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Eye Socket Fracture : आंखों के सॉकेट में फ्रैक्चर क्या है? जानिए इसका उपचार

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Kanchan Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 13/02/2020

Eye Socket Fracture : आंखों के सॉकेट में फ्रैक्चर क्या है? जानिए इसका उपचार

परिभाषा

आंखों को सुरक्षित रखने के लिए उसके अंदर भी कई तरह की सरंचानाए होती हैं, उन्हीं में से एक है आई सॉकेट जिसे ऑर्बिट भी कहा जाता है। आंखों को सुरक्षित रखने वाली आई सॉकटे में फ्रैक्चर होने पर आंखों पर क्या असर पड़ता है और इसका उपचार कैसे किया जाता है जानिए इस आर्टिकल में।

आई सॉकेट में फ्रैक्चर (Eye Socket Fracture) का क्या मतलब है?

आई सॉकेट जिसे ऑर्बिट भी कहते हैं यह एक सख्त कप की तरह आंखों के चारों ओर होता है। यह सात अलग-अलग हड्डियों से मिलकर बना होता है। आई सॉकेट में आपके आईबॉल और हिलने वाली सारी मांसपेशियां आती हैं। सॉकेट के अंदर आंसू ग्रंथि, कार्नियल नर्वस, रक्त वाहिकाएं, लिगामेंट्स और दूसरी नर्व्स होती हैं। आई सॉकेट 4 हिस्सों में बंटा होता है। आपकी सभी आई सॉकेट में फ्रैक्चर सभी हिस्से या किसी एक हिस्से में हो सकता है।

प्रकार

आई सॉकेट में फ्रैक्चर के प्रकार

ऑर्बिटल रिम फ्रैक्चर

इसमें आंख के सॉकेट के बाहरी किनारों पर फ्रैक्चर होता है। ऑर्बिटल रिम बहुत मोटी होती है, इसलिए बहुत जोर से झटका लगने पर ही इसमें चोट लगती है जैसे कार एक्सिडेंट।

डायरेक्ट ऑर्बिटल फ्लोर फ्रैक्चर

गंभीर चोट के कारण ऑर्बिटल रिम फ्रैक्चर ऑर्बिटल फ्लोर तक पहुंच जाता है।

इनडायरेक्ट ऑर्बिटल फ्लोर फ्रैक्चर

इसे ब्लोआउट फ्रैक्चर भी कहा जाता है। इनडायरेक्ट ऑर्बिटल फ्लोर फ्रैक्चर तब होता है जब स्टियरिंग व्हील, मुट्ठी, बेसबॉल जैसी चीज या कोहनी से किसी व्यक्ति के चेहरे पर सीधे चोट लगे। इसकी वजह से रिम पर कोई असर नहीं होता लेकिन आई सॉकेट के फ्लोर में छेद हो जाता है।

ट्रेपडोर फ्रैक्चर

यह मुख्य रूप से बच्चों को होता है, क्योंकि उनकी हड्डियां बहुत लचीली होती हैं। यह ऑर्बिटल फ्लोर फ्रैक्चर की ही तरह होता है। इसमें हड्डियां बाहर की ओर झुक जाती हैं और फिर सामान्य स्थिति में लौट आती है। तकनीकी रूप से यह हड्डी का टूटना नहीं है, फिर भी कभी इससे गंभीर क्षति हो सकती है या स्थायी रूप से आंखों की रोशनी जा सकती है।

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लक्षण

आई सॉकेट में फ्रैक्चर के लक्षण

आई सॉकेट में फ्रैक्चर के लक्षण इसकी स्थिति और गंभीरता के हिसाब से अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं

  • आंखों का काला होना, सजून। चोट वाले हिस्से का रंग काला या नीला होना। आंख के सफेद हिस्से या पलकों के अंदर की लाइनिंग पर रक्तस्राव।
  • डबल दिखना, कम दिखना या धुंधला दिखना।
  • ऊपर, नीचे, दाहिने और बाएं देखने में मुश्किल।
  • आंख की असामान्य स्थिति (सॉकेट से बाहर निकलना या अंदर की ओर धंसा होना)।
  • माथे, पलके, गाल, ऊपरी होंठ, नीचे के दांत जिस तरह आंख में चोट लगी है, का सुन्न होना। संभवतः ऐसा आई सॉकेट में फ्रैक्टर के कारण उससे संबंधित नर्व के क्षतिग्रस्त होने से होता है।
  • गाल का सपाट दिखना और जब आप मुंह खोलने की कोशिश करते हैं तो बहुत दर्द होना।
  • माथे और गाल पर सूजन या इसका शेप बदल जाना।
  • मितली या उल्टी आना (ट्रैपडोर फ्रैक्टर में यह बहुत आम है)
  • धंसी हुई या ऊभरी हुई आंख या लटकती पलकें।
  • आंख को किसी भी दिशा में घुमाने में असमर्थ होना।
  • दर्द होना, आंख से पानी या खून आना।

