इलेक्टिव सी-सेक्शन (Elective C-section) क्या है?
जब शिशु का जन्म वजायना से न होकर लोअर अब्डॉमेन से सर्जरी की मदद से हो तो इसे सिजेरियन डिलिवरी (C-section) कहते हैं, लेकिन यही सिजेरियन डिलिवरी कुछ कपल्स पहले से तय कर लेते हैं बिना किसी शारीरिक परेशानी या मेडिकल कंडीशन के बावजूद तो इस तरह की सिजेरियन डिलिवरी को इलेक्टिव सी-सेक्शन कहते हैं। इलेक्टिव सी-सेक्शन, प्लांड सी-सेक्शन (पूर्व नियोजित सिजेरियन डिलिवरी) भी कहते हैं।
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार इन दिनों ज्यादा से ज्यादा महिलाएं डिलिवरी के लिए इलेक्टिव सी-सेक्शन प्लान करती हैं। रिसर्च के अनुसार महिलाओं का मानना है कि सिजेरियन डिलिवरी नॉर्मल (वजायनल) डिलिवरी की तुलना में ज्यादा सुरक्षित है। हालांकि, पहले के मुकाबले अब सी-सेक्शन ज्यादा सेफ माना जाता है।
इलेक्टिव सी-सेक्शन का चयन महिलाएं क्यों करती हैं?
इलेक्टिव सी-सेक्शन विकल्प प्रायः दो कारणों से अक्सर महिलाएं चुनती हैं।
1. मेडिकल कारण
2. नॉन-मेडिकल कारण
1. मेडिकल कारण
गर्भावस्था के दौरान मां और शिशु की सेहत को ध्यान में रखकर डॉक्टर डिलिवरी से जुड़ी अपनी राय देते हैं। इसके साथ ही निम्नलिखित मेडिकल कंडीशन के कारण सिजेरियन डिलिवरी का निर्णय लेते हैं। इन मेडिकल कंडीशन में शामिल है
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ज्यादा वक्त तक लेबर पेन रहना
पहली डिलिवरी के दौरान 20 घंटे या इससे ज्यादा समय तक लेबर पेन रहने के कारण या दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान 14 घंटे तक लेबर पेन रहने की स्थिति में डॉक्टर सी-सेक्शन से डिलिवरी का निर्णय लेते हैं।
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शिशु की गर्भ में पुजिशन
बेबी की डिलिवरी के दौरान सिर सबसे पहले बाहर आना चाहिए। अगर शिशु की पुजिशन ब्रीच (उल्टा) है, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर सिजेरियन डिलिवरी का निर्णय लेते हैं।
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फीटस डिस्ट्रेस
गर्भ में पल रहे शिशु को ऑक्सिजन की कमी होने पर डॉक्टर इमर्जेंसी में सी-सेक्शन से बेबी की डिलिवरी करते हैं।
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कॉनजेनाइटल डिफेक्ट्स
गर्भ में पल रहे शिशु के ब्रेन या हार्ट संबंधी कोई परेशानी होती है, तो भी सिजेरियन डिलिवरी का सहारा लिया जाता है। इससे नवजात का इलाज आसानी से किया जा सकता है।
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प्रीवियस सी-सेक्शन
पहले हुए सी-सेक्शन के कारण दूसरी नॉर्मल डिलिवरी (वजायना डिलिवरी) हो सकती है। हालांकि ऐसा सभी गर्भवती महिलाओं के केस में नहीं होता है। डिलिवरी का निर्णय हेल्थ एक्सपर्ट सिचुएशन देखकर करते हैं।
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मां का स्वास्थ्य
अगर गर्भवती महिला किसी शरीरिक परेशानी या बीमारी जैसे जेस्टेशनल डायबिटज से ग्रसित है तो वजायनल डिलिवरी से उनकी परेशानी बढ़ सकती ऐसे में सिजेरियन डिलिवरी बेहतर विकल्प माना जाता है। यही नहीं अगर गर्भवती महिला HIV या जेनाइटल हर्पीस या फिर कोई ऐसी समस्या जो वजायनल डिलिवरी के कारण बच्चों में ट्रांसमिट हो सकती है तो भी सिजेरियन डिलिवरी ही एक मात्र डिलिवरी के लिए ऑप्शन है।
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कॉर्ड प्रोलेप्स
शिशु के जन्म के पहले अगर अंबिलिकल कॉर्ड पहले बाहर आने लगती है तो इस स्थिति को कॉर्ड प्रोलैप्स कहते हैं। इस दौरान भी सिजेरियन डिलिवरी की जाती है।
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सीपीडी
गर्भवती महिला का पेल्विस सामान्य से छोटा होना सेफेलोपेल्विक डिस्प्रोपोरशन (CPD) कहलाता है। ऐसा होने पर वजायनल डिलिवरी संभव नहीं हो पाती है। इसलि CPD के कारण सी-सेक्शन से बेबी की डिलिवरी की जाती है।
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मल्टिपल बर्थ
मल्टीपल बर्थ (एक गर्भ में एक साथ एक से ज्यादा शिशु) के कारण भी सी-सेक्शन से डिलिवरी की जाती है।
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2. नॉन-मेडिकल कारण
इलेक्टिव सी-सेक्शन निम्नलिखित कारणों से भी किए जा सकते हैं। इनमें शामिल हैं।
- गर्भवती महिला लेबर पेन से बचने के कारण इलेक्टिव सी-सेक्शन का सहारा लेती हैं।
- UTI की समस्या के कारण।
- कभी-कभी गर्भवती महिला के पार्टनर डिलिवरी की डेट के समय किसी कारण व्यस्त हों या नेवी या आर्मी के कार्यरत होने के कारण भी डिलिवरी प्री-प्लान की जाती है।
इलेक्टिव सी-सेक्शन से शिशु का जन्म अपने इच्छा अनुसार किया जा सकता है, लेकिन इससे मां और शिशु दोनों को कुछ परेशानी हो सकती है।
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कब चुन सकती है अपनी पसंदीदा डेट?
अगर आप सिजेरियन डिलिवरी प्लान करते समय पसंदीदा डेट के बारे में सोच रही हैं तो ऐसा भी हो सकता है। कई बार कोई परेशानी के न होने पर डॉक्टर 39वें सप्ताह के बाद आपकी पसंदीदा दिन पर सिजेरियन कर सकते हैं। यदि प्रेग्नेंसी पीरियड में कोई समस्या होती है तो तय समय पर सिजेरियन करना मुश्किल हो जाता है। भले ही आप सी-सेक्शन बर्थ प्लान करते समय बहुत एक्साइटेड हो, लेकिन एक बात जरूर सुनिश्चित करें कि आपकी प्राथमिकता हेल्दी बच्चा है। सी-सेक्शन बर्थ प्लान आपके अनुसार नहीं हो पाया है तो परेशान न हो।
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पहले से तय सिजेरियन किन परिस्थितियों में होता है?
इलेक्टिव सिजेरियन यानी पहले से तय सिजेरियन कुछ परिस्थितयों के चलते किया जाता है। इलेक्टिव सिजेरियन लेबर पेन के पहले किया जाता है। अगर महिला के,
- गर्भ में एक से ज्यादा बच्चे हो।
- जेनिटल हर्पीस है तो बच्चे को सामान्य विधि से पैदा होने पर इंफेक्शन का खतरा होगा।
- प्री-क्लेम्पप्सिया की समस्या है तो सिजेरियन की सलाह दी जाएगी।
- प्लासेंटा प्रीविया है तो डॉक्टर सी-सेक्शन की राय देगा।
- पहले से हो चुकी सर्जरी भी सी-सेक्शन को इलेक्टिव बना देती है।
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इलेक्टिव सी-सेक्शन से कारण मां को होने वाली परेशानियां क्या हैं?
- अत्यधिक ब्लीडिंग होना
- इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाना
- ठीक होने में ज्यादा वक्त लगना
इलेक्टिव सी-सेक्शन से कारण शिशु में होने वाली परेशानियां क्या हैं?
- अगर प्रेग्नेंसी के 39वें हफ्ते में डिलिवरी करवाई जाती है, तो सांस संबंधी परेशानी हो सकती है।
- मां और शिशु एक साथ ज्यादा वक्त के लिए नहीं रह पाते हैं।
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सी-सेक्शन बर्थ प्लान के दौरान कर सकती हैं ये कुछ चीजें भी प्लान
अगर आपका सिजेरियन इलेक्टिव है तो आप सी-सेक्शन बर्थ प्लान कर सकती हैं। इसके लिए आपको डॉक्टर से बात करनी चाहिए जैसे कि-
- सर्जरी के दौरान खून की कमी होने पर खून चढ़ाने की जरूरत होती है। आप ऐसे व्यक्ति को भी अपने साथ ला सकती हैं जिसका ब्लड ग्रुप आपसे मिलता हो। वैसे तो डॉक्टर अपने पास इंतजाम रखते हैं, लेकिन अगर आप ऐसा कर सके तो भी ठीक है।
- अगर आप सबसे पहले अपने बच्चे से बात करना चाहती हैं तो इसके लिए भी तैयारी कर सकती हैं ताकि सभी डॉक्टर्स कुछ समय के लिए आवाज न करें।
- ये निश्चित करें कि जन्म के समय आपके साथ कौन रहना चाहता है?
- सिजेरियन बर्थ प्लान करते वक्त ये जरूर पूछें कि आप जन्म के समय अगर बच्चे की तस्वीर ले सकती हैं।
अगर आप बच्चे को पैदा होते हुए देखना चाहती हैं तो इसके लिए स्क्रीन की जरूरत पड़ेगी। आपको इसके लिए हॉस्पिटल में पहले से बात करनी होगी।
सी-सेक्शन के लिए तारीख चुनना हमेशा संभव नहीं हो पाता है। इसलिए इलेक्टिव सी-सेक्शन से बेबी डिलिवरी प्लान कर रहीं हैं तो इसके बारे में प्लान करने से पहले जरूर समझें। अगर आप इलेक्टिव सी-सेक्शन से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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