के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
जब ब्लड में बिलिरुबिन (Bilirubin) का स्तर बढ़ जाता है, तो त्वचा, नाखून और आंखों का सफेद भाग पीला नजर आने लगता है, इस स्थिति को पीलिया या जॉन्डिस (Jaundice) कहते हैं। बिलिरुबिन पीले रंग का पदार्थ होता है। ये ब्लड सेल्स में पाया जाता है। जब ये कोशिकाएं मृत हो जाती हैं, तो लिवर इन्हें ब्लड से फिल्टर कर देता है। लेकिन लिवर में कुछ दिक्कत होने के चलते लीवर ये प्रक्रिया ठीक से नहीं कर पाता है और बिलिरुबिन की स्तर बढ़ने लगता है। लिवर की बीमारी से ग्रस्त लोगों को भी इस समस्या से गुजरना पड़ता है।
और पढ़ें: बाधक पीलिया (Obstructive jaundice) क्या है?
पीलिया एक ऐसी स्थिति है, जो लिवर की समस्या होने पर सामने आती है। यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। हालांकि, नवजात शिशुओं में पीलिया (Jaundice) होना काफी आम होता है, क्योंकि नवजात शिशुओं का लिवर पूरी तरह विकसित नहीं हुआ होता। हालांकि यह जल्दी ठीक भी हो जाता है। लेकिन अगर ऐसा न हो, तो ये गंभीर हो सकता है। ऐसा होने पर आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
और पढ़ें : Scabies : स्केबीज क्या है?
आमतौर पर इस बीमारी की वजह से मरीज की त्वचा और आंखों का सफेद भाग पीला पड़ जाता है। इसके अलावा, इस बीमारी के कुछ अन्य लक्षण हैं, जो हम नीचे बता रहे हैं :
इसके अलावा, ऊपर बताए गए लक्षणों से हटकर भी पीलिया के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर से सलाह जरूर करें।
और पढ़ें : Lyme disease: लाइम डिजीज क्या है?
वहीं, वयस्कों में त्वचा का पीला पड़ना लिवर की बीमारी (Liver disease) का सीधा संकेत होता है। हालांकि, हर व्यक्ति का शरीर ऐसे मामलों में अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया देता है, अगर आपको ऐसी कोई भी परेशानी है, तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
और पढ़ें : Lymphogranuloma Venereum: लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम क्या है?
जैसा कि हमने बताया, जब शरीर में बिलिरुबीन का स्तर जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है, तो पीलिया की बीमारी होती है। बिलिरुबिन पीले रंग का पदार्थ होता है। ये ब्लड सेल्स में पाया जाता है। जब ये कोशिकाएं मृत हो जाती हैं, तो लीवर इन्हें ब्लड (Blood) से फिल्टर कर देता है। लेकिन, लीवर में कुछ दिक्कत होने के चलते यह ठीक से काम नहीं कर पाता है। बिलिरुबिन (Bilirubin) तब बढ़ता है, जब लिवर खराब हो गया हो या लिवर में किसी तरह की इंज्युरी हो।
बिलिरुबिन का अत्यधिक स्तर बच्चों के लिए पीलिया (Jaundice) घातक है। इससे उन्हें दिमागी समस्या हो सकती है। समय से पहले पैदा हुए बच्चों को पीलिया होने की ज्यादा संभावना होती है।
वहीं, कई मामलों में इंफेक्शन (Infection), खून संबंधी परेशानी और मां के दूध संबंधी परेशानियों से भी पीलिया (Jaundice) हो सकता है। कई बार मां का दूध लिवर को बिलिरुबिन निकालने की प्रोसेस में बाधा पैदा कर देता है। ऐसा पीलिया कुछ दिनों से हफ्तों तक रह सकता है।
और पढ़ें : Ulcerative colitis : अल्सरेटिव कोलाइटिस क्या है? जाने इसके कारण ,लक्षण और उपाय
स्वस्थ रहने के लिए अपने दिनचर्या में योगासन शामिल करें।
और पढ़ें : Metabolic syndrome: मेटाबोलिक सिंड्रोम क्या है?
डॉक्टर खून की जांच कर बिलिरुबिन का स्तर पता कर सकता है। वहीं, व्यस्कों में नीचे बताए टेस्ट से इसका पता लगाया जा सकता है :
और पढ़ें : Morning sickness: मॉर्निंग सिकनेस क्या है?
व्यस्कों में पीलिया की प्रमुख वजह पता लगाकर उसका उपचार किया जाता है, जबकि बच्चों के ज्यादातर मामलों में उपचार की जरूरत नहीं पड़ती। अगर बच्चों के मामले में उपचार करना भी पड़ जाए, तो सबसे बेहतर विकल्प होता है फोटोथैरिपी (Phototherapy)। इसमें बच्चे के कपड़े हटाकर उसे एक लाइट के नीचे रख दिया जाता है और आंखों को ढक दिया जाता है। इसके बाद, मशीन से निकली किरणें अतिरिक्त बिलिरुबिन (Bilirubin) को आसानी से हटा देती हैं। इस प्रोसेस को पूरा होने में दो दिन लगते हैं।
[mc4wp_form id=”183492″]
और पढ़ें : Multiple Sclerosis : मल्टिपल स्क्लेरोसिस क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।