परिचय
हाइपरसोम्निया क्या है?
हाइपरसोम्निया एक ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति को दिन में बहुत अधिक नींद आती है। यहां तक कि रात में अच्छी नींद लेने के बावजूद भी दिन में ज्यादा नींद आती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को किसी भी समय नींद आ सकती है जैसे-काम करते समय या ड्राइविंग करते समय। हाइपरसोम्निया दो प्रकार का होता है-प्राइमरी और सेकेंडरी। प्राइमरी हाइपरसोम्निया होने पर कोई गंंभीर स्वास्थ्य समस्या नहीं बल्कि अधिक थकान जैसे लक्षण सामने आते हैं।
जबकि सेकेंडरी हाइपरसोम्निया पर्किंसन डिजीज, किडनी फेल होने और स्लिप एप्निया के कारण होती है। अगर समस्या बढ़ जाती है तो आपके लिए गंभीर स्थिति बन सकती है । इसलिए इसका समय रहते इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं ,जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरूआती स्थिति को समझ सकते हैं।
कितना सामान्य है हाइपरसोम्निया होना?
हाइपरसोम्निया एक स्लीप डिसॉर्डर है। यह बीमारी महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को अधिक प्रभावित करती है। पूरी दुनिया में लाखों लोग हाइपरसोम्निया से पीड़ित हैं। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
ये भी पढ़ें : ज्यादा सोने के नुकसान से बचें, जानिए कितने घंटे की नींद है आपके लिए जरूरी
लक्षण
हाइपरसोम्निया के क्या लक्षण है?
हाइपरसोम्निया का मुख्य लक्षण शरीर में लगातार थकान महसूस होना है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को पूरे दिन झपकी आती रहती है। साथ ही लंबे समय तक सोने के बावजूद नींद नहीं खुलती है। समय के साथ हाइपरसोम्निया के ये लक्षण सामने आने लगते हैं :
- एंग्जायटी
- चिड़चिड़ापन
- एनर्जी कम होना
- भूख न लगना
- बेचैनी
- कुछ याद न आना
- धीरे बोलना
- सिरदर्द
कभी-कभी कुछ लोगों में इसमें से कोई भी लक्षण सामने नहीं आते हैं और लंबी नींद लेने के बाद व्यक्ति को अचानक चक्कर आने लगता है।
मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के शरीर पर हाइपरसोम्निया अलग प्रभाव डाल सकता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से बात कर लें।
ये भी पढ़ें : अच्छी नींद के जरूरी है जानना ये बातें, खेलें और जानें
कारण
हाइपरसोम्निया होने के कारण क्या है?
हाइपरसोम्निया आमतौर पर कई कारणों से होती है। प्राइमरी हाइपरसोम्निया ब्रेन सिस्टम में गड़बड़ी के कारण होती है जिससे सोने और जागने की क्रिया पर मस्तिष्क का नियंत्रण नहीं रहता है। सेकेंडरी हाइपरसोम्निया अधिक थकान और अपर्याप्त नींद के कारण होती है। जैसे कि स्लीप एप्निया के कारण हाइपरसोम्निया हो सकती है जिससे की रात में सांस लेने में कठिनाई होती है और रात में बार- बार व्यक्ति की नींद खुल जाती है।
कुछ दवाओं के प्रभाव के कारण भी हाइपरसोम्निया हो सकती है। लगातार दवाओं और एल्कोहल के सेवन से दिन के समय अधिक नींद आ सकती है। इसके अलावा सिर में चोट लगने या थॉयरायड के कारण भी हाइपरसोम्निया की समस्या हो सकती है।
ये भी पढ़ें : नींद की गोलियां (Sleeping Pills): किस हद तक सही और कब खतरनाक?
जोखिम
हाइपरसोम्निया के साथ मुझे क्या समस्याएं हो सकती हैं?
जो लोग स्लीप एप्निया, किडनी रोग, हृदय रोग, मस्तिष्क रोग और डिप्रेशन से पीड़ित होते हैं या जिनकी थॉयरायड ग्रंथि ठीक से काम नहीं करती है उन्हें दिन के समय अधिक थकान लगती है और हाइपरसोम्निया की समस्या बढ़ जाती है। इसके अलावा अधिक धूम्रपान या नियमित एल्कोहल का सेवन करने वाले लोगों को भी हाइपरसोम्निया की समस्या होने की संभावना होती है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
ये भी पढ़ें : जानें क्या है गहरी नींद की परिभाषा, इस तरह से पाएं गहरी नींद और रहें हेल्दी
उपचार
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
हाइपरसोम्निया का निदान कैसे किया जाता है?
हाइपरसोम्निया का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं और मरीज का पारिवारिक इतिहास भी देखते हैं। इसके अलावा मरीज के शरीर में दिखने वाले लक्षणों और दवाओं के सेवन के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :
- पॉलीसोम्नोग्राम टेस्ट से मरीज के मस्तिष्क की गतिविधि, हृदय गति, ऑक्सीजन लेवल, आंखों का मूवमेंट और श्वसन क्रिया पता की जाती है।
- मल्टीपल स्लीप लैटेंसी टेस्ट से यह मापा जाता है कि मरीज को दिन में किस तरह की नींद आती है।
- एपवर्थ स्लीपनेस स्केल से अधिक नींद आने की बीमारी की गंभीरता मापी जाती है।
इसके अलावा मरीज को एक स्लीप डायरी पर अपने सोने और जगने के समय को नोट करने के लिए कहा जाता है। इससे यह जानने में मदद मिलती है कि मरीज कितनी नींद ले रहा है और उसका स्लीप पैटर्न क्या है।
हाइपरसोम्निया का इलाज कैसे होता है?
हाइपरसोम्निया का इलाज अलग-अलग होता है और आमतौर पर इस बीमारी के कारणों पर निर्भर करता है। लेकिन कुछ थेरिपी और दवाओं से व्यक्ति में हाइपरसोम्निया को कम किया जाता है। हाइपरसोम्निया के लिए यह मेडिकेशन की जाती है :
- जो दवाएं नार्कोलेप्सी के लिए दी जाती हैं उसी दवा से हाइपसोम्निया का इलाज किया जाता है जैसे-एम्फिटामिन (amphetamine), मेथिलफेनिडेट (methylphenidate) और मोडाफिनिल (modafinil) । ये दवाएं उत्तेजक हैं जिससे आपको अधिक नींद नहीं आती है।
- जीवनशैली में बदलाव हाइपरसोम्निया के इलाज की ही एक प्रक्रिया है। डॉक्टर आपको रोजाना निर्धारित समय पर ही सोने की सलाह देते हैं।
इसके अलावा हाइपरसोम्निया की समस्या से पीड़ित लोगों को अधिक एल्कोहल या ड्रग्स का सेवन नहीं करना चाहिए। रात में बिस्तर पर जाने के बाद लैपटॉप या मोबाइल का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। अपनी आदतों में सुधार करके हाइपरसोम्निया की बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है।
ये भी पढ़ें : इस दिमागी बीमारी से बचने में मदद करता है नींद का ये चरण (रेम स्लीप)
घरेलू उपचार
जीवनशैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो मुझे हाइपरसोम्निया को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?
अगर आपको हाइपरसोम्निया है तो आपके डॉक्टर पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करने के लिए कहेंगे। इससे शरीर में एनर्जी का स्तर बना रहता है और इस बीमारी के लक्षण कम दिखते हैं। इसके साथ ही आपको पर्याप्त पानी पीने की सलाह दी जाती है और ऐसी दवाओं का सेवन करने से बचने के लिए कहा जाता है जिनसे आपको अधिक सुस्ती या चक्कर आता हो। डॉक्टर आपको निम्न फूड के सेवन के लिए कह सकते हैं:
- सेब
- हरी पत्तेदार सब्जियां
- खीरा
- सलाद
- दूध
इसके साथ ही नाइट शिफ्ट करने से बचना चाहिए और एक शांतिपूर्ण वातावरण में नींद लेने की कोशिश करनी चाहिए जिससे हाइपरसोम्निया का जोखिम कम हो सकता है। इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
ये भी पढ़ें : बच्चों की नींद के पैटर्न को अपने शेड्यूल के हिसाब से बदलें
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
और भी पढ़ें:
Kawasaki Disease: कावासाकी रोग क्या है?
Gaucher Diesease : गौशर रोग क्या है? जानें इसके लक्षण, कारण और निवारण
किडनी रोग होने पर दिखते हैं ये लक्षण, ऐसे करें बचाव
Huntington Disease : हनटिंग्टन रोग क्या है?
[embed-health-tool-bmi]