2 महीने के शिशु का स्लीप शेड्यूल (2-month-old’s Sleep Schedule) से संबंधित टिप्स
शिशुओं का कोई रेगुलर स्लीप साइकिल नहीं होता जब तक कि वे 6 महीने के नहीं हो जाते, लेकिन फिर भी कुछ स्टेप्स के जरिए पेरेंट्स शिशुओं में हेल्दी हैबिट्स डाल सकते हैं। जो निम्न प्रकार हैं।
दिन में उसके साथ खेलें (Play together during the day)
इस उम्र में शिुश का अधिकतर समय सोने में बीतता है, लेकिन दिन के समय उसके साथ खेलने से वह दिन और रात में अंतर समझना शुरू कर देगा। आप उससे बात करना, उसे नई-नई चीजें दिखाना, म्यूजिक सुनाना आदि कर सकते हैं।
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एक बेडटाइम रूटीन बनाएं और उसे फॉलो करें (Make a bedtime routine and stick to it)
एक प्रत्याशित बेडटाइम रूटीन बनाएं जैसे बेबी को बाथ देना, उसे पजामा पहनाना, उसे कहानी सुनाना ये हर दिन जारी रखें इससे बेबी समझने लगेगा कि अब सोने का समय हो गया है। तब बच्चा सोने लगता है उसके 30 मिनट पहले से ऐसी तैयारियां करने लगे। उदाहरण के लिए अगर वह 7 बजे सोता है तो 6:30 बजे से रूटीन शुरू कर दें। हर नेप के पहले पेरेंट्स के लिए पूरा रूटीन फॉलो करना जरूरी नहीं है। वे सिर्फ स्टोरी सुनाना या म्यूजिक ऑन करना जैसे तरीके भी अपना सकते हैं।
नींद आने लगे तो बेड पर ले जाएं (Put your baby to bed when she’s drowsy)
बेबी के साथ खेलते रहना एक आनंददायक अनुभव होता है लेकिन जैसी उसे नींद आने लगे तो उसे बेड पर ले जाएं। इससे वह खुद से सोना सीखेगी। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि जब बच्चा सो रहा हो या उसे फीड करा रहीं हो तो कमरे में शांति और अंधेरा होना जरूरी है।
प्रतिक्रिया देने से पहले इंतजार करें (Wait before you respond)
जब बेबी अचानक रात के समय जाग जाए तो तुरंत उसके पास जाने से पहले थोड़ा इंतजार करें। वह खुद से सो सकती है, लेकिन अगर वह लगातार रोना जारी रखें तो उसके चेक करें लेकिन लाइट चालू ना करें। उसे गोद में उठाएं, उसके साथ खेलें, अभी भी वह रो रही है तो शायद वह भूखी हो सकती है, उसका डायपर चेंज करना पड़ सकता है या शायद वह अच्छा महसूस नहीं कर रही है। आप उसकी आदत के हिसाब से इनमें से कोई भी ऑप्शन अपना सकती है। अक्सर डायपर गीला होने या भूखे होने पर बच्चे नींद से जाग जाते हैं।