बायोमेड पोलियो वैक्सीन के बारे में जानकारी बहुत जरूरी है क्योंकि बच्चों के लिए पोलियो वैक्सीन जरूरी होती है। पोलियो, या पोलियोमाइलाइटिस (Poliomyelitis), पोलियोवायरस (Poliovirus) के कारण होने वाली एक जानलेवा बीमारी है। पोलियो का वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है और व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी में इंफेक्शन फैलाने का काम करता है।इस कारण से शरीर के कुछ हिस्सों में लकवा हो जाता है या व्यक्ति उस हिस्से को हिला नहीं पाता है। पोलियो के लक्षण सभी व्यक्तियों में नजर आएं, ये जरूरी नहीं है। करीब चार में से एक व्यक्ति में फ्लू की तरह दिखने वाले लक्षण महसूस हो सकते हैं।
पोलियो के कारण गले में खराश, फीवर, थकान का एहसास (Feeling tired), सिरदर्द होना, स्टमक पेन आदि लक्षण महसूस होते हैं। ये बीमारी ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड को प्रभावित करती है। पोलियो वायरस संक्रमित व्यक्ति के गले और इंटेस्टाइन में रहता है और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से स्वस्थ व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है। अगर पोलियो का टीका बच्चों को समय पर दिया जाए, तो इस जानलेवा बीमारी से बचा जा सकता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बायोमेड पोलियो वैक्सीन (Biomed polio vaccine) के बारे में जानकारी देंगे और साथ ही पोलियो वैक्सीन से जुड़ी अहम जानकारी भी देंगे। आइए पहले जानते हैं पोलियो वैक्सीन के प्रकार के बारे में।
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पोलियो वैक्सीन के प्रकार (Types of polio vaccine)
पोलियो का संक्रमण न फैले, इसके लिए जन्म के बाद बच्चों को पोलियो की वैक्सीन दी जाती है। विश्वभर में पोलियो का संक्रमण पिछले कुछ सालों में बहुत कम हो गया है। भारत में साल 2011 में पोलियो का एक केस दर्ज किया गया था। इनएक्टिवेटेड पोलियोवायरस वैक्सीन (आईपीवी) को इंजेक्शन के रूप में लेग या आर्म में दिया जाता है। ओरल पोलियोवायरस वैक्सीन का इस्तेमाल विश्वभर में किया जाता है। वैक्सीन के इस्तेमाल से बच्चे का शरीर पोलियो से लड़ने के लिए तैयार हो जाता है। इनएक्टिवेटेड पोलियोवायरस वैक्सीन की डोज ले चुके बच्चे पोलियो के खतरे से लगभग सुरक्षित रहते हैं।
जिन बच्चों को पांच वर्ष तक पोलियो का टीका नहीं लगाया जाता है, उनको पोलियो संक्रमण होने का खतरा रहता है। बच्चों में नॉनपैरालिटिक पोलियो (Nonparalitic polio),पैरालिटिक (Paralitic polio), पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम (Post-polio syndrome) आदि का खतरा बना रहता है। नॉनपैरालिटिक पोलियो में लकवा की समस्या नहीं होती है और बच्चे में फ्लू जैसे ही लक्षण दिखते हैं। ये लक्षण नौ से 10 दिनों तक रहते हैं। वहीं पैरालिटिक पोलियो (Paralitic polio) के कारण शरीर के कुछ हिस्सों में लकवा की समस्या हो सकती है। ऐसे में मसल्स पेन, रिस्पॉन्स न दे पाने की समस्या आदि भी सामने आते हैं। समय पर टीकाकरण ही इस बीमारी के बचाव का समाधान है। जानिए बायोमेड पोलियो वैक्सीन (Biomed polio vaccine) क्या अहम भूमिका निभाती
बायोमेड पोलियो वैक्सीन (Biomed polio vaccine) क्या है?
बायो-मेड की ओरल पोलियो वैक्सीन सबिन स्ट्रेन पोलियो वायरस (Sabin Strain Polio viruses) का उपयोग करके तैयार की जाती है। वैक्सीन लिक्विड के रूप में होती है और इसका रंग लाइट पिंक या हल्का पीला होता है। बायोमेड पोलियो वैक्सीन (Biomed polio vaccine) इंडियन फार्माकोपिया ( Indian Pharmacopoeia) के अनुरूप ही तैयार की गई है। प्रोडक्ट क्वालिटी में सुधार के साथ भारत में पहली बार इम्पोर्टेड वैक्सीन वायल टाइम टेम्परेचर सेंसिटिव इंडिकेटर के साथ ओरल पोलियो वैक्सीन के अत्याधुनिक लेबलिंग के साथ बायोमेड आया है।
पोलियोमाइलाइटिस वैक्सीन (Poliomyelitis vaccine) टाइप 1 और 3 पोलियोवायरस, पल्स पोलियो कार्यक्रम और सप्लिमेंट्री इम्युनाइजेशन एक्टिविटीज में 0-5 वर्ष की आयु के बच्चों को पोलियो डोज की खुराक दी जाती है। पोलियोमाइलाइटिस टीकाकरण ( Poliomyelitis vaccination) की खुराक के बीच कितने समय का अंतराल होना चाहिए, ये नेशनल पॉलिसी के अनुसार तय किया जाता है। बायोमेड पोलियो वैक्सीन (Biomed polio vaccine) में वीवीएम लेबल (20 डोज) के साथ स्क्वीजेबल प्लास्टिक ट्यूब (Squeezable Plastic tube) भी मिलती है। इसकी पैकिंग लीक प्रूफ और नोजल डिजाइंड होती है।
बायोमेड पोलियो वैक्सीन की डोज (Biomed Polio Vaccine Dosage)
बायोमेड पोलियो वैक्सीन (Biomed Polio Vaccine) की 2 बूंदें (0.1 ml) ओरली या मौखिक रूप से दी जाती है। ओरल यानी मुंह से दी जाने वाली दवा को कब और कितनी उम्र में दिया जाता है, इस बारे में डॉक्टर से जानकारी जरूर लें। अगर बच्चे की डोज छूट गई है, तो ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए, इस बारे में भी डॉक्टर से जानकारी जरूर लें। अगर बच्चे को किसी प्रकार की बीमारी है, तो इस बारे में डॉक्टर को जरूर बताना चाहिए। अगर बच्चे को वैक्सीन के बाद एलर्जी की समस्या (Allergy problem) हो गई है, तो डॉक्टर से इस बारे में जानकारी जरूर लें।
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बायोमेड पोलियो वैक्सीन का स्टोरेज (Biomed Polio Vaccine Storage)
अगर बायोमेड पोलियो वैक्सीन (Biomed Polio Vaccine) को एक्सपायरी की तिथि के पहले -20ºC तक रखा जाता है, तो ये असरदार रहती है।
बीमार बच्चे में होता है बायोमेड पोलियो वैक्सीन का असर?
अगर आपने बच्चे को समय पर पोलियो वैक्सीन नहीं पिलाई है और बच्चा पोलियो से ग्रस्त हो चुका है, तो ऐसे में वैक्सीन का असर नहीं दिखता है क्योंकि एक बार संक्रमण हो जाने पर उसे ठीक नहीं किया जा सकता है बल्कि बीमारी के लक्षणों को कम ही किया जा सकता है। बच्चों को पोलियो वैक्सीन (IPV) के चार डोज दिए जाते हैं। इसका पहला डोज 2 मंथ में, दूसरा डोज 4 मंथ में, तीसरा डोज 6-18 महीने और चौथा डोज 4-6 वर्ष की उम्र में दिया जाता है। अगर आप बच्चे को पोलियो ड्राप पिला रहे हैं, तो डॉक्टर से जानकारी लें कि बच्चे को कब ड्राप पिलानी चाहिए।
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अगर बच्चे को पोलियो हो जाता है और उसे लकवे की शिकायत हो जाती है, तो डॉक्टर पेन किलर के साथ ही फिजिकल थेरिपी (Physical therapy) की सलाह देते हैं। मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन को कम करने के लिए हीटिंग पैड का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। डॉक्टर मसल्स में हो रही समस्याओं को कम करने के लिए कुछ दवाओं का सेवन करने की सलाह दे सकते हैं।
हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता है। इस आर्टिकल में हमने आपको बायोमेड पोलियो वैक्सीन (Biomed polio vaccine) के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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