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Group B strep disease: बच्चों में होने वाला ये संक्रामक रोग क्या हो सकता है खतरनाक?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2021

    Group B strep disease: बच्चों में होने वाला ये संक्रामक रोग क्या हो सकता है खतरनाक?

    ग्रुप बी स्ट्रेप डिजीज (Group B strep disease) स्ट्रेप्टोकोकस (Streptococcus) बैक्टीरिया के कारण होने वाली बीमारी है। ये बैक्टीरिया अक्सर आंतों या लोअर जेनिटल ट्रेक में होता है। वैसे तो ये बैक्टीरिया स्वस्थ्य वयस्कों के लिए हानिकारक नहीं होता है लेकिन न्यूबॉर्न बेबी के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। ये बच्चों में ग्रुप बी स्ट्रेप डिजीज पैदा करता है। अगर किसी व्यक्ति को कोई क्रॉनिक मेडिकल कंडीशन है, तो ये बैक्टीरिया अधिक समस्या पैदा कर सकता है। कुछ क्रॉनिक कंडीशन जैसे कि डायबिटीज, लिवर डिजीज आदि से पीड़ित व्यक्ति को अगर ये इंफेक्शन हो जाए, तो स्थिति गंभीर हो सकती है। आज इस आर्टिकल में माध्यम से हम आपको ग्रुप बी स्ट्रेप डिजीज (Group B strep disease) के बारे में जानकारी देंगे।

    बच्चों में  ग्रुप बी स्ट्रेप डिजीज के लक्षण (Symptoms of Group B Strep Disease in Children)

    ग्रुप बी स्ट्रेप की बीमारी (Group B strep disease) प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं से बच्चे में होती है। बच्चे डिलिवरी के दौरान ग्रुप बी स्ट्रेप की बीमारी (Group B strep disease) से संक्रमित हो जाते हैं और गंभीर रूप से बीमार भी पड़ सकते हैं। शिशुओं में ग्रुप बी स्ट्रेप (Group B strep disease) के कारण होने वाली बीमारी जन्म के छह घंटे बाद तक हो सकती है, वहीं कुछ शिशुओं में इस बीमारी के लक्षण जन्म के एक सप्ताह बाद तक भी दिख सकते हैं। जानिए शिशुओं में इस संक्रमण के कारण कौन-से लक्षण दिखाई पड़ सकते हैं।

  • बुखार (Fever)
  • खिलाने में कठिनाई (Difficulty feeding)
  • सुस्ती और ऊर्जा की कमी (Lack of energy)
  • सांस लेने मे तकलीफ (Difficulty breathing)
  • चिड़चिड़ापन (Irritability)
  • पीलिया (Jaundice)
  • जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि ग्रुप बी स्ट्रेप की बीमारी (Group B strep disease) वयस्कों में भी हो सकती है। वयस्कों को अगर पहले से ही कोई क्रॉनिक हेल्थ कंडीशन है, तो इस संक्रमण के कारण अधिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। वयस्कों में ग्रुप बी स्ट्रेप का बैक्टीरिया बाउल, वजायना, रैक्टम, ब्लैडर या फिर थ्रोट के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है। कुछ मामलों में ग्रुप बी स्ट्रेप डिजीज के कारण यूरीनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन ( Urinary tract infection) या फिर अधिक सीरियस कंडीशन जैसे कि ब्लड इंफेक्शन (Blood infections) या निमोनिया (Pneumonia) भी हो सकता है।

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    ग्रुप बी स्ट्रेप इंफेक्शन के क्या है कारण (Causes of Group B strep disease)

    ग्रुप बी स्ट्रेप इंफेक्शन या ग्रुप बी स्ट्रेप डिजीज (Group B strep disease) किसी भी हेल्दी इंसान को हो सकता है। ये इंफेक्शन स्वस्थ इंसान में कुछ समय के लिए रहता है और फिर बिना किसी हानि के ये चला भी जाता है। ग्रुप बी स्ट्रेप डिजीज यौन संचारित नहीं होते हैं और न ही ये भोजन या पानी से फैलते हैं। नवजात शिशुओं में ये मां के माध्यम से फैलते हैं। अगर ये कहा जाए कि ये इंफेक्शन फैलने का कारण क्या है, तो इस बारे में अभी तक जानकारी हासिल नहीं हुई है। बच्चों में ग्रुप बी स्ट्रेप वजायनल डिलिवरी (Vaginal delivery ) के माध्यम से फैलता है। जब बेबी फ्लूड के संपर्क में आता है, तो उसे संक्रमण हो जाता है।

    अगर किसी व्यक्ति को क्रॉनिकल डिजीज हो या फिर उम्र 65 वर्ष से अधिक हो और संक्रमण के लक्षण दिख रहे हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। साथ ही बच्चों में अगर बीमारी के लक्षण दिखें, तो बिना देरी किए डॉक्टर से जांच कराएं। स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर के लिए ट्रीटमेंट करना कठिन हो सकता है, इसलिए आपको ही सावधानी रख बीमारी का तुरंत इलाज कराना चाहिए। जानिए ग्रुप बी स्ट्रेप डिजीज (Group B strep disease)  से क्या रिस्क फैक्टर जुड़े हुए है।

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    ग्रुप बी स्ट्रेप डिजीज से जुड़े रिस्क फैक्टर (Risk factors of Group B strep disease)

    शिशुओं में ग्रुप बी स्ट्रेप इंफेक्शन डेवलप होने का खतरा निम्नलिखित स्थितियों में बढ़ सकता है।

    • डिलिवरी से 18 घंटे पहले या उससे अधिक समय पहले तक अगर मां का वॉटर ब्रेक हो जाता है, तो भी संक्रमण की संभावना बढ़ सकती है।
    • मां के शरीर में ग्रुप बी स्ट्रेप बैक्टीरिया होता है, जो बच्चे में फैलने की संभावना रहती है।
    • जो बच्चे समय से पहले यानी 37 सप्ताह से पहले पैदा होता है, उनमें ग्रुप बी स्ट्रेप डिजीज (Group B strep disease) का खतरा बढ़ जाता है।
    • अगर मां को प्लेसेंटल टिश्यू ( Placental tissues) और एमनियोटिक फ्लूइड (amniotic fluid) संबंधित संक्रमण है, तो बच्चे में भी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
    • गर्भावस्था के दौरान अगर मां को यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary tract infection ) हो जाता है, तो होने वाले बच्चे में ग्रुप बी स्ट्रेप डिजीज का खतरा बढ़ जाता है।
    • डिलिवरी के दौरान मां का टैम्परेचर 100.4 F (38 C) से अधिक होने पर भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
    • अगर मां पहले ग्रुप बी स्ट्रेप डिजीज के साथ एक शिशु को जन्म दे चुकी है, तो भी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।

    वहीं जिन वयस्कों को डायबिटीज (diabetes), एचआईवी इंफेक्शन (HIV infection), कैसंर या फिर लिवर डिजीज (Liver disease) हो या फिर व्यक्ति की आयु 65 साल से अधिक हो, तो ऐसे में संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है।

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    ग्रुप बी स्ट्रेप डिजीज (Group B strep disease) का डायग्नोज

    ग्रुप बी स्ट्रेप डिजीज की जांच के लिए डॉक्टर प्रेग्नेंसी के दौरान नियमित रूप से परीक्षण किया जाता है। डॉक्टर प्रेग्नेंसी के 35वें और 37वें सप्ताह के दौरान टेस्ट करते हैं। टेस्ट सिंपल होता है और ये महंगा नहीं होता है। इसमें लार्ज कॉटेन स्वैब की हेल्प से नमूना लिया जाता है और फिर सैंपल को लैब में टेस्ट किया जाता है। एक से तीन दिन में नमुने का रिजल्ट मिल जाता है। अगर महिला में संक्रमण होता है, तो उसे जीबीएस पॉजिटिव कहा जाता है। इस रिजल्ट से सिर्फ इस बात की जानकारी मिलती है कि महिला के अंदर बैक्टीरिया हैं लेकिन इस बारे में पता नहीं चल पाता है कि बच्चे को संक्रमण है या फिर नहीं। ये जरूरी नहीं है कि अगर मां को संक्रमण हो, तो जरूरी नहीं कि बच्चे को भी संक्रमण हो।

    ग्रुप बी स्ट्रेप डिजीज (Group B strep disease) से बचाव

    ग्रुप बी स्ट्रेप डिजीज से बचने के लिए कुछ उपाय अपनाएं जा सकते हैं। इस बीमारी की संभावना डिलिवरी के दौरान मां से बच्चे को अधिक होती है। इस परेशानी से निपटने के लिए डॉक्टर महिला को IV एंटीबायोटिक ( IV Antibiotic) दे सकते हैं। ये दवा लेबर शुरू होने के दौरान दिया जाता है। अगर महिला को पेनेसिलीन से एलर्जी है, तो अन्य विकल्प का चुनाव किया जा सकता है। अगर होने वाली मां को यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (Urinary tract infection,), डिलिवरी के दौरान बुखार (Fever during delivery) या बच्चे का जन्म समय से पहले हो रहा है, तो ऐसे में डिलिवरी के दौरान एंटीबायोटिक दी जा सकती है। इस इंफेक्शन की अभी तक वैक्सीन नहीं बनी है, इसलिए सावधानी ही इस संक्रमण से बचाने का काम कर सकती है। अगर आपको इस बारे में अधिक जानकारी चाहिए, तो डॉक्टर से जानकारी जरूर लें।

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    बच्चों या शिशुओं में बीमारी के लक्षण पहचानने में अक्सर देरी हो जाती है क्योंकि वो अपनी तकलीफ बता नहीं सकते हैं। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि अधिक सावधानी के साथ बच्चों के शरीर में होने वाले परिवर्तनों पर नजर रखें। अगर आपको किसी भी तरह के इंफेक्शन की संभावना लगे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। किसी भी संक्रमण को रोकने के लिए जरूरी है कि उसका सही समय पर इलाज कराया जाए। आप इस बारे में अधिक जानकारी डॉक्टर से भी प्राप्त कर सकते हैं।

    हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता। इस आर्टिकल में हमने आपको ग्रुप बी स्ट्रेप डिजीज (Group B strep disease) के संबंध में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको  हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

    डिस्क्लेमर

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