ऐसी स्थिति होने पर एब्डॉमिनल स्ट्रेन की समस्या शुरू हो सकती है। अगर ऐसी स्थिति होने पर और एब्डॉमिनल स्ट्रेन के लक्षण नजर आने पर डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।
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एब्डॉमिनल स्ट्रेन का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Abdominal Strain)
एब्डॉमिनल स्ट्रेन के निदान के लिए जब आप डॉक्टर से कंसल्टेशन करते हैं, तो डॉक्टर सबसे पहले पेशेंट की मेडिकल कंडिशन एवं बीमारी के लक्षण को समझते हैं। इसके बाद डॉक्टर पेशेंट से तकलीफों को समझकर टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। एब्डॉमिनल स्ट्रेन की स्थिति समझ आने पर एक्स-रे किया जाता है, जिससे रिबकेज इंजरी (Ribcage injuries), स्पाइनल फ्रैक्चर (Spinal fractures) या ब्रोकेन बोन (Broken bones) की जानकारी मिलती है। इन टेस्ट रिपोर्ट्स को ध्यान में रखकर इलाज शुरू करते हैं।
एब्डॉमिनल स्ट्रेन का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for abdominal strain)
एब्डॉमिनल स्ट्रेन का इलाज निम्नलिखित तरह से किया जा सकता है। जैसे:
- कोल्ड थेरिपी (Cold therapy)- ब्लीडिंग (Bleeding), पेन (Pain) और सूजन (Swelling) की समस्या होने पर कोल्ड थेरिपी की मदद ली जा सकती है।
- हीट थेरिपी (Heat therapy)- मसल टेंशन को दूर करने के लिए हीट थेरिपी की मदद ली जा सकती है।
- एब्डॉमिनल स्ट्रेन होने पर दर्द की समस्या अगर ज्यादा हो, तो ओवर-द-काउंटर (OTC) मिलने वाली दर्द की दवा का सेवन किया जा सकता है।
- आवश्यकता पड़ने पर एब्डॉमिनल बाइंडर (Abdominal binder) के इस्तेमाल की सलाह डॉक्टर दे सकते हैं।
- डॉक्टर पेशेंट को आराम (Rest) करने की भी सलाह देते हैं।
इन अलग-अलग तरहों से एब्डॉमिनल स्ट्रेन का इलाज किया जाता है। इलाज के दौरान डॉक्टर पेशेंट से उनकी शारीरिक स्थितियों को बारे में समझते रहते हैं, जिससे सही इलाज करने में सुविधा होती है और मरीज भी जल्द स्थिक हो जाता है।
नोट : दर्द की दवाओं का सेवन अपनी मर्जी से ना करें, क्योंकि इनके साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। इसलिए परेशानी समझ आने पर डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।
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एब्डॉमिनल स्ट्रेन से बचाव कैसे संभव है? (Tips to prevent abdominal strain)
एब्डॉमिनल स्ट्रेन से बचाव के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें। जैसे: