परिभाषा
कोलाइटिस (Colitis) क्या है ?
कोलाइटिस कोलोन में आने वाली सूजन को कहते हैं। कोलोन या फिर लार्ज इंटेस्टाइन एक लम्बी खाली ट्यूब है, जिससे शरीर से निकलने वाला मल एनस (Anus) से बाहर जाता है। कोलोन पेरिटोनियम में पाया जाता है जो कि एब्डोमिनल कैविटी (Abdominal cavity) में स्थित होती है।
लक्षण
कोलाइटिस के ये आम लक्षण हो सकते हैं (Common symptoms of Colitis)
- एब्डोमेन में दर्द (Abdominal pain) होना या फिर ब्लोटिंग होना।
- मल में खून आना
- हमेशा पेट साफ न होने की आशंका होना।
- डिहाइड्रेशन (Dehydration) होना।
- डायरिया (Diarrhea) होना।
- बुखार (Fever) होना।
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अपने डॉक्टर से कब मिले ?
अगर आपको ऐसे कोई भी लक्षण दिख रहे हैं तो अपने डॉक्टर से जरूर मिलें। हर किसी का शरीर अलग स्थिति में अलग तरीके से व्यवहार करता है इसलिए अपने शरीर के हिसाब से इलाज के लिए डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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कारण
कोलाइटिस के क्या कारण हो सकते हैं? (Cause of Colitis)
बहुत बार कोलाइटिस का कारण पता नहीं लगाया जा सकता है। कोलाइटिस के कारण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं :
- वायरस (Virus) या फिर पैरासाइट से संक्रमण होना।
- बैक्टीरिया (Bacteria) की वजह से संक्रमण होना।
- क्रोहन डिजीज का होना।
- खून के बहाव में रूकावट आना। (इस्केमिक कोलाइटिस [Ischemic colitis])।
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जांच और इलाज
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा परामर्श का विकल्प नहीं है। अपने अनुसार सही इलाज के लिए डॉक्टर से जरूर मिलें।
कोलाइटिस की जांच कैसे की जा सकती है? (Diagnosis of Colitis)
आपके डॉक्टर आपका फिजिकल एग्जामिनेशन करेंगे और आपको होने वाले लक्षणों की जानकारी भी लेंगे :
जैसे कि :
- ये लक्षण आपको कितने दिनों से है ?
- आपको कितना और कहां पर दर्द हो रहा है ?
- आपको डायरिया की शिकायत तो नहीं है ?
- आप लगातार सफर तो नहीं कर रहे हैं जिससे कि आपके कोलाइटिस की समस्या बढ़ रही है।
- क्या आप एंटीबायोटिक्स ले रहे हैं ?
रेक्टम में एक फ्लेक्सिबल ट्यूब (फ्लेक्सिबल सिग्मोइडोस्कोपी या कोलोनोस्कोपी (Flexible sigmoidoscopy or colonoscopy)) डालकर भी आप कोलाइटिस की जांच कर सकते हैं। इस एग्जामिनेशन के दौरान बायोप्सी (Biopsy) भी करवाई जा सकती है। बायोप्सी की मदद से आप जलन का कारण पता लगा सकते हैं। इसके साथ ही आपको कोलाइटिस है या नहीं इसका भी पता लगाया जा सकता है।
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कोलोनोस्कोपी (Colonoscopy) कैसे होती है?
