के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आंख की ऊपरी पलक अपना लचीलापन खो देती है। इससे वह ढीली या ‘फ्लॉपी’ हो जाती है। ऐसा होने पर वह टार्सल प्लेट (संयोजी ऊत्तक) से एक टाइट अटैचमैंट नहीं बना पाती है। ऊपरी पलक का ढीला होने से इसका पलटना (अंदर से बाहर की तरफ) काफी आसान हो जाता है।
फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम एक असामान्य समस्या है। आमतौर पर फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम के मामले 25-80 वर्ष की आयु के बीच में सामने आते हैं। हालांकि, मध्यम आयु वर्ग (40-50 वर्ष) के लोगों में अन्य लोगों के मुकाबले फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम सामने आना ज्यादा सामान्य है। महिला और पुरुषों दोनों में ही यह समस्या सामने आती है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों को मामूली रूप से यह समस्या होने का जोखिम रहता है। इसकी अधिक जानकारी के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श लें। हालांकि, भारत जैसे विकासशील देश में फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम होना कितना सामान्य है, यह अभी शोध का विषय है।
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फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम के लक्षण निम्नलिखित हैं:
उपरोक्त लक्षणों के अलावा भी फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम के कुछ अन्य लक्षण हो सकते हैं। यह सूची संपूर्ण नहीं है। यदि आप इसके लक्षणों को लेकर चिंतित हैं या आपको कोई सवाल है तो डॉक्टर से सलाह लें।
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यदि आपको उपरोक्त लक्षणों या संकेतों का अनुभव होता है तो अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। हालांकि, हर व्यक्ति की बॉडी फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम में अलग प्रतिक्रिया देती है। स्थिति को बेहतर तरीके से समझने के लिए अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। आंखों या पलकों में किसी भी प्रकार की परेशानी का अहसास होते ही तुरंत चिकित्सा सहायता लेना अनिवार्य है।
फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम के कारण निम्नलिखित हैं:
मशीनी आघात (Mechanical trauma)
उपरोक्त कारणों के अलावा भी कुछ ऐसे फैक्टर्स हो सकते हैं, जिसकी वजह से फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम होने की संभावना हो सकती है। इसके कारणों की विस्तृत जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम के कई कारक होते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
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यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
निम्नलिखित तरीकों से फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम का पता लगाया जाता है:
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फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम का इलाज निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:
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निम्नलिखित जीवन शैली और दिनचर्या को अपनाकर फ्लॉपी आइलिड सिंड्रोम से लड़ा जा सकता है:
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
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हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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