बड़ों में स्ट्रोक के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन क्या बच्चों में स्ट्रोक (Stroke in children) के बारे में आपको पता है? जी हां, ये सही है। हालांकि बच्चों में स्ट्रोक मामले बड़ों के मुकाबले बहुत रेयर देखने को मिलते हैं। स्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है, जिसमें रक्त प्रवाह अवरूद्ध हो जाता है, जो कि स्ट्रोक का कारण बनता है। वैसे यह माना जाता है कि अक्सर वयस्कों में ही स्ट्रोक का खतरा सबसे ज्यादा होता है, लेकिन ऐसा नहीं है कुछ मामलों में बच्चों में भी स्ट्रोक का खतरा अधिक बढ़ जाता है। पैदा होने के पहले वर्ष के दौरान यदि बच्चे पर ध्यान न दिया जाए, तो बच्चों में स्ट्रोक होने का खतरा अधिक होता है। स्ट्रोक, एक ऐसी स्थिति है, जिसके बाद शरीर में लकवा होना, कमजोरी, दर्द और चक्कर आना आदि समस्याएं हो सकती है। छोटे बच्चों में भी स्ट्रोक (Stroke in children) का खतरा हो सकता है, इसलिए पेरेंट्स को हमेशा कुछ चीजों को लेकर अलर्ट रहना चाहिए। आइए यहां बच्चों में स्ट्रोक के कुछ लक्षण और जोखिम और उपचार के बारे में जानते हैं:
और पढ़ें: हार्ट अटैक और स्ट्रोक का कारण बन सकता है हाय ब्लड प्रेशर!
बच्चों में स्ट्रोक से पूर्व नजर आने वाले लक्षण (Pre-stroke symptoms in children)
बड़ों की तरह बच्चों में भी स्ट्रोक अचानक से नही पड़ता है, इसके लक्षण कुछ दिन पहले से ही नजर आने लगते हैं, बस पेरेंट्स और लोगों का ध्यान नहीं जाता है। उन्हें ऐसा लगता है कि अचानक से हो गया है। बच्चों में स्ट्रोक के कुछ पूर्व संकेत एक महीने पहले दिख सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- बच्चे का अधिक सुस्त रहना
- उल्टी होना (vomiting)
- कमजोरी महसूस होना (Feeling weak)
- बच्चे का अधिक शांत का रहना
- खाना खाने की इच्छा नहीं होना (Lack of desire to eat)
- भूख न लगना (Loss of appetite)
और पढ़ें: स्ट्रोक का फर्स्ट एड ट्रीटमेंट जान लें, बचा सकते हैं अपनी और किसी अन्य व्यक्ति की जान
बच्चों में स्ट्रोक के समय नजर आने वाले लक्षण (Symptoms of stroke in children)
जिस समय बच्चे को स्ट्रोक पड़ता है, उस दौरान इसमें बच्चों में स्ट्रोक के इस तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं:
- अटैक पड़ना (Attack)
- शरीर के केवल एक भाग का काम करना (Work only one part of the body)
- आंखे खोलने या घुमाने में दिक्क्त (Eye Movement Problem)
- बच्चे को चक्कर आना (Baby dizziness)
- बोलने में दिक्कत महसूस करना (Difficulty on speaking)
इसके अलावा भी बच्चे में अन्य कई लक्षण नजर आ सकते हैं, जो शायद ऊपर नहीं दिए गए होंगे। इस तरह के लक्षणों के नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ऐसी स्थिति में बिना देरी किए, बच्चे को तत्काल इलाज की जरूरत है। तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
और पढ़ें: सर्दियों में बढ़ जाता है ब्रेन स्ट्रोक का खतरा, पहले से ही रखें ये सावधानियां
बच्चों में स्ट्रोक के संकेत : FAST इन 4 अल्फाबेट्स फॉर्मुला
पेरेंट्स ये FAST इन 4 अल्फाबेट्स फॉर्मुले से अपने बच्चे में स्ट्रोक के संकेतों को समझ सकते हैं, जो है:
