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डिलिवरी के दौरान कब और कैसे करें पुश?

डिलिवरी के दौरान कब और कैसे करें पुश?

लेबर पेन के शुरू होते ही लगता है कि अब शिशु जल्द ही बाहर आ जाएगा। कुछ डिलिवरी आसानी से और कम समय में हो जाती हैं लेकिन, कुछ में लंबा वक्त लग सकता है। इस दौरान बेबी पुशिंग (Baby pushing) की जरूरी होती है। इससे शिशु को वजायना के बाहर निकाला जाता है। हालांकि, बेबी पुशिंग (Baby pushing) कब की जाए? यह डॉक्टर निर्धारित करता है। साथ ही इसका अंदाजा आप अपने अहसास के आधार पर भी लगा सकती हैं। आज हम इस आर्टिकल में यह बताएंगे कि लेबर के दौरान पुशिंग कब और कैसे की जानी चाहिए?

बेबी को कब पुश (Baby pushing) करें?

गर्भाशय ग्रीवा के 10 सेंटीमीटर तक या पूरी तरह खुल जाने पर आप शिशु को पुश करने के लिए तैयार रहती हैं। आप अपने शिशु के सिर (Head) का दबाव का अहसास पैरों के बीच कर सकती हैं। यह इस बात का संकेत होता है कि अब आपको शिशु (Baby) को पुश करना है। यह दबाव काफी स्ट्रॉन्ग होता है। ज्यातर महिलाएं पुशिंग के दौरान बेहतर महसूस करती हैं। जितने दबाव का अहसास होता है उतना ही नैचुरल तरीके से आपको पुश करना है।

बेबी पुशिंग (Baby pushing) से पहले के संकेत

डिलिवरी के वक्त जब शिशु के बाहर आने की स्टेज होती है तब कॉन्ट्रैक्शन बार-बार होते हैं। प्रत्येक कॉन्ट्रैक्शन 60-90 सेकेंड्स तक रह सकता है लेकिन, इसके आगे वाले कॉन्ट्रैक्शन दो से तीन मिनट तक रहते हैं। हालांकि, इनकी तीव्रता कम हो जाती है। कई बार यह कॉन्ट्रैक्शन पहले के मुकाबले ज्यादा तेज हो सकते हैं। इस बीच में आपको रेस्टिंग पीरियड (Resting periods) के बारे में भी पता लग जाना चाहिए।

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लेबर की दूसरी स्टेज (2nd stage of labour)

  • यदि आपको एपिड्यूरल एनेस्थिसया (Epidural anesthesia) दिया गया हो तो दर्द के साथ कॉन्ट्रैक्शन (Constraction) का अहसास उतना नहीं होगा।
  • स्टूल पास करने वाले हिस्से में जबरदस्त दबाव का अहसास होगा।
  • तीव्र ऊर्जा का अहसास या थकावट होना।
  • इस दौरान यूटरस (Uterus) को आसानी से देखा जा सकता है।
  • शिशु का सिर वजायना के करीब आने पर खिंचाव और जलन का अहसास हो सकता है।
  • शिशु के नीचे की तरफ आने से आपको फिसलन जैसा अहसास होता है।

बेबी पुशिंग टेक्निक्स (Baby pushing technique)

बाॅवेल मूवमेंट की तरह पुश करें (Bowel movement push)

पुशिंग के इस तरीके में आपको इस प्रकार पुश करना है जैसे आप स्टूल पास कर रही हों। इस दौरान बॉडी और थाई दोनों को रिलेक्स भी करना है। इस दौरान आपको कॉन्ट्रैक्शन (Constraction) और फोकस का जोर पुशिंग पर लगा देना है। पुशिंग के दौरान यदि यूरिन भी पास हो जाए तो घबराएं नहीं। डॉक्टर इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि इस दौरान ऐसा होता है। इसलिए इसमें शर्मिंदगी की कोई बात नहीं है।

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चेस्ट पर चिन (Chin on chest) को रखें

पुशिंग करते वक्त अपनी चिन (Chin) को चेस्ट पर रखें। यदि आप पीठ के बल लेटी हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि पुश करते वक्त आपकी चिन चेस्ट पर हो। ऐसा करने से आपको पुशिंग पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी। इससे आपको यह पता लगेगा कि कहां पर पुशिंग की आवश्यकता है। इससे आपको नीचे नेवल की तरफ देखने में भी मदद मिलेगी।

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स्पोनटेनियस पुशिंग

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) और अमेरिकन कॉलेज ऑफ नर्स-मिडवाइव (एसीएनएम) पुशिंग के इस तरीके की सलाह देता है। इससे मां और बच्चे दोनों को ही फायदा होता है। पुशिंग के इस तरीके में आपको शिशु (Baby) की तरफ से भेजे जाने वाले संकेतों का इंतजार करना होता है।

शिशु की तरफ से प्रेशर का संकेत मिलते ही आपको पुशिंग शुरू करनी होती है। ज्यादातर मेडिकल प्रेक्टिसनर पुशिंग के इस तरीके सलाह भी देते हैं।

अंत में हम यही कहेंगे कि लेबर के दौरान बेबी पुशिंग (Baby pushing) की सलाह डॉक्टर या नर्स देते हैं। अपने डॉक्टर के दिशा निर्देशों का पालन करें। अगर आप इस प्रक्रिया को पहले ही समझ लेना चाहती हैं तो अपनी किसी सहेली या रिलेटिव से बात करें जो इस प्रक्रिया से गुजरी हो। इस संबंध डॉक्टर से भी जानकारी हासिल की जा सकती है।

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लेबर और बेबी पुशिंग को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

लेबर रूम में मेरे साथ कौन रह सकता है?

आप अपने साथ जिसको चाहे रख सकती हैं जो आपके साथ इस परिस्थिति में रहना चाहे। हालांकि आपको इसके लिए हॉस्पिटल गाइडलाइंस और बर्थिंग सेंटर की गाइडलाइंस को फॉलो करना होगा। ज्यादा हॉस्पिटल महिला को अपने साथ किसी सपोर्ट करने वाले इंसान को रखने की सलाह देते हैं। जो भी व्यक्ति साथ रहे उसे उस दौरान दी जाने वाली मेडिसिन या मेडिकल प्रॉसीजर के बारे में जानकारी होना चाहिए। वैसे बर्थिंग सेंटर में एक नर्स महिला के साथ होती है और जब गर्भवती महिला एक्टिव लेबर की स्टेज में पहुंचती है तो डॉक्टर और मिडवाइफ (Midwife) पहुंच जाते हैं।

मुझे कैसे पता चलेगा कि मुझे कब पुश करना है?

अध्ययनों के मुताबिक जब सर्विक्स पूरी तरह डायलेट हो जाएगा (10cm तक खुलना) तब आपको बेबी पुशिंग की शुरुआत कर देना है। बेबी पुशिंग (Baby pushing) के वक्त आपको बहुत सारी ऊर्जा का अहसास होगा। ज्यादातर महिलाएं बिना पुशिंग की तुलना में पुशिंग के दौरान अच्छा फील करती हैं।

मुझे कितनी देर तक पुश करना होगा?

पुशिंग के जरिए बेबी को बर्थ कैनाल से होते हुए प्यूबिक बोन और वजायना ओपनिंग में कई फैक्टर जिम्मेदार होते हैं। बेबी पुशिंग में कुछ मिनिट से लेकर घंटों का समय लग सकता है। टाइमिंग कई चीजों पर डिपेंड करती है।

अगर मेरे लगातार और प्रेशर से पुश करने के बाद भी बेबी डिलिवर न हो तो क्या होगा?

कई बार बेबी को बाहर आने के लिए एक्सट्रा हेल्प की जरूरत होती है। आपको अपनी पूरी एनर्जी के साथ पुश करना होगा। कई बार लगातार पुश करने की वजह से महिला थक जाती है और पुशिंग इतनी तीव्र नहीं होती कि बेबी डिलिवर हो सके। दो से तीन घंटे की अच्छी पुशिंग के बाद भी अगर सफलता नहीं मिलती है तो बच्चे को इंस्ट्रूमेंट्स की मदद से बाहर लाया जाता है। इन स्थितियों में उपयोग किए जा सकने वाले उपकरण फॉरसेप्स और वैक्यूम एक्सट्रेक्टर हैं। उनका उपयोग तब तक नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि बच्चे को आसानी से देखा न जा सके।

उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और बेबी पुशिंग से संबंधित जरूरी जानकारियां आपको मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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https://www.womenshealth.gov/pregnancy/childbirth-and-beyond/labor-and-birth/ Accessed on 27/07/2020

Current Version

24/09/2021

Sunil Kumar द्वारा लिखित

Updated by: Nidhi Sinha


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