परिचय
हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) क्या है?
हाइपोथायरायडिज्म तब होता है जब शरीर पर्याप्त थायरॉइड हाॅर्मोन का उत्पादन नहीं करता है। शुरुआत में इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं लेकिन समय के साथ इसके कारण कई स्वास्थ्य समस्या होने लगती हैं। इसके चलते मोटापा, जोड़ों का दर्द, बांझपन व हृदय रोग की समस्या हो सकती है। हाइपोथायरोडिज्म को अंडरएक्टिव थायरॉइड भी कहा जाता है।
थायरॉइड एक छोटी सी तितली के आकार की ग्रंथी होती है जो हमारी गर्दन में होती है। यह हाॅर्मोन का उत्पादन करती है जो शरीर को नियंत्रित करने और ऊर्जा का उपयोग करने में मदद करते हैं।
शरीर के लगभग हर हिस्से को ऊर्जा प्रदान करने का काम आपके थायरॉइड का ही होता है। यह दिल के धड़कने से लेकर पाचन तंत्र को नियंत्रित रखने का काम करता है। यदि शरीर थायरॉइड हाॅर्मोन का सही मात्रा में उत्पादन नहीं कर पाता है तो शरीर धीरे काम करने लगता है। पुरुषों की तुलना में यह परेशानी महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती है। आमतौर पर यह परेशानी 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करती है। यह समस्या किसी भी उम्र में शुरू हो सकती है। इस परेशानी के बारे में रुटीन ब्लड टेस्ट के माध्यम से पता लगाया जा सकता है।
और पढ़ें: जानें क्या है एलोपेसिया एरीटा और इसके हाेने के कारण
लक्षण
हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) के लक्षण क्या हैं?
जरूरी नहीं हर किसी में हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण एक जैसे हो। कौन से लक्षण कब दिखाई देंगे यह स्थिति की गंभीरता पर भी निर्भर करता है। कभी कभी इसके लक्षणों को पहचान पाना बेहद मुश्किल होता है। कुछ लोगों में इसके लक्षण बहुत धीरे धीरे विकसित होते हैं, जिनके बारे में कई सालों के बाद मालूम होता है। शुरुआत में जल्दी थकान महसूस होना और वजन बढ़ना जैसे इसके लक्षण पर कोई इतना गौर नहीं करता है। लेकिन जैसे-जैसे आपका चयापचय धीमा होता है, आप कई रोगों की चपेट में आ सकते हैं।
हाइपोथायरायडिज्म के आम लक्षण
- थकान (Fatigue)
- ठंड के प्रति संवेदनशीलता (Increased sensitivity to cold)
- कब्ज (Constipation)
- रूखी त्वचा (Dry skin)
- डिप्रेशन (depression)
- वजन बढ़ना (Weight gain)
- कमजोर मसल्स (muscle weakness)
- पसीना कम आना (decreased sweating)
- हार्ट रेट कम होना (slowed heart rate)
- चेहर पे सूजन आना (Puffy face)
- ब्लड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढना (Elevated blood cholesterol level)
- मांसपेशियों में दर्द और कठोरता (Muscle aches and stiffness)
- जोड़ों में दर्द और सूजन (Pain and swelling in your joints)
- बालों का ड्राय और पतला होना (dry, thinning hair)
- सामान्य या अनियमित मासिक धर्म की तुलना में हैवी फ्लो होना (Heavier than normal or irregular menstrual periods)
[mc4wp_form id=’183492″]
कई बार यह रोग बच्चों में भी पाया जाता है। बच्चों में इसके लक्षण अलग होते हैं। नवजात शिशुओं की थायरॉइड ग्रंथि द्वारा ठीक से कार्य न कर पाने के लक्षण को डॉक्टर व माता पिता उन्हें साधारण समझ अनदेखा करते हैं। आइए जानते हैं बच्चों में हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण के बारे में:
- स्किन का या आंखे के सफेद हिस्से का पीला होना (Yellowing of the skin and whites of the eyes)
- सांस लेने में दिक्कत होना (Difficulty breathing)
- अत्यधिक नींद आना (Excessive sleepiness)
- कब्ज (Constipation)
- बच्चे का दूध नहीं पीना (Poor feeding)
- बच्चे की स्किन ठंडी पड़ना (cold skin)
- बच्चे का रोना कम हो जाना (Weak cry)
- तेज सांस लेना (Loud breathing)
- हाथ-पैर कम हिलाना (Decreased activity)
- सिर के कुछ हिस्सों में स्पॉट आना (larger soft spot on the head)
- जबान सामान्य से बड़ी नजर आना (large tongue)
- विकास में देरी (Poor growth)
- परमनेंट दांतों के विकास में देरी (Delayed development of permanent teeth)
- मानसिक विकास न होना (Poor mental development)
कब दिखाएं डॉक्टर को?
यदि आपको उपरोक्त बताए गए लक्षण में से खुद में या अपने बच्चे में कोई लक्षण नजर आते हैं तो डॉक्टर को तत्काल दिखाएं। कई बार बीमारियों के लक्षण हर व्यक्ति में भिन्न नजर आते हैं। ऐसे में चिकित्सा परामर्श लेना सबसे बेहतर है।
और पढ़ें: Meningitis : मेनिंजाइटिस क्या है?जाने इसके कारण लक्षण और उपाय
कारण
हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) के क्या कारण हैं?
हाइपोथायरायडिज्म का मुख्य कारण हाशिमोटो थायरोडिटिस (Hashimoto’s disease)है। थायरॉइड ग्रंथी में सूजन होने को थायरॉइडिटिस (thyroiditis) कहते हैं। यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है। इसमें आपका शरीर एंटीबॉडी का उत्पादन करता है जो थायरॉइड ग्रंथी पर हमला कर उसे नष्ट कर देते हैं। थायरॉइडिटिस (thyroiditis) वायरल इंफक्शन के कारण भी हो सकता है। हाइपोथायरायडिज्म के निम्नलिखित कारण भी हो सकते हैं:
गर्दन के आसपास रेडिएशन थेरेपी (Radiation therapy to the neck area)
कई कैंसर जैसे लिम्फोमा (lymphoma) के इलाज के दौरान गर्दन पर रेडिएशन थेरेपी करने की जरूरत होती है। इस दौरान रेडिएशन थायरॉइड में मौजूद सेल्स को नुकसान पहुंचाती हैं। ऐसे में ग्रंथि के लिए हॉर्मोन का उत्पादन करना मुश्किल हो जाता है।
कई दवाओं के कारण (Use of certain medications)
हृदय रोग, मानसिक रोग औऱ कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं कई बार थायरॉइड हॉर्मोन के उत्पादन को प्रभावित करती हैं।
थायरॉइड सर्जरी (Thyroid surgery)
थायरॉइड को हटाने के लिए की जाने वाली सर्जरी से भी हाइपोथायरायडिज्म की समस्या होती है। बता दें, यदि थायरॉइड का केवल हिस्सा हटाया जाए तो भी शेष ग्रंथि शरीर की जरूरतों के लिए पर्याप्त हॉर्मोन का उत्पादन कर सकती है।
रेडियोएक्टिव थायरॉइड ट्रीटमेंट (Radioactive iodine treatment)
जिन लोगों की थायरॉइड ग्रंथी ओवरएक्टिव होती है उन्हें रेडियोएक्टिव थायरॉइड ट्रीटमेंट की सलाह दी जाती है। इसमें कई बार रेडिएशन थायरॉइड ग्रंथी में मौजूद सेल्स को नुकसान पहुंचाती हैं, जिससे हाइपोथायरायडिज्म की परेशानी हो सकती है।
और पढ़ें: जानें ऑटोइम्यून बीमारी क्या है और इससे होने वाली 7 खतरनाक लाइलाज बीमारियां
डायट में आयोडीन की कमी (Too little iodine in the diet)
थायरॉइज ग्रंथी को थायरॉइज के उत्पादन के आयोडीन की जरूरत होती है। आपका शरीर आयोडीन का उत्पादन नहीं करता है। इसे आपको डायट के जरिए लेना होता है। आयोडीन की कमी के चलते भी हाइपोथायरायडिज्म की समस्या हो सकती है।
इन लोगों को इस बीमारी के होने का ज्यादा खतरा होता है
- महिलाएं
- 60 साल से अधिक उम्र के लोग
- ऑटोइम्यून बीमारी है जैसे डायबिटीज टाइप 1 या सीलिएक रोग
- थायरॉइड का पारिवारिक इतिहास
- गर्दन या अपर चेस्ट पर रेडिएशन थेरेपी
- रेडियोएक्टिव आयोडीन एंटी थायरॉइड दवाओं के सेवन करने से
वक्त रहते हाइपोथायरायडिज्म का इलाज नहीं किया गया तो नीचे बताई बीमारियां हो सकती हैं:
- हृदय रोग (Heart problems)
- बांझपन (Infertility)
- जोड़ों में दर्द (Joint pain)
- मोटापा (Obesity)
और पढ़ें: Kidney Stones : गुर्दे की पथरी क्या है?जाने इसके कारण लक्षण और उपाय
निदान
हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) के बारे में पता कैसे लगाएं?
हाइपोथायरायडिज्म के बारे में पता लगाने के तो तरीके हैं
1. मेडिकल इवैल्यूएशन
मेडिकल हिस्ट्री जानने के बाद वह पूरी तरह से आपका फिजिकल एग्जाम करेंगे। आपका डॉक्टर हाइपोथायरायडिज्म के नजर आ रहे निम्नलिखित लक्षणों की जांच करेंगे।
- रूखी त्वचा (dry skin)
- सूजन (swelling)
- धीमी हार्ट रेट (slower heart rate)
इसके अलावा डॉक्टर आपके द्वारा अनुभव किए जा रहे दूसरे लक्षण जैसे थकान, अवसाद, कब्ज या लगातार ठंड महसूस होना से जुड़ी जानकारी जुटा सकते हैं। यदि आपके परिवार में इस रोग की फैमिली हिस्ट्री है तो डॉक्टर को इसकी जानकारी जरूर दें।
2. ब्लड टेस्ट (Blood Test)
हाइपोथायरायडिज्म के निदान की पुष्टि का पता लगाने का एकमात्र तरीका ब्लड टेस्ट है। इसके लिए थायरॉइड स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन टेस्ट (thyroid-stimulating hormone (TSH) test) किया जाता है। इसमें मालूम होता है कि आपकी पिट्यूटरी ग्रंथि कितने TSH का उत्पादन कर रही है। इसके अलावा T4 और T3 के स्तर की जाँच की जाती है।
और पढ़ें: जानें क्या है हाशिमोटोस थाईरॉइडाईटिस? इसके कारण और उपाय
उपचार
हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) का उपचार कैसे किया जाता है?
आपका डॉक्टर आपको ‘सिंथेटिक थायरॉइड हॉर्मोन टी 4’ रिकमेंड कर सकते हैं। इस दवा को आपको रोजाना लेना होगा। आपका शरीर इसे कैसे अवशोषित करता है इसके लिए डॉक्टर आपको अन्य दवा भी दे सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें यदि आप पहले से कोई दवा, हर्बल या सप्लीमेंट ले रहे हैं तो इसकी जानकारी अपने डॉक्टर को जरूर दें। इसके अलावा नियमित तौर पर थायरॉइड हॉर्मोन लेवल का टेस्ट कराते रहें। आपका डॉक्टर आपकी रिपोर्ट्स के अनुसार दवाओं की डोसेज को एडजस्ट करते रहेंगे। यदि आपकी रिपोर्ट्स में किसी तरह का सुधार नहीं नजर आ रहा तो भी आपका डॉक्टर उस अनुसार आपकी दवाओं में बदलाव करेगा।
[embed-health-tool-ovulation]