एचाआईवी (HIV) एक वायरस है जो इम्यून सिस्टम पर अटैक करता है। अगर एचआईवी इंफेक्शन का उपचार ना किया जाए तो पीड़ित को एड्स (AIDS) हो सकता है, जो कि एक लंबी और घातक स्थिति है। यह वजायनल, ओरल और एनल सेक्स (Anal Sex) के जरिए फैलता है। ब्लड, ब्लड फैक्टर प्रोडक्ट्स, ड्रग इंजेक्शन, ब्रेस्ट मिल्क से भी एचआईवी फैलता है। एचआईवी का पता लगाने के लिए ब्लड स्क्रीनिंग की जाती है। जिसमें एलिसा टेस्ट भी शामिल है। एचआईवी के लिए एलिसा टेस्ट कैसे किया जाता है। इसकी प्रक्रिया क्या होती है? इस लेख में पूरी जानकारी दी जा रही है।
एलिसा टेस्ट (Elisa test) क्या है?
एलिसा (ELISA) का पूरा नाम एंजाइम लिंक्ड इम्यूनोसोर्बेंट असे (enzyme-linked immunosorbent assay) है। इसे एंजाइम इम्यूनोअसे (EIA) के नाम से भी जाना जाता है। जो ब्लड में एचआईवी एंटीबॉडीज और एंटीजेन के बारे में पता लगाता है। एंटीबॉडीज ऐसे प्रोटीन होते हैं जिन्हें इम्यून सिस्टम (immune system) प्रोड्यूस करता है, जो बीमारियों से लड़ने में बॉडी की मदद करते हैं। किसी बाहरी तत्व जैसे कि वायरस के बॉडी में प्रवेश करने पर बॉडी एंटीबॉडीज को तैयार करती है ताकि वे बाहरी तत्वों के प्रति प्रतिक्रिया कर सकें। इसके विपरीत, एंटीजन (antigens) बॉडी में पाए जाने वाले वे फॉरेन सब्सटेंस हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) के प्रतिक्रिया करने का कारण बनते हैं।
एचआईवी के लिए एलिसा टेस्ट आमतौर पर हेल्थकेयर प्रोवाइडर कराने के लिए कहते हैं। अगर रिजल्ट पॉजिटिव आता है तो पहले डायग्नोसिस को कंफर्म करने के लिए वेस्टर्न ब्लोट (Western blot) टेस्ट किया जाता था, लेकिन अब इस टेस्ट का ज्यादा उपयोग नहीं किया जाता। अब एचआईवी इंफेक्शन (HIV infection) को कंफर्म करने के लिए एलिसा टेस्ट के बाद एचआईवी डिफरेंसिएशन असे HIV differentiation assay किया जाता है। इसके अलावा डॉक्टर एचआईवी जेनेटिक मटेरियल डिटेक्शन (HIV genetic material detection) टेस्ट करने के लिए भी कह सकता है।
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एचआईवी के लिए एलिसा टेस्ट कराने के लिए कब कहा जाता है? (When is the ELISA test recommended?)
एलिसा टेस्ट तब रिकमंड किया जाता है जब कोई व्यक्ति एचआईवी के संपर्क में आया हो या किसी को एचआईवी का रिस्क हो। एचआईवी के रिस्क में निम्न शामिल हैं।
- जो लोग इंट्रावेनस (intravenous) ड्रग का यूज करते हैं
- जो लोग एचआईवी संक्रमितों से कंडोम के बिना फिजिकल रिलेशन बनाते हैं (sex without condom) या उन्हें उस व्यक्ति के एचआईवी स्टेट्स के बारे में पता नहीं होता जिसके साथ वे सेक्स कर रहे हैं
- ऐसे लोग जो सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (sexually transmitted diseases) का शिकार होते हैं
- लोग जो ब्लड ट्रांसफ्यूजन ( blood transfusions) का शिकार होते हैं
अगर कोई भी व्यक्ति अपने एचआईवी स्टेट्स को लेकर श्योर नहीं है तो उसे एलिसा टेस्ट कराना चाहिए। फिर चाहे वे हाय रिस्क ग्रुप में ना आते हों। ऐसे लोग जो हाय रिस्क बिहेवियर जैसे कि आईवी ड्रग्स (IV drugs) का यूज करना, कंडोम के बिना सेक्स करना जैसी गतिविधियों से जुड़े रहते हैं तो उन्हें रेगुलरी इस टेस्ट को करवाना चाहिए। सेंटर्स ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार सभी व्यस्कों को एक बार एचआईवी का टेस्ट (HIV Test) करवाना चाहिए।
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क्या एचवीआई के लिए एलिसा टेस्ट करवाने के लिए विशेष तैयारी करनी पड़ती है? How do I prepare for the tests?
इस टेस्ट को करवाने के लिए किसी प्रकार की तैयारी की जरूरत नहीं होती है। यह टेस्ट ब्लड सैंपल का यूज करके किया जाता है। ब्लड सैंपल लेने में बहुत कम समय लगता है, लेकिन टेस्ट का रिजल्ट आने में कई दिन लग सकते हैं। जिन लोगों को नीडल से डर लगता है या जो खून देखकर बेहोश या परेशान हो जाते हैं उन्हें टेस्ट कराने से पहले इसके बारे में डॉक्टर और लेब टेक्नीशियन को बता देना चाहिए।
टेस्ट के दौरान क्या होता है? (What happens during the test?)
यह एक सामान्य प्रॉसीजर होता है। टेस्ट के पहले डॉक्टर पूरे प्रॉसीजर के बारे में बताएगा। इस दौरान आपको एक फॉर्म भी भरने को दिया जा सकता है। टेस्ट के दौरान होने वाली प्रॉब्लम्स से बचने के लिए टेस्ट करवा रहे व्यक्ति को निम्न बातें डॉक्टर्स को बता देनी चाहिए।
- अगर पहले कभी ब्लड सैंपल देते वक्त किसी तरह की परेशानी हुई हो
- अगर मरीज को ब्लीडिंग डिसऑर्डर जैसे कि हीमोफीलिया है
- अगर मरीज एंटीक्वागुलेंट मेडिसिन (ब्लड थिनर्स) का उपयोग कर रहा हो
ब्लड सैंपल लेने का प्रॉसीजर वैसा ही होता है जैसा कि किसी भी अन्य टेस्ट में होता है।
- जहां से ब्लड देना है उस एरिया को क्लीन किया जाता है
- आर्म पर इलास्टिक बैंड बांधकर वैन्स को सर्च किया जाता है
- वेन्स में नीडल लगाकर ट्यूब में ब्लड सैंपल ले लिया जाता है
- इसके बाद नीडल को हटाकर बैंडेज लगा दिया जाता है
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एचआईवी के लिए एलिसा टेस्ट में संक्रमण का पता कैसे लगाया जाता है?
एचआईवी के लिए एलिसा टेस्ट करने के लिए ब्लड सैंपल को लेबोरेट्री में एनालिसिस के लिए भेज दिया जाता है। लैब टेक्नीशियन सैंपल को डिवाइस में एड करता है जिसमें एचआईवी एंटीजन (HIV antigen) और एंटी एचआईवी एंटी एंटीबॉडीज (anti-HIV antibodies) होती हैं। एक ऑटोमेटेड प्रॉसेस के जरिए डिवाइस में एंजाइम एड किया जाता है। एंजाइम कैमिकल रिएक्शन को फास्ट कर देता है। इसके बाद ब्लड और एंटीजन के रिएक्शन को मॉनिटर किया जाता है। अगर ब्लड में एचआईवी के लिए एंटीबॉडीज या एंटीजन हैं तो यह डिवाइस में मौजूद एंटीजन और एंटीबॉडीज से जुड़ जाएंगे। अगर यह बाइंडिंग (binding) होती है तो व्यक्ति को एचआईवी हो सकता है। इस तरह से टेस्ट से एचआईवी का पता चल जाता है।
एचआईवी का पता लगाने के लिए की जाने वाली डिफरेंसिएशन असे (differentiation assay) की प्रॉसेस भी ऐसी ही है, लेकिन बस इसमें ऑटोमेटेड मशीन की जगह लैब टेक्नीशियन होता है।
टेस्ट के रिजल्ट का क्या मतलब है? (What do the test results mean?)
अगर एचआईवी के लिए एलिसा टेस्ट का रिजल्ट पॉजिटिव आता है तो व्यक्ति को एचआईवी हो सकता है। हालांकि कई बार ये टेस्ट सही नहीं होता। इसका मतलब ये है कि कई बार रिजल्ट पॉजिटिव होता है लेकिन व्यक्ति को एचआईवी नहीं होता। कुछ कंडिशन जैसे कि लाइम डिजीज (Lyme disease), सिफलिस (syphilis) या ल्यूपस (lupus) होने पर फॉल्स पॉजिटिव रिजल्ट आ सकता है।
इसी वजह से एलिसा टेस्ट के बाद कई तरह के दूसरे टेस्ट भी किए जाते हैं ताकि ये कंफर्म हो सके कि व्यक्ति को एचआईवी है या नहीं। इसमें डिफरेंसिएशन असे और न्यूक्लिक एसिड टेस्ट (nucleic acid test) (NAT) शामिल है। अगर व्यक्ति इन टेस्ट के लिए भी पॉजिटिव पाया जाता है तो उसे एचआईवी होना माना जाता है।
कभी-कभी, किसी व्यक्ति को एचआईवी संक्रमण होने पर भी एलिसा टेस्ट (ELISA test) में एचआईवी (HIV) नहीं दिखता है। यह तब हो सकता है जब कोई व्यक्ति संक्रमण के शुरुआती चरण में है, और उसके शरीर में पर्याप्त एंटीबॉडीज नहीं बने हैं जिनका पता परीक्षण में लग सके। साथ ही वह समय जब व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित होता है और टेस्ट का रिजल्ट आता है तब तक के समय को विंडो पीरियड (Window period) कहा जाता है। सीडीसी के अनुसार विंडो पीरियड तीन से बारह हफ्ते तक रहता है। कई बार एंटीबॉडीज बनने में छ: महीने का भी समय लग सकता है।
हालांकि एचआईवी बहुत गंभीर बीमारी है, लेकिन इस बात ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आज ऐसी दवाएं उपलब्ध है जो एचआईवी संक्रमण को एड्स में विकसित होने से रोकने में मदद कर सकती है। एचआईवी वाले व्यक्ति के लिए एक लंबा और पूर्ण जीवन जीना संभव है।
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