अक्सर आपने बच्चे को नींद में हंसते हुए देखा होगा। कुछ लोग मानते हैं कि बच्चों का नींद का हंसना सपने देखने का कारण होता है, जिसकी वजह से उन्हें हंसी आती है। वहीं कुछ लोग इसके पीछे पौराणिक मान्यताओं को मानते हैं। ऐसा नहीं है कि सिर्फ बच्चे ही नींद में हंसते हैं किसी भी उम्र के लोगों में इस तरह के लक्षण पाए जा सकते हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल में बच्चों के नींद में हंसने के बारे में ही बताएंगे।
बच्चे नींद में क्यों हंसते हैं?
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नींद में शिशुओं की आंखें लगातार मूवमेंट करती हैं। इसे रेपिड आई मूवमेंट (आरईएम) कहा जाता है। इस दौरान शिशु को मनोवैज्ञानिक रूप से कई अनुभव होते हैं और जिनमें से एक नींद में हंसना भी है। आरईएम की वजह से नींद में बच्चे हंसते हैं। कई बार दिन में घटित हुईं कुछ अच्छी चीजों को वे नींद में दोबारा अनुभव करते हैं, जिसकी वजह से उन्हें बहुत हंसी आती है।
इस पर मुंबई के खारघर में स्थित मदरहूड हॉस्पिटल के डॉक्टर सुरेश बिरजदार ने कहा, ‘रेपिड आई मूवमेंट होने से बच्चे नींद में हंसते हैं। लेकिन, कई बार बड़े भी नींद में बड़-बड़ाते और हंसते हैं।’
यह पूरी तरह से अभी स्पष्ट नहीं है कि किस कारण से बच्चों का नींद में हंसना किस कारण से होता है। यह भी पूरी तरह क्लीयर नहीं है कि बच्चे सपने देखते हैं। हालांकि, यह सुनिश्चित है कि वे एक्टिव स्लीप या सक्रिय नींद का अनुभव करते हैं। यह वास्तव में जानना असंभव है कि क्या बच्चे सपने देखते हैं, इसलिए यह माना जाता है कि जब बच्चे अपनी नींद में हंसते हैं, तो यह सपने की वजह से नहीं बल्कि रिफ्लेक्सिस के कारण होता है। उदाहरण के लिए, कई शोधकर्ताओं ने बताया कि बच्चे सक्रिय नींद के दौरान सोते हुए मुस्कुराते हैं। जब बच्चे इस प्रकार की नींद से गुजरते हैं, तो उनके शरीर में अनैच्छिक हलचलें हो सकती हैं। ये अनैच्छिक गतिविधियां इस दौरान शिशुओं की मुस्कुराहट और हंसी में योगदान दे सकती हैं।
कुछ दुर्लभ मामलों में ऐसे प्रकार के दौरे भी शामिल होते हैं, जो शिशुओं में देखे जा सकते हैं, यह अनियंत्रित रूप से नींद में हंसना भी हो सकता है। ये छोटे दौरे होते हैं, जो लगभग 10 से 20 सेकंड रह सकते हैं। इस तरह के दौरे 10 महीने की उम्र में शुरू हो सकते हैं। बच्चा जब सो रहा होता है तब यह उन्हें आ सकते हैं या इसकी वजह से कई बार बच्चे नींद से जाग भी सकते हैं।
यदि आप नियमित रूप से बच्चों का नींद में हंसना नोटिस करते हैं। साथ ही दिन में कई बार बच्चे ऐसा करते हैं और सिर्फ घूरने लगते हैं और अगर शारीरिक गतिविधियां भी देखने को मिलती हैं, तो तुरंत बच्चे के लिए बाल रोग विशेषज्ञ से बात करें। इस स्थिति का निदान करना मुश्किल हो सकता है। डॉक्टर इन स्थितियों के बारे में अधिक जानने की कोशिश करेंगे और मुमकिन है कि स्थिति को समझने के लिए कुछ डायग्नोस भी करने की भी सलाह दे सकते हैं।
