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ऑन-डिमांड ब्रेस्टफीडिंग कराने के हैं ये बड़े फायदे

ऑन-डिमांड ब्रेस्टफीडिंग कराने के हैं ये बड़े फायदे

शिशु के जीवन के पहले छह महीने माता-पिता के लिए चुनौतीपूर्ण होते हैं, क्योंकि वे अपने शिशु की जरूरत को समझने और पूरा करने में लगे रहते हैं । उसे अपनी जिंदगी में शामिल करने के लिए घर और जीवन को समायोजित करते हैं। इसलिए, कई स्तनपान कराने वाली महिलाएं हॉस्पिटल के गाइडेंस में ब्रेस्टफीडिंग शेड्यूल को फॉलो करना चाहती हैं। ब्रेस्टफीडिंग शेड्यूल से न्यू मॉम की दिनचर्या थोड़ी आसान हो जाती है। इसलिए, हर एक्टिविटी की तरह ही स्तनपान को शेड्यूल करना जरूरी हो जाता है। ऑन-डिमांड ब्रेस्टफीडिंग, वास्तव में शिशुओं और नई माओं दोनों के लिए बेहतर है। कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि नवजात शिशु को एक निश्चित समय पर फीडिंग कराने की बजाय ऑन-डिमांड ब्रेस्टफीडिंग (on-demand breastfeeding) कराना शिशु के लिए बेहतर साबित होता है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स दोनों द्वारा अनुशंसित किया जाता है। ऐसा क्यों जानते हैं।

ऑन-डिमांड ब्रेस्टफीडिंग के फायदे

डिमांड फीडिंग कराने से नवजात शिशु और मां दोनों को ही लाभ मिलते हैं। इसके कुछ फायदे इस प्रकार हैं-

ऑन-डिमांड ब्रेस्टफीडिंग कराने से एक मां का जीवन आसान हो जाता है

ऑन-डिमांड फीड कराने से मां के स्तनों को उसके बच्चे के प्राकृतिक चक्र के अनुसार पूरी तरह से खाली होने की अनुमति मिलती है। यह न केवल आपको असुविधा (मां के कम्फर्ट लेवल, लैक्टेशन) से बचाने में मदद करता है। यह स्तनपान कराने वाली महिलाओं के ब्रेस्ट्स को बच्चे के साथ समायोजित करने के लिए स्तनों में और भी ब्रेस्ट मिल्क भरने की अनुमति देता है। इससे ब्रेस्टफीडिंग (breastfeeding) की प्रक्रिया आसान बनती है।

इससे नई मां को भी बेहतर नींद मिलती है। ऑन-डिमांड ब्रेस्टफीडिंग, वास्तव में न्यू मॉम को अधिक आराम महसूस करने में मदद करती है। खासकर जब बच्चे साथ में सोते हैं, तो मां और बच्चे की स्लीप साइकिल को फीडिंग के साथ मेल खाने की अनुमति देता है। जैसे ही बच्चा हल्की नींद में जाता है और हलचल शुरू करता है, वैसे ही माँ भी करती है। और प्रोलैक्टिन, एक हार्मोन जो नाइट फीडिंग (nigh feeding) के परिणामस्वरूप रिलीज होता है, माँ को शांत करता है और उसे भी आसानी से सोने में मदद करता है।

आमतौर पर, छह सप्ताह के बाद नवजात के फीडिंग क्यूज के रिस्पॉन्ड के बाद आप खुद को एक शेड्यूल पर पा सकेंगी। जिसके आसपास आप अन्य गतिविधियों की योजना बना सकती हैं। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि यह आपके बच्चे द्वारा उसकी जरूरतों के अनुसार निर्धारित किया गया शेड्यूल है।

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ऑन-डिमांड ब्रेस्टफीडिंग : जब बच्चे को भूख लगेगी , तब वो ही करेगा फीड

नवजात शिशुओं को पता होता है कि वे कब भूखे हैं और वे अपनी जरूरत को बहुत स्पष्ट रूप से बता सकते हैं। आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि बच्चे का रोना वास्तव में भूख बताने का अंतिम संकेत है। हाथ को चूसना, हाथ या मुंह हिलाने की क्रिया, ब्रेस्ट सर्चिंग, अलर्ट होना या बेचैनी बच्चे के भूखे होने के इनिशियल संकेत होते हैं। जब इन सबका रिस्पॉन्ड नहीं मिलता है, तब बच्चा रोना शुरू करता है। इन शुरुआती संकेतों के जवाब में स्तनपान कराके, आप न केवल उसकी जरूरतों के प्रति ज्यादा जवाबदेही होते हैं, बल्कि बच्चे को रोने से भी बचा सकते हैं।

ज्यादातर अस्पताल और फीडिंग ऐप (feeding app) हर दो घंटे में फीडिंग की सलाह देते हैं। और यह सलाह कुछ एवरेज पर आधारित हो सकती है लेकिन, वास्तव में शिशुओं में भूख के लक्षण 1.5 घंटे (या उससे कम) या 2.5 घंटे (या अधिक) के बाद दिखाई दे सकते हैं। ऑन-डिमांड फीडिंग सुनिश्चित करता है कि जब बच्चा भूखा नहीं है तो उसे बहुत जल्दी-जल्दी फीड नहीं  कराना चाहिए। वैसे ही जब वह भूखा हो तो फीड कराने में भी देरी हो।

