के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
टारडिव डिस्काइनीशिया एक प्रकार का डिसऑर्डर है। जिसमें अनचाहे मूवमेंट हाेते हैं। अक्सर टारडिव डिस्काइनीशिया में चेहरे का निचला हिस्सा प्रभावित होता है। टारडिव का मतलब देरी और डिस्काइनीशिया का मतलब असामान्य गति होना। इससे प्रभावित व्यक्ति का निचला जबड़ा अपने आप हिलता रहता है और उस पर वह नियंत्रण नहीं कर पाता है।
अगर इसे आसान शब्दों में समझा जाये तो चेहरे और शरीर पर असामन्य बदलाव या गतिविधि होती हैं जिसे टारडिव डिस्काइनीशिया कहा जाता है। ऐसा ज्यादातर एंटीसायकोटिक दवाओं के सेवन से हुए साइड इफेक्ट के कारण होता है। एंटीसायकोटिक दवाओं का सेवन प्रायः मानसिक रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। दरअसल इस स्थिति में मुंह और जीभ में मूवमेंट होने लगता है वहीं समस्या गंभीर होने पर हाथ के ऊपरी हिस्से और पैरों में भी मूवमेंट होने लगती है। कई बार बिना किसी कारण हो हाथों की ऊंगलियां हिलने लगती हैं।
इस बीमारी से बचने ले लिए एंटीसायकोटिक दवाओं का सेवन तीन महीने से ज्यादा नहीं करनी चाहिए। हेल्थ एक्सपर्ट एंटीसायकोटिक दवाओं को लेने के लिए सिजोफ्रेनिया और बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी अन्य शारीरिक परेशानी होने पर करते हैं। यही नहीं अगर आपको जी मिचलाने जैसी परेशानी होती है और इसके इलाज के लिए दवाओं का सेवन करते हैं और इन दवाओं का सेवन तीन महीने से ज्यादा होने पर टारडिव डिस्काइनीशिया का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए किसी भी छोटी से छोटी बीमारी का इलाज खुद से करें। बेहतर होगा कि आप हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लें। जो दवा और सलाह हेल्थ एक्सपर्ट आपको देते हैं उसी का पालन करना चाहिए।
टारडिव डिस्काइनीशिया से 30 प्रतिशत लोग परेशान रहते हैं। यह किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकता है। टारडिव डिस्काइनीशिया के होने का कारण लंबे समय से एंटीसाइकोटिक दवाओं का सेवन करना है। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें और जो सलाह दें उसका ठीक तरह से पालन करें।
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टारडिव डिस्काइनीशिया के सामान्य लक्षण निम्न हैं। जैसे-
इन लक्षणों के अलावा किसी-किसी व्यक्ति में इसके लक्षण समझ नहीं आ सकते हैं। टारडिव डिस्काइनीशिया के ज्यादा लक्षणों की जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
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अगर आप में ऊपर बताए गए लक्षण सामने आ रहे हैं तो डॉक्टर को दिखाएं। साथ ही टारडिव डिस्काइनीशिया से संबंधित किसी भी तरह के सवाल या दुविधा को डॉक्टर से जरूर पूछ लें। क्योंकि हर किसी का शरीर टारडिव डिस्काइनीशिया के लिए अलग-अलग रिएक्ट करता है। यह भी ध्यान रखें की शरीर में हो रहे किसी भी नकारात्मक बदलाव या परेशानी को टाले नहीं बल्कि जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
टारडिव डिस्काइनीशिया न्यूरोलेप्टिक्स नामक दवा के साइड इफेक्ट के कारण होता है। इस दवा को एंटीसाइकोटिक्स दवाएं भी कहते हैं। इस दवा का उपयोग मानसिक इलाज के लिए किया जाता है। कई महीनों तक ये दवाएं लेने से टारडिव डिस्काइनीशिया हो जाता है।
निम्न एंटीसाइकोटिक दवाएं लेने से टारडिव डिस्काइनीशिया हो सकता है :
इसके अलावा अन्य दवाएं टारडिव डिस्काइनीशिया का कारण बनती हैं :
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टारडिव डिस्काइनीशिया होने का खतरा निम्न लोगों में ज्यादा है :
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यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
टारडिव डिस्काइनीशिया का पता लगाना कठिन है। क्योंकि एंटीसाइकोटिक दवाएं लेने के बाद इसके लक्षण महीनों और सालों बाद सामने आते हैं। इसके अलावा लक्षण दवाओं के बंद करने के तुरंत बाद आ सकते हैं। टारडिव डिस्काइनीशिया के लक्षणों के आधार पर डॉक्टर अन्य चीजों की जांच की जाती है :
इन सभी समस्याओं के लिए डॉक्टर निम्न जांच कराते हैं :
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टारडिव डिस्काइनीशिया का पहला इलाज रोकथाम है। जब भी डॉक्टर आपको मेंटल हेल्थ के लिए दवा दें तो आप उससे होने वाले साइड एफिक्ट्स के बारे में पूछ लें।
अगर आपको दवाएं लेने के बाद शरीर में अनैच्छिक गति महसूस हो रही है तो आप दवाएं बंद कर सकते हैं। इसके अलावा डॉक्टर से मिल कर दवाओं का डोज कम करा सकते हैं। दो एफडीए-अप्रूव्ड दवाओं से टारडिव डिस्काइनीशिया का इलाज किया जाता है :
ये दोनों दवाएं ब्रेन में डोपामिन की मात्रा को नियंत्रित करता है जिससे अनचाहे तरीके से शरीर को हिलने की समस्या ठीक होने लगती है। लेकिन ये दोनों दवाएं आपको नींद भी ला सकती हैं।
टारडिव डिस्काइनीशिया को जीवनशैली में बदलाव और कुछ घरेलू उपाय अपना कर ठीक किया जा सकता है :
अभी तक टारडिव डिस्काइनीशिया के लिए कोई प्राकृतिक इलाज के साक्ष्य नहीं है, लेकिन कुछ चीजें हैं जो टारडिव डिस्काइनीशिया में अनचाहे मूवमेंट को कम करने में मदद कर सकते हैं :
टारडिव डिस्किनीशिया की परेशानी का अगर सही तरह से इलाज न होने पर परेशानी अत्यधिक बढ़ सकती है। इसके अलावा इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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