backup og meta

जानें सिफलिस का नैचुरल इलाज क्या है और इसे कैसे फॉलो करें...

जानें सिफलिस का नैचुरल इलाज क्या है और इसे कैसे फॉलो करें...
कई बार ऐसा होता है कि शरीर में दिखने वाले सोर को लोग पहचान नहीं पाते हैं, पर यह सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (Sexually Transmitted Diseases) यानि कि सिफलिस की समस्या भी हो सकती है। कई बार इसकी वजह से लोगों की सेक्शुअल लाइफ भी प्रभावित होती है। यह इंफेक्शन (Infection) कई माध्यमों से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बड़े आसानी से फैल जाता है। सिफलिस ( Syphilis) की कई स्टेज होती हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि इसके हर स्टेज में लक्षण, लोगों में नजर आएं। यह एक बहुत ही गंभीर रोग है। तो आज हम आपको यहां बता रहे हैं कि सिफलिस का उपचार और इसके इलाज के लिए किस तरह के नैचुरल सप्लिमेंट लिए जा सकते हैं। जानें सिफलिस के लिए नैचुरल सप्लिमेंट (Natural Supplements for syphilis Treatment) के बारे मे, साथ ही कि सिफलिस है क्या:

सिफलिस क्या है? (Syphilis)

सिफलिस एक सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (Sexually Transmitted Infection) है। जो लोगों की सेक्शुअल लाइफ को प्रभावित करने के साथ उनके शरीर के दूसरे अंगों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। कई बार स्थिति जानलेवा तक साबित हो सकती है। यह बीमारी टी पैलिडम (Tea pallidum)नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। इसका समय रहते इलाज बहुत जरूरी है। इसके लक्षणों में शामिल हैं त्वचा में होने वाला दर्द और छाले आदि। यह जननांगों, होंठों और मुंह कहीं भी हो सकती है। यह इंफेक्शन (Infection) किसी व्यक्ति में यौन संपर्क में आने से फैलता है। सिफलिस का सबसे पहला लक्षण छोटे दर्द वाले सोर माने जाते हैं।
सिफलिस को डायग्नोज करना थोड़ा मुश्किल होता है। कई लोगों में लक्षण तो साल तक नहीं दिखता है। यदि इसका सही समय पर इलाज न किया जाए तो इससे शरीर के दूसरे अंग भी खराब हो सकते हैं, जैसे कि इसका असर हार्ट और ब्रेन पर भी पड़ सकता है

सिफलिस के चरण (Stages of syphilis infection)

  • प्राइमरी (Primary syphilis)
  • सेकैंडरी (Secondary syphilis)
  • लैटेंट (Latent syphilis)
  • टरेटरी (Tertiary syphilis)

सिफलिस के पहले दो चरण काफी तेजी से फैलते हैं। जब सिफलिस तीसरे और चौथे चरण में होता है, तो रोग सक्रिय रहता है, पर अक्सर इसके कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं।

और पढ़ें: क्या है सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज, कैसे करें एसटीडी से बचाव?

प्राइमरी सिफलिस (Primary syphilis)

प्राइमरी स्टेज का सिफलिस इंफैक्शन (Syphilis Injection) होने के बाद इसका प्रभाव संक्रमित व्यक्ति में तीन से चार सप्ताह बना रहता है। इसकी शुरुआत छोटे-छोटे राउंड सोर से होेती है। यह जननांगों में या मुंह के अंदर हो सकते हैं, जोकि 10 से 90 दिनों तक बने रह सकते हैं।

सैकेंडरी सिफलिस (Secondary syphilis)

दूसर स्टेज में स्किन रैशेज (Skin Rashes) और गले में सोर उत्पन्न हो सकते हैं। यह रैशेज शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकते हैं। इसके अलावा कुछ और भी लक्षण हो सकते हैं, जैसे कि सिर दर्द (Headache), थकान (Fatigue), बुखार (Fever), वेट लॉस (weight loss), हेयर लाॅस (Hair loss) और जोड़ों में दर्द (Joint Pain) आदि। इस स्टेज से इंफेक्शन आगे न पहुंचे, इसलिए सही समय पर इलाज बहुत जरूरी है।

