प्रेग्नेंसी वीक 37 में गर्भस्थ शिशु का विकास
प्रेग्नेंसी का 37वां हफ्ता : इस समय में मेरे शिशु का विकास कैसा है? (Pregnancy Week 37 in hindi)
प्रेग्नेंसी का 37वां हफ्ता के दौरान आपका शिशु बहुत तेजी से विकसित हो रहा होता है। प्रेग्नेंसी के 37 हफ्ते में आपके शिशु की लंबाई 48 सेंटीमीटर और वजन 2.85 किलोग्राम हो जाता है। 37 हफ्ते की गर्भवती के गर्भ में शिशु का विकास इतना हो चुका होता है, कि वो अपनी उंगलियों को पकड़ सकता है। अगर आपके पेट की तरफ रौशनी की जाती है, तो आपका शिशु गर्भ में उसकी तरफ आकर्षित होने लगता है।
हालांकि, अभी शिशु को पूरी तरह मैच्योर होने के लिए कुछ हफ्ते और लगेंगे। अगर, आप सी-सेक्शन सर्जरी से शिशु की डिलिवरी करवाना चाह रही हैं, तो इसे गर्भावस्था के 39वे सप्ताह के बाद करवाने की सोचें। प्रेग्नेंसी वीक 37 में आपके शिशु का सिर धीरे-धीरे पेल्विस की तरफ नीचे जाने लगता है। अगर आपके शिशु का सिर नीचे की तरफ नहीं है, बल्कि ऊपर की तरफ है, तो इस बारे में एक्सपर्ट सलाह के लिए डॉक्टर से बात करें।
पूरी गर्भावस्था के दौरान आपका शरीर स्टेम सेल (Stem Cells) को प्लासेंटा की मदद से शिशु के साथ शेयर करता है। जन्म के बाद यह प्रक्रिया ब्रेस्ट मिल्क के द्वारा होती है। लेबर के तीसरे चरण में आपका शिशु भी अपनी स्टेम सेल को आप से शेयर करता है, इस चरण को प्लासेंटा स्टेज भी कहते हैं। स्टेम सेल शरीर की जरूरत के हिसाब से किसी भी प्रकार की सेल में बदल सकती हैं। इनका इस्तेमाल क्षतिग्रस्त टिश्यू, हड्डी, बोन मैरो और त्वचा के लिए किया जा सकता है। आपके शिशु की स्टेम सेल आपके खून के द्वारा शरीर के उन भागों में पहुंचती हैं, जिन्हें मरम्मत करने की जरूरत होती है। यह सेल बच्चे के जन्म के कई दशकों बाद भी आपके दिल और दिमाग में पाई जा सकती हैं। कई रिसर्च में यह देखा गया है कि जो महिलाएं लड़के को जन्म देती हैं, उनमें मेल स्टेम सेल होती हैं।
और पढ़ें- डिलिवरी के कितने समय बाद सेक्स करना चाहिए?
