कुछ बच्चों में जन्म के समय शरीर पर कई तरह के मार्क होते हैं। जिन्हें बर्थमार्क (Birthmark) या जन्मजात निशान कहते हैं। कुछ लाेग इसे लक्षण भी कहते हैं। जन्म के समय बच्चे के शरीर पर लाल, काले या भूरे रंग के चकते होते हैं। जिसे देख कर माता-पिता घबरा जाते हैं। उन्हें लगता है कि बच्चे को कही कोई दिक्कत तो नहीं है। अमूमन बच्चों में बर्थमार्क (Birthmark in child) उन्हें कम ही नुकसान पहुंचाते हैं और समय के साथ हल्के होते जाते हैं। लेकिन कुछ बर्थमार्क या जन्मजात निशान इतने गहरे होते हैं कि समय के साथ बड़े हो जाते हैं। इसमें घबराने की जरूरत नहीं है। इसके लिए सबसे पहले समझें बर्थमार्क कैसे होते हैं और बर्थमार्क का इलाज क्या है।
क्यों होते हैं बच्चों में बर्थमार्क (Birthmark)?
बर्थमार्क बच्चे के शरीर पर एक पैच की तरह होता है। बच्चों में बर्थमार्क या जन्मजात निशान क्यों होता है इसका अभी तक कोई भी वैज्ञानिक कारण पता नहीं है। लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि शरीर पर असाधारण पिगमेंट के कारण बर्थमार्क बनते हैं। ज्यादातर बर्थमार्क शिशु को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। बर्थमार्क दो तरह के होते हैं।
पिग्मेंट बर्थमार्क (Pigment birthmark)
ये बर्थमार्क लाल, काले या भूरे रंग के होते हैं। ये त्वचा के किसी भी हिस्से पर हो सकते हैं। इनके होने का कारण त्वचा पर अधिक पिगमेंट का होना है। कभी-कभी ये गहरे रंग होते हैं, जिन्हें तिल या ब्यूटी मार्क के रूप में भी जानते हैं। कुछ बर्थमार्क के बारे में नीचे पढ़ें…
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कैफ-औ-लेट स्पॉट (Cafe-au-lait spots)
कैफ-औ-लेट ब्राउन कलर या कॉफी का बर्थमार्क या जन्मजात निशान होता है। जिसका आकार अंडाकार (Oval Shape) का होता है। बच्चों में ये बर्थमार्क वक्त के साथ-साथ खत्म हो जाते हैं। धूप के संपर्क में आते ही ये बर्थमार्क अधिक गहरा हो जाता है। जब बच्चे को चार से ज्यादा बर्थमार्क होता है तो उन्हें न्यूरोफाइब्रोमैस (Neurofibromatosis) कहते हैं। न्यूरोफाइब्रोमैस में नसों के अंदर कोशिकाएं बढ़ती रहती है, जिससे ट्यूमर (Tumor) होता है। ऐसे बर्थमार्क को देख कर बच्चे को डॉक्टर को दिखाएं।
मंगोलियन स्पॉट (Mongolian Spot)
ये स्पॉट गहरे ग्रे रंग के होते हैं। ये पिग्मेंट जन्म के समय से लगभग तीन से चार साल तक रहते हैं। इस के बाद खुद ही खत्म हो जाते हैं। ये बर्थमार्क ज्यादातर कमर के नीचे होते हैं। इस बर्थमार्क से कोई नुकसान नहीं होता है।
तिल (Mole)
तिल होना एक आम बात है। ये भूरे या काले रंग के होते हैं। कुछ तिल छोटे होते हैं, तो कुछ तिल बड़े होते हैं और उनमें से बाल निकला रहता है। कुछ लोगों में बड़े होने पर तिल का आकार और संख्या तेजी से बढ़ता है तो ध्यान देने वाली बात है। ऐसा होना त्वचा कैंसर का भी लक्षण है। लेकिन ऐसा होने का रिस्क काफी कम होता है।
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वैस्कुलर बर्थमार्क (Vascular Birthmark)
नाम से ही जाहिर है कि ये बर्थमार्क या जन्मजात निशान नसों के कारण होते हैं। त्वचा के नीचे नसों के गुच्छे समूह में मिल जाते हैं जिससे त्वचा हल्के लाल रंग की दिखने लगती है।
मैक्यूलर स्टेंस (Macular stains)
इस बर्थमार्क को सैलमॉन पैच, एंजल किस और स्ट्रोक बाइट्स के नाम से जाना जाता है। ये ज्यादातर बच्चे के आंखों के ऊपर, सिर में, होठों के ऊपर या गर्दन पर होते हैं। बच्चों में बर्थमार्क से कोई भी नुकसान नहीं होता है।
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पोर्ट वाइन बर्थमार्क
ये बर्थमार्क या जन्मजात निशान हल्के गुलाबी या बैंगनी रंग के होते हैं। ये शरीर के ऊपरी हिस्से में होती है। ज्यादातर गले, मुंह, चेहरे और सिर पर होता है। ये बर्थमार्क समय के साथ बड़े भी होते हैं। इसे लेजर तकनीक के द्वारा ठीक किया जा सकता है।
हीमैन्जीओमस (Hemangiomas)
ये वैसक्यूलर बर्थमार्क लाल रंग का बड़े से चकते के रुप में बच्चे के चेहरे सा सिर के हिस्से पर पाया जाता है। इसे स्ट्रॉबेरी मार्क भी कहते हैं। इस बर्थमार्क का रंग लाल इसलिए होता है कि वह त्वचा की सबसे निचली पर्त से जुड़ा रहता है। जो सीधा नसों के संपर्क में रहता है। इसके अलावा कभी-कभी बच्चे को डीप हीमैन्जीओमस रहता है जिसमें नीले रंग का चकता शरीर पर रहता है। जो सीधे नसों के अंदर से जुड़े रहने के कारण नीले रंग का हो जाता है। इससे बच्चे को कोई खतरा नहीं है। बल्कि उम्र के साथ यह निशान खत्म होने लगता है। इसके अलावा कभी-कभी यह बर्थमार्क या जन्मजात निशान जन्म के कई दिनों के बाद भी सामने आ सकता है। इसलिए इससे घबराने की जरूरत नहीं है।
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कब होती है इलाज की जरूरत?
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