बार्थोलिन के सिस्ट में बार्थोलिन की ग्रंथियां योनि के द्वार पर हर तरफ मौजूद होती हैं। इन ग्रंथियाें से लिक्विड का स्राव होता है, जिससे योनि में चिकनाई होती है। कभी-कभी इन ग्रंथियों के खुलने की जगह जब बाधित हो जाती हैं, तो उससे निकलने वाला लिक्विड दोबारा ग्रंथि में वापस चला जाता है। इसके कारण सूजन हो जाती है, जिसमें दर्द नहीं होता है, इसे बार्थोलिन का सिस्ट या बार्थोलिन सिस्ट कहते हैं। यदि सिस्ट के अंदर लिक्विड संक्रमित (infected) हो जाता है, तो सूजन वाले हिस्से पर फोड़ा या पस हो जाता है, जिसे बार्थोलिन सिस्ट (Bartholin’s cyst) कहते हैं । वैसे तो बार्थोलिन की सिस्ट या फोड़ा होना आम है लेकिन कभी-कभी यह आपके लिए बड़ी परेशानी भी बन सकती है। बार्थोलिन के सिस्ट का इलाज इसके आकार पर भी निर्भर करता है। जब सिस्ट में दर्द दे रहा हो तो, ये कारक भी इलाज की प्रक्रिया तय करने में मदद करता है। अगर बार्थोलिन के सिस्ट का साइज बढ़ गया है और आपको दर्द हो रहा है तो इसका इलाज कराया जाना बेहद जरूरी है।
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बार्थोलिन के सिस्ट (Bartholin’s cyst) के लक्षण, यदि किसी महिला को छोटी और बिना संक्रमण वाली सिस्ट है तो शायद ये आपका ध्यान न खींचे। यदि सिस्ट बढ़ जाती है तो योनि के द्वार पर गांठ सी महसूस हो सकती है। वैसे तो सिस्ट दर्द रहित होती है क्योंकि Bartholin’s cyst को पूरी तरह से संक्रमित होने में समय लग सकता है। जब यह संक्रमित होती है तब निम्न तरह के लक्षण आपको दिखाई दे सकते हैं, जैसे कि
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बार्थोलिन के सिस्ट होने का कारण बर्थोलिन ग्लैंड का सिक्रीशन भी है, जब लिक्विड पदार्थ जमा हो जाता है तब जब ग्रंथि का द्वार बंद हो जाता है, जिससे लिक्विड नहीं निकल पाता है। ऐसा संक्रमण या चोट के कारण हो सकता है। यह सिस्ट संक्रमित होती है, जिससे फोड़ा हो सकता है। कई बार बैक्टीरिया भी इस संक्रमण का कारण होते है। यौन संचारित संक्रमणों जैसे गोनोरिया और क्लैमाइडिया के कारण भी बार्थोलिन सिस्ट हो जाता है।
बार्थोलिन के सिस्ट होने पर शुरूआत में तो आपको कोई तकलीफ नही होगी लेकिन कई बार यह आपके लिए परेशानी की वजह बन सकती है ऐसे में किस स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है-
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बार्थोलिन के सिस्ट का परीक्षण फिजिकल एग्जामिनेशन के जरिए किया जाता है। यौन संचारित रोगों के लिए होने वाले टेस्ट ही बार्थोलिन की सिस्ट होने की संभावना हाेने पर किए जाते है। जांच के लिए सीडीसी स्क्रीनिंग, ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट किये जा सकते हैं ताकि सिस्ट की जांच की जा सकें।
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अगर आप चाहती है कि आपको सिस्ट की समस्या नही हो तो इसके लिए आप इन तरीकों को अपना सकती है। वैसे तो सिस्ट को रोकने का कोई विशेष तरीका नहीं है। शारीरिक संबंध के समय कंडोम और यौन अंगों की साफ सफाई रखने से सिस्ट की समस्या होने से रोका जा सकता है। नियमित व्यायाम और संतुलित आहार का सेवन भी बार्थोलिन सिस्ट के खतरे को कम करते है।
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ज्यादातर बार्थोलिन सिस्ट होने पर इलाज की जरूरत नहीं होती, विशेष तौर पर जब सिस्ट का किसी तरह का लक्षण नहीं दिखाई देता। जब जरूरत पड़ती है तब सिस्ट के आकार के अनुसार इलाज किया जाता है, इलाज इस पर भी निर्भर करता है कि सिस्ट संक्रमित तो नहीं है।
सिट्ज बाथ से Bartholin’s cyst का इलाज करते समय पीड़ित को तीन या चार दिनों के लिए दिन में कई बार कुछ इंच गर्म पानी (सिट्ज बाथ) से भरे टब में प्रभावित हिस्से को डुबाने के लिए कहा जाता है, जिससे सिस्ट धीरे-धीरे गलने लगती और खत्म हो जाती है।
सर्जिकल ड्रेनेज की प्रक्रिया सिस्ट के संक्रमित हाेने पर या बड़ी सिस्ट को निकालने के लिए अपनाया जाता है। बेहोश करके सिस्ट को सर्जरी के माध्यम से निकाल दिया जाता है। इस प्रक्रिया के लिए डॉक्टर सिस्ट में छोटा सा चीरा लगाते हैं। जिससे सिस्ट निकालने में आसानी हो जाती है। इसके लिए कैथेटर जैसी छोटी रबर ट्यूब लगायी जाती है, जिसे छह हफ्ते तक सिस्ट की जगह रखा जाता है।
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एंटीबायोटिक्स से Bartholin’s cyst का इलाज करते समय यदि सिस्ट संक्रमित है और जांच करने में यौन संचारित संक्रमण की जानकारी मिलती है, तब डॉक्टर एंटीबायोटिक लेने की सलाह दे सकते हैं। यदि फोड़ा ठीक से सूखा हुआ है तो एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती है।
मार्सुपायलाइजेशन (Marsupialization) से बार्थोलिन के सिस्ट का इलाज करते समय यदि सिस्ट परेशान कर रहा है तो डॉक्टर मार्सुपायलाइजेशन marsupialization सर्जरी प्रक्रिया से इलाज करते है। इसमें लगभग 6-मिलीमीटर लंबा चीरा लगाया जाता है, ताकि लिक्विड निकाल दिया जाए। इसके बाद प्रभावित हिस्से को साफ करने के बाद डॉक्टर वहां टांके लगा देते हैं।
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बार्थोलिन के सिस्ट होने के अलग-अलग कारण हो सकते है, अगर सावधानियां रखी जाएं और शारीरिक संबंध बनाते समय और बाद में स्वच्छता का ख्याल रखा जाए तो सिस्ट से बचा जा सकता है।
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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड
Dr Sharayu Maknikar