F : एफ यानि कि फेस ड्रॉपिंग, इसमें आपके बच्चे की मुस्कराहट सामान्य से अलग लगेगी। इसमें ये ध्यान देना होगा कि जब आपका बच्चा मुस्कुरा रहा हो, लेकिन उसकी हंसी या चेहरा कुछ असमान सा महसूस हो रहा हो, तो समझ जाएं कि यह खतरे की घंटी का संकेत है।
A : ए यानि कि आर्म्स वीकनेस, इसमें बच्चा अपने हाथों को सुन्न महसूस करने लगता है या शरीर के एक हिस्से से काम नहीं कर पाता है।
S : एस का मतलब है स्पीच डिफिकल्टी होना, यानि कि बच्चे की बोली सामान्य महसूस न होना। यदि आपका बच्चा बोलने की कोशिश करता है, लेकिन बोल नहीं पाता है और उसे बोलने में कठिनाई हो रही है, तो अलर्ट हो जाएं।
T : टी यानि कि टाइम टू कॉल डॉक्टर, इन सब लक्षणों के नजर आने पर आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इससे आप बच्चे को स्ट्रोक की गंभीर स्थिति से बचा सकते हैं।
और पढ़ें: Carotid atherosclerosis: इस बीमारी में ब्रेन तक नहीं पहुंच पाता है खून, बढ़ जाता है स्ट्रोक का खतरा!
बच्चों में स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाने वाले कारक (Risk factors for stroke in children)
बच्चों में स्ट्रोक होने का कोई सामान्य कारक नहीं होते हैं, यहां बच्चों में स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ाने वाले कुछ कारक दिए गए हैं, जिस पर पेरेंट्स का ध्यान देना आवश्यक है:
- बच्चे में दिल की बीमारियां या कोई हृदय संबंधी समस्या का होना।
- बच्चे को सिकल-सेल डिजीज (SCD) की समस्या होना।
- सिर में चोट लगना।
- माइग्रेन की समस्या का होना।
- बच्चों में हाय ब्लड प्रेशर की समस्या का होना।
- बच्चे के शरीर में खून के थक्के का बनना।
- बच्चें में कोई गंभीर इंफेक्शन का होना।
- बच्चे में मेटाबॉलिक डिसऑर्डर आदि।
बच्चों में स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाने वाले, इनके अलावा और भी कई रिस्क फैक्टर हो सकते हैं। अधिकांश मामलों में स्ट्रोक के तुरंत बाद उसके लक्षण नजर आने लगते हैं। लेकिन कुछ बच्चों में स्ट्रोक के खतरे के एक से दो घंटे बाद लक्षण नजर आते हैं। जिसे मिनी स्ट्रोक कहा जाता है। ऐसे में, स्ट्रोक की गंभीर स्थिति को रोकने के लिए, इन संकेतों के नजर आते हीं तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इससे बच्चें की स्थिति को गंभीर होने से बचाया जा सकता है।
और पढ़ें: सर्दियों में बढ़ जाता है ब्रेन स्ट्रोक का खतरा, पहले से ही रखें ये सावधानियां
बच्चों में स्ट्रोक का निदान (Diagnosis of stroke in children)
बच्चों में स्ट्रोक का निदान आपके बच्चे के वर्तमान लक्षणों और हेल्थ हिस्ट्री के साथ शुरू होगा। जिसमें डॉक्टर आपसे बच्चे की हेल्थ हिस्ट्री, स्वास्थ्य देखभाल, कहीं कोई पुरानी चोट, संक्रमण, कभी कोई रक्तस्राव की समस्या हुई हो, आदि के बारे में पूछ सकते हैं। इसके अलावा डॉक्टर बच्चों में मौजूद स्ट्रोक के लक्षण जैसे कि कमजोरी, सुन्नता या स्ट्रोक के अन्य लक्षणों के अनुसार ही इलाज तय करेंगे। निदान करने में सहायता के लिए डॉक्टर कुछ परीक्षण करवा सकते हैं :
ब्रेन इमेजिंग एग्जामिनेशन (Brain imaging studies)
बच्चों में स्ट्रोक निदान के लिए डॉक्टर एमआरआई परीक्षण करवाएंगे। एमआरआई की जगह डॉक्टर कंप्यूटेड टोमोग्राफी यानि कि सीटी स्कैन की सलाह भी दे सकते हैं। एमआरआई के हिस्से के रूप में एमआरए भी की जा सकती है। मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं की असामान्यताओं को देखने के लिए ट्रांसक्रानियल डॉपलर या मस्तिष्क का अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है।
ब्लड टेस्ट (Blood Test)
संक्रमण, सिकल सेल रोग, रक्त वाहिकाओं में सूजन और रक्त के थक्के असामान्यताओं के लक्षणों के लिए रक्त का परीक्षण किया जाता है।
हृदय और रक्त वाहिकाओं का एग्जामिनेशन (Examination of the heart and blood vessels)
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG) से हार्ट बीट की जांच की जाती है। एयर एम्बोलिज्म या रक्त के थक्के के संभावित कारणों का पता लगाने के लिए हृदय का एक विशेष अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है। लंबे समय तक हृदय की ताल में असामान्यताओं को देखने के लिए एक विशेष मॉनिटर से भी इग्जेमिनेशन किया जा सकता है।
और पढ़ें: बच्चों को लू लगना: सर्दी में भी हो सकता है बच्चे को हीट स्ट्रोक
बच्चों में स्ट्रोक का इलाज (Stroke treatment in children)
स्ट्रोक होने के बाद जितनी जल्दी हो सके उपचार शुरू कर देना चाहिए, इससे बच्चे को समय पर इलाज न मिलने वाली गंभीर स्थिति से बचाया जा सकता है। स्ट्रोक के उपचार में शामिल हो सकता हैं:
- ऑक्सिजन के स्तर को मैंटेन करना (Maintaining oxygen levels)
- ब्लड ट्रांसफ्यूजन (Blood transfusion)
- रक्त के थक्कों का इलाज करने और खून को पतला करने के लिए दवाएं (Blood Clotting medication)
और पढ़ें: हार्ट अटैक और स्ट्रोक का कारण बन सकता है हाय ब्लड प्रेशर!
बच्चों में स्ट्रोक की रोकथाम (Stroke prevention in children)
बच्चों में, स्ट्रोक का पहला लक्षण आमतौर पर पहली चेतावनी होती है। स्ट्रोक अटैक से पहले बच्चे में कमजोरी और थकान जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। जिस पर पेरेंट्स का ध्यान देना जरूरी है। इसलिए पहले स्ट्रोक को रोकने का कोई तरीका नहीं हो सकता है। कुछ बच्चों में यह स्ट्रोक का दूसरा अटैक भी हो सकता है। डॉक्टर आपके बच्चे के इलाज के लिए दवाएं और सर्जरी जैसा उपचार भी अपना सकते हैं। इलाज के साथ बच्चे को पहले जैसे ठीक होने में समय लग सकता है।
और पढ़ें: बच्चों को लू लगना: सर्दी में भी हो सकता है बच्चे को हीट स्ट्रोक
बच्चों में स्ट्रोक का सही समय पर इलाज होना बहुत जरूरी है। इससे बच्चे के जान के जोखिमों को बचाया जा सकता है। इसके अलावा स्ट्रोक की स्थिति में बच्चें को ठीक होने में एक लंब समय भी लग सकता है। जिसके लिए जरूरी है कि पेरेंट्स बच्चें की दवाईयों और खानपान का विशेष ध्यान रखें। उन्हें मेंटली और इमोशनली सपोर्ट दें। अपने मन से उसे न कोई दवाएं दे और न डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयों में देरी करें। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
[embed-health-tool-vaccination-tool]