एक साल की उम्र में शिशु को पूरी तरह से ऑब्जेक्ट दिखने लगते हैं और बच्चा आसानी से उनके बीच अंतर भी कर सकता है। इस उम्र में बच्चे अपने आसपास की चीजों को पहचानने लगते हैं और उनको याद भी रहता है कि उनका खिलौना कहा रखा होगा। इस उम्र में बच्चे की पास की दृष्टि और दूर की दृष्टि सही तरह से काम करती हैं। बच्चा अपनी ईमेज मिरर में देखकर पहचान सकता है कि वो उसकी ईमेज है न कि किसी और की। बच्चे की उम्र तीन साल होने पर उनका विजन 20/20 हो जाता है जबकि चार से छह साल की उम्र तक बच्चे का डेप्थ परसेप्शन डेवलप होता है। डेप्थ परसेप्शन की मदद से बच्चा किसी भी चीज के दूर होने या पास होने की जानकारी मिलती है।पांच सेंस की तरह बेबी के लिए विजन भी बहुत महत्वपूर्ण है। विजन की हेल्प से बच्चा अपने आसपास की चीजों को पहचानता है और उनसे सीखता भी है। पहले साल में बच्चे का विजन तेजी से डेवलप होता है। आपको बच्चे की आई हेल्थ का ख्याल रखना बहुत जरूरी है। समय-समय पर आई एक्जामिनेशन बच्चे के विजन को सुरक्षित रखने का काम करेगा।
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बच्चों में विजन प्रॉब्लम को कैसे पहचानें?
जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि न्यूबॉर्न बेबी की आंखों का विजन क्लीयर नहीं होता है। ऐसे में विजन प्रॉब्लम के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती है। जब शिशु तीन से चार महीने का हो जाता है, तो विजन प्रॉब्लम के बारे में जानकारी मिल सकती है। अगर बच्चा आसपास के ऑब्जेक्ट को न देख रहा हो या फिर मूविंग ऑब्जेक्ट को देखकर प्रतिक्रिया न कर रहा हो, तो शिशु की आंखों की जांच जरूर कराएं। टॉडलर्स में एंब्लोपिया (amblyopia) की समस्या हो सकती है। इस कंडीशन का जितनी जल्दी इलाज कराया जाए, उतना बेहतर रहता है। इस कंडीशन का कोई वॉर्निंग साइन नहीं होता है लेकिन ये दृष्टि को प्रभावित करता है। अगर शिशु रोशनी को देखकर आंखें फेर लेता हो या फिर किसी चीज को आंखें बड़ी करके देखता है, तो आपको एक बार आई स्पेशलिस्ट से बात जरूर करनी चाहिए। आप बच्चे के साथ जितना ज्यादा समय बिताएंगे, आपको उसके बारे में अधिक जानकारी हो सकेगी। अगर आपको कोई भी लक्षण नजर आएं, तो बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
बेबी का पहला आई चेकअप कब करवाएं?