ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (Obsessive compulsive disorder) एक चिंता विकार है। ऑब्सेशन का मतलब होता है बार- बार एक ही विचार आना और कंपल्सिव डिसऑर्डर का मतलब होता है बार- बार एक ही काम को दोहराना। यह मानसिक विकार है। जो भी व्यक्ति इन दोनों से ग्रस्त होता है उसकी इस बीमारी को ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD) कहते हैं। ओसीडी से ग्रस्त बच्चों में होने वाला ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (Obsessive compulsive disorder in kids) होते हैं जो कि वांछित नहीं होते हैं। ये अक्सर डर से जुड़े होते हैं, जैसे कि गंदी वस्तुओं को छूना। इस आर्टिकल में जानते हैं बच्चों पर यह डिसऑर्डर किस तरह से प्रभाव डालता है।
बच्चों में होने वाला ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (Obsessive compulsive disorder in kids)
- यह डिसऑर्डर दिमाग को अपने वश में कर लेता है और फिर आपको एक ही विचार आते हैं जो आपके मन में डर या चिंता को बढ़ाते हैं और इसी डर की वजह से आप एक ही काम को बार- बार करते हैं। बच्चों में भी यह बच्चों में होने वाला ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (Obsessive compulsive disorder in kids) हो सकता है परंतु यह बच्चों में इतना आम नहीं है। आपको इसके लक्षण बच्चों में तीन साल की उम्र के बाद ही दिखते हैं।
- जो भी बच्चे ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (Obsessive compulsive disorder in kids) का शिकार होते हैं उनके दिमाग में भी ऑब्सेसिव विचार आते हैं। जैसे कि यदि बच्चे को इस बात से डर है कि गंदी वस्तु को हाथ लगाने से उसके हाथों में कीटाणु आ गए हैं तो वह अपने उस डर से बाहर निकलने के लिए कई बार हाथ धोएगा ताकि उसके हाथ कीटाणुओं से मुक्त हो जाए ओर उसको कोई बीमारी ना हो, लेकिन यह साबित करता है कि बच्चा ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर से ग्रस्त है।
- बच्चों में ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (Obsessive compulsive disorder in kids) उनकी उम्र के हर पड़ाव पर अलग-अलग होते हैं। क्योंकि उनकी सोच और विचार दोनों ही उम्र के हिसाब से बदलते रहते हैं तो उनके विचारों में ऑब्सेसिव विचार भी बदलते रहते हैं। जैसे एक प्री स्कूल के बच्चे में खाने, स्नान और सोने से संबंधित विचार आते है, स्कूल के छात्र में अक्सर अपने ग्रुप और स्कूल के दोस्तों से संबंधित और बड़े बच्चे या किशोर में अपने जीवन और अपने सपनों से संबंधित विचार आते हैं।
- बच्चे में जब ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (Obsessive compulsive disorder in kids) लगातार आने लगे तो यह उनके दिमाग पर हावी हो सकता है जो उनके जीवन को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है। बच्चे हमेशा ओसीडी के कारणों के डर और व्यवहार के बारे में बात नहीं करते हैं। वे अपने डर के बारे में शर्मिंदा या भ्रमित महसूस कर सकते हैं और इसे अपने तक ही सीमित रख सकते हैं। वे डर को छिपाने की कोशिश कर सकते हैं जो वे करते भी हैं। उन्हें चिंता हो सकती है कि अन्य लोग उनके डर के बारे में उन्हें चिढ़ाएंगे।
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बच्चों में ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर के क्या कारण हैं? (Causes of OCD)
किए गए रिसर्च से यह पता चला है कि ओसीडी होने का कोई नियमित कारण नहीं हैं परंतु यह एक दिमाग से संबंधित बीमारी है जो दिमाग को क्षति पहुंचाती है और ऐसा होने के पीछे एक कारण यह भी है कि आपके दिमाग में सेरोटोनिन नामक रसायन पर्याप्त मात्रा में नहीं है।
ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) आपको अपने परिवार कि वजह से भी हो सकता है क्योंकि यह आपकी परवरिश में शामिल हो सकता है, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है यह आपको बिना आपके किसी भी पारिवारिक इतिहास के भी हो सकता है।
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बच्चों में ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) के लक्षण (Symptoms of OCD)
