैल्शियम की कमी होना
- डिस्क में द्रव का नुकसान होना
- रीढ़ की डिस्क के बाहरी हिस्से में दरारें पैदा होना, जिसे बल्जिंग डिस्क या हर्नियेटेड डिस्क (Herniated disk) कहते हैं। यह रीढ़ नलिका में खाली जगह को नुकसान पहुंचाता है।
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निदान
स्पोंडिलोसिस के बारे में पता कैसे लगाएं?
स्पोंडिलोसिस के बारे में पता लगाने के लिए आपके डॉक्टर आपके लक्षणों और स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए इमेंजिंग टेस्ट की सलाह दे सकते हैं, जिसमें शामिल हो सकता हैः
- एक्स-रे
- सीटी स्कैन
- एमआरआई टेस्ट
- इलेक्ट्रोमायोग्राफी (Electromyography) (EMG)- यह नसों के कार्यों का टेस्ट करने के लिए किया जा सकता है।
इसके साथ ही, फीजिकल टेस्ट भी कर सकते हैं, जिसके जरिए डॉक्टर निम्न विधियों की जांच कर सकते हैंः
- गर्दन के घुमने की गति की सीमा
- रीढ़ की हड्डी या नसों पर किसी तरह का दबाव
- मांसपेशियों की जांच करना
- हाथों-पैरों और बाजुओं की जांच करना
- चलने की गति और प्रतिक्रिया देखना
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रोकथाम और नियंत्रण
स्पोंडिलोसिस को कैसे रोका जा सकता है?
स्पोंडिलोसिस की रोकथाम करने के लिए आप निम्न बातों का ध्यान रख सकते हैं, जिसमें शामिल हो सकते हैंः
- ऐसी शारीरिक गतिविधियों को कम करना जो रीढ़ की हड्डी को किसी तरह का नुकसान पहुंचाने का कारण बन सकते हो
- अचानक किसी तरह की शारीरिक गतिविधि न करें
- ओवरवेट हैं, तो अपना वजन कम करें
- नियमित एक्सरसाइज करें
- रीढ़ को सपोर्ट करने के तरीकों पर ध्यान दें
- गर्दन के दर्द को कम करने के लिए ब्रेस या कॉलर पहनें
- गले की मांसपेशियों के दर्द को कम करने के लिए हीटिंग पैड या कोल्ड पैक का इस्तेमाल करें।
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उपचार
स्पोंडिलोसिस का उपचार कैसे किया जाता है?
आपके लक्षणों और स्वास्थ्य की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टर स्पोंडिलोसिस का उपचार करने की उचित प्रक्रिया अपना सकते हैं, जिसमें शामिल हो सकते हैंः
दवाएं
- नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) जैसे, एडविल (आइबूप्रोफेन), नेप्रोसिन (नेपरोक्सन) और इंडोसिन (इंडोमेथैसिन)।
- कॉर्टिकॉस्टिरॉइड्स दवाएं
- एंटीडिप्रेसेंट्स दवाएं
- एंटी-सीजर दवाएं
- मांसपेशियों को आराम देने के लिए स्टेरॉयड इंजेक्शन
फिजियोथेरिपी
- फिजियोथेरिपी, जो शरीर के दर्द और जकड़न को कम करने में मदद कर सकते हैं।
सर्जरी
सर्जरी की निम्न गंभीर लक्षणों के उपचार में अपनाई जा सकती है, जैसेः
- रीढ़ की कोई हड्डी या खिसकी हुई डिस्क के कारण कोई नस दब गई हो
- नसों के कार्यों में किसी तरह की रूकावट हो
- अन्य उपचार की विधियों के बाद भी समस्या बनी हुई हो
- सर्वाइकल मायलोपैथी की समस्या होने पर।
अगर आपका इससे जुड़ा किसी तरह का कोई सवाल है, तो इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट से परामर्श करें।