लैटेंट सिफलिस (Latent syphilis)

फस्ट और सेकेंड स्टेज में लक्षण नजर आ जाते हैं, लेकिन तीसरे स्टेज में लक्षण नजर नहीं आते हैं। जोकि अंदर से शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर रहे होते हैं।

टेरटरी सिफलिस (Tertiary syphilis)

यह सिफलिश की चौथी (syphilis Forth Stage) और लास्ट स्टेज है। इसमें मरीज की स्थिति काफी गंभीर हो सकती है और उसे अंधापन, बहरापन, मेंटल इलनेस, मेमाेरी लॉस, हार्ट डिजीज या स्ट्रोक जैसी प्रॉब्लम हो सकती है

और पढ़ें: Gonorrhea: गोनोरिया क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

ट्रीटमेंट: सिफलिस के लिए नैचुरल सप्लिमेंट (Natural Supplements for syphilis Treatment)

लहसुन (Garlic)

गार्लिक यानि कि लहसुन शरीर में नैचुरल एंटी बॉयोटिक (Antibiotic) का काम करता है। इसी के साथ ही यह इम्यून सिस्टम (Immune System) को भी बढ़ाता है। सिफिलस के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट (Natural Supplements for syphilis Treatment) में लहसुन का सेवन काफी प्रभावकारी है। लहसुन के उपयोग के और भी कई फायदे हैं। इसका इस्तेमाल आयुर्वेद में भी लाभकारी माना जाता है। इसक सेवन शरीर में कई प्रकार के बैक्टेरिया से लड़ने में मददगार है। जैसा कि यह इम्यूनिटी को बढ़ाता है, तो उसी के साथ यह कई बीमारियों से भी बचाता है।

और पढ़ें: जानिए कहां होते हैं एक्यूप्रेशर सेक्स पॉइंट्स और कैसे लगा सकते हैं ये सेक्स लाइफ में तड़का 

गोल्डसिल प्लांट (Goldenseal plant)

गोल्डनसिल एक प्रकार का पौधा है। यह अपने रोगाणुरोधी गुणों के लिए पहचाना जाता है।  जाना जाता है। कई शोधों के अनुसार, यह रेस्पेरेटरी इंफेक्शन और घावों सहित कई प्रकार के इंफेक्शन के इलाज के लिए यह लाभदायक है। यह बाजार में कैप्सूल के रूप में भी उपलब्ध है। लेकिन इसके इस्तेमाल से पहले आपको डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

हल्दी (Turmeric)

हल्दी के कई हेल्थ बेनेफिट्स हैं। इसमें कई इंफ्लामेटीर गुण मौजूद होते हैं। सिफलिश के इलाज के लिए कच्ची हल्दी का सेवन काफी प्रभावकारी माना जाता है। खानी पेट इसके सेवन से शरीर में मौजूद सभी प्रकार के बैक्टीरिया मर जाते हैं। यह कैंसर के खतरे को भी कम करता है। यदि आप सिफरिश की समस्या से परेशान हैं, तो इसका सेवन करें।

और पढ़ें: कई लोगों के साथ ओरल सेक्स करने से काफी बढ़ जाता है सिर और गले के कैंसर का खतरा

एप्पल साइड विनेगर (Apple Cider Vinegar)

एप्पल साइडर विनेगर के भी कई हेल्थ बेनेफिट्स (Health Benefits) हैं। यह एक प्रकार की नैचुरल रेमेडीज है। कई शोधों में भी सैक्शुअल ट्रांसमेटिड डिजीज के उपचार के लिए भी इसका सेवन लाभदायक माना गया है। इसमें कई एंटी बैक्टेरियल गुण होते हैं। तो ऐसे में इसका सेवन शरीर में मौजूद सभी इंफेक्शन को दूर  करता है।

