वजायना (vagina) के सामने के भाग से एनस (anus) तक के एरिया को पेरिनियल कहते हैं और शिशु के जन्म के दौरान टियर होने की स्थिति को पेरिनियल टेर कहते हैं। टेर वजायना के अलावा वल्वा (vulva) या लेबिया (labia) में भी हो सकता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार 10 में से 9 महिलाएं नॉर्मल डिलिवरी के दौरान पेरिनियल टेर, ग्रेज (graze) या एपिसिओटॉमी (episiotomy) का समाना करती हैं। पेरिनियल टेर की समस्या पहली बार गर्भवती होने वाली महिलाओं में ज्यादा होती है। कुछ महिलाओं में टेर की समस्या कम होती है और जल्दी ठीक हो जाती है, लेकिन कुछ महिलाएं ज्यादा परेशान होती हैं।
और पढ़ें – गर्भावस्था के दौरान खरबूज का सेवन करने से हो सकते हैं कई फायदे
पेरिनियल टेर अलग-अलग तरह के होते हैं?
पेरिनियल टेर चार तरह के होते हैं जिन्हें फोर डिग्री कहते हैं।
1. फर्स्ट डिग्री
वजायना की स्किन टेर होना जो आसानी से ठीक हो जाती है उसे फर्स्ट डिग्री पेरिनियल टेर कहते हैं।
2. सेकेंड डिग्री
पेरिनियम मसल्स और स्किन में परेशानी होने पर उसे सेकेंड डिग्री पेरिनियल टेर कहते हैं। पेरिनियल टेर की दूसरी डिग्री के इलाज के लिए स्टिच किया जाता है।
और पढ़ें – 6 मंथ प्रेग्नेंसी डाइट चार्ट : इस दौरान क्या खाएं और क्या नहीं?
3. थर्ड और फोर्थ डिग्री
कुछ महिलाओं को थर्ड या फोर्थ डिग्री टेर की समस्या होती है जिसे ऑब्स्टेट्रिक एनल स्फिंक्टर इंजरी (obstetric anal sphincter injuries (OASI)) कहते हैं। इस परेशानी को ठीक करने के लिए छोटी सी सर्जरी की जाती है।
और पढ़ें – क्या वैक्यूम डिलिवरी से हो सकती है इंजुरी?
पेरिनियल टेर क्यों होता है?
शिशु के जन्म के बाद (नॉर्मल डिलिवरी) वजायना और पेरेनियम अत्यधिक स्ट्रेच (फैलने) होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह बेबी के स्ट्रेच करने पर निर्भर करता है। जितना ज्यादा शिशु स्ट्रेच करेगा उतनी ज्यादा पेरिनियल टेर की संभावना बढ़ जाती है।
[mc4wp_form id=’183492″]
पेरिनियल टेर कैसे होता है?
निम्नलिखित तरह से टेर हो सकता है।
- डिलिवरी के दौरान शिशु का कंधा अगर प्यूबिक बोन में फंस जाए।
- लेबर पेन ज्यादा वक्त से हो रहा हो।
- पहली नॉर्मल डिलिवरी के बाद।
वैसे शिशु के जन्म के बाद डॉक्टर वजायना, पेरनियम और रेक्टम की जांच करते हैं। टियर थर्ड या फोर्थ डिग्री होने पर स्टिच किया जाता है और इससे जुड़ी जानकारी डॉक्टर आपको देते हैं।
पेरनियम का ध्यान कैसे रखें?
पेरिनियल टेर होने पर निम्नलिखित तरह से ध्यान रखना आवश्यक है।
- हाइजीन का ध्यान रखें और इंफेक्शन से बचें।
- नियमित रूप से स्नान करें और पेरिनियल एरिया को एक दिन में कम से कम 3-4 बार क्लीन करें।
- हर 4 से 6 घंटे में सैनेट्री पैड चेंज करें।
- हेयर ड्रायर का इस्तेमाल पेरनियम को ड्राई रखने के लिए न करें।
- घाव और इंफेक्शन से बचने के लिए एंटी-बायॉटिक लेने की सलाह डॉक्टर दे सकते हैं।
पेरिनियल टेर होने पर क्या हैं घरेलू उपचार?
- डिलिवरी के बाद पहले 12 से 24 घंटे तक पेरिनियल एरिया पर आइस पैक रखें। इससे दर्द में राहत मिलती है।
- डॉक्टर द्वारा दी गई दवा का सेवन समय केअनुसार करें।
- ज्यादा देर तक खड़े या बैठे न रहें इससे पेरिनियम पर जोर पड़ेगा। शिशु को स्तनपान करवाने के दौरान बैठने की बजाय लेट जाएं।
- कोशिश करें हर 4 घंटे में 20 से 40 मिनट के लिए आराम से लेट जाएं।
- वजन न उठाएं।
- आहार में पहले कुछ दिनों तक फाइबर की मात्रा कम कर दें। 3 दिनों के बाद बैलेंस्ड फायबर डायट का सेवन किया जा सकता है।
पेरिनियल टेर के बाद एक्सरसाइज की जा सकती है?
- पेरिनियल टियर होने के बाद 6 सप्ताह तक पेल्विस फ्लोर जैसे वर्कआउट न करें। इससे पेरिनियम पर जोर पड़ेगा। जिससे परेशानी हो सकती है।
- किसी भी तरह का दर्द होने पर फिजियोथेरिपिस्ट की मदद लें।
- अगर महिला स्वस्थ है तो डिलिवरी के 6 हफ्ते बाद एक्सरसाइज कर सकती है।
और पढ़ें: पेरिनियल मालिश (Perineal Massage) कैसे करें?
पहली प्रेग्नेंसी के बाद हुए पेरिनियल टेर का असर दूसरे गर्भावस्था और लेबर पेन पर कैसे पड़ेगा?
अगर पहली डिलिवरी के दौरान पेरेनियल टेर की समस्या हो चुकी है तो दूसरी डिलिवरी के दौरान भी यह परेशानी हो सकती है।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और पेरिनयल टेर से संबंधित जरूरी जानकारियां आपको मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
पेरेनियल टेर से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञ से संपर्क करें।
[embed-health-tool-due-date]