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एपगार स्कोर क्या होता है? जानें बच्चे के जन्म के बाद उसे कैसे दिया जाता है स्कोर

एपगार स्कोर क्या होता है? जानें बच्चे के जन्म के बाद उसे कैसे दिया जाता है स्कोर

डिलिवरी के बाद बच्चे का रोना जरूरी माना जाता है। ठीक उसी तरह से अन्य बातें भी होती हैं जो बच्चे के स्वास्थ्य के लिहाज से चेक की जाती है। बच्चे के जन्म के एक मिनट से लेकर पांच मिनट तक में एपगार स्कोर टेस्ट लिया जाता है। इस टेस्ट का उद्देश्य बच्चे की हार्ट बीट चेक करने से लेकर उसकी हलचल की जांच करना होता है। अगर बच्चे के अंदर सभी क्रियाएं सही हो रही है तो डॉक्टर एपगार स्कोर टेस्ट को बंद कर देता है। यदि बच्चा ठीक से प्रतिक्रया नहीं कर रहा है तो एपगार स्कोर टेस्ट को कई बार किया जा सकता है।

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एपगार स्कोर टेस्ट कैसे शुरू हुआ?

एपगार स्कोर सिस्टम का नाम अमेरिकी चिकित्सक वर्जीनिया एपगार के नाम पर रखा गया था। पहली बार 1960 के दशक में इस स्कोर प्रणाली को पेश किया गया था। एगपार स्कोर जन्म के समय बच्चे के पांच शारीरिक संकेतों का आकलन करने के लिए उपयोग किया जाता है। एपगार स्कोर को जीरो से लेकर 10 अंकों तक दिया जाता है।

एपगार स्कोर टेस्ट की हेल्प से बच्चे के जन्म के बाद उसकी शारीरिक जांच की जाती है। जांच के समय जिस तरह से बच्चे का शरीर काम कर रहा होता है, उसी के आधार पर स्कोर दिया जाता है। इन दिनों इस बात को लेकर बहुत विवाद है कि क्या एगपार स्कोर एक वैध उपकरण है या नहीं। इसका स्कोर बच्चे के लिए फायदेमंद साबित होता है या फिर नहीं।

पांच मिनट वाला एपगार स्कोर होता है महत्वपूर्ण

एक मिनट वाले एपगार स्कोर से कहीं ज्यादा पांच मिनट वाला एपगार स्कोर माना जाता है। ये बेबी की ओवरऑल हेल्थ को अच्छी तरह से रिफ्लेक्ट करता है। ऐसा माना जाता है कि जिस बच्चे का एपगार स्कोर आठ से 10 के बीच में है, वो बच्चा स्वस्थ्य है। जिस बच्चे का एपगार स्कोर पांच से सात के बीच में है, वो बच्चा थोड़ा अस्वस्थ्य हो सकता है। जिस बच्चे का एपगार स्कोर तीन से चार के बीच में है, वो बच्चा गंभीर समस्या से पीड़ित है। ऐसे बच्ची को तुरंत टेककेयर की जरूरत है नहीं तो खतरा हो सकता है।

एपगार स्कोर टेस्ट कैसे किया जाता है?

बच्चे के जन्म के समय मौजूद डॉक्टर एपगार स्कोर टेस्ट करते हैं।  एपगार स्कोर टेस्ट जन्म के तुरंत बाद दो बार किया जाता है। जब बच्चा एक मिनट का होता है और फिर जब बच्चे को पैदा हुए पांच मिनट हो जाते हैं। बच्चा पूर्ण रूप से प्रतिक्रिया देने में समय लगा सकता है। अगर शिशु ठीक से सांस ले रहा है तो सात मिनट की उम्र तक एपगार टेस्ट को दोहराया जा सकता है। अगर डॉक्टर को लग रहा है कि बच्चा अस्वस्थ्य है तो एपगार टेस्ट को दस मिनट में भी दोहराया जा सकता है।

जब बच्चा जन्म के तुरंत बाद रोता है और सतर्क दिखाई देता है तो अधिकांश डॉक्टर एक मिनट में नौ या 10 का स्कोर देते हैं। आमतौर पर रंग के लिए भी पॉइन्ट्स दिए जाते हैं। पांच मिनट के बाद चेक किया जाता है कि बच्चा बाहरी दुनिया में सहज महसूस कर रहा है या नहीं। अगर सब सही रहता है तो बच्चे को 10 अंक दे दिए जाते हैं। बच्चे के दिल की धड़कन की जांच और शारीरिक जांच भी की जाती है। बच्चे के अधिक संवेदनशील होने या फिर रोने पर बच्चे की हृदय गति 100 से अधिक होती है। सभी चांज करने के बाद बच्चे का एपगार स्कोर टेस्ट पूरा हो जाता है।

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डिफरेंट एपगार स्कोर से क्या मतलब है?

बच्चे के एपगार स्कोर टेस्ट के लिए जन्म से एक मिनट बाद और फिर पांच मिनट बाद का समय लिया जाता है। किसी प्रकार की गड़बड़ी महसूस होने पर सात मिनट या फिर 10 मिनट बाद एपगार टेस्ट दोहराया जा सकता है। जन्म के बाद अक्सर बच्चों का रंग नीला होता है। ऐसा पांच दिनों तक हो सकता है। नवजात शिशुओं में जन्म के कुछ समय बाद तक नीला दिखना सामान्य शारीरिक विशेषता होती है। कुछ विशेषज्ञ एपगार स्कोर को पूर्ण रूप से सही नहीं मानते हैं। उनका मानना है कि एपगार स्कोर एक मिनट से पांच मिनट के अंतर में विभिन्न विशेषता को नहीं जांच पाता है। इसी वजह से पांच मिनट के एपगार स्कोर को ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है। दोनों एपगार स्कोर में समानता पाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।

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एपगार स्कोर के दौरान

एपगार स्कोर में पांच जांचों को शामिल किया जाता है।

1. अपीयरेंस यानी बच्चे की त्वचा का रंग ( APPEARANCE)

जन्म के बाद बच्चे का रंग जांचना महत्पूर्ण होता है। वैसे तो बच्चे का रंग ज्यादातर नीला और हल्का गुलाबी होता है, लेकिन हाथ और पैर का पीला होना बच्चे के अस्वस्थ्य होने का लक्षण है।

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2. दिल की धड़कन (Pulse)

एपगार टेस्ट में बच्चे की पल्स भी चेक की जाती है। हार्ट रेट 100 पल्स पर मिनट होती है। अगर इस आकड़े में अंतर पाया जाता है तो ये भी गंभीर संकेत हो सकता है।

3. प्रतिक्रिया व्यक्त करना (Grimace)

जन्म के बाद बच्चा छींकता, खांसता या रोता है या नहीं। इस बारे में भी जांच की जाती है। बच्चा बाहरी माहौल के प्रति कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करता है तो ये बच्चे के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं।

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4. एक्टिविटी (Activity)

बच्चा कोई एक्टिविटी करता है या नहीं, ये भी बहुत महत्पूर्ण है। अगर बच्चा जन्म के बाद हाथ पैर हिला रहा है और सामान्य प्रतिक्रया दे रहा है तो ये अच्छी बात है। अगर उसके अंदर बिल्कुल हलचल नहीं हो रही है तो खतरे का संकेत हो सकता है

5. ब्रीदिंग (Respiration)

सांस लेने की दर सामान्य है या नहीं, बच्चा चिल्ला रहा है या नहीं, इस बात की जांच भी एपगार टेस्ट में की जाती है।

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एपगार टेस्ट के बारे में और क्या जानें?

एपगार टेस्ट बच्चे के व्यवहार, दिमाग की प्रतिक्रिया आदि को जांचने के लिए किया जाता है। इसको लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। ये बच्चे के लिए महत्वपूर्ण है। एपगार टेस्ट के माध्यम से ये पता चल जाता है कि बच्चे को किसी चिकित्सा देखभाल की जरूरत तो नहीं है। बच्चे के जन्म का आनंद उठाएं और अपने आपको परेशानी में न डालें।

बच्चे के जन्म के बाद जरूरी जांच के लिए एपगार टेस्ट किया जाता है। इससे संबंधित अगर कोई भी प्रश्न आपके मन में हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

What Is the Apgar Score?

https://kidshealth.org/en/parents/apgar.htmlAccessed on 11/12/2019

Apgar score

https://medlineplus.gov/ency/article/003402.htm Accessed on 11/12/2019

Apgar score

https://www.acog.org/Clinical-Guidance-and-Publications/Committee-Opinions/Committee-on-Obstetric-Practice/The-Apgar-Score?IsMobileSet=false Accessed on 11/12/2019

Apgar score

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK470569/Accessed on 30/07/2020

Current Version

30/07/2020

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar

Updated by: Manjari Khare


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

Dr Sharayu Maknikar


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 30/07/2020

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