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प्रेग्नेंसी के डर को दूर भगाने के लिए अपनाएं ये उपाय

प्रेग्नेंसी के डर को दूर भगाने के लिए अपनाएं ये उपाय

नौ महीनों की परेशानियां और उसके बाद डिलिवरी में होने वाली तकलीफ के चलते कई महिलाएं प्रेग्नेंसी और डिलिवरी से काफी डरी रहती हैं। इसलिए ऐसा देखा जाता है कि वे शादी के बहुत सालों तक प्रेग्नेंसी को टालती रहती हैं। वैसे प्रेग्नेंसी के डर रहना महिलाओं के लिए सामान्य है। मेरे कॉलेज की एक फ्रेंड (आकांक्षा, बदला हुआ नाम, दिल्ली) हाल ही में दो प्यारी ट्विन्स की मां बनी हैं, बताती हैं कि “मैंने प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीनों में अपना 7 किलो वजन कम किया। पूरे प्रेग्नेंसी पीरियड में मैं वजन को लेकर काफी डरी रहती थी। उस दौरान जो भी खाती वो वोमिट से बाहर निकल जाता था। जिसके कारण पेट में कुछ बच नहीं पाता था। इसीलिए मुझे फिर एंटी-नौसेआ दिया गया जिससे मैं बाकी का प्रेग्नेंसी पीरियड आसान से पूरा हो सका”।

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कई प्रेग्नेंसी काउंसलर कहते हैं कि महिलाओं का प्रेग्नेंसी को लेकर डरना कोई बहुत बड़ी समस्या नहीं है। महिलाओं में प्रेग्नेंसी के डर होने पर मेडिकल टर्म में इसे टोकोफोबिया कहते हैं। ज्यादातर प्रेग्नेंसी का डर उन महिलाओं में होता है जो पहली बार गर्भवती होती हैं। नई दिल्ली के शांता आईवीएफ सेंटर की विशेषज्ञ और फर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉ. अनुभा सिंह से हैलो स्वास्थ्य ने जानने की कोशिश की कि प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले डर से कैसे बचें? 

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प्रेग्नेंसी के डर को क्या कहते हैं?

प्रेग्नेंसी के डर को टोकोफोबिया यानी प्रग्नेंसी का डर (पैथोलॉजिकल) कहेंगे। जिन महिलाओं को डिलिवरी का नाम सुनकर डर लगता है, उन्हें अक्सर इस फोबिया से गुजरना पड़ता है। प्रेग्नेंसी का डर उन महिलाओं को हो सकता है जिन्होंने किसी महिला का प्रेग्नेंसी के दौरान का दर्दनाक किस्सा सुना हो। आजकल सोशल मीडिया के समय में लोग अक्सर अपनी डिलिवरी के किस्से शेयर करते हैं। कुछ दर्दनाक वीडियो देखकर भी महिलाओं को डर का अनुभव हो सकता है। प्रेग्नेंसी का डर किसी भी महिला को हो सकता है। रिसर्च के मुताबिक 22 प्रतिशत से अधिक महिलाएं इस समस्या से पीड़ित हैं।

प्रेग्नेंसी के डर या टोकोफोबिया के क्या लक्षण हैं?

कुछ महिलाएं गर्भावस्था को बहुत कठिन मानती हैं। उनके मन में प्रेग्नेंसी का डर बैठ जाता है। इसी कारण से चिंता, अनिद्रा, नींद न आना, खाने से संबंधित विकार और प्रसव के पहले का अवसाद आदि लक्षण दिखाई दे सकते हैं। टोकोफोबिया (प्रेग्नेंसी का डर) से पीड़ित महिलाएं प्रसव के दर्द से बचने के लिए सिजेरियन सेक्शन का चुनाव भी कर सकती हैं।

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प्रेग्नेंसी का डर महिला की फैमिली को भी करता है परेशान

अगर किसी भी महिला को प्रेग्नेंसी का डर या टोकोफोबिया है तो यह स्थिति उसके परिवार के लिए भी उतनी ही परेशानी वाली है। इस समस्या से पीड़ित महिला मां बनने से घबराती है। पति या फिर परिवार के चाहते हुए भी वो इस बारे में नहीं सोचना चाहती है। अगर आपके परिवार में भी किसी को इस तरह की समस्या है तो कोशिश करें कि उसे प्रेग्नेंसी के बारे में सही जानकारी उपलब्ध कराई जाए। साथ ही उन्हें विश्वास दिलाया जाए कि उन्हें प्रभावी उपचार मुहैया कराया जाएगा। ताकि प्रेग्नेंसी का डर उसके अंदर से निकल सके।

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प्रेग्नेंसी के डर का इलाज क्या है?

  1. इस समस्या से निपटने के लिए कई महिलाओं ने मैटरनिटी वार्ड विजिट किया और प्रसूति रोग विशेषज्ञों से बातचीत की। उन्होंने महसूस किया कि जितना कुछ हमने प्रेग्नेंसी के डर के बारे में सुन रखा था ऐसा कुछ भी नहीं है। फिर उन महिलाओं को यकीन हो गया कि वे अकेली नहीं हैं और प्रेग्नेंसी का डर उनके अंदर से जाने लगा।
  2. इस समस्या से पीड़ित महिलाओं के लिए क्लीनिकल केयर उपलब्ध है। वहां महिलाओं की देखभाल की जाती है। साथ ही उनके पिछले अनुभव के बारे में जानकारी लेकर उन्हें आश्वस्त कराया जाता है कि उन्हें भविष्य में इस तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। प्राइमरी टोकोफोबिया का इलाज करने में आसानी रहती है। वहीं अन्य महिलाओं के लिए टारगेट ट्रीटमेंट प्लान किया जा सकता है। कई बार काउंसलिंग भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

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प्रेग्नेंसी के डर से हैं परेशान तो इन तरीकों को अपनाएं

प्रेग्नेंसी के डर को भगाने के लिए काउंसलर और मांओं से बात करें

प्रेग्नेंसी स्टेजेस से आप डर रही हैं या प्रेग्नेंसी का डर सता रहा है या डिलिवरी के दर्द से चिंतित हैं तो आपको अपने हेल्थ काउंसलर के पास जाना चाहिए। डॉक्टर या काउंसलर ही प्रेग्नेंसी का डर खत्म करने महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इसके अलावा आप ऐसी महिलाओं से बात कर सकती हैं जो गर्भावस्था के पीरियड से बाहर आ चुकी हैं। इनसे बात करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। उनके अच्छे अनुभवों को सुनकर भी प्रेग्नेंसी का डर भाग सकता है।

प्रेग्नेंसी के डर को भगा सकता है पार्टनर का साथ 

महिला अगर किसी तरह की प्रेग्नेंसी से संबंधित समस्या से गुजर रही है तो इससे बाहर निकालने में पार्टनर मदद कर सकता है क्‍योंकि भावनात्मक स्तर पर वह महिला को अच्छी तरह समझता है। इस बात को समझें कि जब तक आप उन्‍हें बताएंगी नहीं वो आपके अंदर छिपे प्रेग्नेंसी के डर को कैसे बाहर निकाल पाएंगे? अगर आपकी महिला पार्टनर प्रेग्नेंसी के डर से परेशान है तो आपको चाहिए उन्हें हर तरह से मदद करें।

पॉजिटिव सोच प्रेग्नेंसी के डर से रखेगी दूर

कहते हैं कि सकरात्मक सोच हर मर्ज की दवा है। प्रेग्नेंसी के डर से परेशान होने के बजाए आपको पॉजिटिव सोच बनाकर रखनी चाहिए। आपको ये भी सोचना और समझना चाहिए कि पुराने जमाने में महिलाएं बिना किसी मेडिकल सहायता के डिलिवरी के दौर से आराम से गुजरती थी। फिर आपको तो अब इतनी सारी मेडिकल सुविधाएं उपलब्‍ध हैं, फिर प्रेग्नेंसी का डर मन से निकाल दें। बस यह सोचें कि यह ‘स्टेज ऑफ लाइफ’ है।

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जितना हो सके प्रेग्नेंसी से लेकर डिलिवरी के बारे में सभी प्रकार की जानकारी इकट्ठा करें। शिशु के जन्म होने से संबधित सभी जानकारी टीवी, हेल्थ शो या अच्छी किताबों से प्राप्‍त करें। आप डॉक्टर की सलाह भी ले सकती हैं। 

