गट हेल्थ सर्वे (Gut Health Survey) के अनुसार भारत में 22 प्रतिशत एडल्ट्स कॉन्स्टिपेशन की समस्या से परेशान हैं। सर्वे में यह भी बताया गया है कि 13 प्रतिशत लोगों को सीवियर कॉन्स्टिपेशन (Constipation) की समस्या है, वहीं 6 प्रतिशत इंडियन पॉप्युलेशन कॉन्स्टिपेशन के साथ-साथ किसी अन्य हेल्थ कंडिशन की समस्या से परेशान हैं। डायजेस्टिव सिस्टम (Digestive System) से जुड़ी कई अलग-अलग तरह की परेशानी होती है। इसलिए आज एब्डॉमिनल स्ट्रेन (Abdominal Strain) के बारे में समझेंगे। एब्डॉमिनल स्ट्रेन के लक्षण (Symptoms of Abdominal Strain) और इससे जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी आपके साथ शेयर करेंगे।
- एब्डॉमिनल स्ट्रेन क्या है?
- एब्डॉमिनल स्ट्रेन के लक्षण क्या हैं?
- हर्निया के लक्षण क्या हैं?
- एब्डॉमिनल स्ट्रेन के कारण क्या हैं?
- एब्डॉमिनल स्ट्रेन का निदान कैसे किया जाता है?
- एब्डॉमिनल स्ट्रेन का इलाज कैसे किया जाता है?
- एब्डॉमिनल स्ट्रेन से बचाव कैसे संभव है?
- डॉक्टर से कब कंसल्ट करना जरूरी है?
चलिए अब एब्डॉमिनल स्ट्रेन (Abdominal Strain) से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं।
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एब्डॉमिनल स्ट्रेन (Abdominal Strain) क्या है?
जब पेट की मांसपेशियां किसी भी कारण से अत्यधिक खिंच जाए, तो एब्डॉमिनल स्ट्रेन की समस्या शुरू हो जाती है। एब्डॉमिनल स्ट्रेन एवं पेट के मसल्स का खिंच जाना दोनों एक ही कंडिशन माना जाता है। एब्डॉमिनल मसल्स मुस्कुलोस्केलेटल सिस्टम (Musculoskeletal system) का ही हिस्सा है। ये मसल्स बॉडी के सामने वाले हिस्से एवं पेल्विस (Pelvis) और रिब्स (Ribs) के बीच मौजूद होते हैं। शरीर के बीच के हिस्से को सपोर्ट करने के साथ-साथ बॉडी को मूव करने में मददगार होते हैं। वहीं एब्डॉमिनल मसल और बैक मसल्स कोर मसल्स स्पाइन को सपोर्ट देते हैं और ये सभी मिलकर आपको बैठने, खड़े रहने, चलने, एक्सरसाइज करने या किसी अन्य बॉडी एक्टिविटी में मदद करते हैं। चलिए अब समझने की कोशिश करते हैं कि एब्डॉमिनल स्ट्रेन के लक्षण को कैसे समझा जा सकता है।
एब्डॉमिनल स्ट्रेन के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Abdominal Strain)
एब्डॉमिनल स्ट्रेन के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- अचानक तेज दर्द (Sudden sharp pain) महसूस होना।
- सूजन (Swelling) की समस्या होना।
- मसल्स में चोट (Bruising) लगना।
- कमजोरी (Weakness) महसूस होना।
- स्टिफनेस (Stiffness) होना।
- मांसपेशियों के खिंचाव में तखलीफ महसूस (Pain or difficulty stretching or flexing the muscle) होना।
- मांसपेशियों में ऐंठन (Muscle spasms or cramping) महसूस होना।
ये लक्षण एब्डॉमिनल स्ट्रेन के लक्षण की ओर इशारा करते हैं। हालांकि कभी-कभी ऐसे लक्षण हर्निया (Sign of Hernia) के भी हो सकते हैं। इसलिए इन लक्षणों को ध्यान रखें। जैसे:
- पेट में एक अप्रत्याशित गांठ या उभार (Unexpected lump or bulge in the abdomen) आना।
- लगातार दर्द या जलन (Aching or burning sensation) महसूस होना।
- जी मिचलाने (Nausea) की समस्या होना।
- उल्टी (Vomiting) होना।
- कब्ज (Constipation) की समस्या रहना।
एब्डॉमिनल स्ट्रेन और हर्निया के लक्षणों को समझने के साथ एब्डॉमिनल स्ट्रेन के कारण को समझें।
एब्डॉमिनल स्ट्रेन के कारण क्या हैं? (Cause of Abdominal Strain)
एब्डॉमिनल स्ट्रेन के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- अचानक ट्विस्ट (Sudden twisting) या फास्ट मूवमेंट (Fast movement) होना।
- अत्यधिक एक्सरसाइज (Excessive exercise) करना।
- मांसपेशियों (Muscles) को आराम नहीं मिल पाना।
- दौड़ने, जंप करना या टर्न करने का तरीका गलत होना।
- भारी वजन (Heavy objects) उठाना।
- जरूरत से ज्यादा तेजी से हंसना (Laughing), खांसना (Coughing) या छींकना (Sneezing)।
