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Independent play: बच्चों के विकास में इंडिपेंडेंट या सॉलिटरी प्ले की क्या होती है अहम भूमिका?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 02/11/2021

    Independent play: बच्चों के विकास में इंडिपेंडेंट या सॉलिटरी प्ले की क्या होती है अहम भूमिका?

    खेल के 6 स्टेप या चरण होते हैं। इन चरणों में पहला चरण होता है अनऑक्यूपाइड प्ले और दूसरा चरण होता है इंडिपेंडेंट या सॉलिटरी प्ले। जब आपका बच्चा अनऑक्यूपाइज प्ले (Unoccupied Play) के चरण से गुजर चुका होता है, तो वो इंडिपेंडेंट प्ले (Independent play) शुरू कर देता है। इसे सॉलिटरी प्ले (Solitary Play) के नाम से भी जानते हैं। इस खेल में बच्चे को खेलने के लिए अन्य लोगों की जरूरत नहीं पड़ती है बल्कि बच्चा अपने आसपास की चीजों को देखना और समझना शुरू कर देता है। अगर आप उसे खेलने के लिए कोई भी खिलौने देती हैं, तो उन्हें खेला शुरू कर देता है। जानिए इंडिपेंडेंट प्ले (Independent play) के दौरान क्या खास गतिविधियां होती हैं और बच्चा कैसे खेलता है। सबसे पहले जान लें खेल के आखिर कितने मुख्य चरण होते हैं।

    खेल के महत्वपूर्ण चरण (Important stages of the game)

    खेल के एक दो या तीन नहीं बल्कि 6 मुख्य चरण होते हैं। बच्चे के जन्म के बाद से ही ये चरण शुरू हो जाते हैं। धीरे-धीरे बच्चा अपने आसपास की चीजों पर गौर करना शुरू कर देता है और फिर धीरे-धीरे आसपास की चीजों से खेलना भी शुरू कर देता है। खेल के विभिन्न चरण बच्चों को जहां एक और कॉन्फिडेंस देते हैं वहीं दूसरी ओर उनको  सीखने का मौका भी मिलता है। जानिए इंडिपेंडेंट प्ले (Independent play) के साथ ही जानिए खेल के विभिन्न चरणों के बारे में।

    अनऑक्यूपाइज प्ले (Unoccupied Play) : अनऑक्यूपाइड प्ले (Unoccupied Play) में बच्चा अपने चारों तरफ की चीजों को ध्यान से देखता है और चीजों को समझने की भी कोशिश करता है

    सॉलिटरी या इंडिपेंडेंट प्ले (Solitary Play): इंडिपेंडेंट प्ले में बच्चा अपने आसपास की चीजों को छूकर देखता है और उनके साथ अकेले क्या होता है उसे इस बात की जानकारी बिल्कुल भी नहीं रहती है कि उसके आसपास रह रहे लोग भी उसके साथ खेल रहे हैं

    ऑनलुकर प्ले (Onlooker Play): इस प्रकार के खेल में बच्चा दूसरों को ध्यान से देखता है और इसके बाद खेलता है। कहीं ना कहीं वह दूसरों से सीखता है या फिर ऑब्जर्व करने की कोशिश करता है।

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    पैरेलल प्ले (Parallel Play): पैरेलल प्ले में बच्चा अपने आसपास के लोगों को खेलता हुआ देता है और साथ में ही वह खेलता भी है लेकिन वह अन्य लोगों के साथ नहीं बल्कि अकेले खेलता है आप इसको इस तरह से समझ सकते हैं जैसे कि कॉल सेंटर में हर कोई अपनी कॉल में व्यस्त होता है

    एसोसिएटिव प्ले (Associative Play): एसोसिएटिव प्ले में बच्चे एक जैसे खेल खेलने वाले दूसरे बच्चे के साथ मिलकर खेल खेलते हैं। बच्चे आपस में प्यार जताते हैं और साथ ही एक दूसरे से बातें भी करते हैं लेकिन प्ले पूरी तरह से व्यवस्थित नहीं होता है।

    कोपरेटिव प्ले (Cooperative Play): कोपरेटिव प्ले (Cooperative Play) में एक बच्चा दूसरे बच्चे के साथ बहुत ही अच्छे ढंग से खेलता है और साथ ही जरूरत पड़ने पर सहायता भी करता है आप ऐसा खेल देखकर जरूर खुश हो जाएंगे

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    इंडिपेंडेंट प्ले या सॉलिटरी प्ले (Independent or solitary play) क्या है?

    जैसे ही आपका बच्चा खिलौनों से खेलना शुरू करता है वैसे ही वह आस-पास रखी हुई चीजों पर भी गौर करना शुरू कर देता है। कभी-कभी आप उसे अकेला खेलते हुए है या खुद से बात करते हुए भी सुन सकते हैं। जब आप बच्चे को अकेला खेलता हुआ देखेंगे, तो आपको यह भी महसूस होगा कि बच्चे कुछ चीजों की एक्टिंग भी करना शुरू कर रहा हैं। इंडिपेंडेंट प्ले (Independent play) 6 महीने से 2 से 3 साल तक की उम्र के बच्चों में आराम से देखने को मिल सकता है। इंडिपेंडेंट प्ले (Independent play) के माध्यम से बच्चा सीखता है कि खुद को कैसे इंटरटेन किया जाए। ऐसे में बच्चे दूसरों बच्चों के साथ भी खेलना भी शुरू कर सकते हैं। इंडिपेंडेंट प्ले (Independent play) बच्चों के बौद्धिक विकास में अहम भूमिका निभाता है।

    2 से 3 साल के बच्चे (2 to 3 year olds) अन्य बच्चों के साथ बातचीत करना शुरू कर देते हैं और साथ ही उनके साथ खेलते भी हैं। लेकिन इसका यह बिल्कुल मतलब नहीं है कि बच्चे इंडिपेंडेंट प्ले (Independent play) बंद कर दें। समय मिलने पर बच्चे इंडिपेंडेंट प्ले (Independent play) का भी आनंद लेते हैं। अगर 2 से 3 साल की उम्र होने पर भी आपका बच्चा अकेले ही खेल रहा है या फिर इंडिपेंडेंट प्ले (Independent play) को एंजॉय कर रहा है, तो ऐसे में आपको डॉक्टर से बात जरूर करनी चाहिए। इस उम्र में बच्चे इंडिपेंडेंट प्ले (Independent play) के साथ ही अन्य बच्चों के साथ भी खेलना पसंद करते हैं। दूसरे बच्चों से बात न करना या फिर अन्य बच्चों के कतराना मानसिक समस्याओं की ओर भी इशारा करता है।

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    कैसे होते हैं इंडिपेंडेंट प्ले या सॉलिटरी प्ले (Independent or solitary play)?

    • ब्लॉक के साथ खेलना
    • अपने खिलौनों के साथ बातें करना
    • किसी बाउल या बैग में अपने सारे खिलौने भरना
    • किताबों में रंगीन चित्रों को देखना

    बच्चों की उम्र बढ़ने के साथ इंडिपेंडेंट प्ले (Independent play) या सॉलिटरी प्ले (Solitary play) में भी कुछ बदलाव हो सकता है। दो से तीन साल की उम्र में इंडिपेंडेंट प्ले (Independent play) के दौरान वह अन्य बच्चों के साथ ना खेल कर अकेले ही खेलना पसंद करते हैं। इन खेलों में निम्नलिखित खेल शामिल हो सकते हैं।

    • अपने आप किताबों के पन्नों को पलटना
    • पजल को एक साथ रखने की कोशिश करना
    • कलर बुक में रंगों को भरना
    • ट्रेन की सेट या फिर चाबी वाले खिलौनों के साथ खेलना
    • किचन सेट के साथ खेलना

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    सॉलिटरी प्ले के फायदे (Independent or solitary play advantage)

    इंडिपेंडेंट प्ले बच्चों को कई प्रकार से लाभ पहुंचाता है। इस खेल के चरण में बच्चों को एक नहीं बल्कि कई चीजों के बारे में जानकारी मिलती है। वह अपने आसपास की चीजों को अधिक समझने लगते हैं और साथ ही कई चीजें तक उनकी पहुंच हो जाती हैं। ऐसे में जहां एक और माता-पिता को अधिक सावधान रहने की जरूरत पड़ती है। जानिए इसके फायदों के बारे में।

    इंडिपेंडेंट हो जाते हैं बच्चे

    अभी तक आप बच्चों को खेलने के लिए खिलौने देते थे लेकिन अब बच्चे अपने आप खिलौनों को लेकर खेलना शुरू कर चुके हैं। यह वाकई में बच्चों को स्वतंत्र बनाने में मदद करता है। बच्चे अपनी पसंद के अनुसार खिलौनों का भी चयन कर सकते हैं और खुद के खेल भी तैयार कर लेते हैं।

    इंडिपेंडेंट प्ले: खुद के इंटरेस्ट को हैं समझते

    बच्चों को इंडिपेंडेंट प्ले के माध्यम से खुद की रूचि के बारे में भी पता चलता है। बच्चों को यह पता चल जाता है कि उन्हें किस प्रकार के खेल पसंद आएंगे और कौन-से खेल बिल्कुल पसंद नहीं है। साथ ही उन्हें रंगों की रुचि के बारे में भी जानकारी होने लगती है जैसे कि उन्हें पता है कि उन्हें लाल रंग की बॉल लेनी है या फिर हरे रंग की।

    इमेजिनेशन और क्रिएटिविटी होती है डेवेलप

    अगर आप बच्चों के सामने खिलौने रख देंगे और आप सोचेंगे कि बच्चा वैसे ही खेले जैसा कि आप चाहते हैं, तो ऐसा बिल्कुल नहीं होगा। जी हां! बच्चे अपनी पसंद के अनुसार ही खेल खेलते हैं। उन्हें जैसा अच्छा लगता है वैसे ही वह अपने खिलौनों को रखना पसंद करते हैं। अगर आप उन्हें कोई सही तरीका भी बताएंगे, तो वह उन्हें शायद पसंद ना आए। ऐसे में आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है।

    इस आर्टिकल में हमने आपको इंडिपेंडेंट प्ले (Independent play) के बारे में  बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

    डिस्क्लेमर

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