परिभाषा
पेरिटोनियम (पेट के हिस्से) में सूजन को हम पेरिटोनाइटिस कहते हैं, एब्डोमेन में बैक्टीरियल संक्रमण की वजह से खराबी आने पर या फिर किसी और बीमारी के चलते पेरिटोनाइटिस हो सकता है। पेरिटोनाइटिस होने पर तुरंत ही इलाज करवाएं, इसे बहुत दिनों तक टालने पर ये और गंभीर हो सकता है।
पेरिटोनिटिस के लिए तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है ताकि संक्रमण को जल्द से जल्द रोका जा सके। इसके उपचार के लिए आमतौर पर एंटीबायोटिक का इस्तेमाल किया जाता और कुछ गंभीर मामलों में सर्जरी की भी आवश्यकता पड़ सकती है। अगर इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो पेरिटोनिटिस आपके पूरे शरीर में गंभीर रूप से संक्रमण का कारण बन सकता है।
यदि आप पेरिटोनियल डायलिसिस थेरेपी ले रहे हैं, तो डायलिसिस के दौरान, पहले और बाद में पर्सनल हाइजीन का पालन करके पेरिटोनिटिस को रोकने में मदद की जा सकती है।
पेरिटोनाइटिस (Peritonitis) होना कितना आम है ?
पेरिटोनाइटिस बहुत ही आम स्थिति है। ये किसी भी उम्र में हो सकती है। इससे जुड़ी और अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
पेरिटोनाइटिस के क्या लक्षण हो सकते हैं ?
इस स्थिति के आम लक्षण ये हो सकते हैं :
- एब्डोमेन में दर्द और दबाव
- पेट में अपच की समस्या होना।
- बुखार होना।
- जी मचलाना और उल्टी होना।
- भूख न लगना
- डायरिया होना।
- ज्यादा प्यास लगना।
- अपच की समस्या होना।
- थकान होना।
- क्लॉउडी डायलिसिस फ्लूइड का दिखना।
- डायलिसिस फ्लूइड में थक्कों का दिखना।
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डॉक्टर से कब मिलें ?
इनमें से किसी भी लक्षण के होने पर डॉक्टर से मिलें। हर व्यक्ति का शरीर अलग स्थिति में अलग तरीके से व्यवहार करता है। इसलिए स्थिति के अनुसार सही इलाज के लिए डॉक्टर से मिलें। यदि इसका शीघ्र उपचार न किया जाए तो पेरिटोनिटिस जानलेवा हो सकता है। यदि आपके पेट में तेज दर्द या पेट में जलन हो या पेट भरा हुआ महसूस हो इसके साथ ही इनमें से कुछ भी महसूस हो तो डॉक्टर से तुरंत ही परामर्श करें जैसे-
- बुखार (fever)
- मतली और उल्टी
- यूरिन (urine) कम पास होना
- प्यास लगना
- स्टूल (stool) या गैस पास करने में असमर्थता
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कारण
निम्नलिखित कारणों की वजह से पेरिटोनाइटिस की समस्या हो सकती है :
पेरिटोनियम का संक्रमण कई कारणों से हो सकता है। ज्यादातर मामलों में पेट की दीवार में चोट लगने की वजह से होता है। इसके अलावा नीचे बताए गए इन कारणों की वजह से भी यह इंफेक्शन हो सकता है-
- पेरिटोनियल डायलिसिस या फिर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी।
- अपेंडिक्स में सूजन होना।
- पैंक्रियाटायटिस की समस्या होना।
- डाइवर्टिक्यूलाइटिस (Diverticulitis)
- सिरोसिस (Cirrhosis)
- चोट या आघात आपके शरीर के अन्य भागों से बैक्टीरिया या रसायनों को पेरिटोनियम में प्रवेश करने की अनुमति देकर पेरिटोनिटिस का कारण बन सकता है।
- अग्न्याशय (पैंक्रियाज) की सूजन की वजह से हुआ संक्रमण अग्न्याशय के बाहर फैलने पर पेरिटोनिटिस का कारण बन सकती है।
खतरों के कारण
पेरिटोनाइटिस के खतरे इन वजहों से बढ़ सकते हैं
- पेरिटोनियल डायलिसिस
- लिवर सिरोरिस
- पेट का कैंसर
ऊपर बताई गई कोई भी स्वास्थ्य स्थिति पहले कभी रही है तो पेरिटोनाइटिस के होने की आशंका बढ़ जाती है। एक बार जब आपको पेरिटोनिटिस होता है, तो इसे फिर से विकसित करने का जोखिम उस व्यक्ति की तुलना में अधिक होता है, जिसे कभी पेरिटोनिटिस नहीं हुआ है।
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कुछ अन्य जटिलताएं
- अगर इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो पेरिटोनिटिस शरीर में जहां तक संभव होता है वहां तक फैल सकता है जिसकी वजह से वहां पर रक्तप्रवाह संक्रमण (blood stream infection) हो सकता है।
- आपके पूरे शरीर में संक्रमण (सेप्सिस) फैल सकता है। जो अंग विफलता का कारण बन सकती है।
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निदान और उपचार
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा परामर्श का विकल्प नहीं है सही सलाह के लिए अपने डॉक्टर से मिलें।
पेरिटोनाइटिस की जांच कैसे की जा सकती है ?