ऐसी स्थिति होने पर एब्डॉमिनल स्ट्रेन की समस्या शुरू हो सकती है। अगर ऐसी स्थिति होने पर और एब्डॉमिनल स्ट्रेन के लक्षण नजर आने पर डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।
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एब्डॉमिनल स्ट्रेन का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Abdominal Strain)
एब्डॉमिनल स्ट्रेन के निदान के लिए जब आप डॉक्टर से कंसल्टेशन करते हैं, तो डॉक्टर सबसे पहले पेशेंट की मेडिकल कंडिशन एवं बीमारी के लक्षण को समझते हैं। इसके बाद डॉक्टर पेशेंट से तकलीफों को समझकर टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। एब्डॉमिनल स्ट्रेन की स्थिति समझ आने पर एक्स-रे किया जाता है, जिससे रिबकेज इंजरी (Ribcage injuries), स्पाइनल फ्रैक्चर (Spinal fractures) या ब्रोकेन बोन (Broken bones) की जानकारी मिलती है। इन टेस्ट रिपोर्ट्स को ध्यान में रखकर इलाज शुरू करते हैं।
एब्डॉमिनल स्ट्रेन का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for abdominal strain)
एब्डॉमिनल स्ट्रेन का इलाज निम्नलिखित तरह से किया जा सकता है। जैसे:
- कोल्ड थेरिपी (Cold therapy)- ब्लीडिंग (Bleeding), पेन (Pain) और सूजन (Swelling) की समस्या होने पर कोल्ड थेरिपी की मदद ली जा सकती है।
- हीट थेरिपी (Heat therapy)- मसल टेंशन को दूर करने के लिए हीट थेरिपी की मदद ली जा सकती है।
- एब्डॉमिनल स्ट्रेन होने पर दर्द की समस्या अगर ज्यादा हो, तो ओवर-द-काउंटर (OTC) मिलने वाली दर्द की दवा का सेवन किया जा सकता है।
- आवश्यकता पड़ने पर एब्डॉमिनल बाइंडर (Abdominal binder) के इस्तेमाल की सलाह डॉक्टर दे सकते हैं।
- डॉक्टर पेशेंट को आराम (Rest) करने की भी सलाह देते हैं।
इन अलग-अलग तरहों से एब्डॉमिनल स्ट्रेन का इलाज किया जाता है। इलाज के दौरान डॉक्टर पेशेंट से उनकी शारीरिक स्थितियों को बारे में समझते रहते हैं, जिससे सही इलाज करने में सुविधा होती है और मरीज भी जल्द स्थिक हो जाता है।
नोट : दर्द की दवाओं का सेवन अपनी मर्जी से ना करें, क्योंकि इनके साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। इसलिए परेशानी समझ आने पर डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।
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एब्डॉमिनल स्ट्रेन से बचाव कैसे संभव है? (Tips to prevent abdominal strain)
एब्डॉमिनल स्ट्रेन से बचाव के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें। जैसे:
- एक्सरसाइज करने के पहले वॉर्मउप (Worm up) करें।
- एक्सरसाइज के बाद कूलडाउन (Cooldown) जरूर करें।
- सप्ताह में कम से कम एक दिन मसल्स (Muscles) को आराम जरूर दें।
- एक्सरसाइज (Workout) की इंटेंसिटी को बढ़ाने के दौरान यह हमेशा ध्यान रखें कि एकबार में तेजी से एक्सरसाइज ना करें।
- बॉडी पॉश्चर (Body posture) हमेशा सही रखें।
इन पांच बातों को ध्यान में रखकर एब्डॉमिनल स्ट्रेन से बचने में मदद मिल सकती है। इसलिए अब जबभी आप एक्सरसाइज करें या किसी भी तेजी से की जाने वाली एक्टिविटी को अपने शारीरिक क्षमता (Physical estemina) के अनुसार ही करें।
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डॉक्टर से कब कंसल्ट करना जरूरी है? (Consult Doctor if-)
- चलने में तकलीफ (Difficulty walking) महसूस होना।
- डेली एक्टिविटी (Daily activities) या सोने (Sleeping) के वक्त दर्द महसूस होना।
- हर्निया के लक्षण (Hernia symptoms) नजर आना।
इन स्थितियों में डॉक्टर से संपर्क करने में देरी ना करें।
एब्डॉमिनल स्ट्रेन (Abdominal strain) की समस्या कुछ खास स्थितियों में शुरू हो सकती है। इसलिए इसके कारणों को समझकर इस परेशानी से बचने में मदद मिल सकती है। वहीं अगर आप एब्डॉमिनल स्ट्रेन के लक्षण काफी समय से महसूस कर रहें हैं, तो देरी ना करें और हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लें।
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