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Floppy Eyelid Syndrome: फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम क्या है?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Sunil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/05/2020

Floppy Eyelid Syndrome: फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम क्या है?

परिचय

फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम (Floppy Eyelid Syndrome) क्या है?

फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आंख की ऊपरी पलक अपना लचीलापन खो देती है। इससे वह ढीली या ‘फ्लॉपी’ हो जाती है। ऐसा होने पर वह टार्सल प्लेट (संयोजी ऊत्तक) से एक टाइट अटैचमैंट नहीं बना पाती है। ऊपरी पलक का ढीला होने से इसका पलटना (अंदर से बाहर की तरफ) काफी आसान हो जाता है।

फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम होना कितना सामान्य है?

फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम एक असामान्य समस्या है। आमतौर पर फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम के मामले 25-80 वर्ष की आयु के बीच में सामने आते हैं। हालांकि, मध्यम आयु वर्ग (40-50 वर्ष) के लोगों में अन्य लोगों के मुकाबले फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम सामने आना ज्यादा सामान्य है। महिला और पुरुषों दोनों में ही यह समस्या सामने आती है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों को मामूली रूप से यह समस्या होने का जोखिम रहता है। इसकी अधिक जानकारी के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श लें। हालांकि, भारत जैसे विकासशील देश में फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम होना कितना सामान्य है, यह अभी शोध का विषय है।

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लक्षण

फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम के क्या लक्षण हैं?

फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम के लक्षण निम्नलिखित हैं:

  • ऊपरी पलक का आसानी से पलटना (अंदर से बाहर की तरफ), ढीला और ऊपरी पलक का रबड़ के जैसा होना।
  • सुबह उठने पर आंखों का लाल पड़ना।
  • क्रॉनिक कोरनियल इनफ्लेमेशन (Chronic corneal inflammation)।
  • ऊपरी पलक के नीचे के ऊत्तकों में क्रॉनिक इनफ्लेमेशन जैसे सुपीरियर पेलपेब्रल कॉन्जक्टिवा (superior palpebral conjunctiva) के नाम से जाना जाता है।
  • ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (obstructive sleep apnea) के लक्षण जैसे दिन में सोना और खर्राटे लेना।

उपरोक्त लक्षणों के अलावा भी फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम के कुछ अन्य लक्षण हो सकते हैं। यह सूची संपूर्ण नहीं है। यदि आप इसके लक्षणों को लेकर चिंतित हैं या आपको कोई सवाल है तो डॉक्टर से सलाह लें।

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मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि आपको उपरोक्त लक्षणों या संकेतों का अनुभव होता है तो अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। हालांकि, हर व्यक्ति की बॉडी फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम में अलग प्रतिक्रिया देती है। स्थिति को बेहतर तरीके से समझने के लिए अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। आंखों या पलकों में किसी भी प्रकार की परेशानी का अहसास होते ही तुरंत चिकित्सा सहायता लेना अनिवार्य है।

कारण

फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम के क्या कारण हैं?

फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम के कारण निम्नलिखित हैं:

मशीनी आघात (Mechanical trauma)

  • तकिए की तरफ मुंह करके सोने से क्रॉनिक लिड पिलो इंटरैक्शन होता है, जिससे पलक का लचीलापन कम हो जाता है। इससे पलक रबड़ की तरह या ढीली हो जाती है।
  • इलास्टिन एक प्रोटीन है, जो संयोजी ऊत्तकों में होता है। स्ट्रेच या कॉन्ट्रेक्ट के बाद इसका कार्य बॉडी के विभिन्न हिस्सों के आकार को बनाए रखना होता है।
  • बार-बार मकैनिकल आघात जो आंखों को रगड़ने या सोने की आदत से जुड़ा होता है।
  • मकैनिकल आघात बार-बार आंखों को रगड़ने या सोने की आदत से जुड़ा होता है। फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम से पीढ़ित लोग अपना चेहरा तकिए की तरफ करके सोते हैं। इससे उनकी आंखों पर दबाव पड़ता है। इससे इलास्टिन (Elastin) की मात्रा टार्सल प्लेट और आइलिड की त्वचा से कम हो जाती है। फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम द्विपक्षीय या एकतरफा हो सकता है, लेकिन मजबूती से इसका संबंध मरीज के सोने की आदत से जुड़ा होता है। जिसमें वह किस तरफ होकर सोता है, यह काफी हद तक जिम्मेदार होता है।
  • मेइबोमिआन ग्लैंड्स (meibomian glands) के भीतर असामान्यता के साथ पलक का ग्लोब कंजक्शन में खराब संपर्क और झिल्ली के टूटने से फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम होता है।
  • ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया प्रत्यक्ष रूप से फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम का जिम्मेदार नहीं होता है, लेकिन इन दोनों के बीच में एक अप्रत्यक्ष मजबूत संबंध है।

उपरोक्त कारणों के अलावा भी कुछ ऐसे फैक्टर्स हो सकते हैं, जिसकी वजह से फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम होने की संभावना हो सकती है। इसके कारणों की विस्तृत जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।

जोखिम

किन कारकों की वजह से मुझे फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम होने का जोखिम होता है?

फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम के कई कारक होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

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उपचार

यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम का निदान कैसे किया जाता है?

निम्नलिखित तरीकों से फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम का पता लगाया जाता है:

  • प्रभावित लोगों की आंखों की जांच और मौजूदा लक्षणों का आंकलन करके।
  • प्रभावित व्यक्ति की सोने की आदत जैसे बेड पर सोने की पसंदीदा आदत, नींद में परेशानी आना, दिन में सोना और खर्राटों का आंकलन करके।
  • ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को मिलाकर मेडिकल हिस्ट्री का विस्तृत आंकलन करना।
  • कई समस्याओं में फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम के समान लक्षण नजर आ सकते हैं। किसी भी बीमारी को चिन्हित करने के निर्णय पर पहुंचने से पहले आपका डॉक्टर अतिरिक्त मेडिकल टेस्ट कर सकता है।

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फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम का इलाज कैसे किया जाता है?

फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम का इलाज निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:

  • संबंधित समस्या जैसे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के साथ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करना।
  • लुब्रिकेशन के मलहम को सोते वक्त लगाया जा सकता है ताकि सोते वक्त आंखों की सतह को अन्य चीजों के संपर्क में आने से रोका जा सके।
  • सोते वक्त पलक की टेपिंग करना, जिससे वह सोते वक्त पलटे नहीं।
  • कॉन्जक्टिवा और कॉर्नियल एक्सपोजर को रोकने के लिए सोते वक्त आंखों की पैचिंग या परिरक्षण करना।
  • सर्जिकल इलाज के जरिए पलक को छोटा करना या टाइट करना।

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घरेलू उपाय

जीवन शैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो मुझे फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?

निम्नलिखित जीवन शैली और दिनचर्या को अपनाकर फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम से लड़ा जा सकता है:

  • उचित खानपान और मोटापे को रोकने के लिए एक्सरसाइज करना।
  • एकतरफ या कमर के बल लेटकर आंख को मकैनिकल आघात से बचाना। इससे पलट तकिए के संपर्क में नहीं आती है।
  • ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया का प्रभावित प्रबंधंन करके।

इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।

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हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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