परिचय
नील पड़ना या गुमचोट क्या है?
नील पड़ना या गुमचोट क्या है, इन दोनों को ही मेडिकल टर्म ब्रूज और कन्टूजन कहा जाता है। नील पड़ने और गुमचोट में कोई अंतर नहीं है। Bruise or Contusion को आम भाषा में हम नील कहते हैं। नील पड़ना यानी किसी चोट की वजह से शरीर के हिस्से का नीला पड़ जाना होता है। ये तब होता है जब शरीर का कोई हिस्सा या कोशिका घायल होने पर उसके आसपास के क्षेत्र पर खून का थक्का जमा हो जाता है। नील पड़ना हिमटोमा का ही एक प्रकार है, जो रक्त वाहिका से खून एक जगह इकठ्ठा करता है। नील पड़ना या गुमचोट (Contusion) सुनने में भले ही छोटी-मोटी समस्या लगे, लेकिन यह कभी-कभी खतरनाक समस्या भी हो सकती है। नील पड़ना या गुमचोट (Contusion) के बारे में जब भी सोचते हैं तो स्किन पर नीले-काले धब्बे की याद आते हैं। हालांकि स्किन के साथ ही हड्डी (Bone) पर खरोंच आने से भी ब्रूज हो जाता है। जिसे बोन कंटूजन भी कहा जाता है। शरीर के दूसरे हिस्सों की तरह हड्डियां ऊतक (Tissue) और रक्त वाहिकाओं (Blood Vessels) से बनी होती हैं। इस पर चोट लगने से एक से अधिक रक्त वाहिकाओं से खून का रिसाव होने की संभावना होती है। कई बार गिरने से, वाहन दुर्घटना या खेल में लगी चोट से बोन कंटूजन हो जाता है।
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लक्षण
नील पड़ना या गुमचोट के क्या लक्षण हैं ?
नील पड़ना या गुमचोट (Contusion) तब होता है जब शरीर का कोई हिस्सा या कोशिका घायल होने पर उसके आसपास के क्षेत्र पर खून का थक्का जमा हो जाता है। नील पड़ना या गुमचोट (Bruise or Contusion) के लक्षणों में निम्न शामिल है।
- सूजन आ जाना
- चोट वाले हिस्से पर बहुत लंबे समय तक दर्द बने रहना
- चोट वाले प्रभावित हिस्से को इस्तेमाल के दौरान दिक्कत महसूस करना
- चोट लंबे समय तक ठीक न होना
नील पड़ना या गुमचोट की जांच कैसे की जाती है?
नील पड़ना या गुमचोट (Bruise or Contusion) को आमतौर पर एक्स-रे की जांच से देखना असंभव होता है। इसकी जांच करने के लिए डॉक्टर फ्रैक्चर के लक्षणों को कम करने की कोशिश करते हैं, जिससे कि ब्रूज की जांच आसान और संभव हो सके। इसकी जांच के लिए एमआरआई स्कैन तक का इस्तेमाल किया जाता है, इससे बोन कन्टूजन की बेहतर इमेज प्राप्त हो जाती है। इस समस्या को ठीक होने में कुछ दिन से लेकर कई महीने तक भी लग सकते हैं, यह इस पर निर्भर करता है कि चोट कितनी गंभीर है। डॉक्टर दर्द कम करने के लिए कोई एंटीबायोटिक्स लेने की सलाह दे सकते है। सूजन को कम करने के लिए दिन में 15 से 20 मिनट के लिए प्रभावित हिस्से पर ठंडा पैक लगा सकते है।
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कारण
नील पड़ना या गुमचोट के क्या कारण हैं ?