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निदान

आई सॉकेट में फ्रैक्चर का निदान

आई सॉकेट में फ्रैक्चर को डायग्नोस करने के लिए डॉक्टर आंख के क्षतिग्रस्त हिस्से और आपकी दृष्टि की जांच करेगा। वह आपके आई प्रेशर की भी जांच करेगा। यदि आंख का दवाब लगातार बढ़ रहा है तो इससे ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंच सकती है और आंखों की रोशनी भी जा सकती है।

आपका डॉक्टर आई सॉकेट में फ्रैक्टर की जांच के लिए एक्स-रे का आदेश दे सकता है। सीटी स्कैन से चोट की सही स्थिति का आंकलन करने में मदद मिलती है। आंखों की रोशनी या गति में किसी तरह की समस्या होने पर आई स्पेशलिस्ट इसका इलाज करते हैं। जबकि ऑर्बिटल रूफ में फ्रैक्चर होने पर न्यूरोलॉजिस्ट या न्यूरोसर्जन से परामर्श की आवश्यकता हो सकती है।

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उपचार

आई सॉकेट में फ्रैक्चर का उपचार

आई सॉकेट में फ्रैक्चर के इलाज के लिए हमेशा सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है। आपका डॉक्टर जांच करके यह तय करेगा कि फ्रैक्चर अपने आप ठीक होगा या सर्जरी की आवश्यकता है।

चोट लगने के बाद कई कई हफ्तों तक आपको नाक साफ करने से मना किया जा सकता है, ऐसा साइनस से आई सॉकेट टिश्यू तक फैलने वाले संक्रमण को रोकने के लिए किया जाता है। नाक छिड़कने और छींक को रोकने के लिए डॉक्टर आपको नेजल स्प्रे देगा। कई डॉक्टर संक्रमण से बचाने के लिए एंटीबायोटिक्स भी देते हैं।

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सर्जरी

कुछ मामलों में सर्जरी की सलाह दी जाती है।

  • यदि आपको चोट लगने के कई दिनों बाद भी डबल दिख रहा है तो सर्जरी की आवश्यकता है। डबल विजन का मतलब है कि आपकी आंख की कोई एक मांसपेशी क्षतिग्रस्त हुई है तो आंखों को मूव करने में मदद करती है। यदि डबल विजन की समस्या जल्द ठीक हो जाती है, तो इसका मतलब है कि यह सूजन की वजह से हुआ था और इलाज की जरूरत नहीं है।
  • यदि चोट की वजह से आईबॉल सॉकेट (एनोफथाल्मोस) के अंदर चला जाता है तो सर्जरी की आवश्यकता होती है।
  • यदि आधा या उससे अधिक इंफीरियर वॉल क्षतिग्रस्त है तो चेहरे को विकृत होने से बचाने के लिए सर्जरी की जरूरत होती है।
  • यदि सर्जरी जरूरी है तो भी सर्जन चोट लगने के बाद एक या दो हफ्ते इंतजार करता है ताकि सूजन कम हो जाए। सूजन कम होने पर आई सॉकेट का परीक्षण अधिक सटीक किया जा सकता है

सर्जरी की सामान्य तरीके में आपकी आंख के बाहरी कोने में और पलक के अंदर एक छोटा चीरा लगाया जाता है। इसके अलावा वैकल्पिक तरीका है एंडोस्कोपी, जो अधिकांश सर्जनों द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में, सर्जिकल कैमरे और उपकरणों को मुंह या नाक के माध्यम से डाला जाता है। इस तरह की सर्जरी में जनरल एनस्थीसिया का उपयोग किया जाता है, यानी प्रक्रिया के समय मरीज बेहोश रहता है, जिससे उसे दर्द महसूस नहीं होता।

हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी चिकित्सा, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।

अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

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