सिफलिस क्या है? (Syphilis)
सिफलिस के चरण (Stages of syphilis infection)
- प्राइमरी (Primary syphilis)
- सेकैंडरी (Secondary syphilis)
- लैटेंट (Latent syphilis)
- टरेटरी (Tertiary syphilis)
सिफलिस के पहले दो चरण काफी तेजी से फैलते हैं। जब सिफलिस तीसरे और चौथे चरण में होता है, तो रोग सक्रिय रहता है, पर अक्सर इसके कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं।
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प्राइमरी सिफलिस (Primary syphilis)
प्राइमरी स्टेज का सिफलिस इंफैक्शन (Syphilis Injection) होने के बाद इसका प्रभाव संक्रमित व्यक्ति में तीन से चार सप्ताह बना रहता है। इसकी शुरुआत छोटे-छोटे राउंड सोर से होेती है। यह जननांगों में या मुंह के अंदर हो सकते हैं, जोकि 10 से 90 दिनों तक बने रह सकते हैं।
सैकेंडरी सिफलिस (Secondary syphilis)
दूसर स्टेज में स्किन रैशेज (Skin Rashes) और गले में सोर उत्पन्न हो सकते हैं। यह रैशेज शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकते हैं। इसके अलावा कुछ और भी लक्षण हो सकते हैं, जैसे कि सिर दर्द (Headache), थकान (Fatigue), बुखार (Fever), वेट लॉस (weight loss), हेयर लाॅस (Hair loss) और जोड़ों में दर्द (Joint Pain) आदि। इस स्टेज से इंफेक्शन आगे न पहुंचे, इसलिए सही समय पर इलाज बहुत जरूरी है।
लैटेंट सिफलिस (Latent syphilis)
फस्ट और सेकेंड स्टेज में लक्षण नजर आ जाते हैं, लेकिन तीसरे स्टेज में लक्षण नजर नहीं आते हैं। जोकि अंदर से शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर रहे होते हैं।
टेरटरी सिफलिस (Tertiary syphilis)
यह सिफलिश की चौथी (syphilis Forth Stage) और लास्ट स्टेज है। इसमें मरीज की स्थिति काफी गंभीर हो सकती है और उसे अंधापन, बहरापन, मेंटल इलनेस, मेमाेरी लॉस, हार्ट डिजीज या स्ट्रोक जैसी प्रॉब्लम हो सकती है।
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ट्रीटमेंट: सिफलिस के लिए नैचुरल सप्लिमेंट (Natural Supplements for syphilis Treatment)
लहसुन (Garlic)
गार्लिक यानि कि लहसुन शरीर में नैचुरल एंटी बॉयोटिक (Antibiotic) का काम करता है। इसी के साथ ही यह इम्यून सिस्टम (Immune System) को भी बढ़ाता है। सिफिलस के लिए नैचुरल ट्रीटमेंट (Natural Supplements for syphilis Treatment) में लहसुन का सेवन काफी प्रभावकारी है। लहसुन के उपयोग के और भी कई फायदे हैं। इसका इस्तेमाल आयुर्वेद में भी लाभकारी माना जाता है। इसक सेवन शरीर में कई प्रकार के बैक्टेरिया से लड़ने में मददगार है। जैसा कि यह इम्यूनिटी को बढ़ाता है, तो उसी के साथ यह कई बीमारियों से भी बचाता है।
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गोल्डसिल प्लांट (Goldenseal plant)
गोल्डनसिल एक प्रकार का पौधा है। यह अपने रोगाणुरोधी गुणों के लिए पहचाना जाता है। जाना जाता है। कई शोधों के अनुसार, यह रेस्पेरेटरी इंफेक्शन और घावों सहित कई प्रकार के इंफेक्शन के इलाज के लिए यह लाभदायक है। यह बाजार में कैप्सूल के रूप में भी उपलब्ध है। लेकिन इसके इस्तेमाल से पहले आपको डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
हल्दी (Turmeric)
हल्दी के कई हेल्थ बेनेफिट्स हैं। इसमें कई इंफ्लामेटीर गुण मौजूद होते हैं। सिफलिश के इलाज के लिए कच्ची हल्दी का सेवन काफी प्रभावकारी माना जाता है। खानी पेट इसके सेवन से शरीर में मौजूद सभी प्रकार के बैक्टीरिया मर जाते हैं। यह कैंसर के खतरे को भी कम करता है। यदि आप सिफरिश की समस्या से परेशान हैं, तो इसका सेवन करें।
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एप्पल साइड विनेगर (Apple Cider Vinegar)
एप्पल साइडर विनेगर के भी कई हेल्थ बेनेफिट्स (Health Benefits) हैं। यह एक प्रकार की नैचुरल रेमेडीज है। कई शोधों में भी सैक्शुअल ट्रांसमेटिड डिजीज के उपचार के लिए भी इसका सेवन लाभदायक माना गया है। इसमें कई एंटी बैक्टेरियल गुण होते हैं। तो ऐसे में इसका सेवन शरीर में मौजूद सभी इंफेक्शन को दूर करता है।
शहद (Honey)
शहद का रोजाना सेवन कई प्रकार की बीमारियों को दूर करने के साथ इम्यनिटी को बढ़ाने में मददगार है। शरीर की रोग प्रतिरोधक (Immunity System) अगर मजबूत होगी तो कोई भी वायरस आप पर हावी नहीं हो पाएगा। यह कई प्रकार के बैक्टीरिया को भी मारता है। एसटीडी की समस्या (STD problem) के उपचार के लिए शहद काफी प्रभावकारी है। इन सभी नैचुरल उपायों के अलावा आपके लिए संतुलिन आहार बहुत जरूरी है। ताकि आपकी इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग बनी रहे।
सिफलिस का उपचार: नैचुरल उपाय
विटामिन बी (Vitamin B)
एक्यूपंचर ट्रीटमेंट (Acupuncture Treatments)
एक्यूप्रेशर ट्रीटमेंट (Acupressure treatments)
चाइनिज हर्बल थेरिपी (Chinese herbal therapy)
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