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अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस: क्यों भारतीय बच्चों और युवाओं को स्वास्थ्य साक्षरता की शिक्षा देना है जरूरी?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/06/2022

    अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस: क्यों भारतीय बच्चों और युवाओं को स्वास्थ्य साक्षरता की शिक्षा देना है जरूरी?

    ‘शिक्षा’ शब्द का अर्थ बहुत व्यापक होता है। शिक्षा का मतलब सिर्फ पढ़ाई लिखाई नहीं होता, बल्कि व्यवहार मूलक शिक्षा, समाज के साथ रहने की शिक्षा, सभ्यतामूलक शिक्षा, सांस्कृतिक शिक्षा,  सबके साथ मिलकर रहने की शिक्षा, खुद को संभालने की शिक्षा, साथ ही स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा आदि बहुत सारी शिक्षाएं होती हैं। कहने का मतलब यह है कि शिक्षा का क्षेत्र सीमित नहीं है। कहते हैं न व्यक्ति जिंदगी भर सीखता है, यानि शिक्षित होने की उम्र कभी खत्म नहीं होती। आज हम अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता यानी कि वर्ल्ड लिटरेसी डे के अवसर पर स्वास्थ्य साक्षरता (Health literacy) के बारे में बात करेंगे। स्वास्थ्य साक्षरता एक ऐसी साक्षरता है, जिसकी नींव माता-पिता को बचपन से ही शिशु के लिए बनाते हैं। इस शिक्षा के अभाव में शिशु को ताउम्र सेहत संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। 

    एक मां को जैसे ही पता चलता है कि वह गर्भवती है, वह खुद का ख्याल शिशु के स्वास्थ्य के बारे में सोचकर रखने लगती है। लेकिन उसकी जिम्मेदारी शिशु के जन्म के बाद भी खत्म नहीं होती। जन्म के बाद बच्चे के वयस्क होने तक स्वास्थ्य संबंधी ऐसी शिक्षा देनी चाहिए, जिससे कि वह जिंदगी भर स्वस्थ और निरोगी रहे।

    स्वास्थ्य साक्षरता (Health literacy): दें हेल्दी लाइफस्टाइल का तोहफा

    आजकल जो हमारी जीवनशैली है, वह निस्संदेह बहुत ही अनहेल्दी है। इसलिए बच्चे को स्वास्थ्य साक्षरता संबंधी शिक्षा देने से पहले बड़ों को ही स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी हासिल करने की जरूरत होती है। इसी कारण विश्व भर में बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर बहुत अनुसंधान किए जा रहे हैं, क्योंकि कम उम्र में ही बच्चों को मोटापा, डायबिटीज जैसे तरह-तरह की बीमारियां होने लगी है। भारत के लोग पहले की तुलना में शिक्षित होने के बावजूद स्वास्थ्य साक्षरता के मामले में अभी भी उतने विकसित नहीं हुए है। क्यों, आश्चर्य में पड़ गए? स्वास्थ्य संबंधी साक्षरता के अंतर्गत साफ-सफाई के साथ, संतुलित मात्रा में हेल्दी खाना, फिटनेस के प्रति सजगता, सही समय पर सोना और सही समय पर उठना, परिवार के साथ काम करना बहुत कुछ आता है। 

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    क्या आप जानते हैं कि अनहेल्दी खाना और  फिजिकली ज्यादा एक्टिव न रहने, जैसी खराब लाइफस्टाइल के कारण बच्चों को बचपन से ही कितनी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। जो बाद में जाकर असमय मृत्यु दर बढ़ाने में बड़ा योगदान निभाती है। पिछले कई दशकों से देखा जा रहा है कि लगभग पूरी दुनिया में ही बच्चों, किशोरों और युवाओं में गतिहीन जीवन शैली और मोटापे में वृद्धि हो रही है। सेडेंटरी लाइफस्टाइल, अनहेल्दी खाना जैसे जंक और पैकेज्ड फूड के कारण शरीर में फैट जमा होने लग रहा है और इसी वजह से मोटापा, दिल की बीमारी, टाइप-2 डायबिटीज, कुपोषण, कमजोर मानसिक स्वास्थ्य, हाइपरटेंशन, छोटी उम्र में ही आंख की समस्या आदि बीमारियों का कारण बनता जा रहा है।

