परिभाषा
थ्रश क्या है?
मुंह के अंदर यदि आपको व्हाइट रैश दिखे तो यह थ्रश हो सकता है। इसे ओरल थ्रश कहते हैं, जो यीस्ट इंफेक्शन के कारण होता है। आमतौर पर यह मुंह में ही होता है, लेकिन कभी-कभी शरीर के अन्य हिस्सों में भी हो सकता है। यह अक्सर नमी वाले हिस्से में होता है। वैसे तो थ्रश किसी को भी हो सकता है, लेकिन शिशु और बच्चों में यह आम हैं। बच्चों को डायपर रैश होता है वहां भी यीस्ट इंफेक्शन हो सकता है। थ्रश बहुत गंभीर नहीं होती है, लेकिन जिन बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, उन्हें इससे अधिक परेशानी हो सकती है। थ्रश होने पर मुंह के अंदर जीभ पर और गाल में अंदर की तरफ सफेद रैश दिखने लगता है। इलाज से यह ठीक हो जाता है।
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लक्षण
थ्रश के लक्षण क्या है?
शुरुआत में ओरल थ्रश के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं। लेकिन संक्रमण बढ़ने पर इसके लक्षण दिखने लगते हैं। इसके लक्षणों में शामिल हैः
- शिशु के मुंह के किनारे की त्वचा का फटना या होंठ, जीभ और गाल के अंदर सफेद पैच नज़र आना।
- कुछ बच्चों को ब्रेस्टफीड में दिक्कत होती है, क्योंकि थ्रश के कारण उन्हें असहज महसूस होता है और दर्द होता है, लेकिन कुछ बच्चों को कोई दर्द नहीं होता और वह आराम से दूध पीते हैं।
- मुंह में कॉटन जैसा सेंसेशन महसूस होना
- कुछ चबाने, निगलने में दिक्कत होना
- यदि मुंह के अंदर के रैश छिल जाएं तो थोड़ा खून आ सकता है।
- मुंह में जलन या दर्द होना
- मुंह का स्वाद खराब होना
- यदि संक्रमण ग्रासनली के बाहर फैल जाए तो बुखार भी आ सकता है।
कुछ मामलों में ओरल थ्रश के लिए ज़िम्मेदार यीस्ट इंफेक्शन शरीर के दूसरे हिस्से में भी संक्रमण फैला देते हैं, जैसे लीवर, फेफड़े और त्वचा। ऐसा आमतौर पर कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों के साथ होता है।
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कारण
थ्रश का कारण क्या है?
ओरल थ्रश के कारणों में शामिल हैः
- ओरल थ्रश यीस्ट के बहुत अधिक बढ़ने से होता है, जिसे कैंडिडा अल्बिकंस कहा जाता है।
- अधिकांश लोगों जिसमें नवजात भी शामिल है, के मुंह और डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में कुदरती रूप से कैंडिडा होता है, जिनका विकास सामान्य होता है। आमतौर पर आपका इम्यून सिस्टम और कुछ अच्छे बैक्टीरिया शरीर में फंगस की मात्रा को कंट्रोल करते हैं। लेकिन यदि किसी दवा या ट्रीटमेंट (जैसे कीमोथेरेपी) के कारण इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है या यह पूरी तरह से विकसित नहीं होता (नवजात में) तो डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में मौजूद कैंडिडा तेजी से विकसित होकर इंफेक्शन फैलाता है।
- कैंडिडा की ग्रोथ बच्चे को दिए जाने वाले एंटीबायोटिक्स के कारण भी बढ़ सकती हैं, क्योंकि यह कुछ अच्छे बैक्टीरिया को भी मार देता है जो कैंडिडा को कंट्रोल करते हैं। स्टेरॉयड दवाओं के इस्तेमाल से भी ओरल थ्रश हो सकता है।
- कैंडिडा के अधिक ग्रोथ से डायपर रैश और वजायनल यीस्ट इंफेक्शन हो सकता है। नवजात को डायपर रैश और ओरल थ्रश साथ में हो सकता है।
- बड़ो को भी थ्रश हो सकता है। खासतौर पर डायबिटीज पेशेंट में इसका खतरा अधिक होता है। अनियंत्रित डायबिटीज से आपका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है जिससे ब्लड शुगर लेवल भी हाई हो जाता है और इस माहौल में कैंडिडा तेजी से विकसित होता है।
- ल्यूकेमिया और एचआईवी जैसी स्वास्थ्य स्थितियां आपके इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देती है और ओरल थ्रश की संभावना बढ़ा देती है।
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थ्रश से बचाव
यदि किसी महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान वजायनल यीस्ट इंफेक्शन होता है, तो उसे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। यदि डिलीवरी से पहले इसका इलाज नहीं किया जाता है तो यह नवजात तक पहुंच सकता है।
यदि किसी महिला को ब्रेस्टफीडिंग के दौरान डिस्चार्ज या दर्द होता है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें ताकि डॉक्टर इस बात की जांच कर सके कि कहीं आपके निप्पल में यीस्ट इंफेक्शन तो नहीं है। यदि ऐसा है तो स्तनपान के दौरान यह इंफेक्शन बच्चे के मुंह में जा सकता है।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ऐसे ब्रेस्टपैड्स का इस्तेमाल करें जिसमें प्लास्टिक बैरियर न हो, क्योंकि यह कैंडिडा के विकास में मदद कर सकता है। यदि आपको इंफेक्शन हैं तो आपके डॉक्टर आपको निप्पल पर लगाने के लिए कोई क्रीम दे सकते हैं।
यदि बच्चे को बोतल से दूध पिलाती हैं, तो बोतल के निप्पल को अच्छी तरह साफ रखें, क्योंकि इससे भी यीस्ट इंफेक्शन होने का खतरा रहता है।
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निदान
थ्रश का निदान क्या है?
आमतौर पर ओरल थ्रश का पता डॉक्टर मुंह के अंदर देखकर ही लगा लेता है, लेकिन कई बार इसकी पुष्टि के लिए वह प्रभावित हिस्से की बायोप्सी करता है, जिसके लिए उस हिस्से की थोड़ी सी स्किन को निकलाकर लैब मे टेस्ट के लिए भेजा जाता है। इसके अलावा डॉक्टर अन्य टेस्ट भी कर सकता है जिसमें शामिल हैः
- थ्रोट कल्चर
- एंडोस्कोपी (ग्रासनली, पेट और छोटी आंत की)
- ग्रासनली का एक्स रे
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उपचार
थ्रश का उपचार क्या है?
यदि आपके बच्चे को ओरल थ्रश है तो डॉक्टर के पास जाएं। कुछ मामलों में यह बिना किसी इलाज के एक से दो हफ्ते में ठीक हो जाता है, लेकिन डॉक्टर शिशु के मुंह के लिए एंटीफंगल सॉल्यूशन की सलाह दे सकता है। यह जेल यहा ड्रॉप के रूप में हो सकता है जिसे दिन में कई बार बच्चे के मुंह के अंदर लगानी होती है।
यदि बच्चा ब्रेस्टफीड करता है तो डॉक्टर बच्चे के मुंह के साथ ही मां के निप्पल के लिए भी दवा देगा, क्योंकि यदि संक्रमण निप्पल पर रहेगा तो बच्चा उससे प्रभावित होगा।
इसके अलावा यदि बच्चा ब्रेस्टफीड के अलावा कुछ खाता है तो डॉक्टर बच्चे को दही के साथ लैक्टोबैसिली खिलाने की सलाह देगा। लैक्टोबैसिली “अच्छा’ बैक्टीरिया है जो आपके बच्चे के मुंह में बने यीस्ट से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।
इसके अलावा कुछ घरेलू तरीके से भी थ्रश का उपचार किया जा सकता है, जैसे कि अंगूर के बीज का अर्क, नारियल का तेल, जेंटियन वायलेट, टी ट्री ऑयल और बेकिंग सोडा का इस्तेमाल शिशुओं के ओरल थ्रश को ठीक करने के लिए किया जाता है।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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