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प्रेग्नेंसी में हाॅर्मोनल बदलाव से भ्रूण के विकास में मिलती है मदद

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Shruthi Shridhar


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/02/2022

    प्रेग्नेंसी में हाॅर्मोनल बदलाव से भ्रूण के विकास में मिलती है मदद

    प्रेग्नेंसी के शुरुआती पहले हफ्ते से लेकर 42वें हफ्ते तक गर्भवती महिला के शरीर में कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं। महीलाओं के शरीर में ये  बदलाव प्रेग्नेंसी में हाॅर्मोनल बदलाव के कारण होते हैं। ये प्रेग्नेंसी में हॉर्मोनल बदलाव गर्भवती महिला और शिशु दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस दौरान रिलीज होने वाले हॉर्मोन शिशु के विकास, गर्भवती महिला के इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए बेहद जरूरी है।

    प्रेग्नेंसी में हाॅर्मोनल बदलाव (Hormonal changes during pregnancy)

    प्रेग्नेंसी में हाॅर्मोनल बदलाव में मुख्य रूप से कुछ हॉर्मोन्स में बदलाव देखने को मिलते हैं। ऐसे ही कुछ हॉर्मोन्स हैं:

    • ह्यूमन कोरियॉनिक  गोनाडोट्रॉपिन (Human chorionic gonadotropin (hCG))
    • प्रोजेस्ट्रॉन (Progesterone)
    • ईस्ट्रोजन (Oestrogen)
    • प्रोलेक्टिन (Prolactin)
    • रिलेक्सिन (Relaxin)
    • ऑक्सिटोसिन (Oxytocin)

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    प्रेग्नेंसी में हाॅर्मोनल बदलाव (Hormonal changes in pregnancy) : ह्यूमन कोरियॉनिक गोनाडोट्रॉपिन (hCG)

    प्रेग्नेंसी में हॉर्मोनल बदलाव में ह्यूमन कोरियॉनिक गोनाडोट्रॉपिन भी मुख्य है। गर्भ ठहरने के बाद सबसे पहले प्लसेंटा से ह्यूमन कोरियॉनिक गोनाडोट्रॉपिन (hCG) हॉर्मोन का निर्माण होने लगता है। प्रेग्नेंसी टेस्ट से hCG की जानकारी मिल जाती है। गर्भ धारण के शुरुआती दिनों में इसका लेवल कम होता है लेकिन, कुछ ही दिनों में ह्यूमन कोरियॉनिक गोनाडोट्रॉपिन हॉर्मोन का लेवल बढ़ने लगता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, गर्भधारण के बाद ह्यूमन कोरियॉनिक गोनाडोट्रॉपिन हॉर्मोन हर 48 घंटे में डबल होने लगता है। ह्यूमन कोरियॉनिक गोनाडोट्रॉपिन (hCG) हॉर्मोन के कारण ब्लॉटिंग (पेट फूलना), पेट दर्द, पेल्विक फ्लोर मसल्स में दर्द, मतली और उल्टी आना, स्किन प्रॉब्लम्स, वजन बढ़ना, नींद न आना, सिरदर्द और स्तन में बदलाव होते हैं।

    प्रेग्नेंसी में हाॅर्मोनल बदलाव में प्रोजेस्ट्रॉन (Progestron) में बदलाव भी है शामिल

    ओवरी से प्रोजेस्ट्रॉन रिलीज होता है। प्रोजेस्ट्रॉन लेवल में बदलाव के कारण पीरियड्स (मासिकधर्म) अनियमित हो जाते हैं।  गर्भ ठहरने के लिए प्रोजेस्ट्रॉन की अहम भूमिका होती है। प्रोजेस्ट्रॉन के लेवल में आ रहे बदलाव के कारण मूड स्विंग्स, डिप्रेशन और एकने जैसी परेशानी शुरू हो जाती हैं। इस तरह प्रेग्नेंसी में हाॅर्मोनल बदलाव का महिलाओं के व्यवहार पर गहरा असर पड़ता है।