जानें इस  समस्या का क्या है इलाज

यदि कोई महिला टोकोफोबिया की बीमारी से ग्रसित है, तो ऐसे में उस महिला का इलाज किया जाना अहम होता है। ताकि जच्चा-बच्चा की सुरक्षा की जा सके। ऐसे में महिला को गायनकोलॉजिस्ट से सलाह लेने के साथ मनोचिकित्सक से भी सलाह लेने की आवश्यकता होती है। 

मामले में मेटेर्नल हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स भी पीड़ित महिला को सही जानकारी के साथ हेल्थ केयर उपलब्ध कराकर उन्हें बेहतर फील कराते हैं। ताकि महिला को शिशु को जन्म देने में किसी प्रकार की कोई परेशानी न आए।

थेरेपी भी है कारगर, जानें इसके बारे में

कंजीनिटिव बिहेवियर थेरेपी और साइकोथेरेपी भी टोकोफोबिया के इलाज में काफी कारगर है। इस बीमारी का इलाज करने के लिए सीबीटी अच्छा माध्यम हो सकता है। एक शोध के अनुसार इसके इफेक्टिवनेस को सही बताया है। इस प्रक्रिया को अपनाने से उनमें डर कम होने के साथ इस बीमारी की समस्या के लक्षणों में भी कमी आती है। लेकिन मौजूदा समय में बेहद कम ही महिलाएं हैं जिन्होंने सीबीटी ट्रीटमेंट पूरा किया है। 

जानें इस बीमारी से पीड़ित महिलाओं में दवा है कारगर

इस बीमारी के साथ या फिर डिप्रेशन, एंजायटी या अन्य साइकेट्रिक डिसऑर्डर से बचाव के लिए एक्सपर्ट दवा का भी सुझाव देते हैं। वहीं दवा भी काफी कारगर है, ऐसे में जरूरी है कि बीमारी से पीड़ित महिलाओं को एक्सपर्ट की सलाह लेनी चाहिए। ताकि दवा का सेवन कर बीमारी से निजात पा सकें। जानें इसके अलावा महिलाओं को क्या-क्या करना चाहिए

  • मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से लेनी चाहिए सलाह
  • पेरेंटल सपोर्ट क्लासेस में लेना चाहिए हिस्सा
  • शिशु की मौत को लेकर डरावने कहानी को नहीं सुनना चाहिए, यदि कोई कहे तो उनसे दूरी बनाए या बात घुमा दें
  • बर्थ प्लान की तैयारी करें
  • अपनी फीलिंग्स को दोस्तों और परिजनों से शेयर करना चाहिए
  • डर से बाहर निकलने की कोशिश करनी चाहिए

बीमारी है काफी रेयर, लें डॉक्टर सलाह

एक्सपर्ट बताते हैं कि यह बीमारी काफी रेयर बीमारी है। लेकिन इस बीमारी का महिला के जीवन व उसके रोजमर्रा के क्रियाक्लापों पर काफी असर पड़ता है। वैसी महिलाएं जिन्होंने शिशु के जन्म को लेकर डरावनी कहानी सुनी होती है वो शिशु को जन्म देने से घबराती हैं, यही कारण है कि वो गर्भवती भी नहीं होना चाहती है। लेकिन महिला को सही समय पर सही सपोर्ट और ट्रीटमेंट दिया जाए तो वो इन तमाम समस्याओं से निजात पा सकती है। इसके लिए जरूरी है कि सही समय पर एक्सपर्ट की सलाह ली जाए। ताकि इस बीमारी से बचाव किया जा सके और लक्षणों को कम किया जा सके।

हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Fear of pregnancy and childbirth https://pmj.bmj.com/content/79/935/505 Accessed on October, 2019

Calming Your Labor and Delivery Fears https://www.webmd.com/baby/features/calming-your-labor-and-delivery-fears Accessed on October, 2019

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Tokophobia: what it’s like to have a phobia of pregnancy and childbirth https://theconversation.com/tokophobia-what-its-like-to-have-a-phobia-of-pregnancy-and-childbirth-91271 Accessed on January 02, 2020

 

Current Version

12/03/2021

Nikhil Kumar द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar

Updated by: Nikhil deore


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Nikhil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 12/03/2021

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