कोलॉनोस्कोपी को करने में लगभग 30 से 60 मिनट का समय लगता है। परीक्षण के लगभग एक घंटे बाद तक आप बेहोशी की हालत में रहते हैं। परीक्षण के दौरान आपको सिर्फ एक गाउन पहनाया जाता है। इसके बाद आपको बेहोशी की दवा दी जाती है। ताकि परीक्षण के दौरान किसी भी तरह की परेशानी न हो। फिर आपको डॉक्टर एक करवट लेटने को कहेगा। जिसमें से एक पैर का घुटना आपके सीने से चिपका रहेगा। ताकि डॉक्टर आसानी से कोलॉनोस्कोप को आपके रेक्टम के अंदर डाल सके।
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स्कोप इतना लंबा होता है कि वो आपके कोलन के अंदर तक पहुंच सके। स्कोप में एक लाइट, एक कैमरा और एक ट्यूब लगा होता है। इसके बाद डॉक्टर कोलन में हवा (कार्बन डाईऑक्साइड) भरता है। जो कोलन को फूला देता है और उसके अंदर के लाइनिंग को साफ तौर से देखने में मदद करता है। कोलॉनोस्कोप पर लगा हुआ कैमरा बाहर लगे मॉनिटर पर कोलन की तस्वीरें भेजता है। जिसे देख कर डॉक्टर बड़ी आंत, कोलन और रेक्टम की स्थिति पता करते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर उसी जगह से एक उपकरण स्कोप के जरिए अंदर डालता है जिससे वो टीश्यू सैंपल्स (Biopsies) या पॉलिप्स और अन्य असाधारण टीश्यू को बाहर निकालता है।
ऐसी और भी जांचे है जिनसे कि कोलाइटिस की जांच की जा सकती है जैसे कि :
- एब्डोमेन का सीटी स्कैन (CT Scan)।
- एब्डोमेन का MRI
- बेरियम अनेमा से भी जांच की जा सकती है।
- स्टूल कल्चर
- स्टूल में ओवा या फिर पैरासाइट की जांच से भी कोलाइटिस का पता लगाया जा सकता है।
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कोलाइटिस का इलाज कैसे किया जा सकता है? (Treatment for Colitis)
कोलाइटिस का इलाज इसके कारण पर निर्भर करता है। अगर कोलाइटिस की स्थिति की पूर्णतः जांच नहीं हुई है तो शुरुआत में आप कुछ जरूरी लक्षणों को रोक कर या फिर दर्द को कम करके इलाज कर सकते हैं।
ज्वलनशील बोवेल की स्थिति को रोकने या कम करने के लिए मरीज के हिसाब से दवाएं दी जा सकती हैं।
अगर संक्रमण (Infection) फैलाने वाले बैक्टीरिया के बारे में नहीं पता है तब आपको एंटीबायोटिक्स नहीं दी जाएंगी।
डायरिया के लिए दी जाने वाली दवाओं का इस्तमाल ध्यान से करना चाहिए खासकर तब जब आपको पहले ही बुखार और एब्डोमेन में दर्द हो। डायरिया की दवा लेने से पहले अपने डॉक्टर या फिर फार्मासिस्ट की सलाह जरूर लें।
कोलाइटिस के ज्यादातर कारणों का इलाज सर्जरी से नहीं किया जा सकता।
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जीवनशैली और घरेलू उपाय
जीवनशैली में किन बदलावों और घरेलू उपायों से आप इलाज पा सकते हैं? (Lifestyle and home remedies for Colitis)
इन बातों को ध्यान में रखने से आप कोलाइटिस से बच सकते हैं या फिर उसपर नियंत्रण पा सकते हैं :
- ज्यादा ठोस खाना न खाएं, कोशिश करे कि आप ज्यादा पानी वाला खाना ही खाए जिससे कि शरीर में पानी की कमी न हो और आपके कोलन को आराम मिल सके।
- जिन चीजों से आपके कोलाइटिस के लक्षण (Symptoms of Colitis) बढ़ रहे हैं उनको न खाएं क्योकि इससे आपका कोलाइटिस और गहरा हो सकता है।
- ज्यादा तला और भुना हुआ खाना न खाएं।
- दूध या उससे बने प्रोडक्ट्स भी कम खाएं।
- पॉपकॉर्न (Popcorn), सीड्स, नट्स (Nuts) या कॉर्न को भोजन में लें जिससे कि आपका पाचन आसानी से हो।
- ऐसे लोग जो कि आसानी से लैक्टोस नहीं पचा पाते उन्हें डेरी प्रोडक्ट्स (Diary products) नहीं लेने चाहिए।
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कोलाइटिस होने पर क्या खाएं?
कुछ आहार कोलाइटिस के लक्षणों को दूर करने में मदद कर सकते हैं, जैसे:
- रोजाना पांच या छह बार थोड़ा-थोड़ा खाएं, संतुलित और नियमित भोजन करें
- डिहाइ़ड्रेशन (Dehydration) को रोकने के लिए तरल पदार्थ का सेवन करें, दिन में लगभग आठ गिलास पानी पिएं
- कैफीन (Caffeine) और एल्कोहॉल (Alcohol) से बचना चाहिए, नहीं तो आपके डायरिया को ये बढ़ा सकता है
- सोडा पीने से परहेज करें, क्योंकि सोडा पीने से गैस बढ़ सकती है
साथ ही अपनी डायरी में उन फूड्स को नोट कर लें, क्योंकि कुछ फूड्स कोलाइटिस के लक्षणों को बद से बदतर कर देता है।
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इसके अलावा डॉक्टर आपको एक डायट प्लान दे सकते हैं, जो कुछ ऐसा होगा :
- कम फाइबर (Fiber) का सेवन करें
- लैक्टोज रहित आहार लें
- कम फैट वाला फूड (Low fat food) लें
- कम नमक (Salt) खाएं
इसके साथ ही आपको कुछ अन्य सप्लीमेंट्स (Supplements) भी लेने के लिए डॉक्टर कह सकते हैं। अगर आपको अपनी डायट में कोई समस्या आए तो सीधे अपने डॉक्टर के पास जाएं और उनसे बात करें।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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