    बच्चे आजकल एक तो पढ़ाई के बोझ के तले दबते जा रहे हैं और उसके साथ ही टेक्नोलॉजी के होड़ में मोबाइल गेम, एप्स वैगरह के दुनिया में खोते जा रहे हैं। फल यह हो रहा है कि उनकी प्राकृतिक सक्रियता एक कमरे में बंद होती जा रही है। इसके लिए सिर्फ वह जिम्मेदार नहीं है, उनके माता-पिता भी जिम्मेदार हैं।

    उन्हें भी बच्चों का साथ देने के लिए खुद को टेक्नोलॉजी की दुनिया से थोड़ा बाहर निकलना पड़ेगा, ताकि वह बच्चों को सेहत संबंधी बातों के लिए सचेत कर सकें। आज हम यहाँ कुछ ऐसी ही स्वास्थ्य साक्षरता संबंधी आसान टिप्स के बारे में बात करेंगे,, जिसको अपने लाइफस्टाइल में शामिल करना ज्यादा मुश्किल नहीं है। बस इसके लिए थोड़ा सचेत और धैर्य रखने की जरूरत है। एक बार आपने हेल्दी लाइफस्टाइल को अपना लिया, तो फिर आप अनहेल्दी लाइफस्टाइल का स्वाद चखना नहीं चाहेंगे और न बच्चों को देंगे। 

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    स्वास्थ्य साक्षरता (Health literacy) या हेल्थ लिटरेसी का पहला स्टेप- डायट

    स्वास्थ्य साक्षरता से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें हम यहां आपके साथ शेयर कर रहें। जैसे:

    • अपने और बच्चों के खाद्द पदार्थों में वैभिन्नता लाएं – सिर्फ एक तरह का डायट लेने से सारी पौष्टिकता नहीं मिलती। इसके लिए अपने डायट में हर रंग के आहार को शामिल करें। 
    • खाने में संतुलन बनाएं – अगर लंच बहुत हैवी होता है, तो डिनर लाइट करें और बच्चों को भी करवाएं,  इससे संतुलन बना रहता है।
    • दिन भर के मील में कार्बोहाइड्रेड रिच फूड्स जरूर शामिल करें। इससे आपको और बच्चों को जरूरत के अनुसार फाइबर मिल जाएगा।

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    • फैट शरीर के लिए जरूरी होता है, लेकिन हद से ज्यादा वसा का सेवन भी दिल की बीमारी जैसी समस्याओं को आमंत्रित कर बैठता है। फूड्स को फ्राई करके खाने की जगह पर बेक करके या उबालकर खाना शुरू करें। ट्रांस फैट वाले फूड्स का सेवन कम कर दें।
    • अपने और बच्चों के आहार में ताजे फल और हरे सब्जियों को शामिल करना शुरू करें। दिन की शुरूआत ताजे फलों को खाने से करें और थोड़ी भूख के लिए नट्स और फ्रूट्स खाएं और खिलाएं। इससे पूरे परिेवार को फाइबर, मिनरल्स और विटामिन्स मिल जाएगा। 

