परिभाषा
फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट ब्रेस्ट से जुड़ी एक बीमारी है, जिसमें ब्रेस्ट में गांठ बन जाते हैं, हालांकि ये गांठ कैंसर का कारण नहीं बनते हैं। फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट की बीमारी में ब्रेस्ट में गांठ के साथ ही दर्द भी होता है। हालांकि इससे किसी तरह का खतरा नहीं होता है, लेकिन कुछ महिलाओं को इससे परेशानी हो सकती है। फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट के बारे में विस्तार से जानने के लिए पढ़ें यह आर्टिकल।
फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट क्या है?
फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट जिसे फाइब्रोसिस्टिक चेंज भी कहा जाता है, ब्रेस्ट से जुड़ी एक कंडिशन है जिसमें ब्रेस्ट में गांठ बन जाती है। हालांकि यह स्थिति खतरनाक नहीं है, लेकिन इससे महिलाओं को असुविधा हो सकती है। फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट से घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि डॉक्टर्स भी इसे बीमारी नहीं, बल्कि ब्रेस्ट में होने वाला एक बदलाव भर मानते हैं और यह महिलाओं में बहुत आम है। आधे से अधिक महिलाओं ने कभी न कभी इसका अनुभव अवश्य किया होगा। हालांकि आमतौर पर इससे किसी तरह की परेशानी नहीं होती है, लेकिन कुछ महिलाओं को ब्रेस्ट में दर्द, सूजन और गांठ का अनुभव होता है। पीरियड्स के पहले परेशानी और बढ़ जाती है। फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट में मौजूद गांठ का आकार हमेशा बदलता रहता है और एक जगह से दूसरी जगह घूमता रहता है, लेकिन यह हानिकारक नहीं होता है।
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कारण
फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट के क्या कारण हैं?
फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट के सटीक कारणों का पता नहीं चल सका है, लेकिन एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इस स्थिति के लिए एस्ट्रोजन हार्मोन जिम्मेदार हो सकता है। पीरियड्स के दौरान हार्मोनल लेवल में होने वाले बदलाव से ब्रेस्ट में असहजता और गांठ वाले ब्रेस्ट टिशू में दर्द, सूजन हो सकता है। पीरियड्स से पहले फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट ज्यादा तकलीफदेह होता है और पीरियड्स शुरू होते ही दर्द और गांठ कम महसूस होने लगती है।
फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट के कारण ब्रेस्ट में होने वाले बदलावों में शामिल हैः
- मिल्क डक्ट को लाइन करने वाली कोशिकाओं में बहुत अधिक वृद्धि
- फाइब्रस टिशू का बढ़ना
- सिस्ट बनना
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लक्षण
फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट के क्या लक्षण हैं?
फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट के लक्षणों में शामिल हैः
- ब्रेस्ट में सूजन
- दर्द
- कोमल महसूस होना
- टिशू का मोटा हना
- एक या दोनों ब्रेस्ट में गांठ
आपके एक ब्रेस्ट में सूजन और गांठ दूसरे ब्रेस्ट से अधिक हो सकता है। आपके लक्षण पीरियड्स के पहले और खराब हो जाते हैं, ऐसा हार्मोनल बदलाव के कारण होता है। ब्रेस्ट में बने गांठ का आकार पूरे महीने बदलता रहता है और यह आसानी से इधर-उधर घूमता है। कभी-कबी जब फाइब्रोस टिशू अधिक हो जाते हैं, तो गांठ एक ही जगह पर स्थिर हो सकता है।
कुछ महिलाओं को बांह के नीचे दर्द महसूस हो सकता है। कुछ के निप्पल से हरा या भूरा डिस्चार्ज हो सकता है। यदि निप्पल से लाल या खून के रंग जैसा तरल निकलता है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं, क्योंकि यह ब्रेस्ट कैंसर का संकेत हो सकता है। फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट चेंज 20 से 50 साल के बीच की महिलाओं में आम है।
कब जाएं डॉक्टर के पास?
अधिकांश मामलों में फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट सामान्य होता है, लेकिन निम्न स्थितियों में आपको डॉक्टर के पास जाने की जरूरत हैः
- ब्रेस्ट में नई गांठ बनती है या कोई हिस्सा अधिक मोटा हो जाता है
- ब्रेस्ट के किसी खास हिस्से में लगातर दर्द होता है या दर्द बढ़ जाता
- पीरियड्स के बाद ब्रेस्ट में बदलाव जारी रहता है
- डॉक्टर ब्रेस्ट के गांठ का मूल्यांकन करता है, लेकिन अब इसमें बदलाव आ चुका है या यह बहुत बड़ा हो गया है।
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निदान
फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट का निदान कैसे किया जाता है?
क्लिनिकल ब्रेस्ट परीक्षण से फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट का निदान किया जा सकता है। परीक्षण के दौरान डॉक्टर दोनों ब्रेस्ट में गांठ और उसके असमान्य हिस्से की जांच करता है। फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट में बने गांठ ब्रेस्ट कैंसर के लिए जिम्मेदार गांठ से अलग होते हैं।
आमतौर पर फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट में बने गांठ आसपास के टिशू से जुड़े हुए नहीं होते हैं। जब डॉक्टर गांठ को टच करने की कोशिश करता है, तो वह एक-जगह से दूसरी जगह घूमते रहते हैं। कई बार गांठ ज्यादा महूसस होते हैं। ऐसे में यदि डॉक्टर की किसी अन्य बात का संदेह होगा तो वह मैमोग्राम या ब्रेस्ट अल्ट्रासाउंड की सलाह दे सकता है।
इन टेस्ट से ब्रेस्ट टिशू या सिस्ट के बारे में अधिक जानकारी मिलती है, जैसे यह पता चलता है कि सिस्ट में तरल पदार्थ भरा है ठोस। यदि सिस्ट में दोनों ही मिलते हैं तो ब्रेस्ट बायोप्सी के जरिए यह पता लगाया जाता है कि कहीं ये कैंसर तो नहीं।
क्या फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ाता है?
फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट खतरनाक नहीं है और यह आपके कैंसर के खतरे को नहीं बढ़ाता है, लेकिन सेल्फ चेक करने पर आपको ब्रेस्ट में हो रहे बदलाव और नए गांठ के बारे में सही तौर पर पता नहीं चलता। इसलिए किसी तरह का बदलाव महसूस होने पर डॉक्टर से परामर्श करें ताकि वह आपको सही जानकारी दे सके।
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उपचार
फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट का उपचार कैसे किया जाता है?
आमतौर पर किसी तरह के उपचार की जरूरत नहीं होती है। यदि सिस्ट की वजह से दर्द होता है तो डॉक्टर सिस्ट में छेद करके तरल पदार्थ निकाल देगा, लेकिन यह दोबारा आ सकता है। कई बार सिस्ट अपने आप खत्म हो जाते हैं।
कुछ महिलाओं को कैफीन का सेवन बंद करने पर राहत मिलती है, जैसे चाय, कॉफी, चॉकलेट, सोडा आदि। हालांकि किसी तरह की स्टडी से यह बात साबित नहीं हुई है कि कैफीन से परहेज करना चाहिए, लेकिन फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट होने पर कैफीन की मात्रा कम करने से राहत मिलती है।
डॉक्टर भी फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट के लक्षणों को कम करने के लिए आपको जीवनशैली में कुछ बदलाव की सलाह देगाः
- खाने में नमक की मात्रा कम करें, मेन्स्ट्रुअल साइकल के अंत में ब्रेस्ट में होने वाली सूजन कम हो जाएगी।
- ड्यूरेटिक लेने की सलाह। यह एक दवा है जो शरीर से तरल पदार्थ को बाहर निकालने में मदद करती है।
- किसी भी तरह का विटामिन या हर्बल सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लें, क्योंकि इसके साइड इफेक्ट हो सकते हैं।
कुछ डॉक्टर गंभीर मामले में बर्थ कंट्रोल पिल्स और टेमोक्सीफेन जैसे प्रिस्क्राइब्ड हार्मोन से इलाज करते हैं। आमतौर पर यह दवाएं ब्रेस्ट कैंसर के उपचार में काम आती हैं और इसके गंभीर साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं।
फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट दर्दनाक हो सकता है। दर्द कम करने के लिए निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैः
- ऐसा कोई भी खेल या गतिविधि न करें, जिससे ब्रेस्ट पर असर पड़ सकता है।
- दर्द वाले हिस्से पर गर्म या बर्फ से सेंक करें।
- ओवर द काउंटर एंटी इन्फ्लामेंटरी ड्रग जैसे आइबुप्रोफेन ले सकती हैं।
- अच्छी क्वालिटी का स्पोर्टिव ब्रा पहनें जिसकी फिटिंग भी परफेक्ट हो।
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हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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