प्रेग्नेंसी वीक 37 में शारीरिक और दैनिक जीवन में परिवर्तन
प्रेग्नेंसी वीक 37 के दौरान मेरे शरीर में क्या-क्या बदलाव आते हैं? (Body Changes in Pregnancy Week 37 in hindi)
जैसे-जैसे आप ड्यू डेट के पास जाती हैं, तो आपको फेक कॉन्ट्रैक्शन ज्यादा महसूस होने लगते हैं। इसे ब्रेक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शन भी कहते हैं। इसलिए, अगर आप इस समय इस कॉन्ट्रैक्शन को महसूस कर रही हैं, तो इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। बस आपको इनके ज्यादा नियमित होने पर मोनिटर करने की जरूरत है। इनके होने की अवधि ज्यादा हो सकती है, जिससे आपको असुविधा हो सकती है। इसलिए, आपको हर समय इसके लिए मानसिक तौर पर तैयार रहना होगा।
प्रेग्नेंसी वीक 37 के दौरान आपको नींद लेने में समस्या हो सकती है। अगर, आप रात में ठीक से नहीं सो पा रही हैं, तो आपको दिन में कुछ देर सोने की कोशिश करनी चाहिए। इससे आपको ज्यादा एनर्जेटिक रहने में मदद मिलेगी। इस समय गर्भवती महिलाओं को न सिर्फ सोने में दिक्कत होती है, बल्कि इंटेंस ड्रिम भी आती हैं। लेकिन, यह सब आपके शरीर में आए अचानक बदलावों की वजह से होता है, इसलिए घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले इन सभी शारीरिक बदलावों के साथ आप अपने शिशु की हलचल पर भी बारीकी से नजर बनाए रखें। अगर आपको उसकी हलचल में कमी दिखती है, तो तुरंत अपने डॉक्टर को सूचित करें। गर्भाशय में शिशु के आकार की वजह से उसके पैर या हाथ मारने की जगह नहीं बन पाती। लेकिन, आपको शिशु के स्ट्रेच, करवट या हरकत महसूस होती रहेगी।
और पढ़ें- जानिए क्या हैं गर्भपात से जुड़े मिथ और उनकी सच्चाई
प्रेग्नेंसी वीक 37 के दौरान मुझे किन बातों के बारे में जानकारी होनी चाहिए?
प्रेग्नेंसी वीक 37 या गर्भावस्था के आखिरी महीने में आपको किसी भी असामान्य लक्षण की तरफ ज्यादा ध्यान देना पड़ेगा। अगर आपको प्री-लेबर के किसी संकेत के बारे में चिंता है, तो अपने डॉक्टर से बात करें।
अगर आपको प्रेग्नेंसी के लास्ट मंथ में ब्लीडिंग के स्पॉट दिखते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से बात करें। यह स्पॉटिंग सर्वाइकल म्यूकस प्लग के रिलीज होने के कारण हो सकती है। यह प्लग एक मोटा म्यूकस होता है, जो सर्वाइकल कैनाल और यूट्रस के बीच अवरोधक बनता है। इसे ब्लडी शो भी कहा जाता है। इसका मतलब है कि आपका लेबर कुछ दिन या हफ्तों में शुरू हो सकता है।
अगर आपको बार-बार गंभीर दर्द हो रहा है, तो अपने डॉक्टर से बात करें। क्योंकि, यह प्लासेंटा में दरार पड़ने का असामान्य संकेत हो सकता है। इसके अन्य लक्षणों में बुखार, वजाइनल डिस्चार्ज और इंफेक्शन हो सकता है।
प्रेग्नेंसी वीक 37 के दौरान आपके संकुचन ज्यादा नियमित और गंभीर हो जाते हैं। इसके अलावा इनके आने की अवधि कम हो जाती है। अगर आपके किसी गतिविधि को शुरू करने या रोकने अथवा पोजीशन बदलने के समय संकुचन होता है, तो डॉक्टर को बताएं, क्योंकिय यह असली लेबर हो सकता है।
जब एम्नियोटक सैक में दरार आने लगती है, तो फ्लूड बाहर निकलने लगता है। अगर, फ्लूड निकलने के ठीक बाद या पहले आपको संकुचन भी होता है, तो डॉक्टर के पास जाएं। यह संकेत करता है कि आपका शिशु डिलिवरी के लिए तैयार है।
[mc4wp_form id=’183492″]
और पढ़ें- 38 सप्ताह के शिशु की देखभाल के लिए मुझे किन जानकारियों की आवश्यकता है?
प्रेग्नेंसी वीक 37 में डॉक्टरी सलाह
प्रेग्नेंसी वीक 37 के दौरान मुझे डॉक्टर को क्या-क्या बताना चाहिए?
प्रेग्नेंसी वीक 37 में अगर आपको प्री-लेबर के संकेत या लेबर को लेकर चिंता है, तो अपने डॉक्टर को बताएं। इनके बारे में सोचने से आपको स्ट्रेस हो सकता है, जिससे आपकी डिलिवरी में समस्या आ सकती है। आपका डॉक्टर आपको इस स्ट्रेस से बचने के लिए कुछ रिलैक्सेशन एक्सरसाइज बता सकता है। इन एक्सरसाइज को आप अपने पार्टनर के साथ भी कर सकती हैं, इससे आपके और आपके पार्टनर के बीच संबंध मजबूत होता है।
और पढ़ें- प्रेग्नेंसी में इन 7 तरीकों को अपनाएं, मिलेगी स्ट्रेस से राहत
प्रेग्नेंसी वीक 37 के दौरान मुझे किन टेस्ट्स के बारे में जानकारी होनी चाहिए? (Test in Pregnancy Week 37 in hindi)
प्रेग्नेंसी वीक 37 के दौरान आपका डॉक्टर एक से ज्यादा पेल्विक टेस्ट करवाने के लिए सलाह दे सकता है। इससे डॉक्टर को आपके शिशु की गर्भ में पोजीशन के बारे में अंदाजा लग जाता है। पेल्विक एग्जामिनेशन के दौरान डॉक्टर सर्विक्स के खुलने, मुलायम या पतला होने की जांच करने के लिए आपको सर्वाइकल टेस्ट की सलाह भी दे सकता है।
प्रेग्नेंसी वीक 37 से डिलिवरी तक आपको हर हफ्ते में दो बार डॉक्टर के पास जाना चाहिए। ताकि, डॉक्टर निम्नलिखित टेस्ट्स की मदद से आपकी गर्भावस्था के विकास का पता लगा सके।
- वजन की जांच (इस समय आपका वजन बढ़ना बंद हो सकता है या घटना शुरू हो सकता है)
- ब्लड प्रेशर की जांच (दूसरी तिमाही के मुकाबले इस समय उच्च हो सकता है)
- यूरिन में ग्लूकोज और प्रोटीन की जांच
- पैरों में वेरीकोज वेन और हाथों-पैरों पर सूजन की जांच
- शिशु की हृदय गति
- बाहर से यूट्रस के आकार की जांच
- यूट्रस के ऊपरी हिस्से की लंबाई की जांच, जिसे फंडस कहते हैं
- गर्भ में शिशु की पोजीशन की जांच, ताकि डिलिवरी के समय शिशु की स्थित का पता लग सके
इसके अलावा, आप अपनी सभी शंकाओं और चिंताओं की एक लिस्ट बना सकती है, जिससे आपको डॉक्टर से पूरी जानकारी मिल पाए। इस लिस्ट में लेबर और डिलिवरी से संबंधित सवालों को भी शामिल करें। इसके साथ ही, इसमें ब्रेक्सटन हिक्स कॉन्ट्रैक्शन और प्रेग्नेंसी के असामान्य लक्षणों को भी शामिल करें।
और पढ़ें- अगर आप गर्भवती होने की कोशिश कर रही हैं तो ऑव्युलेशन के लक्षण जरूर जान लें
प्रेग्नेंसी वीक 37 में स्वास्थ्य और सुरक्षा
प्रेग्नेंसी वीक 37 के दौरान मुझको स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़ी किन बातों के बारे में जानकारी होनी चाहिए?
प्रेग्नेंसी वीक 37 के आसपास आपको यह ध्यान होना चाहिए, कि गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों की तरह ये आखिरी हफ्ते भी बहुत महत्वपूर्ण है। इन आखिरी हफ्तों में शिशु पूरी तरह से मैच्योर और विकसित होता है। हाल ही में हुए शोध के मुताबिक, डॉक्टर गर्भावस्था के 37 हफ्तों को पूरा समय नहीं मानते और इस समय सी-सेक्शन डिलिवरी करने को लेकर जल्दबाजी मानते हैं।
अगर आप प्राकृतिक तरीके से जन्म देना चाहती हैं, तो आपको स्वस्थ रहने के लिए नियमित फिटनेस रूटीन अपनाना चाहिए, जिसमें कीगल एक्सरसाइज और सांस से जुड़ी एक्सरसाइज शामिल हों। इससे आपको डिलिवरी के दिन फायदा मिलेगा।
अगले आर्टिकल में हम प्रेग्नेंसी वीक 38 के बारे में बात करेंगे।आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।
[embed-health-tool-pregnancy-weight-gain]