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ऑन-डिमांड ब्रेस्टफीडिंग सुनिश्चित करता है कि आपके बच्चे को सही मात्रा में पोषण मिले

स्तनपान वास्तव में एक बहुत ही व्यक्तिगत अनुभव है, जो हर माँ और बच्चे के लिए अलग-अलग होता है। जबकि, अधिकांश हॉस्पिटल और ब्रेस्टफीडिंग ऐप न्यू मॉम को प्रत्येक स्तन पर लगभग 10 मिनट फीड कराने के लिए कहते हैं। जो अधिकांश शिशुओं के लिए काम नहीं कर सकती है। वयस्कों की तरह, बच्चे भी धीमी या तेज गति से फीड करने वाले हो सकते हैं। वे दूसरे बच्चों की तुलना में दिन के कुछ समय में भूखे रह सकते हैं। (एक माँ का ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन सुबह के समय सबसे ज्यादा होता है, जब बच्चे भूखे होते हैं। शाम तक, ब्रेस्ट मिल्क का उत्पादन कम हो गया है, जिसका मतलब है कि शिशु ज्यादा बार फीड कर सकते हैं।)

डिमांड ब्रेस्टफीडिंग से शिशु अच्छी तरह से ब्रेस्ट मिल्क सकिंग करता है, इससे फीडिंग की स्पीड भी बढ़ती है जिससे फीड की अवधि कम होने में मदद मिलती है। इसका फायदा यह है कि यह शिशु के लिए बेहतर वजन बढ़ने और हेल्थ को सुनिश्चित करता है।

कोई भी दो बच्चे एक ही समय में दूध की समान मात्रा का सेवन नहीं करते हैं। यह शिशु की सकिंग कैपेसिटी और माँ की ब्रेस्ट मिल्क की स्टोरेज कैपेसिटी के आधार पर अलग-अलग होता है।

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सही समय पर सही मात्रा में दूध

वास्तव में यह महत्वपूर्ण नहीं है कि एक बच्चा एक ब्रेस्ट पर फीड करने में कितना समय खर्च करता है, बल्कि यह ज्यादा जरूरी है कि उसका पेट भर रहा है। ऑन-डिमांड फीडिंग करने से, आपके बच्चे को सही समय पर सही मात्रा में दूध मिल सके, यह सुनिश्चित किया जाता है। स्तनपान कराए गए शिशुओं में ओवरफीड का जोखिम कम रहता है। एक माँ के स्तन में दूध की सही मात्रा का उत्पादन उसके बच्चे की जरूरतों के हिसाब से ही होता है।

यह विशेष रूप से तब ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है जब बच्चा बढ़ता है। पहले महीने के बाद, एक बच्चे की वृद्धि और मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे उसकी दैनिक स्तनपान की आवश्यकता लगभग ~ 900mL हो जाती है। शेड्यूल के अनुकूल फीडिंग को छोड़ने या देरी करने से बच्चे को इस से कम मात्रा में दूध मिलने से उसका वजन कम हो सकता है।

पहले छह महीनों के दौरान ऑन डिमांड ब्रेस्टफीडिंग से यह सुनिश्चित होता है कि आपके बच्चे को पोषण की सही मात्रा मिल रही है या नहीं। यदि आप इस बारे में चिंतित हैं, तो स्वास्थ्य के वास्तविक संकेतों की जांच करना आसान है:

  • डायपर की गिनती

चौथे या पांचवें दिन तक, न्यू बॉर्न बेबीज को लगातार एक दिन में छह बार से अधिक बार यूरिनेशन करना चाहिए और दिनभर में लगभग तीन से चार बार पूप करना चाहिए।

  • वजन

नए-जन्मे शिशु जन्म के बाद पहले चार दिनों के लिए अपना वजन कम कर सकते हैं, लेकिन दो सप्ताह से पहले अपने जन्म के वजन को फिर से प्राप्त करते हैं। उसके बाद, शिशुओं को एक दिन में लगभग 20 से 30 मिलीग्राम वजन प्राप्त करना चाहिए।

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बेशक, ऐसे उदाहरण हैं जिनमें ब्रेस्टफीडिंग ऑन-डिमांड उचित नहीं हो सकती है। यदि आपका बच्चा बीमार है या प्रीमेच्योर है, या उसे काफी समय तक स्वैडलिंग किया गया है या मेडिकल कारणों से उसे माँ से अलग रखा गया हो तो ऐसा बच्चा सक्रिय रूप से फीड की मांग नहीं करता है। ऐसे में बच्चे को सक्रिय रूप से दूध पिलाने के लिए उसे कोमल हाथों से मालिश, डायपर चेंज करना आदि की जरूरत पड़ सकती है। लेकिन अधिकांश महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए, ऑन-डिमांड ब्रेस्टफीडिंग एक-दूसरे की कंपनी का आनंद लेने और उचित पोषण और विकास सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा तरीका है।

अगर आप ऑन-डिमांड फीडिंग से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो अपने डॉक्टर से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।

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हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Current Version

05/08/2020

Written by डॉ. मनीषा गोगरी

Updated by: Niharika Jaiswal


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Written by

डॉ. मनीषा गोगरी

प्रेग्नेंसी सपोर्ट · Lactation Consultant, Fit for Birth Lactation


अपडेटेड 05/08/2020

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