यहां आपको कुछ जनरल सिम्टम्स ही दिए गए हैं। हर बच्चे में इस मानसिक विकार (ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर) के सिम्टम्स अलग हो सकते हैं:
- हिंसक होना, किसी को चोट पहुंचाना, मारना या खुद को नुकसान पहुंचाना।
- गंदगी या कीटाणुओं के प्रति अत्यधिक घृणा रखना।
- लंबे समय तक वस्तुओं को छूना, गिन्ना या उन्हें अरेंज करते रहना।
- बार बार संदेह करना कि दरवाजा लॉक है या नहीं
- आपत्तिजनक यौन कार्य करने या वर्जित व्यवहार के बारे में सोचते रहना।
- अत्यधिक धर्म, जात, रंग, भाषा को लेकर हीन भावना रखना और उन्हें अपने से अलग करना।
- उन बातों को याद रखना जो बहुत मामूली हो।
- हर वक्त बुरा होने की चिंता करना।
- यह आपको कुछ लक्षण दिए गए हैं ताकि आप अपने बच्चे में ऐसा कुछ भी देखें तो समय रहते उसे समझ पाए और इसका इलाज करवा सकें क्योंकि यह एक घातक बीमारी साबित हो सकती है।
ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD) सबसे ज्यादा किशोरों में पाया जाता है क्योंकि वे अपने उम्र के उस पड़ाव पर होते हैं जहां उन्हें किसी भी एक विचार से संतुष्टि नहीं मिलती। और यदि कोई विचार उन्हें डरा या चिंतित कर देता है तो वह उनके दिमाग पर बहुत गहरा असर छोड़ता है। जो आगे चलकर उनमें ओ सी डी का रूप ले लेता है।
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माता-पिता ध्यान दें इन बातों पर
माता-पिता केवल ओसीडी के बारे में जान सकते हैं यदि उनका बच्चा उन्हें बताता है, या वे नोटिस करते हैं कि बच्चा अत्यधिक चिंतित है या ऐसा व्यवहार कर रहा है जो अलग है। कभी-कभी, माता-पिता अन्य कठिनाइयों को देख सकते हैं जो ओसीडी का परिणाम हो सकती हैं।
- स्कूल की गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित न करना या एक्टिविटीज का आनंद लेने में परेशानी होना।
- चिड़चिड़ापन, परेशान, दुखी या चिंतित होना
- निर्णय लेने या चुनने में परेशानी होती है
- रोजमर्रा के कार्यों को करने में बहुत अधिक समय लगता है, जैसे कपड़े पहनना, बैकपैक व्यवस्थित करना, होमवर्क पूरा करना या शॉवर लेना
- अपना आपा खो देना
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माता-पिता (Parents) क्या कर सकते हैं?
- अपने बच्चे के साथ बात करें कि उसके मन में क्या चल रहा है। प्यार से बात करें, प्यार करें और उसे प्यार दिखाएं। ऐसा कुछ कहें जो आपके बच्चे की स्थिति के लिए काम करता है।
- अपने बच्चे को बताएं कि चेकअप से पता चल सकता है कि वह क्यों परेशान चल रहा है। अपने बच्चे को आश्वस्त करें कि यह ठीक हो सकता है, और आप उसकी मदद करना चाहते हैं।
- एक बाल मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक के साथ अपॉइंटमेंट लें।
- बच्चे को ओसीडी होने पर माता-पिता कैसे मदद कर सकते हैं, इसके बारे में जानें। ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (OCD) पर काबू पाना एक प्रक्रिया है। कई चिकित्सा नियुक्तियां होंगी, और उन सभी पर जाना महत्वपूर्ण है। डॉक्टर जिन चीजों की सलाह देता है, उनका अभ्यास करें। अपने बच्चे को प्रोत्साहित करें।
- सपोर्ट प्राप्त करें और इसे दें। ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (Obsessive compulsive disorder) से निपटने वाले माता-पिता और परिवारों के लिए बहुत सारे संसाधन और समर्थन हैं। यह जानते हुए कि आप अकेले नहीं हैं, आपको सामना करने में मदद कर सकते हैं। अन्य माता-पिता के साथ सफलता की कहानियों को साझा करना आपको आशा और आत्मविश्वास दे सकता है।
- इसलिए ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर की पहचान अपने बच्चों में बहुत ही समझदारी और स्थिरता के साथ करें ताकि आप उनकी प्रॉब्लम को समझ पाए और उसका निदान करने में उनकी मदद कर सके।
बच्चों में ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर की समस्या होने पर पेरेंट्स को घबराना नहीं चाहिए, बल्कि डॉक्टर से कंसल्ट कर इस समस्या से दूर रहने में मदद मिल सकती है।
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