पेरिटोनाइटिस के निदान के लिए सबसे पहले डॉक्टर आपकी शारीरिक जांच और मेडिकल हिस्ट्री (medical history) से जांच करेंगे। इसके अलावा और भी कई टेस्ट करवाए जा सकते हैं :
- खून की जांच जिससे की सफेद रक्त कोशिकाओं का पता लगाया जा सके।
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट की स्थिति जांचने के लिए अल्ट्रासाउंड करवाया जा सकता है।
- पेरिटोनियल फ्लूइड की जांच।
इस स्थिति का इलाज कैसे संभव है ?
संक्रमण से आने वाली सूजन या जलन होने पर आपको अस्पताल में भर्ती होना पड़ेगा। नीचे दिए गए इन तरीकों से इलाज संभव है :
- संक्रमण को रोकने के लिए एंटी- बायोटिक्स का इस्तमाल किया जा सकता है।
- प्रभावित क्षेत्र की सर्जरी भी की जा सकती है जिससे संक्रमण आगे न फैले।
- आपकी स्थिति के हिसाब से डॉक्टर इंट्रावेनस फ्लूइड, दवाएं और ऑक्सीजन का उपयोग कर सकते हैं।
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पेरिटोनिटिस की स्थिति में सुधार आने मं कितना समय लगता है?
इस बीमारी से पीड़ित रोगी की रिकवरी इस बात पर निर्भर करती है कि स्थिति कितनी गंभीर है। रोगियों को, जिन्हें पहले ही निदान और ट्रीटमेंट दिया जा चुका है, वे कुछ हफ्तों में ही ठीक हो जाते हैं। हालांकि, उन मरीजों में जिन्हें बाद की स्टेज में पेरिटोनिटिस का निदान किया जाता है या आगे की जटिलताएं होती हैं, उन्हें ठीक होने में ज्यादा समय लग सकता है। रोगियों को जल्दी ठीक होने के लिए देखभाल और उचित दवाओं का सेवन करना बहुत जरूरी है। उपचार के बाद के दिशा निर्देशों में डॉक्टर द्वारा सलाह के अनुसार निर्धारित दवाएं नियमित रूप से लें। दवाओं से होने वाले दुष्प्रभावों के मामले में, डॉक्टर से बात करें। यदि आपके पेट में दर्द गंभीर रूप से हो रहा है कि आप एक आरामदायक स्थिति में बैठने में असमर्थ हैं, तो डॉक्टर से तुरंत परमसरह करें।
उपचार में देरी या अनुचित उपचार घातक साबित हो सकता है और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है।
जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपाय
अक्सर, पेरिटोनियल डायलिसिस से संबंधित पेरिटोनिटिस कैथेटर के आसपास कीटाणुओं के कारण होता है। यदि आप पेरिटोनियल डायलिसिस ले रहे हैं, तो पेरिटोनिटिस को रोकने के लिए निम्नलिखित कदम उठाएं:
- कैथिटर को छूने के बाद हाथों को सही तरीके से डिसइंफेक्ट करें।
- आप हाथों के लिए सैनिटाइजर (sanitizer) का उपयोग करें।
- अपना सामान सेनेटरी एरिया में सुरक्षित रखें।
- डायलिसिस के दौरान मास्क जरूर पहनें।
- पालतू जानवरों के साथ न सोएं।
उम्मीद है यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। इसके बारे में आप हमें कमेंट बॉक्स में बताएं साथ ही किसी भी और सवाल या ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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