ऐसे उदाहरण भी हैं, जहां नींद में हंसना कोई गंभीर संकेत भी हो सकता है, सामान्य तौर पर यह नुकसानदायक नहीं होता है और आपको चिंता करने की कोई जरुरत नहीं होती है। शिशुओं और छोटे बच्चों का नींद में हंसना आमतौर पर चिंता का कारण नहीं होता है। हां, इसके साथ बच्चे में कोई असामान्य व्यवहार नहीं दिखना चाहिए। यदि आप बच्चे की नींद में गड़बड़ी या समस्याओं को देखते हैं, तो ऐसे में आपको बच्चे के लिए अपने बाल रोग विशेषज्ञ से बात करनी चाहिए। साथ ही वे आपको आगे की प्रक्रिया के लिए किसी नींद विशेषज्ञ के पास भेज सकते हैं।
भावनात्मक विकास के कारण बच्चों का नींद में हंसना
जागते समय बच्चे नई आवाजों और जगहों को जानते और समझते हैं। इस दौरान, उनके विकासशील दिमाग उनके रास्ते में आने वाले सभी दैनिक अनुभवों और सूचनाओं को रिकॉर्ड करते हैं, जिसे संभवत वे सोते समय प्रोसेस करते हैं। नई जानकारी को समझने के दौरान बच्चे खुशी को महसूस कर सकते हैं और यह उनकी नींद में मुस्कुराहट या हंसी के माध्यम से प्रदर्शित हो सकता है। ऐसे में नींद में हंसना शिशुओं में भावनाओं को विकसित करने की प्रक्रिया का एक हिस्सा हो सकता है।
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इस टाइम पीरियड में ज्यादा हंसते हैं बच्चे
करीब एक या दो महीने की अवधि में बच्चे अपने आसपास के माहौल पर प्रतिक्रिया देना शुरू कर देते हैं। ऐसे में आप बच्चे का पहली बार नींद में हंसना छह से 10 हफ्तों के बीच नोटिस कर सकेंगे। इस उम्र में शिशु के मस्तिष्क का विकास होता है।
डॉक्टर बिरजदार ने कहा, ‘ उम्र के साथ धीरे-धीरे मस्तिष्क का विकास होने से बच्चों का नींद में हंसना देखा जाता है। यह एक स्टेज है, जिससे हर बच्चा होकर गुजरता है।’ उम्र के हिसाब से बच्चे के देखने का विजन लगातार विकसित होता है। इससे वह अपनी मां या परिचित के चेहरे को पहचान लेता है। ऐसे में मां और पिता के पुकारने या नींद में उनकी आवाज सुनने पर बच्चे हंसते हैं।
गैस पास करने पर बच्चों का नींद में हंसना
ऐसा भी कहा जाता है कि जन्म के शुरुआती हफ्तों में रात के वक्त गैस पास करते वक्त बच्चे हंसते हैं। हालांकि, इस तर्क का ज्यादातर रिसर्च समर्थन नहीं करती लेकिन, यह एक तथ्य है कि नवजात शिशु चिड़चिड़े रहते हैं, गैस पास करने के बाद उन्हें आराम मिलता है।
डॉक्टर बिरजदार ने कहा, ‘गैस पास करने का नींद में हंसने से कोई संबंध नहीं है। बच्चे के गैस पास करने का नींद में हंसने को लेकर कोई वैज्ञानिक ठोस सुबूत नहीं है।’
ऐसे में जान लें कि नींद में हंसना कोई समस्या या बीमारी नहीं है। बच्चे तो अक्सर ऐसा करते हुए दिखते हैं। यह भी समझना जरूरी है कि नींद में हंसना तभी तक सामान्य है जब तक कि इसके साथ कोई शारीरिक गतिविधि नहीं हो रही है। अगर हंसने के साथ अगर इस तरह के कोई लक्षण दिखते हैं, तो तुरंत मेडिकल हेल्प की जरूरत होगी।
नए संशोधन की डॉ. प्रणाली पाटील द्वारा समीक्षा की गई
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