    एक्सपर्ट के इस वीडियो से जानें कि क्या खाना चाहिए और क्या नहीं-

    • अपने और बच्चों के डायट में नमक और चीनी की मात्रा को कम करें। इससे आप अपने दिल के साथ अपने नन्हें मुन्ने के दिल का भी ख्याल रख सकते हैं। हो सकता है आपके इस हेल्दी आदत  से बच्चे को दिल की बीमारी कभी न हो।
    • सही समय पर और सही मात्रा में खाने की आदत भी हेल्दी रहने का बहुत बड़ा सीक्रेट है। कभी भी ना खुद ब्रेकफास्ट खाना भूलें और न ही बच्चे को भूलने दें। नाश्ते में हमेशा हेल्दी और हेवी फूड्स का सेवन करें। दिन की शुरूआत हेल्दी होगी, तो दिन भर हेल्दी और एनर्जी से भरे रहेंगे और आपका बच्चा भी बिना थके दिन भर पढ़ाई और खेल-कूद सब कर पाएगा।

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    • अपना और बच्चे की प्लेट हमेशा छोटी लें, इससे ज्यादा खाने से बच सकते हैं। साथ ही बच्चे को दूसरों से शेयर करके खाना सिखाएं। इस आदत के कारण जब वह कोई जंक या स्पाइसी फूड खाएंगे, तब दूसरों से बांट कर खाने के कारण वह उसका सेवन कम मात्रा में करेंगे। 
    • दिन भर 1-1.5 लीटर पानी पीने की आदत डालें। इससे शरीर से विषाक्त पदार्थ मूत्र के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाते हैं। 
    • दूध हमेशा लो फैट वाला ही पीना चाहिए। इससे डायबिटीज होने का खतरा कम होता है। 

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    • अपने आहार में हमेशा हरी मिर्च जरूर शामिल करें। इससे न सिर्फ खाने में थोड़ा तीखापन और स्वाद आता है, बल्कि इसके सेवन से जो एंडोर्फिन का उत्पादन होता है, उससे दर्द और सूजन जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। इससे बच्चों को भी चोट लगने पर सूजन और दर्द आदि समस्याओं से राहत पाने में भी मदद मिलती है।
    • हमेशा खुद के और बच्चों के विटामिन डी के लेवल की जांच करते रहें। इसके लिए कम से कम दिन में आधा घंटा धूप में जरूर निकलें। 

    स्वास्थ्य साक्षरता (Health literacy) या हेल्थ लिटरेसी का दूसरा स्टेप- फिटनेस

    स्वास्थ्य साक्षरता (Health literacy)
    • हर दिन 30-60 मिनट का फिजिकल एक्टिविटी जरूर करें और साथ में बच्चों को भी करवाएं। 
    • बच्चों के साथ आउटडोर गेम्स खेंले और योगाभ्यास करें या वॉक पर जाएं। इससे आप उनके साथ समय बिता सकेंगे और फिट भी रहेंगे।
    • टी.वी. और मोबाइल फोन को 2 घंटे से ज्यादा न देखें और न ही बच्चों को देखने दें।
    • कम से कम 5-6 घंटे की नींद जरूर लें।
    • खुद को और बच्चों को फिट रखने के लिए कोई गोल सेट करें और पूरा होने पर रिवार्ड दें। इससे फन के साथ फिटनेस दोनों का ख्याल रख सकेंगे।
    • हाथ साफ करने की आदत डालें और बच्चों को भी सिखाएं, ताकि किसी भी प्रकार के इंफेक्शन से दूर रहें।

    इन स्टेप्स को फोलो कर स्वास्थ्य साक्षरता के बारे में जानिए और अन्य लोगों को भी स्वास्थ्य साक्षरता के बारे में समझायें।

    आशा करते हैं कि बच्चों को जीवन भर हेल्दी रखने के लिए ये आसान टिप्स फॉलो करना उतना मुश्किल नहीं है। स्वास्थ्य संबंधी यह शिक्षा अगर आप अपने बच्चे को बचपन में ही दे देते हैं, तो उन्हें कभी अपने सेहत के लिए चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आपकी यही शिक्षा उनके लिए सबसे बड़ी दौलत होगी, जो हेल्थ इंश्योरेंस से भी बहुमूल्य होगी।

    डिस्क्लेमर

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