
शरीर में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया व्यक्ति को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। ठीक वैसे ही, व्यक्ति के शरीर में मौजूद गट (आंत) में भी अच्छे बैक्टेरिया होते हैं, जो बीमारी से बचने में साथ निभाते हैं। लेकिन, असंतुलित आहार और बदलती लाइफस्टाइल की वजह से गट में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसी स्थिति में गट से जुड़ी परेशानी शुरू हो सकती है, जिसका बुरा असर संपूर्ण शरीर पर पड़ता है। लेकिन, गट को लेकर कई ऐसे मिथक हैं, जिन पर लोग भरोसा करते हैं। आज इस आर्टिकल में हम आपको गट से जुड़े मिथ और इसके तथ्य के बारे में बताएंगे।
गट क्या है?
गट को अगर सामान्य भाषा में समझा जाये तो पेट में मौजूद आंत का पूरा सिस्टम गट कहलाता है। मानव शरीर में दो तरह के बैक्टीरिया मौजूद होते हैं। गुड और बैड बैक्टीरिया। एक्सपर्ट्स के अनुसार जिस तरह शरीर के अन्य हिस्से में अच्छे बैक्टीरिया होते हैं ठीक वैसे ही गट में भी अच्छे बैक्टेरिया मौजूद होते हैं। यही अच्छे बैक्टीरिया लोगों को बीमारी से दूर रखने में मदद करते हैं। लेकिन, असंतुलित आहार और बदलती लाइफस्टाइल इन पर बुरा प्रभाव डालती हैं। ऐसी स्थिति में गट से जुड़ी परेशानी शुरू हो सकती है, जिसका बुरा प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता सकता है।
और पढ़ें : क्या एंटीबायोटिक्स कर सकती हैं गट बैक्टीरिया को प्रभावित?
आइए जानते हैं गट से जुड़े मिथ और फैक्ट क्या हैं?
गट से जुड़े मिथ 1. गट को स्वस्थ रखने के लिए आराम करना जरूरी है?
तनाव का असर सिर्फ मस्तिष्क पर ही नहीं पड़ता है बल्कि, इसका बुरा असर गट पर भी पड़ता है। इसलिए, शरीर को आराम देना जरूरी है। आराम करने से आप रिलैक्स महसूस करने के साथ-साथ स्वस्थ भी रहेंगे।
गट से जुड़े मिथ 2. पेट से आवाज (गड़गड़ाहट) आना भूख लगने का संकेत है?
कभी-कभी पेट से आवाज आने के कारण भूख लगने का संकेत माना जा सकता है। लेकिन, गड़गड़ाहट की आवाज का हमेशा भूख लगना ही इशारा नहीं करता है। ऐसा कभी-कभी गट में गैस बनने की वजह से भी होता है।
गट से जुड़े मिथ 3. प्रोबायोटिक का सेवन गट के लिए लाभदायक होता है?
गट की परेशानी से बचने के लिए या गट को स्वस्थ रखने के लिए प्रोबायोटिक का उपयोग करना सही माना जाता है। लेकिन, प्रोबायोटिक प्रोडक्ट की जांच अवश्य करें। दरअसल, गट में मौजूद अच्छे बैक्टेरिया को संतुलित रखने में प्रोबायोटिक प्रोडक्ट मदद करते हैं, पर ज्यादा प्रोबायोटिक का सेवन अच्छे बैक्टेरिया का संतुलन बिगाड़ सकता है। बाजार से प्रोबायोटिक प्रोडक्ट खरीदते समय ध्यान रखें। पैकेट पर लिखे गए नोट या फूड कंपोनेंट को जरूर पढ़ें।
गट से जुड़े मिथ 4. सब्जियों की तुलना में मीट को डाइजेस्ट करने में ज्यादा वक्त लगता है?
हम एक दूसरे से ये कहते हुए सुनते हैं कि आज मीट खा लिया है, इसलिए पचने में ज्यादा वक्त लगेगा। यह धारणा बिल्कुल गलत है। सब्जी हो या मीट, दोनों को ही पचने में एक जैसा वक्त ही लगता है। मीट में मौजूद फैट की वजह से ऐसा समझा जा सकता कि पाचन में देरी हो सकती है लेकिन, यह गलत है। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, अगर किसी खाद्य पदार्थ से एलर्जी है, तो पाचन में परेशानी हो सकती है।
गट से जुड़े मिथ 5. च्युइंग गम को पचने में सात साल का वक्त लग सकता है?
यह धारणा पूरी तरह से गलत है। दरअसल, च्युइंग गम को गट से गुजरने में वक्त लगता है लेकिन, सात दिनों में यह डाइजेस्ट हो जाता है।
गट से जुड़े मिथ 6. खाने-पीने की चीजों की वजह से कमजोरी महसूस होना?
जब डाइजेशन में परेशानी होती है तो, शरीर से सेरोटोनिन की तरह न्यूरोट्रांसमीटर का उत्पादन हो सकता है। सेरोटोनिन के लेवल में आई कमी चिंता, डिप्रेशन (अवसाद) और अन्य मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है लेकिन, संतुलित और पौष्टिक आहार गट पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
और पढ़ें : 4-7-8 ब्रीदिंग तकनीक, तनाव और चिंता दूर करेंगी ये एक्सरसाइज
गट से जुड़े मिथ 7. मसालेदार खाने से अल्सर हो सकता है?
मसालेदार खाने से अल्सर के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं लेकिन, वास्तव में इससे अल्सर नहीं हो सकता है। आहार विशेषज्ञों के अनुसार, पेट के अल्सर ज्यादातर हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (Helicobacter pylori) की उपस्थिति के कारण होता है।
गट से जुड़े मिथ 8. गट को स्वस्थ रखने के लिए फाइबर का सेवन ज्यादा करना चाहिए?
यह सच है कि फाइबर का सेवन हमारे पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है। लेकिन, सच यह भी है कि किसी भी चीज का जरूरत से ज्यादा सेवन नुकसान पहुंचा सकता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, इर्रिटेबल बॉउल सिंड्रोम (IBS) जैसी समस्या होने पर संतुलित फाइबर का सेवन ही करना अनिवार्य होता है।
गट से जुड़े मिथ 9. नो न्यूज इस गुड न्यूज
पेट से आवाज आना सामान्य है। लेकिन, अगर कोई आवाज न आये तो ये गुड न्यूज नहीं है। पेट से आने वाली आवाज आंतों के अंदर होने वाले मूवमेंट की ओर इशारा करती है , जो जरूरी है। इसलिए ऐसी धारणा न पालें की आगे पेट से आवाज नहीं आ रही तो सब कुछ अच्छा है।
और पढ़ें : क्या आप जानते हैं क्रैब डायट के बारे में?
ये हुए गट से जुड़े मिथ लेकिन, गट को हेल्दी रखना बेहद जरूरी है। इसलिए अपने आहार पर विशेष ध्यान दें। जैसे-
- वयस्क लोगों को एक दिन में कम से कम 2 से 3 लीटर पानी पीना चाहिए। शरीर में पानी की मौजूदगी आपको डिहाइड्रेशन की समस्या से बचाये रखेगी। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार शरीर में मौजूद पानी गट में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को संतुलित रहने में मदद करता है। जिससे आप गट संबंधी परेशानी से बच सकते हैं।
- कुछ लोग खाना खाने में काफी जल्दबाजी करते हैं। ऐसा न करें और खाने को ठीक तरह से चबाकर और धीरे-धीरे खायें। अच्छी तरह से चबाकर खाने से डायजेशन बेहतर रहता है। जिससे आपका गट भी स्वस्थ रहता है।
- गट को स्वस्थ रखने के लिए अच्छी नींद भी बहुत जरूरी है। इसलिए रोजाना 7 से 8 घंटे की नींद अवश्य लें। इससे डायजेशन बेहतर रहेगा और आप अच्छा महसूस करेंगे। नींद पूरी होने पर आप अपने काम पर ध्यान केंद्रित आसानी से कर सकते हैं।
गट को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन करना जरूरी है और अगर फिर भी परेशानी महसूस हो या अगर आप गट से जुड़े मिथ के बारे में कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है