backup og meta

क्या बच्चों के जन्म से दांत हो सकते हैं? जानें इस दुर्लभ स्थिति के बारे में

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Shivam Rohatgi द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/06/2021

    क्या बच्चों के जन्म से दांत हो सकते हैं? जानें इस दुर्लभ स्थिति के बारे में

    जन्म के पहले वर्ष में बच्चों के दांत आना विकास का एक महवत्पूर्ण हिस्सा माना जाता है। कुछ मामलों में शिशु के जन्म से दांत आना एक दुलर्भ स्थिति मानी जाती है। अधिकतर बच्चों के दांत 4 से 7 महीने की उम्र के बीच में आते हैं। बच्चों के पहले नीचे के दांत आते हैं और उसके बाद धीरे-धीरे बाकी दांत आने शुरू होते हैं।

    जहां अधिकतर बच्चों में जन्म के कुछ महीनों बाद दांत आने शुरू होते हैं, वहीं कुछ शिशुओं में जन्म से दांत आने लगते हैं। जन्म से दांत आना बच्चे के लिए एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें उसके मुंह के एक या उससे अधिक दांत जन्म के पहले से ही होते हैं। इस स्थिति को नेटल टीथ (Natal teeth) कहा जाता है। जन्म से दांत आना एक दुर्लभ स्थिति है जो 2000 में से 1 शिशु में पाई जाती है।

    और पढ़ें : बच्चों के बाद सेक्स लाइफ को कैसे बनाएं ‘हॉट’?

    जन्म से दांत आना (Natal teeth) कैसे मुमकिन है?

    जन्म से दांत आना रहस्यमयी लग सकता है, लेकिन इसके पीछे कई विशेष कारण हो सकते हैं। कुछ बच्चों में जन्म से दांत आना कई स्थितियों  के कारण हो सकता है। बच्चों में जन्म से दांत आना मुंह के अंदर के ऊपरी हिस्से या होंठों में छेद के रूप में देखे जा सकते हैं। जो शिशु जन्म से ही दांतों से संबंधित असामान्यताओं (दांतों को बनाने वाले ऊतकों का सख्त हो जाना) के साथ पैदा होते हैं, उनमें यह एक सामान्य स्थिति हो सकती है।

    जन्म से दांत आना कई अन्य स्थितियों के कारण भी हो सकता है जिसमें निम्न प्रकार के विकार शामिल हैं –

  • सोटोस सिंड्रोम
  • मोतियाबिंद
  • पियरे रॉबिन
  • एलिस-वैन क्रेवेल्ड
  • और पढ़ें : हानिकारक बेबी प्रोडक्ट्स से बच्चों को हो सकता है नुकसान, जाने कैसे?

    नेटल टीथ के जोखिम कारक (Cause of Natal teeth)

    कुछ विशेष प्रकार की मेडिकल कंडिशन के अलावा कई जोखिम कारकों की वजह से भी बच्चों में जन्म से दांत आने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। नेटल टीथ के लगभग 15 प्रतिशत बच्चों के परिवार में किसी सदस्य के जन्म से ही दांत आएं हों। इसमें खासतौर से भाई-बहन और पिता शामिल होते हैं।

    फिलहाल जन्म से दांत आने की स्थिति पर किए गए अध्ययन इस बात का स्पष्टीकरण नहीं कर पाएं हैं कि यह लड़कों में अधिक होता है या लड़कियों में। हालांकि जन्म से दांत आना अधिकतर आंकड़ों के अनुसार लड़कों के मुकाबले लड़कियों में अधिक पाई जाती है।

    गर्भावस्था के दौरान कुपोषण के कारण भी जन्म से दांत आने की स्थिति विकसित हो सकती है। यह भी इसका एक अन्य जोखिम कारक होता है।

    और पढ़ें : जानें शिशुओं को घमौरी होने पर क्या करनी चाहिए?

    नेटल टीथ के प्रकार (Types of Natal teeth)

    जहां एक तरफ जन्म से दांत आना एक दुलर्भ स्थिति होती है, वहीं इसके पीछे के कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हुए हैं। नेटल टीथ के चार प्रकार होते हैं। इनके आधार पर ही डॉक्टर यह निर्धारित करते हैं कि आपके शिशु की कौन-सी स्थिति है –

    • पूरी तरह विकसित लेकिन ढीले दांत। साथ ही कुछ जड़ों से जुड़े हुए।
    • ढीले दांत जो किसी भी जड़ से न जुड़े हों।
    • मसूंड़ों से निकल रहे छोटे दांत।
    • मसूंड़ो में चोट से पता लगना की शिशु के दांत मौजूद थे।

    जन्म से दांत आना अधिकतर मामलों में केवल एक दांत की स्थिति होती है। कई दांतों के साथ जन्म होना इससे भी अधिक दुलर्भ होता है। सामने की ओर नीचे के दांत आना सबसे सामान्य होता है। इसके मुकाबले सामने के ऊपरी दांत आना कम सामान्य होता है। नेटल टीथ के साथ जन्मे केवल 1 प्रतिशत बच्चों में दाढ़ होती है।

    आपके शिशु के नेटल टीथ के स्पष्ट प्रकार जटिलताओं का जोखिम निर्धारित करते हैं। इससे जरूरत पड़ने पर डॉक्टर को इलाज की प्रक्रिया में भी मदद मिलती है।

    और पढ़ें : डिलिवरी के बाद नवजात बच्चे का चेकअप कराना क्यों है जरूरी?

