आजकल जो हमारी जीवनशैली है, वह निस्संदेह बहुत ही अनहेल्दी है। इसलिए बच्चे को स्वास्थ्य साक्षरता संबंधी शिक्षा देने से पहले बड़ों को ही स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी हासिल करने की जरूरत होती है। इसी कारण विश्व भर में बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर बहुत अनुसंधान किए जा रहे हैं, क्योंकि कम उम्र में ही बच्चों को मोटापा, डायबिटीज जैसे तरह-तरह की बीमारियां होने लगी है। भारत के लोग पहले की तुलना में शिक्षित होने के बावजूद स्वास्थ्य साक्षरता के मामले में अभी भी उतने विकसित नहीं हुए है। क्यों, आश्चर्य में पड़ गए? स्वास्थ्य संबंधी साक्षरता के अंतर्गत साफ-सफाई के साथ, संतुलित मात्रा में हेल्दी खाना, फिटनेस के प्रति सजगता, सही समय पर सोना और सही समय पर उठना, परिवार के साथ काम करना बहुत कुछ आता है।
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क्या आप जानते हैं कि अनहेल्दी खाना और फिजिकली ज्यादा एक्टिव न रहने, जैसी खराब लाइफस्टाइल के कारण बच्चों को बचपन से ही कितनी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। जो बाद में जाकर असमय मृत्यु दर बढ़ाने में बड़ा योगदान निभाती है। पिछले कई दशकों से देखा जा रहा है कि लगभग पूरी दुनिया में ही बच्चों, किशोरों और युवाओं में गतिहीन जीवन शैली और मोटापे में वृद्धि हो रही है। सेडेंटरी लाइफस्टाइल, अनहेल्दी खाना जैसे जंक और पैकेज्ड फूड के कारण शरीर में फैट जमा होने लग रहा है और इसी वजह से मोटापा, दिल की बीमारी, टाइप-2 डायबिटीज, कुपोषण, कमजोर मानसिक स्वास्थ्य, हाइपरटेंशन, छोटी उम्र में ही आंख की समस्या आदि बीमारियों का कारण बनता जा रहा है।
बच्चे आजकल एक तो पढ़ाई के बोझ के तले दबते जा रहे हैं और उसके साथ ही टेक्नोलॉजी के होड़ में मोबाइल गेम, एप्स वैगरह के दुनिया में खोते जा रहे हैं। फल यह हो रहा है कि उनकी प्राकृतिक सक्रियता एक कमरे में बंद होती जा रही है। इसके लिए सिर्फ वह जिम्मेदार नहीं है, उनके माता-पिता भी जिम्मेदार हैं।
उन्हें भी बच्चों का साथ देने के लिए खुद को टेक्नोलॉजी की दुनिया से थोड़ा बाहर निकलना पड़ेगा, ताकि वह बच्चों को सेहत संबंधी बातों के लिए सचेत कर सकें। आज हम यहाँ कुछ ऐसी ही स्वास्थ्य साक्षरता संबंधी आसान टिप्स के बारे में बात करेंगे,, जिसको अपने लाइफस्टाइल में शामिल करना ज्यादा मुश्किल नहीं है। बस इसके लिए थोड़ा सचेत और धैर्य रखने की जरूरत है। एक बार आपने हेल्दी लाइफस्टाइल को अपना लिया, तो फिर आप अनहेल्दी लाइफस्टाइल का स्वाद चखना नहीं चाहेंगे और न बच्चों को देंगे।