लड़के और लड़कियों में डेवलपमेंटल डिफरेंसेस (Developmental Differences Between Boys and Girls) में पॉटी ट्रेनिंग (Potty training)
अगर आप इस बात को लेकर चिंतित हैं कि आपके बच्चे की डायपर स्टेज कब खत्म होगी, तो ऐसा माना जाता है कि लड़कियां, लड़कों की तुलना में जल्दी पॉटी ट्रेंड हो जाती हैं। जहां लड़कियां टॉयलेट ट्रेनिंग 22 से 30 महीने की उम्र में शुरू करती हैं वहीं लड़के इसमें अधिक समय लेते हैं। हालांकि, यह समय हर बच्चे के लिए अलग हो सकता है। बच्चे को पॉटी ट्रेंड करना कोई आसान काम नहीं होता। ऐसे में माता-पिता को बहुत अधिक धैर्य की जरूरत होती है।
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लड़के और लड़कियों में डेवलपमेंटल डिफरेंसेस (Developmental Differences Between Boys and Girls) में जेंडर आइडेंटिटी (Gender identity)
तीन साल का होने तक टोडलर अपने सेक्स यानी लिंक के बारे में जान जाते हैं। तीन साल का होने तक वो अपने पसंद के खिलौनों से खेलना शुरू कर देते हैं। अपने बच्चे को जेंडर स्टीरियोटाइप के एक्सपोज्ड में आने से बचाना मुश्किल है। तीन साल और चार साल की उम्र के बीच, बच्चे उन खिलौनों को चुनना शुरू कर सकते हैं जो उन्हें लगता है कि उनके लिए उपयुक्त हैं। इसी उम्र में बच्चे अपने स्वयं के लिंग के दोस्तों के साथ खेलना पसंद कर सकते हैं।
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दोस्त बनाना (Making friends)
ऐसा माना जाता है कि लड़कियों में लड़कों के मुकाबले सोशल स्किल्स जल्दी विकसित होते हैं जैसे दूसरे बच्चों के साथ खेलना। हालांकि, इनमें उन स्थितियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है जिसमें उनकी परवरिश होती है। जिन बच्चों का कोई बड़ा भाई या बहन होती है, उनके लिए अन्य बच्चों के साथ खेलना और घुलना-मिलना अधिक आसान हो जाता है। तीन और उससे अधिक उम्र के टोडलर लव और ट्रस्ट को समझना शुरू कर देते हैं। उनमें दोस्तों, प्रियजनों आदि के लिए अधिक प्रेमभाव जाग जाता है।

लड़के और लड़कियों में डेवलपमेंटल डिफरेंसेस (Developmental Differences Between Boys and Girls) में फिजिकल एक्टिविटी (Physical activity)
आमतौर पर लड़के, लड़कियों की तुलना में अधिक एक्टिव और रेस्टलेस होते हैं लेकिन उनमे थोड़ा अंतर होता है। सभी टोडलर भागने, जंपिंग या चीजों को फेंकने आदि एक्टिविटीज को अधिक पसंद करते हैं। हालांकि, इस बात के प्रमाण हैं कि लड़कियों की तुलना में लड़कों के फ्रस्ट्रेटेड होने की संभावना थोड़ी अधिक होती है। अगर आप अपने बच्चे के व्यवहार में थोड़ा बदलाव नोटिस करें तो धैर्य रखें और उसका कारण जानने की कोशिश करें।
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यह तो थी जानकारी लड़के और लड़कियों में डेवलपमेंटल डिफरेंसेस (Developmental Differences Between Boys and Girls) के बारे में। हालांकि, हर बच्चा अलग तरह से ग्रो होता है। लेकिन, फिर भी सेक्स के अनुसार इनमें डिफरेंस हो सकता है। अपने बच्चे को ग्रो होता देखना हर किसी के लिए सुखद होता है। इसलिए, अगर आपका बच्चा अन्य बच्चों की तुलना में थोड़ा लेट कुछ सीख या कर रहा है, तो चिंतित न हों बल्कि अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें और इस फेज का मजा लें। अगर इस बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है तो अपने डॉक्टर से इस बारे में अवश्य जानें।
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