हर माता-पिता के लिए उनके बच्चे एक समान होते हैं फिर वो चाहे लड़का हो या लड़की। ऐसे ही, हर घर में उनकी परवरिश भी एक जैसी होती है। किंतु, हर बच्चा अलग होता है और वो अपनी पेस के अनुसार विकसित होता है। क्या आप जानते हैं कि अपने लिंग यानी सेक्स के अनुसार भी बच्चे विभिन्न तरह से डेवलप होते हैं? अगर नहीं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। आज हम आपको बताने वाले हैं लड़के और लड़कियों में डेवलपमेंटल डिफरेंसेस (Developmental Differences Between Boys and Girls) के बारे में। आइए, लड़के और लड़कियों में डेवलपमेंटल डिफरेंसेस (Developmental Differences Between Boys and Girls) के बारे में जानते हैं विस्तार से।
लड़के और लड़कियों में डेवलपमेंटल डिफरेंसेस (Developmental Differences Between Boys and Girls) : पाएं इस बारे में विस्तार से
लड़के और लड़कियों में कई चीजें अलग होती हैं, खासतौर पर अगर बात उनकी शारीरिक सरंचना की की जाए। लेकिन, वो मोटर स्किल्स, बोलने, चलने और मेजर माइलस्टोन्स को प्राप्त करने में भी अलग हो सकते हैं। जानिए लड़के और लड़कियों में डेवलपमेंटल डिफरेंसेस (Developmental Differences Between Boys and Girls) कौन से हो सकते हैं?
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फिजिकल साइज और ग्रोथ (Physical size and growth)
अगर बात की जाए लड़के और लड़कियों के फिजिकल साइज और ग्रोथ के बारे में तो ऐसा पाया गया है कि लड़कों का वजन जन्म के समय अधिक होता है और यह ट्रेंड बेबी की उम्र के रूप में जारी रहती है। इस दौरान लड़कियों का वजन लड़कों की तुलना में लगभग दो से तीन सौ ग्राम अधिक होता है। लेकिन, जैसे-जैसे बच्चा लगभग एक साल का हो जाता है, लड़कियों का वजन लड़कों के समान हो जाता है। हालांकि, हर बच्चा बचपन, टोडलरहुड आदि तक अलग होता है। ऐसे ही उनके ग्रोथ स्पर्ट्स भी अलग होते हैं। सामान्य रूप से दोनों लड़के और लड़किया मिडिल चाइल्डहुड तक एक ही आकार के होते हैं।
जब युवावस्था शुरू होती है, तो लड़कियां आमतौर पर लड़कों से हाइट के मामले में आगे निकलने लगती हैं। यह केवल एक अनुमान है। बच्चे की हाइट कई चीजों पर निर्भर करती है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आपके बच्चे का वजन और हाइट क्या है। आपके लिए उन्हें सही आहार देना बेहद जरूरी है ताकि उनकी शारीरिक और मानसिक वृद्धि सही से हो सके। ऐसे में उन्हें अधिक से अधिक फल, सब्जियां अनाज, लीन प्रोटीन आदि दें। अधिक जानकारी और सही मार्गदर्शन के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लेना न भूलें।
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चलना (Walking)
अगर बात की जाए लड़के और लड़कियों में डेवलपमेंटल डिफरेंसेस (Developmental Differences Between Boys and Girls) में वॉकिंग के बारे में, तो कई माता-पिता ऐसा मानते हैं कि लड़के ग्रॉस मोटर माइलस्टोन्स जैसे बैठना, चलना आदि में लड़कियों से आगे रहते हैं। लेकिन, डॉक्टर ऐसा नहीं मानते हैं। ऐसी कोई स्टडी नहीं है जो इस बारे में बताती हो। दरअसल लड़का हो या लड़की दोनों ही एक साल के होने के बाद चलना शुरू करते हैं। अगर आप अपने बच्चे के चलने को लेकर चिंतित हैं तो उनके आहार का खास ध्यान रखें।
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लड़के और लड़कियों में डेवलपमेंटल डिफरेंसेस (Developmental Differences Between Boys and Girls) : बोलना (Speaking)
एक माइलस्टोन जो लड़कों और लड़कियों में अलग हो सकता है, वो है उनका बोलना। कुछ रिसर्च यह बताती हैं कि लड़के, लड़कियों कि तुलना में देरी से बोलना शुरू करते हैं। यही नहीं, अठ्ठारह महीनें की लड़कियों की शब्दावली लड़कों की तुलना में अधिक होती है। लेकिन, लिंग यानी सेक्स बच्चों के वर्बल स्किल्स में अंतर का एक छोटा सा हिस्सा ही समझाता है। अन्य सामाजिक आर्थिक कारक और अवसर से भी इस बात पर असर होता है कि बच्चे कितनी जल्दी बोलते हैं। बच्चा जिस एनवायरनमेंट में रहता है और उसे जितना एक्सपोज़र मिलता है इससे भी असर होता है कि वो कितना जल्दी बोलता है और कितना सीखता है। अगर आप अपने बच्चे के स्पीकिंग स्किल्स को विकसित करना चाहते हैं, तो अधिक से अधिक अपने बच्चे से बात करें फिर वो चाहे लड़का हो या लड़की।