    जल्दी दांत आना

    कुछ बच्चे दांतों के साथ पैदा नहीं होते हैं, लेकिन जन्म के कुछ समय बाद ही उनके दांत आने लगते हैं। आमतौर पर यह जन्म के पहले हफ्ते में होता है। जन्म के कुछ समय बाद दांत आने की स्थिति को नियोनेटल टीथ कहा जाता है।

    जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स  के मुताबिक नियोनेटल टीथ की स्थिति नेटल टीथ के मुकाबले अधिक दुलर्भ होती है। यानी आपके शिशु में जन्म के कई हफ्तों बाद दांत आने से अधिक संभावना जन्म से दांत आने की होती है।

    दांत आने के लक्षण जल्द से जल्द 3 महीने की उम्र से दिखाई देने लगते हैं, लेकिन सामान्य मामलों में शिशु के वास्तविक दांत एक या उससे अधिक महीनों के बाद भी नहीं आते हैं। नियोनेटल टीथ की स्थिति में आपके शिशु के दांत इतनी तेजी से आते हैं कि उसमें सामान्य दांत आने के संकेत जैसे ड्रुलिंग और उंगलिया चूसने दिखाई नहीं देते हैं।

    और पढ़ें : गर्भावस्था में जरूरत से ज्यादा विटामिन लेना क्या सेफ है?

    डॉक्टर से कब संपर्क करें

    जन्म से दांत आना आमतौर पर जड़ों के साथ होता है, इस स्थिति में बच्चे को किसी प्रकार के इलाज की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन जिन बच्चों में जन्म से दांत आना ढीली जड़ों के साथ होता है, उनमें डॉक्टर को सर्जरी की मदद लेनी पड़ सकती है। इस प्रकार के नेटल टीथ के कारण आपके बच्चे में निम्न स्थिति का जोखिम बढ़ सकता है –

    • ढीले दांत को गलती से निगल लेने पर दम घुटना।
    • मां का दूध पीने में दिक्कत होना।
    • जीभ में चोट लगना।
    • स्तनपान के दौरान मां के स्तन पर चोट लगाना।

    ढीले दांत की पहचान एक्स रे की मदद से की जाती है। इसमें यह पता लगाया जाता है कि जन्म से आए दांत किसी जड़ के साथ हैं या नहीं। अगर  किसी प्रकार की जड़ मौजूद नहीं होती है तो डॉक्टर उसे हटाने की सलाह देते हैं।

    दांत निकलने के दौरान हर बच्चे को दर्द और तकलीफदेह होता है और अगर दांत बच्चे को जन्म से ही हो, तो बच्चे के साथ-साथ मां को भी तकलीफ होती है। दरअसल मां को स्तनपान के दौरान तकलीफ होती है। प्रायः लोग जन्म से शिशु को दांत होने को मिथ से भी जोड़कर देखा जाता है और इसे नकारात्मक माना जाता है। हालांकि उम्मीद करते हैं कि अब आप इसे नेगेटिव नहीं मानेंगे। यह सिर्फ कुछ कारणों की वजह से होने वाली परेशानी है। जिन नवजात को जन्म से दांत होता है, तो उसे निकाल देते हैं और इससे बच्चे को कोई परेशानी नहीं होती है। वैसे तो अगर बच्चे को जन्म से दांत हो, तो इसकी जानकारी डॉक्टर बेबी डिलिवरी के बाद ही दे देते हैं और इस तकलीफ को कैसे दूर किया जा सकता है, इसकी जानकारी भी शेयर करते हैं। कुछ मामलों में या बेहद कम मामलों में नेटल टीथ यानी बच्चे के जन्म से हुए दांत विकसित हो सकते हैं या होते हैं। अगर ऐसी स्थिति होती है, तो उसे ऑपरेशन की मदद से निकाला जा सकता है।

    कपल को यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे के शरीर में पोषण की कमी या अनुवांशिक कारणों की वजह से ऐसी स्थिति हो सकती है। ऐसे में अफवाहों पर ध्यान ना दें और डॉक्टर से कंसल्ट में रहें। इस दौरान उनके द्वारा बताई गई बातों का ध्यान रखें। वहीं गर्भवती महिलाओं को भी अपने डायट और हेल्दी फूड हैबिट्स बनाने के साथ-साथ डॉक्टर द्वारा बताये गए निर्देशों का पालन करना चाहिए।

    हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

    फार्मेसी · Hello Swasthya


    Shivam Rohatgi द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/06/2021

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement