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प्रेग्नेंसी में रेस्टलेस लेग सिंड्रोम से कैसे बचाव करें?

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya


Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 31/12/2021

    प्रेग्नेंसी में रेस्टलेस लेग सिंड्रोम से कैसे बचाव करें?

    क्या आपके प्रेग्नेंसी में रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (Restless leg syndrome in pregnancy) के बारे में सुना है? आपने अक्सर खुद में या कई लोगों में इसकी शिकायत देखी होगी कि सोफे पर बैठे-बैठे, सोते हुए या लेटे हुए अचानक उनके पैरों में एक तरह की झनझनी, खिंचाव या दर्द की समस्या हो जाती है, जो कुछ ही देर में अपने आप ठीक भी हो जाती है। कुछ लोग इसे शरीर में खून की कमी का कारण या कमजोरी समझते हैं। लेकिन, ये एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिजीज है। जिसे रेस्टलेस लेग सिंड्रोम कहते हैं। आइए जानते हैं प्रेग्नेंसी में रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (Restless leg syndrome in pregnancy) होता क्या है?

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    रेस्टलेस लेग सिंड्रोम क्या है (What is Restless Leg Syndrome)?

    रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (आरएलएस) एक न्यूरोलॉजिकल डिजीज है। वैसे तो रेस्टलेस लेग सिंड्रोम किसी भी महिला या पुरुष में किसी भी उम्र में हो सकता है। हालांकि, इसकी समस्या सामान्य तौर पर गर्भावस्था में अधिक देखी जाती है। इसके कारण लोग अचानक से अपने पैरों में खिचाव जैसा कुछ महसूस करते हैं और उसी वजह से वो अपने पैर भी हिलाने लगते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान रेस्टलेस लेग सिंड्रोम होने से गर्भवती महिलाओं में अनिद्रा की समस्या भी अधिक हो सकती है। प्रेग्नेंसी में रेस्टलेस लेग सिंड्रोम लगभग 30 फीसदी महिलाओं को प्रभावित करता है। रेस्टलेस लेग सिंड्रोम थायराइड और हार्मोन से संबंधित हो सकता है। इसके अलावा आरएलएस की समस्या अनुवांशिक भी हो सकती है।

    प्रेग्नेंसी में रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं (What are the symptoms of restless leg syndrome in pregnancy)?

    आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के लक्षण गर्भावस्था के दूसरी तिमाही में शुरू हो सकता है। हालांकि, प्रेग्नेंसी में रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के लक्षण किसी भी चरण में दिखाई दे सकते हैं। हर महिला का स्वास्थ्य और हेल्थ हिस्ट्री अलग-अलग होता है। ऐसे में प्रत्येक प्रेगनेंट महिला में रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के अलग-अलग प्रभाव हो सकते हैं।

    गर्भावस्था के दौरान रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के लक्षणों में शामिल हैंः

  • प्रेग्नेंट महिला के पैर के निचले हिस्सों में ऐंठन होना
  • दर्द होना
  • झनझनी महसूस करना
  • चींटियों के काटने जैसा महसूस करना
  • ये सारे लक्षण सोते समय या बैठे हुए भी दिखाई दे सकते हैं।

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    प्रेग्नेंसी में रेस्टलेस लेग सिंड्रोम होने का क्या कारण है (What causes restless leg syndrome in pregnancy)?

    गर्भावस्था के दौरान रेस्टलेस लेग सिंड्रोम होने का क्या कारण है, इस बात की पूरी तरह से पुष्टी नहीं हो पाई हैं। हालांकि, अलग-अलग अध्ययनों में इसके अलग-अलग कारण पता लगे हैं। जिनमें अनुवांशिक स्थिति, हार्मोन संबंधी स्थितियां, विशेष रूप से एस्ट्राडियोल और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन इसके कारण हो सकते हैं, ये हार्मोन्स प्रेग्नेंसी के तीसरी तिमाही के दौरान बढ़ते हैं और बच्चे के जन्म के ठीक बाद अपने आप ठीक हो जाते हैं। ऐसे में ये गर्भावस्था के दौरान रेस्टलेस लेग सिंड्रोम का कारण बन सकते हैं।

    इसके अलावा प्रेग्नेंट महिला की लाइफस्टाइल और खानपान भी गर्भावस्था के दौरान रेस्टलेस लेग सिंड्रोम का कारण बन सकता है। कुछ अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि अगर गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में आयरन या अन्य प्रकार के विटामिन्स या मिनरल्स की कमी होती है, तो इसके कारण भी गर्भावस्था के दौरान रेस्टलेस लेग सिंड्रोम हो सकता है।

    किस तरह की स्थितियां गर्भावस्था के दौरान रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के जोखिम को बढ़ा सकती है (What conditions can increase the risk of restless leg syndrome during pregnancy)?

    गर्भावस्था के दौरान होने वाली निम्न स्थितियां गर्भावस्था के दौरान रेस्टलेस लेग सिंड्रोम की समस्या को बढ़ा सकती हैं, जिसमें शामिल हैंः

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    प्रेग्नेंसी में रेस्टलेस लेग सिंड्रोम का उपचार कैसे किया जा सकता है (How to treat restless leg syndrome in pregnancy)?

    अगर कोई गर्भवती महिला गर्भावस्था के दौरान रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के लक्षणों को अनुभव करती है, तो उसे जितना हो सके उतना आराम करना चाहिए। साथ ही, डॉक्टर की सलाह पर अपनी डायट का ख्याल रखना चाहिए, ताकि शरीर में आयरन की कमी या मिनरल्स की कमी न हो। साथ ही, समय-समय पर थायराइड हार्मोन की जांच  करानी चाहिए।

    भरपूर नींद लें (Sleep)

    आमतौर पर डॉक्टर प्रेग्नेंसी में रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के उपचार के लिए किसी भी तरह के दवा के सेवन की सलाह नहीं देते हैं। क्योंकि, इसकी संभावना होती है कि, ये महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, डॉक्टर सलाह देते हैं कि महिला को अधिक से अधिक आराम करना चाहिए और हेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो करना चाहिए।

    पता करें फैमिली हिस्ट्री (Family History)

    इसके अलावा अगर महिला की मां को गर्भावस्था के दौरान इस तरह की कोई समस्या हुई थी, तो प्रेग्नेंसी प्लानिंग करते समय महिला को अपने डॉक्टर से इसके बारे में सलाह लेनी चाहिए। ताकि, प्रेग्नेंसी में रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के लक्षणों को कम किया जा सके।

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    एनीमिया का टेस्ट कराएं (Anemia Test)

    आमतौर पर इसकी समस्या शरीर में खून की कमी यानी एनीमिया के कारण भी हो सकता है। इसलिए शरीर के लिए जरूरी टेस्ट कराएं। और आयरन से भरपूर आहार जैसे- पालक, बीन्स, छोले और सूखे मेवों को अपनी डायट में शामिल करें। इससे शरीर में आयरन की भरपाई भी होगी और दिल भी स्वस्थ रहेगा।

    हीटिंग पैड का इस्तेमाल करें (Heating pad)

    जब भी पैरों में ऐंठन या झनझनाहट का अनुभव करें, तो उससे राहत पाने के लिए आप हीटिंग पैड या आइस पैक का भी इस्तेमाल कर सकती हैं।

    गुनगुने पानी में पैर डालें (Soak feet in lukewarm water)

    प्रेग्नेंसी में रेस्टलेस लेग सिंड्रोम की समस्या से राहत पाने के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करना काफी लाभदायक हो सकता है। इसके लिए किसी टब या बकेट में हल्का गुनगुना पानी भरें। फिर उसमें अपने दोनों पैर को डालकर रखें। जब पैरों का ऐंठन कम हो जाएं, तो पैर को बाहर निकाल लें और पैर से पानी सूखा कर लें। इससे आपको अच्छी नींद भी आएगी।

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    एक्यूपंक्चर भी लाभकारी हो सकता है (Acupuncture may also be beneficial)

    एक्यूपंक्चर एक तरह की प्रक्रिया होती है, जिसमें दर्द को ट्रिगर करने वाली कुछ खास नसों और हड्डियों पर प्रेशर डाला जाता है। बेहतर होगा कि, एक्यूपंक्चर हमेशा किसी एक्सपर्ट्स की देखरेख में ही कराएं।

    प्रेग्नेंसी में रेस्टलेस लेग सिंड्रोम की समस्या कब तक बनी रह सकती है (How long can the problem of restless leg syndrome persist in pregnancy)?

    सामान्यतौर पर देखा जाए, तो प्रेग्नेंसी में रेस्टलेस लेग सिंड्रोम गर्भावस्था से दूसरी और तीसरी तिमाही में शुरू हो सकता है, जो बच्चे के जन्म के बाद अगले चार हफ्तों में अपने आप ठीक भी हो सकती है। हालांकि, अगर इसकी समस्या बनी रहती है, तो महिला को डॉक्टर से परामर्श करनी चाहिए। डॉक्टर्स के मुताबिक, प्रसव के बाद इसके उपचार के लिए डॉक्टर कुछ दवाओं के सेवन की सलाह दे सकते हैं।

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    क्या रेस्टलेस लेग सिंड्रोम मेरे बच्चे को प्रभावित कर सकता है?

    प्रेग्नेंसी में रेस्टलेस लेग सिंड्रोम का प्रभाव बच्चे पर नहीं होता है। इससे बच्चा पूरी तरह से सुरक्षित होता है। यह सिर्फ मां को ही परेशान करता है। हालांकि, अगर वह बच्चा लड़की है, तो इसकी संभावना अधिक है कि उसकी गर्भावस्था के दौरान उसे भी रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के लक्षणों से गुजरना पड़ सकता है।

    उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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