लेबर के दौरान महिला को संकुचन महसूस होता है। संकुचन से मतलब पेट के निचले हिस्से में तेजी से होने वाले दर्द से है। संकुचन के कारण सर्विक्स को खुलने में सहायता मिलती है। इस दौरान सर्विक्स 0 सेमी से 10 सेमी तक खुलता है। लेबर की पहली स्टेज में संकुचन ज्यादा तेज नहीं होता है। इस दौरान सर्विक्स का डायलेशन (Dilation) भी होता है। डायलेशन के दौरान सर्विक्स 0 सेमी, 1 सेमी, 2 सेमी, 3 सेमी 6 सेमी से लेकर 10 सेमी तक खुलता है। डायलेशन (Dilation) की प्रक्रिया के बढ़ने के साथ ही महिला में संकुचन तेजी से होने लगता है। डायलेशन (Dilation) की प्रक्रिया बढ़ने से लेबर चैलेंजिंग हो जाता है। साथ ही लेबर का समय भी कम होने लगता है।
जब सर्विक्स में पूरी तरह से डायलेशन (Dilation) हो जाता है तो बेबी बाहर आने के लिए तैयार हो जाता है। संकुचन के दौरान डॉक्टर पुश करने के लिए कहते हैं। ये कहना गलत नहीं होगा कि डायलेशन के एक सेमी बढ़ने के साथ ही बच्चे के बाहर आने की प्रक्रिया तेजी से होने लगती है। दर्द सहने के बाद आखिरकार बच्चे के रोने की आवाज आ जाती है।
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सर्वाइकल अफेसमेंट और डायलेशन (Cervical effacement and Dilation)
लेबर की फर्स्ट स्टेज में सर्विक्स खुलता है और पतला होता है। सर्विक्स के खुलने को डायलेशन (Dilation) और पतले होने की प्रक्रिया को अफेसमेंट कहा जाता है। इस प्रक्रिया से बच्चा बर्थ कैनाल (Birth canal) के बाहर आने की कोशिश करता है। पहले सर्विक्स मजबूती के साथ बंद रहता है। फिर सर्विक्स 60 परसेंट अफेस होता है और 1 से 2 सेमी डायलेट होता है। फिर दूसरी बार में सर्विक्स 90 प्रतिशत तक अफेस होता है और 4 से 5 सेमी डायलेट होता है। वजायनल डिलिवरी (Vaginal delivery) के समय सर्विक्स का 100 प्रतिशत तक अफेसमेंट और 10 सेमी डायलेट होना जरूरी होता है। सर्वाइकल अफेसमेंट (Cervical effacement) के शुरू होने के दौरान म्यूकस प्लग वजायना से निकल सकता है। ऐसा सभी महिलाएं महसूस नहीं करती है। म्यूकस प्लग की वजह से बैक्टीरिया (Bacteria) यूट्रस में नहीं जा पाते हैं। सर्वाइकल चेंजेस जिसमें डायलेशन और अफेसमेंट भी शामिल होता है, म्यूकस के निकलने का कारण बनता है।
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ब्लीडिंग के होते हैं चांसेस
इस दौरान हल्का सा रक्त निकल सकता है। सर्विक्स के आसपास ब्लड वेसल्स के रप्चर होने से ऐसा होता है। ये म्यूकस प्लग के नुकसान के कारण भी हो सकता है। सर्वाइकल अफेसमेंट के दौरान पेल्विक पेन भी हो सकता है। इस दौरान बच्चे का सिर महिला के पेल्विक लिगामेंट्स पर दबाव डालता है। लेबर के दौरान संकुचन महसूस होता है। यूट्रस (Uterus) के टाइट होने और रिलैक्स होने से सर्वाइकल अफेसमेंट में हेल्प मिलती है। इस कारण से महिला को संकुचन महसूस होता है। इस पूरी प्रक्रिया में डायलेशन (Dilation) का काम महत्वपूर्ण होता है। ये कहना सही होगा कि वजायनल डिलिवरी की प्रक्रिया डायलेशन (Dilation) के कारण आसानी से होती है।
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1 सेमी डायलेशन (1 cm Dilation) का मतलब
एक सेमी डायलेशन का मतलब है कि महिला को अब हॉस्पिटल जाने की जरूरत है। ये जरूरी नहीं है कि डायलेशन के सभी स्टेप एक साथ हो। न्यू मॉम को लेबर रुक कर आ सकते हैं। हो सकता है कि एक सेमी के डायलेशन के बाद महिला को करीब एक हफ्ते तक इंतजार करना पड़े। हर पेशेंट का शरीर अलग होता है। कुछ महिलाओं को डायलेशन कम समय में हो जाता है। साथ ही 10 सेमी डायलेशन के बाद महिला बच्चे को जन्म दे देती है। एक सेमी डायलेशन (Dilation) के दौरान महिला को पेट के निचले हिस्से में हल्का दर्द महसूस हो सकता है। इसके बाद महिला के लेबर की अर्ली स्टेज शुरू हो जाती है।
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5 सेमी डायलेशन (5 cm Dilation) का मतलब
पांच सेमी डायलेशन का मतलब है कि अब महिला लेबर की अर्ली स्टेज में पहुंच चुकी है। इस दौरान महिला को रुक रुक कर दर्द महसूस हो सकता है। इस दौरान बच्चे के आने की संभावना बढ़ जाती है। संकुचन ऐसे समय में एक मिनट के अंतराल में आ सकता है। महिलाओं को संकुचन के दौरान कुछ समय का रिलैक्स भी मिल जाता है। 5 सेमी डायलेशन का ये भी मतलब है कि महिला का सर्विक्स बड़ा हो चुका है। साथ ही यूट्रस से वजायना में आने के लिए बेबी पूरी तरह से तैयार हो चुका है।
6 सेमी डायलेशन (6 cm Dilation) का मतलब
जब 6 सेमी तक डायलेशन हो जाएगा तो डॉक्टर इस बारे में डॉक्टर जांच कर सकता है। डॉक्टर चेक करता है कि डायलेशन 5 सेमी से ज्यादा हुआ है या फिर नहीं। 6 सेमी डायलेशन हो जाने के बाद महिला को तेजी से संकुचन आने शुरू हो जाते हैं। 5 सेमी से अधिक डायलेशन के दौरान महिला को पेट के निचले हिस्से में तेजी से दर्द महसूस होना शुरू हो जाता है। ऐसे में महिला को पार्टनर के साथ ही जरूरत सबसे ज्यादा होती है। अगर संकुचन के दौरान पार्टनर महिला के सिर में हल्के से हाथ फिराता है तो उसे बहुत रिलैक्स फील होता है।
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10 सेमी डायलेशन (10 cm Dilation) के दौरान
10 सेमी डायलेशन को कम्प्लीट डायलेशन माना जाता है। इसका मतलब होता है कि बर्थ कैनाल (Birth canal) पूरी तरह से खुल चुकी है। डॉक्टर 10 सेमी डायलेशन हो जाने के बाद डॉक्टर महिला को पुश करने के लिए कहता है। जब महिला को संकुचन (कॉन्टैक्शन) आते हैं, उस दौरान पुश करने की सलाह दी जाती है। ऐसे में अगर बच्चा पूरी तरह से बाहर नहीं आता है तो डॉक्टर को वैक्यूम डिलिवरी (Vacuum delivery) या फिर फॉरसेप्स का यूज करना पड़ सकता है। साथ ही एपिसीओटॉमी (Episiotomy) या फिर सी-सेक्शन (C-section) की भी आवश्यकता पड़ सकती है।
सभी महिलाओं में अलग हो सकता है सर्वाइकल डायलेशन (Cervical Dilation)
सभी महिलाओं में डायलेशन का समय अलग हो सकता है। ये जरूरी नहीं है कि एक सेमी से 10 सेमी तक डायलेशन एक प्रॉसेस में हो। कुछ महिलाओं में एक सेमी डायलेशन के बाद बाकी डायलेशन कुछ समय के बाद भी हो सकता है। इस बारे में महिलाओं को परेशान होने की जरूरत नहीं है कि सर्विक्स कितने समय में डायलेट होगा। आपको ये सुनकर हैरानी हो सकती है कि कुछ महिलाओं में डायलेशन (Dilation) के दौरान संकुचन नहीं होता है। यानी डायलेशन की प्रॉसेस तो होती है, लेकिन महिलाओं को दर्द का अनुभव नहीं होता है।
अगर हाल में आप प्रेग्नेंट हैं और जल्द ही डिलिवरी के लिए तैयार हो रही हैं तो थोड़ा रिलैक्स कर लें। डायलेशन (Dilation) और लेबर (Labour) के दौरान सभी महिलाओं का एक्सपीरियंस अलग हो सकता है। धैर्य रखने के साथ ही पार्टनर का साथ डिलिवरी के प्रॉसेस को आसान बना देगा।
अगर आपके मन में इस विषय को लेकर कोई भी प्रश्न हो तो एक बार अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।
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