नील पड़ना या गुमचोट तब होता है जब शरीर का कोई हिस्सा या कोशिका घायल होने पर उसके आसपास के क्षेत्र पर खून का थक्का जमा हो जाता है। इसके होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि-
- ब्रूज उन्हें भी हो सकता है जो हार्ड एक्सरसाइज करते हैं, जैसे कि एथलीट और वेटलिफ्टर। इस तरह की चोट त्वचा के नीचे रक्त वाहिकाओं में थक्के के रूप में जमा हो जाती है।
- कभी-कभी नील पड़ने की समस्या बिना किसी विशेष कारण के भी हो जाती है, इसमें रक्तस्राव विकार (Bleeding Disorder) भी वजह हो सकती है।
- किसी तरह की चोट या टक्कर लगने से भी गुमचोट हो जाती है।
- खून पतला करने की दवाई लेने पर भी कभी-कभी गुमचोट हो जाती है।
- उम्र बढ़ने के साथ त्वचा पतली और नाजुक हो जाती है, इस कारण से भी ब्रूज हो जाता है।
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जोखिम
नील पड़ना या गुमचोट का इलाज क्या है?
नील पड़ना या गुमचोट तब होती है, जब शरीर का कोई हिस्सा या कोशिका घायल होने पर उसके आसपास के क्षेत्र पर खून का थक्का जमा हो जाता है। नील पड़ना या गुमचोट ब्रूज को ठीक करने में अक्सर समय लगता है। मुलायम ऊतक पर हुआ ब्रूज ठीक होने में कुछ दिन से लेकर कुछ हफ्ते तक लग सकते है। इसके ठीक होने में कितना समय लगेगा यह चोट की गंभीरता पर भी निर्भर करता है। नील पड़ना या गुमचोट के ठीक हो जाने के बाद भी लक्षणों को कम करने के लिए इन नियमों का पालन कर ब्रूज की समस्या से छुटकारा पा सकते है। ऐसे करें नील पड़ना या गुमचोट का इलाज-
- नील पड़ना या गुमचोट होने पर कोशिश करें कि प्रभावित हिस्से को काम में कम लें, ताकि वहां की कोशिकाओं (cells) को आराम मिल सके।
- नील पड़ने पर होने वाली सूजन को कम करने के लिए ब्रूज से प्रभावित हिस्से पर बर्फ का इस्तेमाल कर सकते हैं। बर्फ को एक कपड़े में लपेट कर स्किन पर 15 से 20 मिनट तक रखें, हल्के हाथों से सिकाई करें। ध्यान रखें, सीधे बर्फ स्किन पर न लगाएं, इससे जलन बढ़ सकती है।
- नील पड़ने पर किसी पट्टी के माध्यम से प्रभावित हिस्से पर सिकाई करें, चाहे तो क्रेप बैंडेज भी लगा सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि ज्यादा टाइट न बांधे।
यदि आपको गुमचोट है, तो डॉक्टर आपको इन उपायों के अलावा यह भी कुछ उपाय सुझा सकते हैं, जैसे कि
- नील पड़ना या गुमचोट होने पर डॉक्टर आपको Temporary ब्रेसलेट पहनने का निर्देश दे सकते हैं।
- नील पड़ना या गुमचोट (Bruise or Contusion) होने पर डॉक्टर आपकी दवाइयों में विटामिन डी और कैल्शियम की मात्रा बढ़ा दे, जो हड्डियों के लिए फायदेमंद है।
- वे आपको कुछ पेनकिलर भी दे सकते हैं, लेकिन किसी भी पेन किलर का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना न करें।
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सावधानियां
नील पड़ना या गुमचोट होने पर हम क्या सावधानियां ध्यान में रखें ?
- नील पड़ना या गुमचोट (Bruise or Contusion) होने पर प्रभावित हिस्से को कभी भी किसी सुईं या पॉइंटेड चीज से न छेड़ें और न ही खून निकालने की कोशिश करें। इससे ब्रूज ठीक होने के बजाय संक्रमण (Infection) हो सकता है।
- यदि आपको दो-तीन दिन में सूजन और गुमचोट में कोई फर्क न दिखें तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
- कई बार गमचोट इतनी गंभीर होती है कि सर्जरी तक करना पड़ती है।
- डॉक्टर दर्द और सूजन कम करने के लिए कई बार एस्पिरिन और आइबूप्रोफेन तक देते है।
- जब भी आपको ब्रूज की समस्या हो तब शराब, सिगरेट का सेवन न करें।
- इसे नॉर्मल चोट समझकर इग्नोर न करें।
उम्मीद करते हैं कि आपको नील क्यों पड़ता है और इससे कैसे बच सकते हैं इससे संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।