    प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को सेक्स करने की इच्छा भी नहीं होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स का आनंद उठाया जा सकता है लेकिन कुछ महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स करने से डरती है। साथ ही महिलाओं में हार्मोन में बदलाव के कारण सेक्स ड्राइव में कमी भी होती है। इस कारण से महिलाएं सेक्स से झिझकती हैं। अगर प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ बातों पर ध्यान दिया जाए तो सेक्स का आनंद भी लिया जा सकता है।

    प्रेग्नेंसी में हाॅर्मोनल बदलाव

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    प्रेग्नेंसी में हाॅर्मोनल बदलाव (Hormonal changes during pregnancy) में ईस्ट्रोजन में भी होता है बदलाव 

    ईस्ट्रोजन हॉर्मोन महिलाओं के लिए बेहद जरूरी है। ईस्ट्रोजन की कमी के कारण अनियमित पीरियड्स, तनाव और इनफर्टिलिटी की समस्या शुरू हो सकती है। प्रेग्नेंसी के दौरान ईस्ट्रोजन गर्भ में पल रहे भ्रूण (Embryo) के विकास में सहायक होता है।

    प्रेग्नेंसी में हाॅर्मोनल बदलाव: प्रोलेक्टिन (Prolactin)

    प्रोलेक्टिन हॉर्मोन गर्भ में पल रहे शिशु के लिए शारीरिक विकास के साथ-साथ लंग्स और ब्रेन के विकास के लिए अनिवार्य होता है। प्रोलेक्टिन हॉर्मोन गर्भ में पल रहे शिशु के साथ-साथ गर्भवती महिला की इम्यून सिस्टम को भी स्ट्रॉन्ग बनाने में मदद करता है। यही नहीं ब्रेस्ट मिल्क का प्रोडक्शन प्रोलेक्टिन हॉर्मोन के कारण ही होता है।

     रिलेक्सिन भी है प्रेग्नेंसी में हाॅर्मोनल बदलाव (Hormonal changes during pregnancy) में शामिल

    पहली तिमाही में रिलेक्सिन का लेवल ज्यादा होता है लेकिन, उसके बाद रिलेक्सिन हॉर्मोन के लेवल में कमी आ जाती है। रिलेक्सिन हॉर्मोन समय से पहले डिलिवरी न हो इसमें सहायक होता है। ब्लड वेसेल्स को आराम देने के साथ-साथ किडनी और प्लसेंटा तक ब्लड सप्लाई को बैलेंस्ड रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

     प्रेग्नेंसी में हॉर्मोनल बदलाव में शामिल हैं ऑक्सिटोसिन

    ऑक्सिटोसिन हॉर्मोन गर्भावस्था के अंत में ज्यादा सक्रिय होता है।

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    प्रेग्नेंसी में हाॅर्मोनल बदलाव: पहली तिमाही की शुरुआत से ही इन बातों का ध्यान रखें (Keep these things in mind since the beginning of the first trimester)

    प्रेग्नेंसी में हॉर्मोनल बदलाव और एक्सरसाइज के दौरान चोट की आशंका

    प्रेग्नेंसी में हॉर्मोनल बदलाव होना बेहद ही जरूरी है। लेकिन प्रेग्नेंसी में हॉर्मोनल बदलाव होने में व्यायाम करना और भी मुश्किल हो जाता है। क्योंकि प्रेग्नेंसी में हॉर्मोनल बदलाव के कारण लिगामेंट ढीले हो जाते हैं। इस कारण प्रेग्नेंट महिलाओं का मोच या नस खीचने की समस्याएं होना आम बात है। हालांकि, प्रेग्नेंसी के दौरान सावधानी बरतने से इस तरह की चोटों से बचा जा सकता है। गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर का पूरा पोस्चर बदलता है। इस समय में महिलाओं के ब्रेस्ट का साइज बढ़ जाता है। इसके अलावा महिलाओं का बढ़ा हुआ पेट तो देखा ही जा सकता है। महिला के शरीर में हुए इन बदलावों के कारण उनके शरीर की सेंटर ऑफ ग्रेविटी आगे की ओर हो जाती है। इस कारण उनको शरीर को बैलेंस करने में भी दिक्कत हो सकती है।

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    प्रेग्नेंसी में हॉर्मोनल बदलाव के कारण स्वाद और गंध का बदलना (Changes in taste and smell due to hormonal changes in pregnancy)

    ज्यादातर महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान स्वाद के सेंस में बदलाव का अनुभव होता है। प्रेग्नेंट महिलाएं आम तौर पर अन्य महिलाओं की तुलना में नमकीन फूड आयटम्स और मीठे फूड्स को ज्यादा पसंद करती हैं। इसके अलावा प्रेग्नेंट महिलाओं को खट्टा खाने का बहुत मन करता है। प्रेग्नेंट महिलाओं में स्वाद को पहचानने की क्षमता में कमी भी गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान देखने को मिलती है।

    गर्भावस्था में हार्मोन चेंज से डायट में बदलाव (Change in diet due to change in hormones during pregnancy)

    इसके अलावा अलग-अलग ट्राइमेस्टर में प्रेग्नेंट महिलाओं की खाने की आदतों में बदलाव भी देखने को मिलता है। आम तौर पर देखा जाता है कि महिलाओं को प्रसव के बाद कुछ समय तक महिलाओं को खाने में स्वाद की कमी महसूस होती है और साथ ही उनकी भूख में भी काफी कमी देखने को मिलती है। इसके अलावा कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान मुंह में अजीब स्वाद का भी अनुभव होता है। ये सारे लक्षण महिलाओं में प्रेग्नेंसी में हॉर्मोनल बदलाव और अन्य शारीरिक बदलावों के कारण देखने को मिलते हैं। साथ ही प्रेग्नेंट महिलाओं में जी घबराना पोषण की कमी भी देखने को मिलते हैं। प्रेग्नेंसी नें प्रेग्नेंसी में हॉर्मोनल बदलाव के कारण महिलाएं अपने सूंघने की शक्ति में भी बदलावों को महसूस करती हैं। कई मामलों में देखा जाता है इस दौरान महिलाओं को कुछ विशेष गंधों के प्रति सेंसिटिविटी बहुत बढ़ जाती है।

    एक्सपर्ट की लें मदद

    प्रेग्नेंसी में होने वाले चेंजेस को रोका तो नहीं जा सकता है, लेकिन आप शुरूआती दिनों में योग करके कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं से राहत पा सकते हैं। अगर आपको योग या फिर एक्सरसाइज के दौरान किसी भी तरह की समस्या का एहसास हो तो इस बारे में डॉक्टर से बात जरूर करें। प्रेग्नेंसी के आखिरी दिनों में कठिन आसान या फिर एक्सरसाइज करने से बचें। अधिक वजन होने के कारण शरीर को बैलेंस करना मुश्किल हो जाता है। अगर आपको गर्भावस्था के आखिरी दिनों में योग या फिर एक्सरसाइज करनी हैं तो एक्सपर्ट की देखरेख में ही एक्सरसाइज करें।

    हेल्दी प्रेग्नेंसी में हॉर्मोन बदलाव जरूरी है, प्रेग्नेंसी के दौरान शरीरिक बदलाव होता है जो डिलिवरी के बाद धीमे-धीमे ठीक हो जाता है। प्रेग्नेंसी में होने वाले परिवर्तन स्थायी नहीं होते हैं, इससे शुरुआती समय में कुछ तकलीफ हो सकती, लेकिन ये परेशानी सिर्फ कुछ समय के लिए होती हैं। प्रेग्नेंसी की शुरुआत में और इस दौरान दिखने वाले इन लक्षणों से परेशान न हों। किसी भी तरह परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

    उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल की जानकारी पसंद आई होगी और आपको प्रेग्नेंसी में हार्मोन बदलाव से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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