परिचय
टायफॉइड फीवर (Typhoid fever) क्या होता है?
टायफॉइड फीवर (Typhoid fever) एक प्रकार का बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो दूषित पानी और दूषित खाने से होता है। आपको बता दें कि तेज बुखार के साथ इसमें पेट दर्द, सिर दर्द आदि भी होते हैं। ज्यादातर लोग जिनको टायफॉइड फीवर (Typhoid fever) होता है वो एंटीबायोटिक ट्रीटमेंट शुरू होने के कुछ ही दिनों के अंदर अच्छा महसूस करने लगते हैं और ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जिनकी इस बीमारी से मृत्यु हो जाती है। हालांकि इस बीमारी के लिए वैक्सीन भी उपलब्ध है लेकिन वो कारगर नहीं है।
कितना सामान्य है टायफॉइड फीवर (Typhoid fever) का होना?
यह एक आम समस्या है जो सालमोनेला टाइफी (salmonella typhi) बैक्टीरिया की वजह से होता है। आपको बता दें कि अगर किसी को यह बीमारी है तो ऐसे आदमी के संपर्क में आने से दूसरे लोगों को भी यह बीमारी हो सकती है।
यूनाइटेड स्टेटस में आज की तारीख में 400 से भी कम केस टायफॉइड फीवर (Typhoid fever) के हैं जबकि भारत में इसकी सम्भवना बहुत ज्यादा है। पूरे विश्व मे एक साल में 21 मिलियन से ज्यादा लोग इस बीमारी से प्रभावित होते हैं और 200,000 लोगों की इस बीमारी की वजह से मौत हो जाती है।
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लक्षण
टायफॉइड फीवर (Typhoid fever) के क्या लक्षण होते हैं?
टायफॉइड फीवर (Typhoid fever) एक प्रकार का बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो दूषित पानी और दूषित खाने से होता है। इन्फेक्शन होने के एक से दो हफ्ते बाद इस बीमारी के लक्षण सामने आते हैं जो इस प्रकार हैं;
- तेज बुखार
- शरीर दर्द
- सिरदर्द
- कमजोरी
- भूख ना लगना
- थकान
- डायरिया
- कब्ज
- अपच
- उल्टी
- मिचली
- पेट दर्द
- चकते पड़ना
- मांसपेशियों में दर्द
इसके अलावा आंतों में ब्लीडिंग हो सकती है जोकि बहुत ही खतरनाक और जानलेवा हो सकती है। इसकी वजह से ब्लड में इन्फेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है जिसे सेप्सिस (Sepsis) कहते हैं।
मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के शरीर पर टायफॉइड फीवर (Typhoid fever) अलग प्रभाव डाल सकता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से जरूर बात कर लें।
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कारण
टायफॉइड फीवर (Typhoid fever) होने के क्या कारण होते हैं?
टायफॉइड फीवर (Typhoid fever) सालमोनेला टाइफी (salmonella typhi) बैक्टीरिया की वजह से होता है। आपको बता दें कि अगर किसी को यह बीमारी है तो ऐसे आदमी के संपर्क में आने से दूसरे लोगों को भी यह बीमारी हो सकती है।
इसके अलावा टायफॉइड फीवर (Typhoid fever) एक प्रकार का बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो दूषित पानी और दूषित खाने से होता है। इसके अलावा अगर आप माइक्रोबायोलॉजिस्ट है और सालमोनेला टाइफी (salmonella typhi) बैक्टीरिया पर काम कर रहें है तो यह बीमारी की सम्भवना बढ़ जाती है।
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जोखिम
टायफॉइड फीवर (Typhoid fever) के साथ और क्या समस्याएं हो सकती हैं।
आपको बता दें कि टायफॉइड फीवर (Typhoid fever) एक खास किस्म के बैक्टीरिया की वजह से होता है जिसे सालमोनेला टाइफी (salmonella typhi) कहते हैं। इस बीमारी के साथ आपको और भी दूसरी समस्याएं हो सकती हैं जैसे
- आंतो में ब्लीडिंग होना
- किडनी में इंफेक्शन
- ब्लैडर में इन्फेक्शन
- मायोकारडाइटिस (Myocarditis)
- निमोनिया
- मेनिनजाइटिस
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उपचार
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
टायफॉइड फीवर (Typhoid fever) का निदान कैसे किया जाता है?
निम्नलिखित प्रक्रियाओं के माध्यम से डॉक्टर टायफॉइड फीवर (Typhoid fever) का निदान करता है;
मेडिकल या ट्रैवेल हिस्ट्री
आपके मेडिकल या ट्रैवेल हिस्टी और लक्षणों के आधार पर डॉक्टर को संदेह होता है कि आपको टायफॉइड फीवर है। लेकिन डायग्नोसिस की पुष्टि तभी होगी जब यह पता चले कि आपके ब्लड या बॉडी फ्लूइड में सालमोनेला टाइफी (salmonella typhi) मौजूद हो।
बॉडी फ्लूइड या टिश्यू कल्चर (Body fluid or tissue culture)
कल्चर (Culture) के लिए, आपके रक्त, मल, मूत्र या अस्थि मज्जा (Bone marrow) का एक छोटा सा नमूना एक विशेष माध्यम पर रखा जाता है जो बैक्टीरिया के विकास को बढाने का काम करता है। टायफॉइड बैक्टीरिया की उपस्थिति के लिए एक माइक्रोस्कोप के तहत कल्चर की जाँच की जाती है। आपको बता दें कि अस्थि मज्जा (bone marrow) कल्चर अक्सर साल्मोनेला टाइफी के लिए सबसे संवेदनशील परीक्षण है।
टायफॉइड फीवर (Typhoid fever) का इलाज कैसे किया जाता है?
आपको बता दें कि टायफॉइड फीवर (Typhoid fever) एक प्रकार का बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो दूषित पानी और दूषित खाने से होता है। आपको बता दें कि तेज बुखार के साथ इसमें पेट दर्द, सिर दर्द आदि भी होते हैं। इसका इलाज आपकी मेडिकल स्थिति पर निर्भर करता है।
ब्लड टेस्ट के माध्यम से यह पुष्टि होती है कि आपको टायफॉइड फीवर (Typhoid fever) है। पता चलने के बाद डॉक्टर एंटीबायोटिक के साथ ट्रीटमेंट शुरू करता है जैसे;
- एजिथ्रोमाइसिन (Azithromycin)
- सेफ्ट्रियाक्सोन (Ceftriaxone)
- फ्लोरोक्विनोलोन (floroquinolones)
जिस तरह से आपको इन एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करने के लिए डॉक्टर ने कहा ठीक वैसे ही आप इन एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करें। इसके ज्यादा फायदा लेने के लिए आप इनका रोजाना इस्तेमाल करें।
हैलो हेल्थ ग्रुप किसी प्रकार की चिकित्सा, उपचार और निदान प्रदान नहीं करता।
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घरेलू उपचार
जीवनशैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो टायफॉइड फीवर (Typhoid fever) को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?
टायफॉइड फीवर की रोकथाम के लिए आप अपने जीवनशैली में कुछ जरूरी बदलाव कर सकते हैं। ऐसा करने से आप इस बीमारी को होने से रोक सकते हैं। निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें;
- कच्चे मीट और मछली ना खाएं।
- केवल पाश्चुरीकृत डेयरी उत्पाद (pasteurized dairy products) और ठीक से पके हुए अंडे खाएं।
- बाथरूम इस्तेमाल करने के बाद और भोजन करने से पहले आप अपने हाथों को ठीक से धोएं।
- ऐसे लोगों के संपर्क से बचें जो बीमार हैं।
- अगर आप बीमार हैं तो ना तो भोजन बनाएं और ना ही उसे परोसें।
- टायफाॅइड फीवर से बचने के लिए दूषित पानी से दूर रहे। अगर आपके घर में दूषित पानी आ रहा है तो पानी को स्वच्छ कराने का इंतेजाम करें। पानी को पीने से पहले उबाल लेना चाहिए।
- खाना भी किसी प्रकार से दूषित नहीं होना चाहिए। ये संक्रमण दूषित पानी और खाने से आसानी से फैल सकता है।
टायफाॅइड फीवर में क्या खाएं?
- टायफाॅइड फीवर के दौरान खानपान पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। फीवर के दौरान ताजा भोजन ही खाएं।
- ऐसे में बाहर के फूड से पूरी तरह से बचना चाहिए।
- टायफाॅइड फीवर में क्या खाएं, ऐसे प्रश्न अक्सर लोगों के मन में आते है। आपको ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है, बस घर में ही बना हेल्दी फूड आपको लेना चाहिए।
- आप अपने दिन की शुरूआत नींबू पानी से कर सकते हैं।
- खाने में तरल पदार्थों का सेवन अधिक करें। आप खाने में दाल की खिचड़ी, आलू, दही, सब्जियों का सूप और कुछ ठोस आहार को शामिल कर सकती हैं।
- संतुलित आहार को एक या दो दिन नहीं बल्कि जब तक आपकी तबियत ठीक नहीं हो जाती है, तब तक खाने में शामिल करें।
- टायफाॅइड फीवर के दौरान कैफीन का सेवन न करें, ये आपके स्वास्थ्य के लिए बेहतर रहेगा।
- टायफाॅइड फीवर के दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें और बिना धुले किसी भी प्रकार के फल का सेवन न करें।
- आप तरल पदार्थों के रूप में छाछ, सब्जियों का जूस, नींबू पानी, फलों का जूस आदि को जरूर शामिल करें।
- बीमारी के दौरान आप बेहतर होगा कि किचन में न जाएं और किसी अन्य व्यक्ति के लिए खाना भी न बनाएं।
- बुखार के दौरान ऐसे भोजन का सेवन बिल्कुल न करें, जिसे पचने में समय लगता हो।
अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।