शरीर में होने वाले नकारात्मक बदलाव को समझना बेहद जरूरी होता है और इसे नजरअंदाज भी नहीं करना चाहिए। ठीक ऐसे ही अगर स्तन के नसों में बदलाव ये स्तन में होने वाली परेशानी को वक्त रहते इलाज शुरू न करवाया गया तो परेशानी कम होने के बजाये बढ़ सकती है। स्तन के नसों में बदलाव को आसानी से समझा जा सकता है। ब्रेस्ट की नसें दिखाई देने लगती हैं। ऐसा नहीं है की स्तन की नसों में बदलाव किसी गंभीर समस्या को दर्शाती है लेकिन, ऐसे बदलावों को अनदेखा करना भी ठीक नहीं होता है। स्तन की नसों में बदलाव के कारण और क्या है इसका इलाज इस आर्टिकल में समझेंगे।
स्तन के नसों में बदलाव या किन कारणों से दिखने लगती हैं नसें?
ब्रेस्ट के नसों में बदलाव निम्नलिखित कारणों से हो सकते हैं। इन कारणों में शामिल है:-
स्तन के नसों में बदलाव- कारण 1: गर्भवती होना (Pregnancy)
गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में ब्रेस्ट के नसों में बदलाव देखा जा सकता है। ये नसें आसानी से दिखने लगती हैं। रिसर्च के अनुसार प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड वॉल्यूम 20 से 40 प्रतिशत तक बढ़ा जाता है। क्योंकि इन्हीं नसों की मदद से फीटस तक ब्लड, खनिज तत्व और ऑक्सिजन का सप्लाई होता है। ब्लड वॉल्यूम बढ़ने की वजह से नसों को स्किन पर आसानी से देखा जा सकता है। स्तन के नसों में बदलाव या उनका दिखना पूरे 9 महीने तक रह सकता है।
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स्तन के नसों में बदलाव- कारण 2: स्तनपान करवाना (Breastfeeding)
ब्रेस्ट के नसों में बदलाव या उनका दिखाना गर्भावस्था के शुरुआती दिनों के साथ-साथ ब्रेस्टफीडिंग करवाने के दौरान भी देखा जा सकता है। स्तन के नसों में बदलाव होना या उनका दिखना किसी भी परेशानी का संकेत नहीं हो सकता है अगर ब्रेस्ट में मिल्क फॉर्मेशन बेहतर तरीके से होने पर लेकिन, अगर स्तन की नसें स्पाइडर वेन्स (मकड़ी के जाले) की तरह दिखने लगे तो महिला को सतर्क हो जाना चाहिए। इसे नजरअंदाज करना सही निर्णय नहीं हो सकता है। ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिला को अगर लगे की उनकी स्तन की नसों में बदलाव हुआ है और अब वह आसानी से नजर आने लगे हैं और इसके साथ ही बुखार, स्तन में लाल निशान होना और अच्छा महसूस नहीं करना मैस्टाइटिस की ओर इशारा करती है।
दरअसल मैस्टाइटिस एक ऐसी शारीरिक परेशानी है जिसमें महिलाओं के स्तन के टिशू में असामान्य सूजन आ जाती है। यह आमतौर पर ब्रेस्ट डक्ट में इंफेक्शन के कारण होता है और ज्यादातर स्तनपान कराने वाली महिलाएं ही इस बीमारी से पीड़ित होती हैं। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाएं शुरूआती 6 से 12 हफ्तों के बीच इस समस्या से परेशान रह सकती हैं, हालांकि कुछ महिलाओं में बाद में इस बीमारी के लक्षण दिखायी देते हैं।
स्तन के नसों में बदलाव- कारण 3: ब्रेस्ट कैंसर (Breast cancer)
ब्रेस्ट के नसों में बदलाव होने पर अगर नसें दिखने लगती हैं, तो यह इंफ्लेमेंटरी ब्रेस्ट कैंसर (IBC) के दस्तक देने की निशानी हो सकती है। इंफ्लेमेंटरी ब्रेस्ट कैंसर का खतरा होने पर महिला निम्नलिखित लक्षण महसूस कर सकती हैं। इनमें शामिल है:-
- ब्रेस्ट के शेप और साइज में बदलाव होना
- स्तन की त्वचा के रंग में बदलाव होना जो छीले हुए संतरे की तरह स्तन का होना
- स्तन में सूजन या स्किन का तापमान सामान्य से ज्यादा होना
ज्यादातर नई नसों का दिखना ब्रेस्टफीडिंग या शरीर के बढ़ते वजन की वजह से हो सकते हैं लेकिन, अगर ऐसे बदलाव या अन्य बदलाव होने पर इसे नजरअंदाज करना बेहतर नहीं होगा और जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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स्तन के नसों में बदलाव- कारण 4: ब्रेस्ट सर्जरी (Breast surgery)
ब्रेस्ट ऑग्मेंटेशन की वजह से स्तन की नसें दिखने लगती हैं। कई लोगों को इसकी जानकारी भी नहीं होती है की ब्रेस्ट ऑग्मेंटेशन के बाद स्तन की नसों में बदलाव होगा और वह आसानी से नोटिस भी की जा सकेगी। इसलिए अगर ब्रेस्ट ऑग्मेंटेशन हुआ है, तो स्तन की नसों का दिखना सामान्य हो सकता है।
स्तन के नसों में बदलाव- कारण 5: मॉन्डोर्स डिजीज (Mondor’s disease)
मॉन्डोर्स डिजीज काफी रेयर होता है लेकिन, यह कैंसरस नहीं होता है। यह बीमारी महिला और पुरुषों दोनों में होता है लेकिन, पुरुषों की तुलना में महिलाओं को यह परेशानी ज्यादा होती है। मॉन्डोर्स डिजीज होने पर ब्रेस्ट या चेस्ट की नसों में सूजन आ जाता है और ऐसी स्थिति में नसें आसानी से दिखने लगती हैं। इस समस्या को सुपरफिशियल थ्रोम्बोफ्लेबिटिस (Superficial thrombophlebitis) भी कहते हैं।
महिलाओं में मॉन्डोर्स डिजीज ब्रेस्ट सर्जरी, जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज या अत्यधिक टाइट ब्रा पहनने की वजह से होता है वहीं पुरुषों में इसका कारण अत्यधिक वर्कआउट करना बताया जाता है। ऐसी स्थिति में कैंसर का खतरा हो सकता है लेकिन, ऐसा बहुत कम होता है।
स्यूडोएंजियोमोटस स्ट्रोमल हाइपरप्लासिया (Pseudoangiomatous stromal hyperplasia (PASH)) भी कुछ कारणों में से एक माना जाता है। यह ध्यान रखना चाहिए की PASH होने पर स्तन की नसें दिखने लगती हैं और लंप बनने के साथ-साथ अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर सर्जिकल बायोप्सी की मदद से PASH या कैंसर की जानकारी लेते हैं।
इन कारणों से स्तनों में बदलाव होने पर न हो परेशान
कई बार महिलाओं को पीरियड्स के दौरान भी स्तनों में बदलाव महसूस होता है। जब किसी भी कारण से शरीर में हार्मोनल चेंज होता है तो उसका असर स्तनों में दिखाई पड़ता है। पीरियड्स के पहले एस्ट्रोजन हार्मोन बढ़ जाता है। इस कारण से मिल्क डक्ट और ग्लैंड्स में सूजन आ जाती है। इस कारण से ब्रेस्ट आम दिनों के मुकाबले अलग दिखाई पड़ते हैं। साथ ही स्तनों में हल्की गांठ का एहसास भी हो सकता है। बाद में सामान्य भी हो जाते हैं। वहीं वेट गेन और वेट लॉस के दौरान भी ब्रेस्ट में परिवर्तन दिखाई देता है। अगर फिर भी आपको किसी प्रकार की समस्या महसूस हो रही हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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स्तन के नसों में बदलाव या उनका नसों के दिखाई देने से बचने के लिए इलाज की जरूरत पड़ती है?
गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान अगर स्तन की नसों में बदलाव आता है या यह ज्यादा दिखने लगते हैं, तो परेशान होने की जरूरत नहीं हो सकती है। ब्रेस्ट की नसों में बदलाव प्रेग्नेंसी की शुरुआत से ही देखने को मिल सकती है। कभी-कभी इन नसों का दिखना बेबी डिलिवरी के बाद ठीक भी हो सकता है लेकिन, स्तनपान करवाने की वजह से फिर से नसें दिखाई दे सकती हैं। रिसर्च की माने तो कुछ महिलाओं के ब्रेस्ट की नसों में बदलाव प्रेग्नेंसी के बाद भी रह सकते हैं।
इससे बचने के लिए निम्नलिखित विकल्प अपनाये जा सकते हैं। जैसे: –
- लेजर ट्रीटमेंट जैसे इंडोवेनस लेजर थेरिपी (Endovenous laser therapy) की मदद से कुछ दिखाई देने वाले नसों को संकुचित किया जाता है।
- स्क्लेरोथेरिपी (Sclerotherapy) की दौरान इंजेक्शन की मदद से दिखने वाली नसों को कम किया जाता है।
- कभी-कभी ब्रेस्ट के नसों में बदलाव को दूर करने के लिए रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन (Radiofrequency ablation) की भी मदद ली जाती है। इससे ब्रेस्ट कैंसर का भी इलाज किया जाता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो अगर स्तन कैंसर या मॉन्डोर्स डिजीज जैसे लक्षण नजर आने पर लापरवाही नहीं बरतना चाहिए और जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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ब्रेस्ट के नसों में बदलाव या नसों के दिखने की समस्या को दूर करने के क्या हैं उपाय?
ब्रेस्ट के नसों में बदलाव को दूर करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। जैसे:-
- अगर आप स्तनपान करवाती हैं, तो हमेशा ध्यान रखें की आपका शिशु ठीक तरह से फीड कर रहा हो और उसने ब्रेस्ट को ठीक तरह होल्ड किया हो।
- अगर लेक्टेशन से जुड़ी परेशानी हो रही है, तो ऐसे में घरेलू इलाज न कर डॉक्टर से संपर्क करें।
- अगर आप स्पोर्ट्स एक्टिविटी में पार्टिसिपेट करती हैं, तो ध्यान रखने की ब्रेस्ट में चोट न लगे।
- फिजिकल तौर से एक्टिव रहें।
- जरूरत से ज्यादा टाइट ब्रा का इस्तेमाल न करें।
- आवश्यकता से ज्यादा वर्कआउट नहीं करना चाहिए।
- अगर आपको स्तन में दर्द की समस्या हो या फिर किसी अन्य तरह की समस्या महसूस हो रही हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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ब्रेस्ट के नसों में बदलाव होने पर डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए?
ब्रेस्ट के नसों में बदलाव होने पर निम्नलिखित स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जैसे:-
- नसें सामान्य से ज्यादा बड़े नजर आएं और ये आपस में उलझे हुए लगने लगें
- ब्रेस्ट में दर्द होना
- अचनाक से ब्रेस्ट के नसों में बदलाव होना या कोई नया नस दिखाई देना
- स्तनपान करवाने के दौरान दर्द महसूस होना
- ब्रेस्ट और आसपास की स्किन में खुजली होना, दर्द होना या लाल निशान होना
- चेस्ट या ब्रेस्ट का टेम्प्रचर बढ़ना और बुखार आना
- ब्रेस्ट के शेप या साइज में बदलाव आना
- ब्रेस्ट या आर्मपिट में लंप होना
- निप्पल से डिस्चार्ज होना या पानी-सा सफेद पदार्थ निकलना
- निप्पल क्रेक्ड होना
इन 10 परेशानियों के अलावा अन्य परेशानी होने पर भी डॉक्टर को संपर्क करने में समझदारी है। अगर आप स्तन के नसों में बदलाव देख रहीं हैं तो इसे टालते न रहें और इससे जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहती हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। समय पर स्तनों की जांच कराने पर बड़ी समस्या से बचा जा सकता है।आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।
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