प्रेग्नेंसी के दौरान कोई कॉम्प्लिकेशन गर्भवती महिला को न हो या गर्भ में पल रहे शिशु को न हो इसलिए प्रेग्नेंट लेडी बेहद सतर्क रहती हैं। गर्भावस्था की शुरुआत या बेबी प्लानिंग के साथ हेल्थ एक्सपर्ट फोलिक एसिड लेने की सलाह दे सकते हैं। इसके साथ ही अन्य दवाओं को देने पर भी विचार किया जा सकता है। बेटनेसोल इंजेक्शन फायदे के साथ ही शरीर को कुछ नुकसान भी पहुंचा सकता है। अगर प्रेग्नेंट महिला को बेटनेसोल इंजेक्शन की बहुत आवश्यकता है तो डॉक्टर इसे देने की सलाह देते हैं। आइए जानते हैं इस इंजेक्शन से जुड़ी सभी बातें।
बेटनेसोल इंजेक्शन (Betnesol injection)क्या है?
बेटनेसोल को मेडिकल टर्म में बीटामेथासोन सोडियम फॉस्फेट कहते हैं।बीटामेथासोन बेटनेसोल का एक्टिव इनग्रेडिएंट होता है। बेटनेसोल इंजेक्शन हॉर्मोनल इम्बैलेंस, शरीर में होने वाले सूजन,अस्थमा या ऑटोइम्यून जैसी बीमारियों से दूर रखने के लिए बेटनेसोल इंजेक्शन दी जाती है। इस दवा में कॉर्टिकोस्टेरॉइड की कुछ मात्रा मौजूद होती है, यह स्टेरॉइड कैटागोरी का ड्रग है। जिसका शरीर पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार बेटनेसोल शरीर में पानी की मात्रा को संतुलित रखता है, तनाव को कम करने में मददगार होता है और दिल को भी स्वस्थ्य रखने में मददगार होता है। बेटनेसोल इंजेक्शन शरीर में हो रही परेशानियों को कम करने में तेजी से मददगार होता है।
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गर्भावस्था के दौरान बेटनेसोल इंजेक्शन लेना सुरक्षित होता है?
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गर्भावस्था के दौरान बेटनेसोल इंजेक्शन कब दी जाती है?
फीटस फेब्रिक्स टेस्ट:- फीटस फेब्रिक्स टेस्ट (FFT) प्रेग्नेंसी के दौरान अगर गर्भावस्था में फाइब्रॉइड की समस्या होने पर मिसकैरिज या गर्भपात या गर्भ में दो या दो से ज्यादा होने की स्थिति में बेटनेसोल इंजेक्शन दी जाती है। गर्भावस्था के दौरान बेटनेसोल इंजेक्शन कितनी दी जाएगी यह गर्भवती महिला की शारीरिक स्थिति को देखते हुए डॉक्टर तय करते हैं। हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के दौरान भी इस इंजेक्शन की संभावना बढ़ जाती है।
गर्भावस्था के दौरान बेटनेसोल इंजेक्शन या इसका डोसेज क्या है?
गर्भावस्था के दौरान बेटनेसोल इंजेक्शन लेने से क्या इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं?
1. गर्भावस्था के समय इसकी वजह से मूड स्विंग की परेशानी बढ़ सकती है। गर्भवती महिला इंजेक्शन लेने के बाद ज्यादा परेशानी जैसे चिड़चिड़ापन या अच्छा महसूस न करने की समस्या भी परेशान कर सकती हैं।
2. बेटनेसोल की वजह से बच्चे के विकास साथ-साथ हार्ट रेट पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
3. अगर ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिला को बेटनेसोल की मात्रा ज्यादा देने पर यह शिशु के शरीर में भी प्रवेश कर सकता है। रिसर्च के अनुसार बच्चे के एड्रीनल ग्लैंड पर भी इसका नेगेटिव असर पड़ सकता है।
4. गर्भावस्था के दौरान इसका टीका दिया जाता है। इसके साथ ही इसका क्रीम भी आसानी से उपलब्ध होता है। लेकिन, स्वास्थय विशेषज्ञों की माने तो बेटनेसोल क्रीम का इस्तेमाल बिना डॉक्टर से सलाह लिए नहीं करना चाहिए। क्योंकि इसके क्रीम में भी मौजूद स्टेरॉयड त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती है।
आवश्यकता पड़ने पर गर्भावस्था के दौरान बेटनेसोल इंजेक्शन दी जा सकती हैं। इसके साथ ही इस इंजेक्शन का इस्तेमाल निम्नलिखित शारीरिक परेशानी को दूर करने के लिए इस इंजेक्शन की मदद ली जा सकती है। शारीरिक परेशानियों में शामिल है:
- अस्थमा के इलाज के लिए
- एलर्जी की समस्या दूर करने के लिए
- जोड़ों में सूजन, आंखों या टेंडन के इलाज में
- शरीर में इंफेक्शन होने पर
डॉक्टर की सलाह जरूर लें
बेटनेसोल इंजेक्शन या इसकी दवा ज्यादा वक्त के लिए नहीं दी जाती है। गर्भावस्था के दौरान यह दवा डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब की जाती है, तो इसे अपनी इच्छा अनुसार लेना न बंद करें। जितने दिन की दवा दी गई है और जो डॉक्टर ने सलाह दिया है, उसका सही तरह से पालन करें। इंजेक्शन या फिर क्रीम का उपयोग करने से शरीर में कुछ परिवर्तन महसूस हो सकते हैं। अगर आपको इंजेक्शन दिया गया है और फिर कुछ समय बाद परेशानी महसूस कर रही हैं तो इस बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं।
ध्यान दें
अगर आप गर्भावस्था से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। बिना डॉक्टर के सलाह के इसका सेवन न करें। यही नहीं गर्भावस्था के समय कोई भी दवा अपनी मर्जी से न लें। प्रेग्नेंसी के दौरान गायनोकोलॉजिस्ट के संपर्क में रहें। अगर आपका इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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