परिभाषा
चगास रोग एक तरह का संक्रमण है जो प्रोटोजन पैरासाइट की वजह से होता है और यह ट्रायटोमिन नामक कीड़े में होता है। जब यह कीड़ा किसी व्यक्ति को काटता है तो वह प्रोटोजन पैरासाइट से संक्रमित होकर चगास रोग का शिकार हो जाता है। चगास रोग को अमेरिकी ट्रिपैनोसोमियासिस भी कहते हैं।
चगास रोग क्या है?
चगास रोग ट्रायटोमिन नामक एक कीड़े के काटने पर होता है, जो अक्सर व्यक्ति के चेहरे पर काटता है, इसलिए इसे किसिंग बग भी कहा जाता है। यह संक्रामक रोग है जो ट्रायटोमिन में मौजूद प्रोटोजन पैरासाइट से होता है, लेकिन यह सर्दी और फ्लू की तरह संक्रामक नहीं है यानी एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं पहुंचता है। चगास रोग किसी को भी हो सकता है और यदि इसका समय पर उपचार न किया जाए तो आगे चलकर हृदय और पाचन संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
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कारण
चगास रोग के कारण क्या है?
चगास रोग सिर्फ ट्रायटोमिन नामक कीड़े के काटने से नहीं होता, बल्कि जब यह काटता है तो व्यक्ति के चेहरे पर संक्रमित अपशिष्ट छोड़ देता है और जब व्यक्ति उस अपशिष्ट को अपनी आंख, नाक या घाव वाली जगह पर रगड़ देता है तो संक्रमण उसके अंदर प्रवेश कर जाता है। चगास रोग दूषित भोजन, ब्लड ट्रांसफ्यूजन, अंगदान और गर्भावस्था के दौरान मां से बच्चे में भी फैल सकता है। इसके अलावा संक्रमित भोजन को बिना पकाए खाने और लैबोरेट्री में काम के दौरान दुर्घटनावश पैरासाइट के संपर्क में आने से भी चगास रोग हो सकता है। साथ ही यदि आप जंगल में जाते हैं और संक्रमिक जानवरों के संपर्क में आते हैं तो भी संक्रमण का खतरा रहता है।
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लक्षण
चगास रोग के लक्षण क्या है?
इस रोग के लक्षण दो चरणों में दिखते हैः
पहला चरण है एक्यूट यानी तीव्र
हो सकता है चगास रोग के पहले कुछ हफ्तों या महीने में आपको कोई लक्षण नहीं दिखें, लेकिन जब लक्षण दिखते हैं तो उसमें शामिल हैः
- सिरदर्द
- भूख न लगना
- रैश
- बदन दर्द
- पलकों पर सूजन
- मिलती, उल्टी या डायरिया
- ग्लैंड्स में सूजन
- संक्रमित स्थान पर सूजन
- बुखार
- थकान
- लिवर का आकार बढ़ना
चगास रोग के पहले चरण में दिखने वाले लक्षण आमतौर पर अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। यदि इस समय इलाज न किया जाए तो संक्रमण शरीर में बना रहता है और आगे क्रॉनिक हो सकता है यानी रोग दूसरे चरण में पहुंच जाता है।
दूसरे चरण के लक्षण
दूसरे चरण यानी क्रॉनिक फेज के लक्षण संक्रमण होने के 10 से 20 साल बाद नजर आ सकते हैं। कई मामलों में तो यह नजर भी नहीं आते हैं, लेकिन जब लक्षण दिखते हैं तो उसमें शामिल हैः
- ग्रासनली बड़ी होने के कारण निगलने में परेशानी
- अचानक कार्डियक अरेस्ट आना
- कोलोन (पेट) के बड़ा होने के कारण पेटदर्द और कब्ज की समस्या
- असामान्य हृदयगति
- कंजेस्टिव हार्ट फेलियर
कब जाएं डॉक्टर के पास?
यदि आप चगास रोग के खतरे वाले इलाके में रहते हैं या ऐसी किसी जगह यी यात्रा करके आने के बाद औपको इस लोग के लक्षण दिखने लगे हैं जैसे, संक्रमित जगह पर सूजन, बुखार, थकान, बदन दर्द, रैश और मितली तो डॉक्टर से संपर्क करें।
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जोखिम और बचाव
चगास रोग से किस तरह का जोखिम हो सकता है?
यदि चगास रोग दूसरे चरण यानी क्रॉनिक फेज में पहुंच जाता है तो दिल और पाचन संबंधी गंभीर जटिलताएं हो सकती है जिसमें शामिल हैः
हार्ट फेलियर- जब आपका हृदय कमजोर हो जाता है या उस स्थिति में नहीं रहता कि शरीर की जरूरत के मुताबिक, शरीर को ब्लड सप्लाई कर सके तो हार्ट फेलियर हो सकता है।
ग्रासनली (घेघा) का बढ़ना- यह दुलर्भ स्थिति ग्रासनली का आकार बढ़ने के कारण होती है जिसकी वजह से निगलने और पाचन में दिक्कत होती है।
कोलनो का बढ़ना- कोलोन का आकार असामान्य रूप से बढ़ जाता है जिससे पेट में दर्द और कब्ज की समस्या हो जाती है।
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क्या चगास रोग से बचाव संभव है?
चगास रोग के लिए किसी तरह का टीका नहीं बना है। इसलिए बचाव का सबसे अच्छा तरीका है कि ट्रायटोमिन कीड़े से दूर रहा जाए। यदि आप चगास रोग के खतरे वाले इलाके में रहते हैं तो संक्रमण से बचाव के लिए निम्न कदम उठा सकते हैः
- मिट्टी, कच्ची ईंट और घास-फूस में सोने से बचें, क्योंकि यहां ट्रायटोमिन कीड़े को हने की संभावना अधिक होती है।
- यदि ऐसी जगह आपको सोना भी पड़े तो मच्छरदानी लगाकर सोएं।
- कीड़े मारने वाली दवा या स्प्रे का छिड़काव करें
- त्वचा पर कीट से बचाने वाली क्रीम लगाएं।
निदान और उपचार
चगास रोग का निदान कैसे किया जाता है?
शारीरिक परीक्षण करने के बाद जब डॉक्टर को लगता है कि आपको चगास रोग है तो वह ब्लड टेस्ट के लिए कहेगा। साथ ही चगास रोग का आपकी आंत और हृदय पर क्या असर हुआ है इसकी जांच के लिए डॉक्टर अन्य टेस्ट भी कर सकता है।
चगास रोग का उपचार कैसे किया जाता है?
चगास रोग के उपचार में मुख्य रूप से पैरासाइट को खत्म करने और इसके लक्षणों को ठीक करने पर फोकस होता है। रोग के शुरुआती चरण में बेंजनिडाजोल और निफर्टिमॉक्स जैसी प्रिस्क्राइब्ड दवा फायदेमंद होती है। पहले चरण में पता लगने पर इसके लक्षणों का उपचार करके इसे ठीक किया जा सकता है, लेकिन कम ही मामलों में लोगों को लक्षण नजर आते हैं और यही सबसे बड़ी परेशानी है।
चगास रोग एक बाद यदि दूसरे चरण यानी क्रॉनिक फेज में पहुंच जाता है तो दवाओं से भी इसका इलाज नहीं किया जा सकता, लेकिन 50 साल से कम उम्र के लोगों को दवा दी जा सकती है ताकि रोग के विकास और इसको अधिक जटिल होने से रोका जा सके। चगास रोग के लिए अतिरिक्त उपचार स्थिति की गंभीरता और लक्षणों पर निर्भर करता हैः
हृदय संबंधी जटिलता होने पर- इस स्थिति में दवा, पेसमेकर और अन्य उपकरणों की मदद से हॉर्ट रिदम का सामान्य रखने की कोशिश की जाती है। सर्जरी या हार्ट ट्रांसप्लांट भी किया जा सकता है।
पाचन संबंधी जटिलता- इस तरह की समस्या होने पर डायट में बदलाव करने के साथ ही, दवा का सहारा लिया जाता है। गंभीर मामलों में सर्जरी की जा सकती है।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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