परिचय
कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम क्या है?
कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम एक दुर्लभ डिसऑर्डर है। जो सर्जरी से ही ठीक होता है। कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम में व्यक्ति के स्पाइनल नर्व की रूट डैमेज हो जाती है। अगर कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम का तुरंत इलाज नहीं किया गया तो यह बेकाबू हो जाएगा और पैरों में पैरालिसिस हो जाता है। कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम कमर में उपस्थित नर्व रूट के बंडल, जिसे कॉडा इक्वाईना कहा जाता है, उसे प्रभावित करता है। कॉडा इक्वाईना स्पाइनल कॉर्ड के निचले हिस्से लम्बोसैक्रल स्पाइन में स्थित होता है। वे पैर और कमर के अंगों का संदेश ब्रेन तक पहुंचाते और ले जाते हैं।
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कितना सामान्य है कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम?
कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम एक असामान्य सिंड्रोम है। जो बच्चों की तुलना में ज्यादातर बड़ों को होता है। लेकिन, ये उस बच्चे में पाया जाता है जन्म से जिसका स्पाइनल कॉर्ड विकृत हो या उसके स्पाइनल कॉर्ड में चोट लगी हो। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
लक्षण
कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम के क्या लक्षण हैं?
कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम के लक्षण अलग-अलग होते हैं और ये धीरे-धीरे सामने आते हैं। जैसे :
- कमर के निचले हिस्से में तेज दर्द
- एक या दोनों पैरों, नितंबों, जांघों आदि में दर्द, सुन्नपन या कमजोरी महसूस होती है। साथ ही कुर्सी पर बैठने में भी समस्या होती है।
- पैरों, नितंबों, जांघों आदि में सेंसेशन या स्पर्श खो देना।
- यूरीन या अपशिष्ट पदार्थों संबंधी समस्या होना। जिससे ब्लैडर या पेट और आंत संबंधी परेशानी होना।
- यौन रोग (Sexual dysfunction) हो जाना
इसके अलावा कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम के ज्यादा लक्षणों की जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
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मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
अगर आप में ऊपर बताए गए लक्षण सामने आ रहे हैं तो डॉक्टर को दिखाएं। साथ ही कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम से संबंधित किसी भी तरह के सवाल या दुविधा को डॉक्टर से जरूर पूछ लें। क्योंकि हर किसी का शरीर कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम के लिए अलग-अलग रिएक्ट करता है।
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कारण
कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम होने के कारण क्या हैं?
कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम होने के निम्न कारण हैं :
- स्पाइनल कॉर्ड के आखिरी छोर को लम्बर कहते हैं, जिसमें उपस्थित डिस्क का खिसक या टूट जाना कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम होने का मुख्य कारण है।
- स्पाइनल कैनाल का सकरा हो जाना
- मेलिगनेंट ट्यूमर हो जाना
- स्पाइनल इंफेक्शन, सूजन, हैमरेज या फ्रैक्चर हो जाना
- कार एक्सिडेंट, गिरने, धक्का लगने या गोली लगने से लम्बर स्पाइन में घाव हो जाना
- जन्म से ही खून की नसों में असामान्य कनेक्शन होने से कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम हो जाता है।
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जोखिम
कैसी स्थितियां कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम के जोखिम को बढ़ा सकती हैं?
कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम के जोखिम को जानने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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उपचार
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम का निदान कैसे किया जाता है?
कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम का पता लगाने के लिए डॉक्टर निम्न तरह से जांच करते हैं :
- आपकी मेडिकल हिस्ट्री देखते हैं। साथ ही आपके स्वास्थ्य से जुड़े कई सवाल भी पूछते हैं। ताकि डॉक्टर कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम होने की मुख्य वजह को जान सकें।
- फिजिकल टेस्ट भी करते हैं, जिसमें आपके शरीर की मजबूती, लचीलापन, सेंसेशन, स्थिरता और गति देखते हैं। जरूरत पड़ने पर ब्लड टेस्ट भी कराते हैं।
- एमआरआई के द्वारा भी कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम का पता लगाया जाता है।
- माइलोग्राम, जो एक प्रकार का एक्स-रे हैं। माइलोग्राम से स्पाइनल कॉर्ड या नर्वस का एक्स रे निकाल कर डैमेज हुए भाग के बारे में जाना जाता है।
- सीटी स्कैन के द्वारा भी कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम का पता लगाया जाता है।
कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम का इलाज कैसे होता है?
अगर आपकी जांच में कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम की पुष्टि होती है तो आपको तुरंत इलाज की जरूरत पड़ेगी। क्योंकि आप इलाज में जितना देरी करंगे आपके नर्वस पर उतवना ज्यादा दबाव बढ़ता जाएगा। समय से इलाज न कराने पर आपके पैरों में पैरालिसिस भी हो सकता है। इसलिए बेहतर यही होगा कि कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम के लक्षण सामने आने के 48 घंटे के अंदर ही आप इलाज करा लें।
वहीं, डॉक्टर कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम के इलाज के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाएं देते हैं। अगर स्पाइनल कॉर्ड में संक्रमण होता है तो एंटीबायोटिक्स के द्वारा इलाज करते हैं। अगर किसी भी तरह का ट्यूमर दिखाई देता है तो सर्जरी के बाज कीमोथेरिपी भी की जाती है। जरूरी नहीं है कि ट्रीटमेंट से आप पूरी तरह से ठीक ही हो जाएं। आपका ट्रीटमेंट इस बात पर निर्भर करता है कि आपका स्पाइन कितना डैमेज हुआ है। अगर आपकी सर्जरी सफल हो जाती है तो कुछ सालों में आप पेट और आंत संबंधी समस्याओं से निजात पा जाएंगे।
घरेलू उपचार
जीवनशैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो मुझे कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?
कॉडा इक्वाईना सिंड्रोम के कारण अगर स्थाई रूप से स्पाइन डैमेज हो गया है और सर्जरी से भी ठीक नहीं होता है तो लाइफस्टाइल में बदलाव कर के सामान्य जीवन व्यतीत किया जा सकता है। क्योंकि पैरालिसिस के बाद मरीज भावनात्मक रूप से टूट जाता है तो ऐसे में उसे भावनात्मक सहारे की बहुत ज्यादा जरूरत होती है। मरीज की मदद निम्न लोग कर सकते हैं :
- फिजिकल थेरेपिस्ट
- सोशल वर्कर
- सेवादार
- सेक्स थेरिपिस्ट
इसके अलावा मरीज को कॉडा इक्वाईना सपोर्ट ग्रुप में शामिल कराएं। जिससे उसे आत्मबल मिलेगा।
अगर पेट और आंत संबंधी समस्या है तो आप निम्न टिप्स को अपना सकते हैं :
- यूरीन पास होने के लिए कैथिटर ट्यूब को लगाया जाता है। जिससे जुड़ी थैली को दिन में तीन से चार बार खाली करते रहें।
- यूरेनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) से बचने के लिए आप ज्यादा मात्रा में पानी पीते रहें।
- पेट को साफ करते रहें, अगर पॉटी नहीं हो रही है तो एनिमा का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- पैंट या डायपर को लीकेज से बचने के लिए पहन सकते हैं।
- पेट संबंधी समस्याओं के लिए डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं को आप समय से लेते रहें।
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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