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आपने अक्सर देखा होगा कि बुजुर्गों के हाथ खाना खाते वक्त या पानी का ग्लास उठाते समय भी कांपते हैं, ऐसे बिनाइन एसेंशियल ट्रेमर (हाथों का कांपना) के कारण हो सकता है। यह नर्वस सिस्टम ब्रेन डिसऑर्डर है जिसमें आपके शरीर का कोई हिस्सा बिना आपकी मर्जी के कांपने लगता है यानी आपका उसपर कोई नियंत्रण नहीं होता है। ऐसा अक्सर हाथों के साथ होता है। बिनाइन एसेंशियल ट्रेमर के लक्षण और उपचार जानने के लिए पढ़ें यह आर्टिकल।
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एसेंशियल ट्रेमर को बिनाइन एसेंशियल ट्रेमर भी कहा जाता है, यह एक ब्रेन डिसऑर्डर है जिसकी वजह से शरीर के किसी भी हिस्से में कंपन हो सकता है जिसे आप चाहकर भी नियंत्रित नहीं कर पाते हैं, वैसे तो यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है, लेकिन सबसे ज्यादा हाथ और फोरआर्म्स (कलाई और कोहनी के बीच का हिस्सा) इससे प्रभावित होते हैं। इसके अलावा सिर, चेहरा, जीभ, गर्दन में भी कंपन हो सकती है। दुर्लभ मामलों पैरों में भी कंपकंपी हो सकती है। इसके अलावा कुछ अन्य स्वास्थ्य स्थितियां जैसे पार्किसन डिसीज के कारण भी ट्रेमर की समस्या हो सकती है। वैसे तो बिनाइन एसेंशियल ट्रेमर किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन आमतौर पर यह बुजुर्गों को अधिक प्रभावित करता है। हालांकि इससे कोई गंभीर समस्या नहीं होती है, लेकिन हां, व्यक्ति को रोजमर्रा के काम करने और कुछ उठाने में दिक्कत होती है।
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बिनाइन एसेंशियल ट्रेमर के सामान्य लक्षणों में शामिल हैः
कई बार कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी कंपकंपी का कारण बन सकती है, जैसे पार्किसन डिसीज, मल्टीपल स्केलेरोसिस, एक्सरसाइज के बाद थकान, बहुत अधिक इमोशनल स्ट्रेस, ब्रेन ट्यूमर, कुछ दवाएं, मेटाबॉलिक असमान्यताएं, ड्रग या एल्कोहल विदड्रॉअल।
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बिनाइन एसेंशियल ट्रेमर के सटीक कारणों का पता नहीं चल सका है, अधिकांश मामलों में यह जेनेटिक होता है। इसके संभावित कारणों में शामिल हैः
हाल में हुए कुछ रिसर्च के मुताबिक, बिनाइन एसेंशियल ट्रेमर मस्तिष्क के कुछ हिस्से में होने वाले बदलाव की वजह होता है। इस संबंध में और रिसर्च जारी है।
40 साल से अधिक उम्र के लोगों में बिनाइन एसेंशियल ट्रेमर विकसित होने का खतरा अधिक होता है। जेनेटिक कारण भी खतरे को बढ़ा देते हैं यानी परिवार में यदि पहले किसी को बिनाइन एसेंशियल ट्रेमर हुआ है तो आपमें इसका खतरा बढ़ जाता है। यदि आपको बिनाइन एसेंशियल ट्रेमर है तो आपके बच्चे में इसका खतरा 50 प्रतिशत रहता है।
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डॉक्टर बिनाइन एसेंशियल ट्रेमर का निदान करने के लिए मरीज के कंपकंपी को ऑब्जर्व करता है और अन्य अंतर्निहित स्वास्थ्य कारणों का पता लगाता है। बिनाइन एसेंशियल ट्रेमर की गंभीरता का पता लगाने के लिए डॉक्टर शारीरिक परीक्षण करता है। इसके अलावा ट्रेमर के अंतर्निहित स्वास्थ्य कारणों का पता लगाने के लिए डॉक्टर अन्य इमेजिंग टेस्ट की भी सलाह दे सकता है जैसे सीटी स्कैन और एमआरआई स्कैन।
चूंकि बिनाइन एसेंशियल ट्रेमर के सही कारणों का ही अभी तक पता नहीं चल पाया है, ऐसे में इससे बचाव का फिलहाल कोई तरीका नहीं है। हालांकि, इसका अनुवांशिक संबंध होने का पता चलने के कारण डॉक्टरों के लिए इसका प्रभावी इलाज और इसे कुछ हद तक रोक पाना मुमिकन होता है।
बिनाइन एसेंशियल ट्रेमर को ठीक करने के लिए कोई उपचार नहीं है, लेकिन इलाज से इसके लक्षणों में कमी लाने में मदद मिलती है। दवाओं और सर्जरी की मदद से ट्रेमर को कम करने में मदद मिलती है, लेकिन एक ही तरह का उपचार हर किसी के लिए प्रभावी हो यह जरूरी नहीं है। मरीज की कंडिशन के आधार पर डॉक्टर अलग-अलग तरीके से इलाज करता है, साथ ही जीवनशैली में कुछ बदलाव लाकर भी ट्रेमर को कम किया जा सकता है।
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बिनाइन एसेंशियल ट्रेमर के लिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन उपचार से इसके लक्षणों को बढ़ने से रोका जा सकता है। कुछ उपचार की मदद से इसके लक्षणों से राहत मिलती है। यदि आपमें बिनाइन एसेंशियल ट्रेमर के मामूली लक्षण दिखते हैं, तो आपको इलाज की कोई जरूरत नहीं है। लक्षण गंभीर होने पर ही डॉक्टर आपको उपचार की सलाह देता है। उपचार के तरीकों में शामिल हैः
ओरल दवाएं बिनाइन एसेंशियल ट्रेमर की गंभीरता को कम करने में मदद करते हैं। इनमें शामिल है गैबापेंटिन (न्यूरोन्टिन), प्रोप्रानोलोल (हेमेंजोल, इंडेराल, इंडरल एक्सएल और इनोप्रान XL), प्राइमिडोन (मैसोलिन), और टॉपिरामेट (टोपामैक्स)। दवा के अन्य विकल्प हैं बेंजोडायजेपिन्स अल्प्राजोलम (जोनाक्स), क्लोनाजेपम (क्लोनोपिन), डायजेपम (वेलियम) और लोरजेपम (एटिवन)। बोटॉक्स इंजेक्शन भी एक उपचार विकल्प हो सकता है। यह सिर या आवाज की कंपकंपी को ठीक करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।
डॉक्टर फिजकल या ऑक्यूपेशनल थेरेपी की भी सलाह दे सकता है। फिजिकल थेरेपी में मसल्स की स्ट्रेंथ बढ़ाने, कंट्रोल और कॉर्डिनेशन के लिए एक्सरसाइज बताई जाती है. ऑक्यूपेशनल थेरेपी में थेरेपिस्ट आपको बिनाइन एसेंशियल ट्रेमर के साथ किस तरह से एडजस्ट करके रह सकते है यह सिखाता है। इसमें कंपकंपी कम करने के लिए थेरेपिस्ट डिवाइस की मदद लेने को कहता है जिससे आप रोजमर्रा के काम गर पाएं जैसे ग्लास या बर्तन उठाना, कलाई का भार, चौड़ा, भारी राइटिंग टूल आदि।
जब उपचार के अन्य तरीके काम नहीं करते हैं या उनसे राहत नहीं मिलती है तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह देता है। यह सर्जरी दो प्रकार की होती हैः
इस प्रक्रिया में मस्तिष्क में छोटा इलेक्ट्रोड डाला जाता है जो गतिविधि को कंट्रोल करता है। यह इलेक्ट्रोड ट्रेमर पैदा करने वाली नर्व सिग्नल्स को रोकता है।
इस प्रक्रिया में ट्रेमर को कंट्रोल करने के लिए मस्तिष्क के छोटे से हिस्से में हाई पावर एक्स रे को पिनपॉइंट किया जाता है।
उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में बिनाइन एसेंशियल ट्रेमर से जुड़ी जानकारी देने की कोशिश की गई है। यदि आप इससे जुडी अन्य कोई जानकारी पाना चाहते हैं तो बेहतर होगा इसके लिए किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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