कारण
हमारी आंतों में ऐसे कई हज़ारों बैक्टीरिया हैं जो भोजन को पचाने में मदद करते हैं। जब एंटीबायोटिकस हानिकारक बैक्टीरिया (जो इंफेक्शन का कारण हैं) को नष्ट करते हैं, तो उसके साथ ही वो अच्छे बैक्टीरिया को भी नष्ट कर देते हैं। डायरिया का कारण यह बैक्टीरिया एक बार नष्ट हो जाते हैं लेकिन फिर से आंतों में पनप सकते हैं। इसका अर्थ है कि एंटीबायोटिक से संबंधित डायरिया तब होता है जब जठरांत्र पथ (gastrointestinal tract) में अच्छे और बुरे बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ जाए। यानी, इस डायरिया कर कारण बैक्टीरिया ही है।
जो बैक्टीरिया इस रोग का कारण हैं वो इस प्रकार हैं:
- सेफालोस्पोरिन्स, जैसे कि सेफडिनिर और सेफडोडॉक्साइम
- पेनिसिलिन, जैसे एमोक्सिसिलिन और एम्पीसिलीन
जोखिम
एंटीबायोटिक से संबंधित डायरिया किसी भी व्यक्ति को हो सकता है, जो भी एंटीबायोटिक्स लेता है। लेकिन एंटीबायोटिक से संबंधित डायरिया होने के जोखिम इन स्थितियों में बढ़ सकता है:
- अगर आपको पहले एंटीबायोटिक से संबंधित डायरिया की समस्या है।
- अगर आप अधिक समय से एंटीबायोटिक दवाईयां ले रहे हैं।
- अगर आप एक से अधिक एंटीबायोटिक दवाई ले रहे हों।
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उपचार
एंटीबायोटिक से संबंधित डायरिया के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपसे इसके लक्षण और आपके स्वास्थ्य के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही आपके एंटीबायोटिक उपचार के बारे में भी जानकारी ली जायेगी। अगर आपके डॉक्टर को यह संदेह होगा कि आपको C. डिफ़्फीसिल इंफेक्शन है तो आपके मल का सैंपल लिया जा सकता है, ताकि जीवाणुओं का टेस्ट किया जा सके।
एंटीबायोटिक से संबंधित डायरिया का उपचार इसके लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है: