मूल बातों को जानें
कई बार एड्रेनल ग्लैंड से बहुत अधिक मात्रा में कोर्टिसोल निकलने लगता है। इस स्थिति को कशिंग सिंड्रोम(Cushing Syndrome) कहते हैं। डेक्सामेथासोन सप्प्रेशन टेस्ट की मदद से इस स्थिति की जांच की जा सकती है। जानते हैं डेक्सामेथासोन सप्प्रेशन टेस्ट क्या है? डेक्सामेथासोन सप्प्रेशन टेस्ट की जरूरत कब पड़ती है?
डेक्सामेथासोन सप्प्रेशन टेस्ट की जरूरत कब पड़ती है ?
डेक्सामेथासोन कोर्टिसोल जैसा ही आर्टिफिशियल स्टेरॉयड है। पिट्यूटरी ग्लैंड में खराबी आने के कारण बहुत अधिक ACTH (एड्रेनोकॉर्टिकोट्रोफिक हॉर्मोन) बनने लगता है।
डेक्सामेथासोन सप्प्रेशन टेस्ट से बढे़ हुए कोर्टिसोल का कारण पता लगाया जा सकता है। कशिंग सिंड्रोम की जांच से यह आसानी से पता लग सकता है की कोर्टिसोल कितन कितना बढ़ा हुआ है? दरअसल कोर्टिसोल एक तरह का स्टेरॉयड हॉर्मोन होता है जो आमतौर से तनाव के दौरान अत्यधिक बढ़ जाता है। तनाव बढ़ने के साथ-साथ यह मनुष्यों के सेक्स लाइफ पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। वहीं अगर पिट्यूटरी बहुत अधिक ACTH बना रहा है तो लो डोज टेस्ट(Low dose test) में आप परिणाम साफ देख सकते हैं। हालांकि हाई डोज टेस्ट ( High Dose Test) में सभी परिणाम सामान्य दिखाई देंगें।
डेक्सामेथासोन सप्प्रेशन टेस्ट समझने के पहले कोर्टिसोल हॉर्मोन समझना जरूरी है। दरअसल कोर्टिसोल टेंशन (तनाव) की स्थिति में शुरू होता है। इस हॉर्मोन को तनाव या स्ट्रेस हॉर्मोन के नाम से भी जाना जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार यह दिनभर (24 घंटे) में बढ़ता-घटता रहता है।
बढ़े हुए कोर्टिसोल हॉर्मोन को समझना बेहद आसान है। रिसर्च के अनुसार इसके लेवल में बदलाव होने पर शरीर में निम्नलिखित बदलाव आ सकते हैं। जैसे-
- डायजेशन ठीक तरह से न होना
- शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाना
- फैटी एसिड बढ़ना
- प्रोटीन के लेवल में भी बदलाव आना
- बार-बार भूख लगना
- शरीर में फैट बढ़ना
- मूड स्विंग होना
- बार-बार अत्यधिक गुस्सा आना
- याददाश्त कमजोर होना
- पीरियड्स (मासिक धर्म) समय पर नहीं आना
- हमेशा सिरदर्द की समस्या होना
- हमेशा थका हुआ महसूस होना
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टेस्ट से पहले क्या जानना है जरूरी?
त्वचा के जिस हिस्से से जांच के लिए खून लिया जाएगा वहां हल्की सूजन हो सकती है। इस स्थिति को फ्लेबायटिस कहते हैं। इस टेस्ट के पहले डॉक्टर आपको निम्नलिखित सलाह दे सकते हैं, जिसका पालन करना बेहद जरूरी होता है। जैसे-
- बर्थ कंट्रोल पिल्स नहीं लेना चाहिए
- बार्बीचुरेट्स (Barbiturates) जैसे ड्रग्स नहीं लेने चाहिए
- कोरटोकॉस्टेरॉइड्स का सेवन नहीं करना चाहिए
- टेट्रासाइक्लीन जैसे एंटीबायोटिक का सेवन न करें
- एस्ट्रोजेन न लें
ऊपर दी गई जानकारी इस दौरान जरूर फॉलो करें। ऐसा नहीं करने पर इसका नकारात्मक प्रभाव आपकी रिपोर्ट पर पड़ सकता है।
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प्रक्रिया
डेक्सामेथासोन सप्प्रेशन टेस्ट की तैयारी कैसे करें ?
डेक्सामेथासोन सप्प्रेशन टेस्ट से लगभग 10 से 12 घंटे पहले आपको कुछ भी खाने से मना किया जाएगा। साथ ही हो सकता है डॉक्टर आपको कुछ दवाओं को भी लेने से मना करेंगें। जैसे कि एस्पिरिन(Aspirin), मॉर्फिन(Morphine), मेथाडोन, लिथियम(Lithium) और डाययुरेटिक्स(Diuretics)। ये सभी दवाएं टेस्ट के परिणामों पर प्रभाव डाल सकती हैं। इसलिए डॉक्टर आपको लगभग 24 -48 घंटे पहले इन दवाओं को लेने से मना करेंगें।
डेक्सामेथासोन सप्प्रेशन टेस्ट के दौरान क्या होता है?
डेक्सामेथासोन सप्प्रेशन टेस्ट से एक दिन पहले रात को 11 बजे आपको एक डेक्सामेथासोन पिल (Dexamrthasone Pill) खानी होगी। ये पिल एंटासिड(Antacid) या फिर दूध के साथ ली जा सकती है। अगले दिन डॉक्टर आपके खून का सैंपल लेंगें।
खून लेने के लिए आपकी बांह के ऊपरी हिस्से को इलास्टिक बैंड से बांधा जाएगा जिससे की नसें उभर आएं खून लिया जा सके। खून लेने के बाद उसे एक ट्यूब में रखा जाएगा। खून लेने के बाद नीडल साईट को कॉटन से दबा दिया जाएगा और फिर बैंडेज लगाकर घाव को बंद कर दिया जाएगा। सूजन होने पर आप डॉक्टर से पूछकर सिकाई कर सकते हैं।
बहुत गहरी जांच के लिए हो सकता है आपको दो दिनों में 8 पिल्स लेनी पड़ सकती हैं। अगले दिन आपके खून और यूरिन में कोर्टिसोल की मात्रा नापी जा सकती है। सैंपल लेने के बाद डॉक्टर उसे लैब में भेज देंगें। लैब से आई रिपोर्ट के आधार पर आपका आगे का इलाज किया जाएगा।
असामान्य रूप से बढ़े हुए लेवल की जांच के लिए डॉक्टर कुशिंग सिंड्रोम का निदान करने के लिए बाद में भी चेकअप कर सकते हैं। यदि इस विकार का निदान किया जाता है, परीक्षण किया जाता है, तो बढ़ें हुए कोर्टिसोल के स्तर को नियंत्रित करने के लिए उपयुक्त दवाएं दी जाती हैं। इसके साथ ही अगर बढ़े हुए कोर्टिसोल का कारण अगर कैंसर है, तो इससे जुड़े अन्य टेस्ट की सलाह दी जा सकती है।
वहीं हाई कोर्टिसोल लेवल के कारण कुशिंग सिंड्रोम की समस्या होती है, तो अन्य हेल्थ चेकअप और टेस्ट की जा सकती है।
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परिणामों को समझें
सामान्य रेंज:
आमतौर पर शरीर में कोर्टिसोल की मात्रा 5 माइक्रोग्राम प्रति डेसिलीटर से कम होनी चाहिए।
असामान्य कोर्टिसोल रेंज :
बढ़ा हुआ कोर्टिसोल (Cortisol) इन स्थितियों की तरफ संकेत करता है:
- कशिंग सिंड्रोम(Cushing Syndrome)
- बार-बार बुखार आना
- हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है
- बहुत अधिक सक्रिय थायरॉइड ग्लैंड होना
- डिप्रेशन की समस्या
- शरीर शुगर लेवल बढ़ना जिस वजह से डायबिटीज होता है और इसका ठीक तरह से इलाज नहीं करना
- कैंसर
- खान-पान ठीक तरह से न करना
- सेप्सिस
- अत्यधिक एल्कोहॉल का सेवन करना
डेक्सामेथासोन सप्प्रेशन टेस्ट (Dexamethasone Test) के बारे मेंअधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से मिलें।
शरीर में अगर कोर्टिसोल हॉर्मोन लेवल बैलेंस्ड रहेगा तो, इससे ब्लड शुगर लेवल, प्रोटीन लेवल और फैटी एसिड की मात्रा भी संतुलित रहेगी। इसलिए रोजाना संतुलित और पौष्टिक भोजन का सेवन करना चाहिए। नियमित रूप से कैल्शियम और विटामिन-डी से भरपूर खाद्य पदार्थों को अपने आहार में रोजाना शामिल करें। इससे हड्डियां मजबूत होंगी। यह भी ध्यान रखें की अपने आहार में अत्यधिक नमक या सोडियम वाले खाने-पीने की चीजों के साथ-साथ फैट वाले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
कैल्शियम वाले खाद्य पदार्थ जैसे-
- ग्रीन कोलार्ड
- पालक
- फूल गोभी
- सोयाबीन
- अंजीर (सूखे हुए)
- ब्रोकली
- संतरा या इसका जूस
- दही
- दूध
- पनीर
- व्हाइट बीन्स
- राजमा
- बादाम का दूध
- सोया मिल्क
- दलिया
विटामिन- डी की पूर्ति के लिए निम्नलखित खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है। जैसे-
- अंडा
- सल्मन मछली
- गाय का दूध
- मशरूम
इन सबके साथ विटामिन-डी के लिए सुबह की धूप में कुछ देर के लिए हर दिन बैठें।
अगर आप डेक्सामेथासोन सप्प्रेशन टेस्ट से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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