लड़के और लड़कियों में डेवलपमेंटल डिफरेंसेस (Developmental Differences Between Boys and Girls) में पॉटी ट्रेनिंग (Potty training)
अगर आप इस बात को लेकर चिंतित हैं कि आपके बच्चे की डायपर स्टेज कब खत्म होगी, तो ऐसा माना जाता है कि लड़कियां, लड़कों की तुलना में जल्दी पॉटी ट्रेंड हो जाती हैं। जहां लड़कियां टॉयलेट ट्रेनिंग 22 से 30 महीने की उम्र में शुरू करती हैं वहीं लड़के इसमें अधिक समय लेते हैं। हालांकि, यह समय हर बच्चे के लिए अलग हो सकता है। बच्चे को पॉटी ट्रेंड करना कोई आसान काम नहीं होता। ऐसे में माता-पिता को बहुत अधिक धैर्य की जरूरत होती है।
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लड़के और लड़कियों में डेवलपमेंटल डिफरेंसेस (Developmental Differences Between Boys and Girls) में जेंडर आइडेंटिटी (Gender identity)
तीन साल का होने तक टोडलर अपने सेक्स यानी लिंक के बारे में जान जाते हैं। तीन साल का होने तक वो अपने पसंद के खिलौनों से खेलना शुरू कर देते हैं। अपने बच्चे को जेंडर स्टीरियोटाइप के एक्सपोज्ड में आने से बचाना मुश्किल है। तीन साल और चार साल की उम्र के बीच, बच्चे उन खिलौनों को चुनना शुरू कर सकते हैं जो उन्हें लगता है कि उनके लिए उपयुक्त हैं। इसी उम्र में बच्चे अपने स्वयं के लिंग के दोस्तों के साथ खेलना पसंद कर सकते हैं।
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दोस्त बनाना (Making friends)
ऐसा माना जाता है कि लड़कियों में लड़कों के मुकाबले सोशल स्किल्स जल्दी विकसित होते हैं जैसे दूसरे बच्चों के साथ खेलना। हालांकि, इनमें उन स्थितियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है जिसमें उनकी परवरिश होती है। जिन बच्चों का कोई बड़ा भाई या बहन होती है, उनके लिए अन्य बच्चों के साथ खेलना और घुलना-मिलना अधिक आसान हो जाता है। तीन और उससे अधिक उम्र के टोडलर लव और ट्रस्ट को समझना शुरू कर देते हैं। उनमें दोस्तों, प्रियजनों आदि के लिए अधिक प्रेमभाव जाग जाता है।
लड़के और लड़कियों में डेवलपमेंटल डिफरेंसेस (Developmental Differences Between Boys and Girls) में फिजिकल एक्टिविटी (Physical activity)
आमतौर पर लड़के, लड़कियों की तुलना में अधिक एक्टिव और रेस्टलेस होते हैं लेकिन उनमे थोड़ा अंतर होता है। सभी टोडलर भागने, जंपिंग या चीजों को फेंकने आदि एक्टिविटीज को अधिक पसंद करते हैं। हालांकि, इस बात के प्रमाण हैं कि लड़कियों की तुलना में लड़कों के फ्रस्ट्रेटेड होने की संभावना थोड़ी अधिक होती है। अगर आप अपने बच्चे के व्यवहार में थोड़ा बदलाव नोटिस करें तो धैर्य रखें और उसका कारण जानने की कोशिश करें।
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यह तो थी जानकारी लड़के और लड़कियों में डेवलपमेंटल डिफरेंसेस (Developmental Differences Between Boys and Girls) के बारे में। हालांकि, हर बच्चा अलग तरह से ग्रो होता है। लेकिन, फिर भी सेक्स के अनुसार इनमें डिफरेंस हो सकता है। अपने बच्चे को ग्रो होता देखना हर किसी के लिए सुखद होता है। इसलिए, अगर आपका बच्चा अन्य बच्चों की तुलना में थोड़ा लेट कुछ सीख या कर रहा है, तो चिंतित न हों बल्कि अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें और इस फेज का मजा लें। अगर इस बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है तो अपने डॉक्टर से इस बारे में अवश्य जानें।
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