बच्चों की उम्र ही ऐसी होती है कि कब कौन सी बात उनके दिल में लग जाए, कहा नहीं जा सकता है। बड़ों के मुकाबले बच्चे बहुत ज्यादा इमोशनल होते हैं। दस से चौदह साल की अवधि बच्चों की उम्र का एक ऐसा पड़ाव है, जहां बच्चों के अंदर कई भावनात्मक और मानसिक बदलाव देखने को मिलते हैं। इस उम्र में बच्चों को परेंट्स के सपोर्ट की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। कई बार बच्चे अपने पेरेंट्स को अपनी बात बताने में हिचकिचाहट महूसस करने हैं। इस उम्र में बच्चे को इमोशनल सपोर्ट (Emotional Support in child) मिलना बहुत जरूरी है। जब ऐसा नहीं हो पाता है, बच्चे खुद को जब इमोशनल हर्ट महसूस करने लगते हैं, तो वो थोड़ा सा अलग-थलग रहने लगते हैं। जिसकी वजह से पेरेंट्स और बच्चों के बीच दूरियां बढ़ती चली जाती हैं। बच्चे को इमोशनल सपोर्ट (Emotional Support in child) करने के लिए पेरेंट्स अपनाएं ये टिप्स:
बच्चे को अपनी भावनाएं व्यक्त करना सिखाएं (Express your Feeling)
कई बार बच्चे तनाव के शिकार होते है, जिसकी वजह से वो इमोशनल हर्ट हो जाते है। ऐसे बच्चों का तनाव दूर करने के लिए उनका अपने मन की बात शेयर करना बहुत जरूरी है। बच्चों को तनावमुक्त रखने का सबसे आसान और महत्वपूर्ण तरीका है कि आप उन्हें अपनी भावना को व्यक्त करना सिखाएं। फिर भले ही वह किसी भी तरह की भावनाएं हो। चाहें उदासी हो, खुशी हो या भय हो। जब बच्चे अपनी भावना को व्यक्त करना सीख जाता है तो इससे उनके जीवन में नकारात्मकता दूर होती है ।
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