शहद (Honey)

शहद का रोजाना सेवन कई प्रकार की बीमारियों को दूर करने के साथ इम्यनिटी को बढ़ाने में मददगार है। शरीर की रोग प्रतिरोधक (Immunity System) अगर मजबूत होगी तो कोई भी वायरस आप पर हावी नहीं हो पाएगा। यह कई प्रकार के बैक्टीरिया को भी मारता है। एसटीडी की समस्या (STD problem) के उपचार के लिए शहद काफी प्रभावकारी है। इन सभी नैचुरल उपायों के अलावा आपके लिए संतुलिन आहार बहुत जरूरी है। ताकि आपकी इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग बनी रहे।

सिफलिस का उपचार: नैचुरल उपाय

सिफलिस के उपचार के लिए अन्य कई नैचुरल ट्रीटमेंट को भी अपनाया जा सकता है, जैसे कि:

विटामिन बी (Vitamin B)

अगर हम सिफलिस के लिए नैचुरल सप्लिमेंट (Natural Supplements for syphilis) की बात करें, तो आपको अपनी  डायट में विटामिन बी (Vitamin B) को शामिल करना बहुत जरूरी है। डॉक्टर्स विटामिन बी के साथ विटामिन सी, एमिनो फ्री एसिड कॉम्पलैक्स, विटामिन के और जिंक का सेवन बहुत जरूरी है। यह आपके शरीर को किसी भी प्रकार के इंफेक्शन से लड़ने के लिए तैयार करता है।

एक्यूपंचर ट्रीटमेंट (Acupuncture Treatments)

एक्यूपंचर ट्रीटमेंट शरीर में इम्यून फंक्शन (Immune Function) को बढ़ाने के साथ तनाव को भी कम करता है। यह सिफलिस की समस्या से बचाव के लिए काफी प्रभावकारी है। यह सिफलिस के तीसरे स्टेज में होने लेटनेंट सिफलिस के प्रभाव को कम करता है।

एक्यूप्रेशर ट्रीटमेंट (Acupressure treatments)

एक्यूप्रेशर ट्रीटमेंट शरीर में इम्यूनिटी को बूस्ट करने में मददगार है। जो शरीर को किसी भी प्रकार के इंफेक्शन को प्रवेश करने से रोकता है।

चाइनिज हर्बल थेरिपी (Chinese herbal therapy)

यह चाइनिज हर्बल थेरिपी नैचुरल हर्बस (Natural Supplement) से बनी हुई होती है। कई डिजीज के उपचारों के इलाज के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन आप इसका प्रयोग डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
यह सभी सिफिलस के वैकेल्पिक उपचार हैं, जो कि इस बात पर निर्भर करता है कि आपको सिफलिश किस स्टेज का है। इसके अलावा, इनमें किसी भी प्रकार का सप्लिमेंट या ट्रीटमेंट को लेने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर सलाह करें। हो सकता है कि डॉक्टर इनके अलावा कोई और सप्लिमेंट या ट्रीटमेंट की सलाह दे सकते हैं।

[embed-health-tool-ovulation]

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC1779891/ Accessed 15 April, 2021

https://www.aafp.org/afp/1999/0415/p2245.html Accessed 15 April, 2021

https://www.acog.org/womens-health/faqs/chlamydia-gonorrhea-and-syphilis Accessed 15 April, 2021

https://www.healthychildren.org/English/health-issues/conditions/sexually-transmitted/Pages/Medications-for-Sexually-Transmitted-Infections.aspx Accessed 15 April, 2021

Current Version

19/04/2021

Niharika Jaiswal द्वारा लिखित

Updated by: Niharika Jaiswal


संबंधित पोस्ट

Syphilis: सिफलिस क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

चार स्टेज में फैलती है सिफलिस की बीमारी, तीसरी स्टेज होती है सबसे खतरनाक



Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 19/04/2021

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement